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चाँद सितारों से बढ़ कर लिख
suresh sangwan
खुश्बूओं में खो रहे हैं
suresh sangwan
हाथ हाथों में हम लिये साथी
suresh sangwan
मर्ज़ भले कोई हो ट्रीटमेंट ज़रूरी है
suresh sangwan
बदल लेती है रहगुजर कोई गिला नहीं करती
suresh sangwan
डबडबाई सी आँखों को ख़्वाब क्या दूं
suresh sangwan
प्यास का मतलब ये पानी ही समझते हैं
suresh sangwan
इक बार नहीं मैने उसे सौ बार कहा
suresh sangwan
रुकती साँसों को ठहरने ना दिया अब तक
suresh sangwan
हंसता है दिल इश्क़ में या रो रहा है
suresh sangwan
रंग बहारों के उतर क्यूँ जाते
suresh sangwan
मेरे ख्वाबों का क़ातिल बता दो
suresh sangwan
बातों में बनावट सी नज़र आती है
suresh sangwan
ज़बरन ही हामी भराई गई थी
suresh sangwan
खिजाओं में भी जो फूल खिला देती है
suresh sangwan
बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं
suresh sangwan
हर गली हर कूचे में बाग़बान मिल जाये
suresh sangwan
उल्फ़त में ग़म के ख़ज़ाने क्या- क्या निकले
suresh sangwan
ये बात नहीं है सिर्फ़ बताने के लिये
suresh sangwan
ए ज़िंदगी बड़ी अजीब हो तुम
suresh sangwan
परिंदों को आवाज़ लगाने पे रहने दे मुझे
suresh sangwan
यूँ ना समझें कि वो ही हमको भुला बैठे हैं
suresh sangwan
रख दे अब तू भी वहम का बादल निकाल के
suresh sangwan
जब आप आप न रहे
suresh sangwan
जानेवाले को बुलाया भी जा सकता है
suresh sangwan
अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही
suresh sangwan
हमसे ये नुकसान उठना मुश्क़िल है
suresh sangwan
यूँ मौसम का असर गया गोया
suresh sangwan
मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है
suresh sangwan
मुहब्बत दीया नहीं मशाल है ....
suresh sangwan
फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो
suresh sangwan
मैं नहीं कोई फूल महक जाउँ बिखरकर भी..
suresh sangwan
पास आने नहीं देते
suresh sangwan
इश्क़ में हमारी बे-ज़ुबानी देखते जाओ
suresh sangwan
जहां को दिलवालों की कद्र करते किसने देखा है
suresh sangwan
यही है इल्म मिरा यही हुनर भी है
suresh sangwan
मंज़िल अपनी जगह रास्ता अपनी जगह है...
suresh sangwan
हौसलों की आज उड़ान देखिये
suresh sangwan
ख़ुदाया प्यार में यूँ बंदगी अच्छी लगी..
suresh sangwan
माँ ही गुरू माँ ही ज्ञान..
suresh sangwan
फूलों के शहर में घुमाता है कोई..
suresh sangwan
माँ रोते में मुस्कुराना तुमसे सीखा है
suresh sangwan
ठिकाना ढूँढती बहती हवा सी लगती हूँ
suresh sangwan
बे-क़रारी शोर मचा सकती है
suresh sangwan
दुनियाँ से न्यारी मेरी गुलगुल
suresh sangwan
बादशाह की मात को इक्के निकल आते हैं
suresh sangwan
लिखा ही समझते हैं न ज़बानी हमारी
suresh sangwan
आँख में ख़्वाबों को सजाती हूँ
suresh sangwan
दूरियां दीवार की मोहताज़ नहीं होती...
suresh sangwan
कितने बदल गये हालात किसी के जाते ही ..
suresh sangwan