suresh sangwan Tag: ग़ज़ल/गीतिका 221 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 4 Next suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read रुकती साँसों को ठहरने ना दिया अब तक रुकती साँसों को ठहरने ना दिया अब तक क्यूँ मैने खुद को मरने ना दिया अब तक टूटे हैं तो क्या मगर अभी भी दिल में है ख्वाबों को दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 451 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read हंसता है दिल इश्क़ में या रो रहा है हंसता है दिल इश्क़ में या रो रहा है या कोई आँखों को धोखा हो रहा है चाहिए कोई तो सुने सुनाये दिल की जूस्तज़ु में उसकी ये कहीं खो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 244 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read रंग बहारों के उतर क्यूँ जाते रंग बहारों के उतर क्यूँ जाते ख़ुश्बू के तेरी असर क्यूँ जाते शाख-ए-मोहब्बत जो रहती हरी पत्तों की तरहा बिखर क्यूँ जाते गर होते आज भी साथ मिरे तुम खुशियों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 213 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read मेरे ख्वाबों का क़ातिल बता दो मेरे ख्वाबों का क़ातिल बता दो या बीते पल यादों से मिटा दो माना हर मसले का हल नहीं है तो फिर जीने का रस्ता बता दो गर खतावार हूँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 202 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read बातों में बनावट सी नज़र आती है बातों में बनावट सी नज़र आती है मतलब की मिलावट सी नज़र आती है फिर देखे मिरा रक़ीब तिरछी नज़र से आँखों में लगावट सी नज़र आती है जाने किस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 296 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read ज़बरन ही हामी भराई गई थी ज़बरन ही हामी भराई गई थी शादी के मंडप बिठाई गई थी अजीब सी हालत थी दिल की मगर मुस्का कर फोटो खिचाई गई थी ज़बान- ओ -आँखे रखी बंद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 450 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है मायूसियों में उम्मीद जगा देती है आधी -अधूरी सी दुनियाँ को मेरी माँ अपने प्यार से मुकम्मल बना देती है बिन माँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 260 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं वो इसलिए की दिल छोटा अरमान बहुत हैं घर बसाना है मुश्किल ए दौर-ए-तरक्की रहने को तो दुनियाँ में मकान बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 503 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read हर गली हर कूचे में बाग़बान मिल जाये हर गली हर कूचे में बाग़बान मिल जाये गर इंसान के भीतर इंसान मिल जाये उधार ना सही नक़दी दुकान मिल जाये ज़िंदगी का कहीं तो सामान मिल जाये काश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 226 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read उल्फ़त में ग़म के ख़ज़ाने क्या- क्या निकले उल्फ़त में ग़म के ख़ज़ाने क्या- क्या निकले हम अपनी आँखों को दिखाने क्या- क्या निकले समझा था ये दिल तो उसे ही मंज़िल अपनी मंज़िल से आगे भी ठिकाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 382 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read ये बात नहीं है सिर्फ़ बताने के लिये ये बात नहीं है सिर्फ़ बताने के लिये हम तो उजड़े हैं तुम्हें बसाने के लिये कसमें ना खाओ जानम जानते हैं सब यहाँ कसम नहीं खाईं जाती निभाने के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read ए ज़िंदगी बड़ी अजीब हो तुम ए ज़िंदगी बड़ी अजीब हो तुम अमीर तो कहीं ग़रीब हो तुम कोई नाम दो अब रिश्ते को न यार मिरे ना रक़ीब हो तुम भूल गया हदें फिर वो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 321 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read परिंदों को आवाज़ लगाने पे रहने दे मुझे परिंदों को आवाज़ लगाने पे रहने दे मुझे शज़र की मानिंद रबा ठिकाने पे रहने दे मुझे नहीं चाहिए कोई आसमान है इलित्जा मेरी यही तिरी पलकों के शामियाने पे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read यूँ ना समझें कि वो ही हमको भुला बैठे हैं यूँ ना समझें कि वो ही हमको भुला बैठे हैं तमाम चराग़-ए-हसरत हम भी बुझा बैठे हैं लब पे आ जाए जो ग़ज़ल बनकर वक़्ते-फुरसत यूँ समझो बात अपने दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 463 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read रख दे अब तू भी वहम का बादल निकाल के रख दे अब तू भी वहम का बादल निकाल के क्या रख दूं तेरे सामने मैं दिल निकाल के निकाल तो डाला मुझे महफ़िल से कई बार दिल से अपने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 380 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read जब आप आप न रहे जब आप आप न रहे तो मिलन मिलाप न रहे ज़िंदगी ऐसे जियो कि पश्चाताप न रहे आजकल पहले जैसे कार्य - कलाप न रहे जेब गर भरी नहीं है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 246 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read जानेवाले को बुलाया भी जा सकता है जानेवाले को बुलाया भी जा सकता है रूठा है तो क्या मनाया भी जा सकता है जहाँ में कौन परबत है इंसान महफ़िल से उठ भी सकता है उठाया भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 447 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही मैं छोड़ दूं तेरा शहर जो तू कहे गली क्यूंकर यकीन आये मुहब्बत का हमनशीं कोई खिला ना फूल ना दिल की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 384 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read हमसे ये नुकसान उठना मुश्क़िल है हमसे ये नुकसान उठना मुश्क़िल है दिल तुम्हें जुदा कर पाना मुश्क़िल है हो जाएँ शुरू गर सिलसिले जुदाई के ऐसे में खुद को हंसाना मुश्क़िल है छोड़कर महफ़िल तेरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 313 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read यूँ मौसम का असर गया गोया यूँ मौसम का असर गया गोया रंग-ए-गुल और निखर गया गोया हुआ महसूस ये देखकर उसे मुझमें सूरज उतर गया गोया मानूं क्या दम खम उस बंदे में वादे से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 185 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है साहिल टूट जाये तो समंदर टूट जाता है बिखर गया तिनका तिनका आँधी के आने से गर चट्टान टकराए तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 500 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read मुहब्बत दीया नहीं मशाल है .... मुहब्बत दीया नहीं मशाल है यारो यहाँ इक इक ज़रर्रा कमाल है यारो मंज़िलों का फ़ैसला लेते हैं कैसे परिंदों से इक मिरा सवाल है यारो क़लम अपने आप तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 277 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो रेत की मुट्ठी बनाना छोड़ दो हो नहीं सकता जहाँ दिल से मिलना हाथ ऐसों से मिलाना छोड़ दो बाग़ में अपने रहो कोयल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 848 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read मैं नहीं कोई फूल महक जाउँ बिखरकर भी.. मैं नहीं कोई फूल महक जाउँ बिखरकर भी क्यूंकर कोई देखे ऐसों को पलटकर भी बसर नहीं है दुनियाँ में किसी तौर जीकर भी देखा है कई बार अपने में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 239 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read पास आने नहीं देते पास आने नहीं देते मुस्कुराने नहीं देते बोझ ज़िम्मेदारियों के सर उठाने नहीं देते ख्वाब नींद का मुझे दर खटखटाने नहीं देते कह चले अपनी मुझे तो कुछ सुनाने नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 419 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read इश्क़ में हमारी बे-ज़ुबानी देखते जाओ इश्क़ में हमारी बे-ज़ुबानी देखते जाओ उस पर आलम की तर्जुमानी देखते जाओ तुम ना आओगे कभी मुन्तज़िर हम फिर भी हैं लिल्लाह प्यार की नातवानी देखते जाओ देखो वही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 335 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है किसी पत्थर को आख़िर आह भरते किसने देखा है सदा से आते जाते हैं मौसम ये रुत बहारों की जहां में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 202 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read मंज़िल अपनी जगह रास्ता अपनी जगह है... मंज़िल अपनी जगह रास्ता अपनी जगह है ज़िंदगी में सफ़र का मज़ा अपनी जगह है मंदिर जाते हो कभी मस्जिद जाते हो इधर उधर न ढूँढो खुदा अपनी जगह है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 225 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read हौसलों की आज उड़ान देखिये हौसलों की आज उड़ान देखिये और सूरत-ए- आसमान देखिये फूल पे बिखरी मुस्कान देखिये ख़ास है मिरा खानदान देखिये बोल-बोल शी रीं ज़बान देखिये लूटता गया पासबान देखिये बेरूख़ी से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 283 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी.. ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी रही मैं ना मैं मुझे बेखुदी अच्छी लगी खलाएँ जीस्त की मेरी तमाम भर गई मिला साथ तेरा तो हर कमी अच्छी लगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read माँ ही गुरू माँ ही ज्ञान.. माँ ही गुरू माँ ही ज्ञान ईश्वर का उत्तम वरदान पाठशाला तू ही तो है इस जहाँ से मैं अंजान तू मिरी दुनियाँ का नूर बिन तेरे ये जग वीरान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 270 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read फूलों के शहर में घुमाता है कोई.. फूलों के शहर में घुमाता है कोई रह -रह के हाय याद आता है कोई दिल को लगी मुद्दत भुलाने में जिसको किस्सा फिर से वही सुनाता है कोई ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 322 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read माँ रोते में मुस्कुराना तुमसे सीखा है माँ रोते में मुस्कुराना तुमसे सीखा है कारे दुनियाँ का ताना-बाना तुमसे सीखा है गर्दिश- ए- दौरा तो आनी जानी शै ज़िंदगी को गले लगाना तुमसे सीखा है क्या मज़ाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 280 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read ठिकाना ढूँढती बहती हवा सी लगती हूँ ठिकाना ढूँढती बहती हवा सी लगती हूँ ज़िंदगी से नहीं खुद से खफ़ा सी लगती हूँ मुझ में बस गई है आकर किस ज़ोर से देखो इन हसरतों को न... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 316 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read बे-क़रारी शोर मचा सकती है बे-क़रारी शोर मचा सकती है आसमाँ सर पे उठा सकती है रू-ब-रू हो मौत से इक बार तू ज़िंदगी तेरी बना सकती है चार बेटों से खिलाया न गया माँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 226 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read दुनियाँ से न्यारी मेरी गुलगुल दुनियाँ से न्यारी मेरी गुलगुल पापा की प्यारी मेरी गुलगुल आँखों का ख़्वाब रातों की नींद दिन की तैयारी मेरी गुलगुल सुकून-ए-दिल ओ चैन की साँस हर गम पे भारी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 240 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read बादशाह की मात को इक्के निकल आते हैं बादशाह की मात को इक्के निकल आते हैं पक्के वादे भी जब कच्चे निकल आते हैं ये क़िताब-ए-ज़िंदगी और रिश्तों के धागे धागे टूट जाएँ तो पन्ने निकल आते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 470 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read लिखा ही समझते हैं न ज़बानी हमारी लिखा ही समझते हैं न ज़बानी हमारी यही है मुद्दत से परेशानी हमारी दिया जो दिल किसी को वापस नहीं लेते यहाँ दिल पे चलेगी सुल्तानी हमारी बिठा लेंगे पलकों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 254 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read आँख में ख़्वाबों को सजाती हूँ आँख में ख़्वाबों को सजाती हूँ या कहो मुसीबतें बुलाती हूँ जश्न महफ़िल में मैं मनाती हूँ अश्क़ तन्हाई में बहाती हूँ प्यार क्यूँ तुमसे कर लिया मैंनें आज भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 249 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read दूरियां दीवार की मोहताज़ नहीं होती... दूरियां दीवार की मोहताज़ नहीं होती नफ़रते तलवार की मोहताज़ नहीं होती कौन बोले है न बोले रब के लिये ज़िंदगी ये प्यार की मोहताज़ नहीं होती शिक़स्त होती नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 206 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही .. कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही बदली मौसम की भी जात किसी के जाते ही गम किस बला का नाम है दर्द का पता ना था निकली अश्क़ों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 312 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read शाम ढली हम घर चले.... शाम ढली हम घर चले दिन भर मस्ती कर चले रातें लाई घर हमें सुबह हुई के फिर चले इक दूजे के साथ में छोड़ अपना डर चले नंगे पाँव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 512 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read अंधेरों को हमसफ़र किया जाये अंधेरों को हमसफ़र किया जाये नज़रों को यूँ तेज़तर किया जाये निकले हुए हैं तीर ज़माने भर से ज़रूरी है सीना सिपर किया जाये रख सके उम्र भर के लिए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 232 Share suresh sangwan 27 Nov 2016 · 1 min read अब कोई दिल को भायेगा कहाँ.... अब कोई दिल को भायेगा कहाँ समंदर बहकर जायेगा कहाँ तेज़ रफ़्तारी देखी तो लगा आज ये बादल छायेगा कहाँ पर हवाओं के ए दिल क़तर तो दूं मगर बतला... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 2 289 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा मेरी ग़रीबी की हक़ीक़त अफ़साना क्यूँ लगा प्यार सदा से था इसमें दिल ही ऐसा पाया है वो जो मेरा दिलबर था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 462 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read ख़ौफ़ अब कोई नहीं जीने का सामां हो गई ख़ौफ़ अब कोई नहीं जीने का सामां हो गई मुश्किलें मुझ पर पड़ी इतनी के आसां हो गई हसरतें छोड़ चली बाकी दर्दो-ग़म यहाँ ज़िंदगी मेरी सनम खेलों का मैदाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 259 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे.............. बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे हसरतों को मोहब्बत का समंदर कर दे रंग-ओ-खुश्बू को मेरा हमसफ़र कर दे ज़िंदगी को अपनी याद से मो अतर कर दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 508 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो.................... इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों उन तस्वीरों को जी भर देख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 468 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read हंसी ख़ुशी भी वक़्त बिताया जा सकता है ........................ हंसी ख़ुशी भी वक़्त बिताया जा सकता है बेगाने को अपना बनाया जा सकता है मुश्किल है दो- बारा किसी पर यकीन करना वैसे धोखा कई बार खाया जा सकता... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 247 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read ज़माने की हवा हूँ परिंदे उड़ाती फिरती हूँ....................... ज़माने की हवा हूँ परिंदे उड़ाती फिरती हूँ ज़िगर रोकनेवालों का मैं आज़माती फिरती हूँ ये गली ये रास्ते सब ढूँढते हैं मंज़िल अपनी मिलाकर हाथ इनके साथ मैं भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 256 Share Previous Page 4 Next