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29 Dec 2019 · 1 min read

सीख

——सीख———-
—————–
महकते फूलों से ये सीखो
कंटक में कैसे महकते हैं
शूल सी चुभन सहकर भी
हर पल भीनी सुगंध देते हैं

बहकना सीखना ना हो त़ो
बोतल शराब से तुम सीखो
मदिरा को बीच में रख कर
कभी कहीं नहीं बहकती है

सहनशीलता सीखनी है तो
दहकते तमोहर से सीखिए
हमेशा रहे हैं ताप में तपता
खुद कभी नहीं पिंघलता है

शालीनता सीखनी हो तो
चमकते चंन्द्रमा से सीखो
दागों को देह पर ले करके
काली रातों में चमकता है

बरसना सीखना जो हो तो
घनेरे बादलों से तुम सीखो
औरों की प्यास बुझाने में
बरसकर खाली हो जाते हैं

दोस्ती निभाना, तुम सीखो
भगवान श्री कृष्ण से सीखो
रंक सुदामा की झोली भरते
खजाने वो खाली कर देते हैं

इंतजार सीखना जो हो तो
प्यासे चातक से तुम सीखो
प्यासा रह कर वो हद बेहद
बारिश का इंतजार करता है

सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258

Language: Hindi
2 Comments · 352 Views
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