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9 Dec 2019 · 2 min read

गीता ज्ञान और आज

श्रीकृष्ण ने अर्जुन को उपदेश दिया
गीता-महाज्ञान का था उपदेश दिया
जब अर्जुन ने हथियार थे डाल दिए
सब अपने थे जो खड़े हथियार लिए
भाई-बंधु,सगे-संबंधी थै, रिश्ते-नाती
आपस में जुड़े थे ,जैसे दिया- बाती
जिन संग खेला,पढा,पला.और बढा
जिनको था पाला और जिनसे पला
किसको मारे और किस से मर जाए
क्या पाने,क्या खोने और किस लिए
जिधर नजर घुमाए थे सभी अपने
अपनों से ही क्यों छीने अपने सपने
अपनो पर विजय,अपनों से पराजय
अपनों की हाहाकार,अपनों की जय
यह सोच कर हुआ अर्जुन निराधार
श्रीकृष्ण ने उठाया महाज्ञान हथियार
शान्त किया मन में उठा हुआ उबाल
मोह माया अपनत्व से दिया निकाल
कर्म करने का दिया था महा सन्देश
फल की चिन्ता के बिना कर्म निर्देश
तभी से ही चली आ रही है यह रीत
गीता जयंती महोत्सव मनावन रीत
समयानुसार बदल गए सभी मायने
दिशा और दशा भटके हैं सब मायने
महोत्सव के नाम हो रही धन बर्बादी
किस दिशा में जा रही है यह आबादी
लक्ष्य और उद्देश्य गए हैं सभी भूल
दिखावे के चक्कर में खो दिया मूल
धर्म- कर्म नीति में शामिल राजनीति
राजदारों की कटपुतली हुई हर नीती
मनोरंजन साधन मात्र है गीताजयंती
व्यवसायीकरण की धूरी गीताजयंती
आसमान से श्रीकृष्ण से झांकते होंगें
आज की सोच में.अक्सर सोचते होंगें
मनुज ने यह क्या कारनामा कर दिया
गीता ज्ञान को किस ज्ञान में धो दिया
हँसता होगा मानवीय करतूत देखकर
मानवता के नित टूटते असूल देखकर
मानव राजहंस कब तुम जाओगे सुधर
गीता के ज्ञान असर कब दिखेगा ईधर

-सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)-9896872258

Language: Hindi
441 Views
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