लक्ष्मी सिंह 1025 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 6 Next लक्ष्मी सिंह 8 Feb 2021 · 1 min read गिलहरी बालकनी में दिखी गिलहरी, नजर हमारी उस पर ठहरी। नन्हीं छोटी-सी है प्यारी, जिसके तन पर गहरी धारी। रोयेंदार पूँछ झबरीली, काली पीली बड़ी फबीली। कंचे जैसे आँखें दिखते, दाँत... Hindi · कविता · बाल कविता 2 303 Share लक्ष्मी सिंह 8 Feb 2021 · 1 min read नशा आधार छंद -हंसगति(मापनीमुक्त मात्रिक) विधान:-कुल 20 मात्राएँ 11,9 पर यति अंत में वाचिक गुरु तथा त्रिकल यति त्रिकल अनिवार्य दिया नशे में झोंक, गवाया जीवन। मैकश में दिन रात,बिताया जीवन।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · हंसगति छंद 1 192 Share लक्ष्मी सिंह 7 Feb 2021 · 1 min read रखो भावना श्रेष्ठ, आधार छंद:- त्रिलोकी मापनी मुक्त मात्रिक मात्रा भार २१ तथा ११,१०पर यति अंत में लगा,संधि में त्रिकल समान्त -आर पदान्त- का गीतका रखो भावना श्रेष्ठ, मनुज व्यवहार का । करो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · त्रिलोकी छंद 3 3 153 Share लक्ष्मी सिंह 7 Feb 2021 · 1 min read नमन साथियों हो जुबां पर हमेशा वतन साथियों । जब मरूँ तो तिरंगा कफ़न साथियों। नित अमन से भरा हो चमन सा वतन- कर चले आखिरी हम नमन साथियों। -लक्ष्मी सिंह नई... Hindi · मुक्तक 1 154 Share लक्ष्मी सिंह 7 Feb 2021 · 1 min read आया है ऋतुराज, आधार छंद -हंसगति(मापनीमुक्त मात्रिक) विधान:-कुल 20 मात्राएँ 11,9 पर यति अंत में वाचिक गुरु तथा त्रिकल यति त्रिकल अनिवार्य बदल रहा भूगोल ,धरा का देखो। है शोभा अनमोल,धरा का देखो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · बसंत · हंसगति छंद 1 2 362 Share लक्ष्मी सिंह 6 Feb 2021 · 1 min read चाँद-सा हुस्न मापनी- 122 122 122 121 आधार छंद- सगुण दिखा चाँद-सा हुस्न ऐसा कमाल। मचा है शहर में गजब का धमाल। कहो कौन किसका उठा है नकाब, सभी कर रहे थे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · सगुण छंद 1 2 366 Share लक्ष्मी सिंह 6 Feb 2021 · 1 min read बेटी आधार छंद -शक्ति_छंद १२२ १२२ १२२ १२ विधान – १८ मात्राओं के चार चरण अंत में वाचिक भार १२ होता है १ , ६ , ११,१६ वीं मात्रा पर लघु... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · बेटी/बेटियां · शक्ति छंद 1 180 Share लक्ष्मी सिंह 6 Feb 2021 · 1 min read धैर्य दुनिया में सबकुछ सहज,धैर्य शक्ति के साथ। होती है देरी मगर, फल लगता है हाथ। फल लगता है हाथ,समय जब आता पगले। रखने वाला धैर्य,सभी मुश्किल से निकले। होना नहीं... Hindi · कुण्डलिया 1 293 Share लक्ष्मी सिंह 5 Feb 2021 · 1 min read सृष्टि सारी नाचती सृष्टि सारी नाचती है,नित्य प्रभु के ताल पर। सूर्य सा शोभित हुआ है ,चंद्र जिसके भाल पर। प्रार्थना मैं कर रही हूँ हाथ दोनों जोड़ कर- दृष्टि अपनी डालिए अब... Hindi · मुक्तक 2 1 414 Share लक्ष्मी सिंह 5 Feb 2021 · 1 min read किया वादा किया वादा कसम खाई हमारे साथ रहने की कसक बढती रही दिल में नहीं है बात कहने की न जाने किस वहम ने आँख पर परदा लगाया था- वफ़ा के... Hindi · मुक्तक 4 2 255 Share लक्ष्मी सिंह 5 Feb 2021 · 1 min read पास आकर कभी आधार छंद वास्त्रग्विणी मापिनी-212 212 212 212 पास आकर कभी बैठ जाया करो। फासले इस तरह से मिटाया करो। थाम कर हाथ मेरा घड़ी दो घड़ी, बात मन की हमें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · वास्त्रग्विणी छंद 1 1 171 Share लक्ष्मी सिंह 5 Feb 2021 · 1 min read मिली उर्वशी अप्सरा, मिली उर्वशी अप्सरा,या है कोई ख्वाब। प्रेम ईष्ट आकृष्ट हो,लायी एक गुलाब।। मदमाती मनमोहनी, मनहर मोहक रूप। मृगनयनी मायावती, मुस्काती मुख धूप।। अधरों पर फैला हुआ,है अद्भुत उन्माद । चंचल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · दोहा · प्रेम 2 1 339 Share लक्ष्मी सिंह 4 Feb 2021 · 1 min read ढ़लता सूरज आधार छंद-लावणी सूर्य डूबता हो या उगता,दोनों ही मन को भाता । कहीं बैंगनी कहीं केसरी,सातों रंग निखर आता। बादल भी रंगीन दिखाई,देता तब कितना सुन्दर, सूरज जिस पल धीरे-धीरे,थक... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · लावणी /ताटंक छंद 1 177 Share लक्ष्मी सिंह 4 Feb 2021 · 1 min read हूँ थोड़ी नादान सी हूँ थोड़ी नादान सी,इस जग से अनजानी। अपने ही धुन में रहूँ, करती हूँ मनमानी। चलूँ पवन के वेग से, कहीं नहीं मैं ठहरी । आँखों में सपने लिए,फिरूँ भरी... Hindi · गीत 2 292 Share लक्ष्मी सिंह 3 Feb 2021 · 1 min read पूर्ण विराग आधार छंद दोहा माया ममता मोह मद,सभी सुखों को त्याग । वही कृष्ण बनता मनुज, जिसमें पूर्ण विराग। पग में बंधन मोह का,और सत्य की प्यास, फँसा हुआ कुरुक्षेत्र में,खेल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · दोहा 3 3 300 Share लक्ष्मी सिंह 3 Feb 2021 · 1 min read जिंदगी 2122 2122 2122 212 शांत चित एकांत विस्मित ज़िन्दगी की ताल पर। नित्य कुसमित हो रहा दृग,स्वप्न सुरभित डाल पर। शून्य नीरव राग गाता साँस के हर तार पर- गूँथती... Hindi · मुक्तक 1 3 290 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2021 · 1 min read ज़िन्दगी जिंदगी की राह पर ,चलते ही जाते हैं। पाँव में काँटे कभी ,तो गुल भी पाते हैं। विष सुधा सम भाव से,मिलते हैं जीवन में- भूल कर गम गीत हम,... Hindi · मुक्तक 322 Share लक्ष्मी सिंह 2 Feb 2021 · 1 min read विरह गीत _वीर_छंद आधारित विरह गीत लिखा हुआ है क्यों किस्मत में,इतना लंबा विरह-वियोग। लगा गये हो जाते-जाते, बड़ा-भयानक दिल का रोग। सुबक रही हूँ अबोध शिशु-सी, मन को समझाएगा कौन। नित... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · गीत · विरह · विरह गीत · वीर छंद 12 48 570 Share लक्ष्मी सिंह 1 Feb 2021 · 1 min read व्यापार आधार छंद -विधाता 1222 1222 1222 1222 समय के साथ जो बदले,वही व्यापार होता है। गिरे को ही उठना त़ो,सतत व्यवहार होता है। मुनाफे के लिए बातें,बनाना खूब आता है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · विधाता छंद 2 2 166 Share लक्ष्मी सिंह 31 Jan 2021 · 1 min read पैगाम प्रियवर हमको प्रेम भरा पैगाम लिखा है। छोड़-छाड़ के अपना सारा काम लिखा है। खोला जब हमने खत को तो इतना पाया- पूरे खत में सिर्फ हमारा नाम लिखा है... Hindi · मुक्तक 2 1 131 Share लक्ष्मी सिंह 31 Jan 2021 · 1 min read प्रेम प्रेम हमारा मीरा जैसा, या कृष्णा का राधा है। दोनों ही हैं कुछ पूरे से,दोनों में कुछ आधा है। दोनों ही थी प्रेम दिवानी,पगली गिरिधर नागर की- इक दूजे के... Hindi · मुक्तक 2 1 144 Share लक्ष्मी सिंह 30 Jan 2021 · 1 min read बलिदान मातृ भूमि के वास्ते , हो जाऊँ कुर्बान। कफन तिरंगा से बने, इतनी-सी अरमान।। १ जो करते हैं देश हित, सुख सुविधा बलिदान। ऐसे वीर जवान से, भारत बना महान।।... Hindi · दोहा 445 Share लक्ष्मी सिंह 30 Jan 2021 · 1 min read सीमा प्रहरी आधार छंद-लावणी अटल-अडिग सीमा पर रहता, हम सब का रखवाला है । धीर-वीर गंभीर निडर वह,महाकाल की ज्वाला है। रहा राष्ट्र का गौरव प्यारा, आजादी के रक्षक हैं। आँख उठे... Hindi · गीत · लावणी /ताटंक छंद · सीमा प्रहरी/सिपाही 1 214 Share लक्ष्मी सिंह 29 Jan 2021 · 1 min read जिंदगी जिंदगी संघर्ष है,ये जान जाते। एक नन्हा सा दिया, हम भी जलाते। मुश्किलों के राह पर,निर्भय निडर हम- गम भुला करके खुशी, के गीत गाते। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 1 2 155 Share लक्ष्मी सिंह 29 Jan 2021 · 1 min read सरहद विहग पवन स्वच्छंद है, और नदी की धार । खींच लिये खुद ही मनुज,सरहद की दीवार।। १ सरहद पर दिन रात यूँ , क्यों होता है खून। छुप जाती इंसानियत,... Hindi · दोहा 1 396 Share लक्ष्मी सिंह 29 Jan 2021 · 1 min read रात भर आपकी याद आती रही रात भर। दर्द की एक धारा बही रात भर। छोड़ कर क्यों गये तुम मुझे इस तरह- सोचती रह गई बस यही रात भर । -लक्ष्मी... Hindi · मुक्तक 1 150 Share लक्ष्मी सिंह 28 Jan 2021 · 1 min read वीर भारत के हम वीर है, और वतन के लाल । आये जो दुश्मन इधर, बनते उसका काल। बनते उसका काल, छुड़ा दें उसके छक्के । देख रूप विकराल,रहें सब हक्के-बक्के।... Hindi · कुण्डलिया 2 2 228 Share लक्ष्मी सिंह 28 Jan 2021 · 1 min read वीर-सिपाही मैं भारत का वीर-सिपाही,भारत हमको प्यारा । भारत माँ की रक्षा करना,ये कर्तव्य हमारा । अपने जीवन में पल-पल मैं, देता हूँ कुर्बानी। सदा देश की सेवा में कर,देता त्याग... Hindi · गीत · ललित छंद/सार छंद · सीमा प्रहरी/सिपाही 1 180 Share लक्ष्मी सिंह 28 Jan 2021 · 1 min read नहीं वह मर्द होता है आधार छंद-विधाता 1222 1222 1222 1222 उठाये हाथ नारी पर, नहीं वह मर्द होता है। निरा वह तुक्ष प्राणी है, नहीं हमदर्द होता है। अहंकारी बड़ा पापी,करे अपमान पग-पग में।... Hindi · गीत · विधाता छंद 1 189 Share लक्ष्मी सिंह 27 Jan 2021 · 1 min read एक तिरंगा मुझको ला दो एक तिरंगा मुझको ला दो, मैं भी इसको फहराऊँगा नील गगन से ऊँचा जाकर, पूरे जग में लहराऊँगा देश हमारा सबसे प्यारा, इस दुनिया को बतलाऊँगा विश्व शांति का दूत... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 1 456 Share लक्ष्मी सिंह 27 Jan 2021 · 1 min read तिरंगा विधा:-विधाता छंद तिरंगा देश का अनुपम,अनोखा है निराला है। सजा है तीन रंगों से,हृदय में चक्र डाला है। बसंती रंग सुखदायी, सुशोभित कर रहा माथा। कथा बलिदान की कहता,सुनाये वीर... Hindi · गीत · विधाता छंद 3 3 498 Share लक्ष्मी सिंह 26 Jan 2021 · 1 min read मोबाइल वीर छंद मोबाइल विज्ञानिक का है,कितना अद्भुत आविष्कार । जादूगर का ऐसा जादू,फँसा विश्व होकर लाचार। मोबाइल तो इस दुनिया का, है सबसे मायावी यंत्र। यूँ माया का जाल बिछाया,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · गीतिका · मोबाइल · वीर छंद 1 248 Share लक्ष्मी सिंह 26 Jan 2021 · 1 min read ज़िन्दगी चलते-चलते ज़िन्दगी,जब होती है चूर। स्नेह भरा दो शब्द तब,करे थकावट दूर।। करे थकावट दूर,सभी पीड़ा मिट जाती। ताकत जोश उमंग,ताजगी नूतन आती।। सत्य समर्पित स्नेह,पुष्प अंतर में खिलते। फिर... Hindi · कुण्डलिया 1 182 Share लक्ष्मी सिंह 25 Jan 2021 · 1 min read हठीले हो बड़े निष्ठुर बड़े निष्ठुर हठीले हो, हमारा वश नहीं तुमपर। मगर हम प्रेम करते हैं, बिठाया है तुम्हें अंतर। तुम्हीं भगवान नारायण,कृपा करके इधर देखो- तुम्हें कैसे रिझाऊँ मैं,नहीं आता मुझे मंतर।... Hindi · मुक्तक 2 1 231 Share लक्ष्मी सिंह 25 Jan 2021 · 1 min read प्रिये जब दूर जाते हो प्रिये जब दूर जाते हो,अधिक तब पास होते हो । अकेली मैं नहीं रहती,तुम्हीं अहसास होते हो। इधर देखूँ, उधर देखूँ, तुम्हें पाऊँ जिधर देखूँ- विरह की आग में तपकर,प्रणय... Hindi · मुक्तक 245 Share लक्ष्मी सिंह 24 Jan 2021 · 1 min read कदमों में बिखर जाए। छंद- रजनी आधारित गीतिका मापनी- 2122 2122 2122 2 प्रदत्त पदांत- जाए प्रदत्त समांत- अर टूट कर हम आज कदमों में बिखर जाए। दर तुम्हारा छोड़ कर बोलो किधर जाए।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · प्रेम · रजनी छंद 3 4 322 Share लक्ष्मी सिंह 24 Jan 2021 · 1 min read रुपये-पैसे कुछ नहीं, रुपये-पैसे कुछ नहीं,पुण्य कमाओ रोज । मर जाने के बाद भी,करें जमाना खोज। करें जमाना खोज,दिलों में जिन्दा रहना। मानवता हो धर्म,सभी की सेवा करना। सत्कर्मों की राह, धैर्य से... Hindi · कुण्डलिया 1 1 135 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2021 · 1 min read मेथी मम्मी लाई मेथी ताजी, और बनाई उसकी भाजी । उसमें थोड़ा आलू डाला, और मिलाया गरम मसाला। स्वाद-गंध का रहा खजाना, बड़े चाव से इसको खाना। यह सब्जी है सेहत... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 344 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2021 · 1 min read दीप ऐसा जले आधार छंद वास्त्रग्विणी मापिनी-212 212 212 212 समान्त- आन, पदान्त-का दीप ऐसा जले हर तरफ ज्ञान का। दूर हो कष्ट हर एक इंसान का। स्वर्ग भी सिर झुकाता रहा है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · वास्त्रग्विणी छंद 1 262 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2021 · 1 min read आँखों में एक ख्वाब रखना विधा-लावणी छंद आँखों में एक ख्वाब रखना,जीवन सजाने के लिए। हौंसले को फौलाद करना,आगे बढ़ाने के लिए। मन को एकाग्रचित्त करके, लक्ष्य पर ही ध्यान रखना- नित्य निरंतर प्रयास करना,सफलता... Hindi · मुक्तक 1 451 Share लक्ष्मी सिंह 22 Jan 2021 · 1 min read दिव्य पुष्प सा दिखा दिव्य पुष्प सा दिखा,चाँद आसमान में। है घटा घनी घिरी, आज उस मकान में। छा गई निशा विकट,ठंड रात शीत की, तारकें चली गयी, कौन सी दुकान में। डोलती हवा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · शिव छंद 1 181 Share लक्ष्मी सिंह 22 Jan 2021 · 1 min read सर्दी ठंडी है आई निकालो रजाई ओ! मेरी माई ।१ धुंध ले आई, परेशानी बढ़ाई, खामोशी छाई। २ पीड़ा बढ़ाई, कोहरे घिर आई, आफ़त लाई ।३ सूई चुभाई, पवन पुरवाई, है... Hindi · हाइकु 1 175 Share लक्ष्मी सिंह 22 Jan 2021 · 1 min read फेरे चाहे फेरे लीजिए,चाहे कहो कबूल । प्यार अगर दिल में नहीं,सब कुछ लगे फिजूल। सब कुछ लगे फिजूल,फँसा दलदल में जीवन। टूटे दिल के तार, झड़े नयनों से सावन। चलते... Hindi · कुण्डलिया 2 2 418 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jan 2021 · 1 min read सच्चाई की राह सच्चाई की राह,सदा हमको गहना है । हृदय प्रेम के दीप, जलाते ही रहना है। मानवता का फूल,खिले मन में आशाएँ- सुखमय हो संसार,नदी बनकर बहना है। लक्ष्मी सिंह नई... Hindi · मुक्तक 1 2 170 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jan 2021 · 1 min read मोबाइल मोबाइल में है भरा ,मनोकामना मंत्र। जब चाहो आदेश दो, खुल जायेगा यंत्र।। १ लगा एक टक फोन पर, बचपन बैठा मौन। मात पिता भी व्यस्त हैं, इसे बचाये कौन... Hindi · दोहा · मोबाइल 2 232 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jan 2021 · 1 min read आया है वासंती मौसम आया है बासंती मौसम,पुष्प खिला मन उपवन में । प्रेम-गंध पा मुग्ध भ्रमर-सा,थिरक रहा मन आँगन में। मादकता सुरभित साँसों में,प्रेम कोंपलें महक रही- प्रणय बद्ध होने को आतुर,भरी प्रीत... Hindi · मुक्तक 1 1 210 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jan 2021 · 1 min read चला रहें शिव साइकिल आयोजन -- सुनो कहानी : चित्र जुबानी चला रहें शिव साइकिल,बसहा गया विदेश। मूषक वाहन छोड़ कर,बैठे संग गणेश। पैंट-शर्ट जूता पहन, बाँध गले में टाय, लिए गजानन हाथ में,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका · दोहा · भजन 1 1 465 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jan 2021 · 1 min read बचपन सबसे सुखमय कल है बचपन। मधुर सुनहरा पल है बचपन। बैर- द्वेष चिंता फिक्र नहीं- निर्मल गंगा जल है बचपन। -लक्ष्मी सिंह नई दिल्ली Hindi · मुक्तक 1 269 Share लक्ष्मी सिंह 19 Jan 2021 · 1 min read घाव इस जीवन के राह में,मिला हमें जो घाव। कविता बन उगने लगे,मेरे सारे भाव।। वक्त हमें देता रहा, तरह-तरह के घाव। धीरे-धीरे कुछ भरे, कुछ का रहा प्रभाव।। चुभे तीर... Hindi · दोहा 1 266 Share लक्ष्मी सिंह 19 Jan 2021 · 1 min read सर्दी जुकाम का आयुर्वेदिक उपचार विधा-दोहा छंद रोज रात में पीजिए, हल्दी वाला दुग्ध। सर्दी से आराम दे,नहीं नींद हो क्षुब्ध।।१ काली तुलसी पात का, राम वाण है काम। सर्दी खाँसी दूर कर, देता है... Hindi · दोहा 1 2 244 Share Previous Page 6 Next