Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
3 Feb 2021 · 1 min read

जिंदगी

2122 2122 2122 212

शांत चित एकांत विस्मित ज़िन्दगी की ताल पर।
नित्य कुसमित हो रहा दृग,स्वप्न सुरभित डाल पर।
शून्य नीरव राग गाता साँस के हर तार पर-
गूँथती हो रात ज्यों तारें हजारों भाल पर ।
-लक्ष्मी सिंह
नई दिल्ली

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 267 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
अश्लील साहित्य
अश्लील साहित्य
Sanjay ' शून्य'
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
रामपुर में काका हाथरसी नाइट
Ravi Prakash
हंसना - रोना
हंसना - रोना
manjula chauhan
"फासला और फैसला"
Dr. Kishan tandon kranti
प्राचीन दोस्त- निंब
प्राचीन दोस्त- निंब
दिनेश एल० "जैहिंद"
पितृ दिवस की शुभकामनाएं
पितृ दिवस की शुभकामनाएं
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
गरिमामय प्रतिफल
गरिमामय प्रतिफल
Shyam Sundar Subramanian
मैं अपने बिस्तर पर
मैं अपने बिस्तर पर
Shweta Soni
मूकनायक
मूकनायक
मनोज कर्ण
क्यूँ ना करूँ शुक्र खुदा का
क्यूँ ना करूँ शुक्र खुदा का
shabina. Naaz
मेघा तू सावन में आना🌸🌿🌷🏞️
मेघा तू सावन में आना🌸🌿🌷🏞️
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
■ जयंती पर नमन्
■ जयंती पर नमन्
*Author प्रणय प्रभात*
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
मैंने इन आंखों से गरीबी को रोते देखा है ।
Phool gufran
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
पर्यावरणीय सजगता और सतत् विकास ही पर्यावरण संरक्षण के आधार
डॉ०प्रदीप कुमार दीप
भक्त कवि श्रीजयदेव
भक्त कवि श्रीजयदेव
Pravesh Shinde
दिल का खेल
दिल का खेल
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
नहीं चाहता मैं किसी को साथी अपना बनाना
gurudeenverma198
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
बेसबब हैं ऐशो इशरत के मकाँ
अरशद रसूल बदायूंनी
न हो आश्रित कभी नर पर, इसी में श्रेय नारी का।
न हो आश्रित कभी नर पर, इसी में श्रेय नारी का।
डॉ.सीमा अग्रवाल
सीख बुद्ध से ज्ञान।
सीख बुद्ध से ज्ञान।
Buddha Prakash
When the destination,
When the destination,
Dhriti Mishra
सम्मान
सम्मान
Paras Nath Jha
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
यारो ऐसी माॅं होती है, यारो वो ही माॅं होती है।
सत्य कुमार प्रेमी
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
हजारों लोग मिलेंगे तुम्हें
ruby kumari
2645.पूर्णिका
2645.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
बूझो तो जानें (मुक्तक)
बूझो तो जानें (मुक्तक)
पंकज कुमार कर्ण
दोहे- चरित्र
दोहे- चरित्र
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
दलितों, वंचितों की मुक्ति का आह्वान करती हैं अजय यतीश की कविताएँ/ आनंद प्रवीण
आनंद प्रवीण
मौत का क्या भरोसा
मौत का क्या भरोसा
Ram Krishan Rastogi
जो लिखा है
जो लिखा है
Dr fauzia Naseem shad
Loading...