Bhupendra Rawat 352 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read अगर तोड़ना ही है तो तोड़ो ख़ुद का अहम अगर तोड़ना ही है तो तोड़ो ख़ुद का अहम और जोड़ना ही है तो जोड़ों अपने मोतियों की तरह इधर उधर बिखरे हुए रिश्ते. माना की मेरा गणित खराब है... Hindi · कविता 1 1 448 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read सड़क किनारे तड़प रही थी मरकर वो लाशें भी सड़क किनारे तड़प रही थी मरकर वो लाशें भी मदद की गुहार लगा सड़ गयी थी,वो लाशें भी भीड़ थी चारों तरफ़ डर का सा माहौल था ज़िंदा था इंसा... Hindi · कविता 1 1 352 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read तेरी खामोशी मजबूर कर देती है तेरी खामोशी मजबूर कर देती है होता हूँ दूर,थोड़ा और दूर कर देती है ख्यालों में तेरे चूर कर देती है बातों ही बातों में चश्म-ए-दस्तूर कर देती है भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 1 446 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read दिल जीतने का कोई उपहार दो न दिल जीतने का कोई उपहार दो न छूटी वाला फिर से कोई इतवार दो न कल तक हर पहर ख्यालों में क़रीब था फिर से क़रीब आ वही प्यार दो... Hindi · कविता 1 514 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read जिन आंखों ने इंतज़ार में गुज़ार दी रात सारी जिन आंखों ने इंतज़ार में गुज़ार दी रात सारी उन आंखों में अब रोशनी बहुत चुभती है रोशन जहां करने निकले थे जुगनू सारे रोशनी में चमकना कहां उनके बस... Hindi · कविता 1 222 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read सर्वनाश जिसके निर्माता है,मनुष्य दुनिया खड़ी है तबाही के मोड़ पर और उसी मोड़ पर खड़ा है, जीवन ज़िन्दगी जीने की आस लिए आज लड़ाई है,दुनिया को बचाने की सर्वनाश से सर्वनाश जिसके निर्माता... Hindi · कविता 1 210 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read न हिन्दू,न मुस्लिम,न सिक्ख,न इसाई था वो न हिन्दू,न मुस्लिम,न सिक्ख,न इसाई था वो कब्रगाह में दफ़न उन शवों का भाई था वो बहुत नज़ारे देखे थे,मज़हब की आड़ में बड़े दूर से आए थे,इंसान नही कसाई... Hindi · कविता 1 1 417 Share Bhupendra Rawat 26 Apr 2020 · 1 min read भौतिक जगत एक कल्पना लेख.... ज़िन्दगी जीने का अर्थ कदापी भौतिक जगत की कत्रिम वस्तु के उपभोग से नही है।आज तक जिस प्राकृतिक जगत के गुणों को नज़र अंदाज़ करते हुए भौतिक जगत में... Hindi · लेख 1 1 446 Share Bhupendra Rawat 18 Apr 2020 · 1 min read मैं ख्वाबों को संजोकर अपना घर बनाता हूँ मैं ख्वाबों को संजोकर अपना घर बनाता हूँ अपनी हर राह का तुझे हमसफ़र बनाता हूँ तू बहता समुन्द्र है मुझे तुझ में रम जाना है किया खुद से जो... Hindi · कविता 2 214 Share Bhupendra Rawat 18 Apr 2020 · 1 min read अफवाहें भी ख़बर बन जाती है अफवाहें भी ख़बर बन जाती है ज़िन्दगी जीने का सबक बन जाती है सच अक्सर छुप जाता है,अखबारों में झूठ,फ़रेब बिकता है सरेआम बाज़ारो में चारों और झूठ की मंडी... Hindi · कविता 3 6 255 Share Bhupendra Rawat 18 Apr 2020 · 1 min read खूबसूरत क्या है इस दुनिया में सबसे खूबसूरत क्या है इस दुनिया में माँ का वो स्वार्थहीन ममत्व प्यार झरनों का बहना,पक्षियों की चहचहाना अपनो के मिलने पर आंखे भर आना या बचपन के दिनों को... Hindi · कविता 1 1 237 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read मुबारक़ हो मुझकों वो शब मुबारक़ हो मुझकों वो शब जब ख्वाबों में तुम पैगाम लेकर आई थी हाथ थाम लिया किसी और का बस मुझे अगाह कराने आई थी मैंने भी बुन लिए थे,ख़्वाब... Hindi · कविता 1 321 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read सत्ता के गलियारों में दोषी निर्दोष ही रहेंगे मुक्तक...... सत्ता के गलियारों में दोषी निर्दोष ही रहेंगे ग़रीब,मज़दूर बेचारे खड़े चुप खामोश ही रहेंगे गुज़ार लेंगे कुछ और दिन दोषियों के पाप की सज़ा जब तक अंधी कानून... Hindi · मुक्तक 2 208 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read चारों और पसरा है सन्नाटा चारों और पसरा है सन्नाटा जुगनुओं का प्रकाश स्वतन्त्र पक्षियों की चहचाहट बहती फ़िज़ाओं की आवाज़ आज क़ैद है, मनुष्य अपने बिछाए हुए ज़ाल में. यह परिणाम है. प्रकृति को... Hindi · कविता 2 342 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read न इश्क़ ख़ुदा है न मज़हब कोई आज मालूम हुआ इश्क़ क़ैद पंक्षी है, उस पिंजरे का जो सामाजिक कुरूतियों मान्यताओं की मज़बूत सलाखों में टकरा कर उसी पिंजरे में त्याग देता है,प्राण और आखिर जीत होती... Hindi · कविता 2 448 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read मेरे ख्वाबों की दुनिया में मेरे ख्वाबों की दुनिया में तेरा रोज़ आना जाना है तू ही बता तेरा और कहां ठिकाना है न जाने क्यों तेरी यादें पीछा करती है साए की तरह हर... Hindi · कविता 2 177 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है हिसाब हुआ कि कोई हिसाब नही है गुज़रते गए दिन तन्हा और कोई किताब नही है मियां क्यों ग़म छुपाए बैठे हो इस ग़म का कोई इलाज़ नही है किस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 400 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read एक दायरा हमनें भी बना रखा है एक दायरा हमनें भी बना रखा है अपनी ख्वाइशों को हमनें भी दबा रखा है माना गर्दिश में सितारे है आजकल मौत को हमनें भी गले से लगा रखा है... Hindi · मुक्तक 2 194 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read ज़िन्दगी तुम ही इनाम लेकर आए थे ज़िन्दगी तुम ही इनाम लेकर आए थे मौत का पैग़ाम भी तुम ही लेकर आए थे ज़िन्दगी गुज़र रही थी इसी जदोजहद में विष सरेआम तुम ही पिलाने आए थे... Hindi · कविता 1 398 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read जब तक जीवित है ज़िंदा एक प्यास रख जब तक जीवित है ज़िंदा एक प्यास रख झूठी ही सही एक छोटी सी आस रख डरी सहमी सी लगती है आवाज़ कोई ज़िन्दगी जीने का खास अंदाज़ रख भूपेंद्र... Hindi · मुक्तक 1 259 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read आज एक नई कहानी लिखे आज एक नई कहानी लिखे इश्क़ तेरी मेहरबानी लिखे आज मजबूर हूँ खुद के किये पर उनकी कोई दी हुई निशानी लिखे भूपेंद्र रावत 16।04।2020 Hindi · मुक्तक 1 506 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read गुज़ारने के लिए शेष रह जाएगा वक़्त गुज़ारने के लिए शेष रह जाएगा वक़्त याद करने के लिए भयावह बातें बन जायेगा इतिहास जिसको आप ओर हम पढ़ते है,और आने वाले वक्त में पढ़ेंगी आने वाली पीढियां... Hindi · कविता 1 253 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read भूल कर सारी दुनिया को फासला यूं ही मिटा देते है लिखते है नाम कागज़ पर तुझे समक्ष अपने पा लेते है भूल कर सारी दुनिया को तुझे सीने से लगा लेते है । भूपेंद्र... Hindi · कविता 1 344 Share Bhupendra Rawat 17 Apr 2020 · 1 min read पहले ऐसी नफ़रतें कभी न थी पहले ऐसी नफ़रतें कभी न थी इंसानो की ऐसी जरूरते कभी न थी इंसान ही इंसान के काम आता था एक दूजे से शिकायत कभी न थी मज़हब बनाया हमनें... Hindi · कविता 1 291 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read कह दो ख्वाबों से कह दो ख्वाबों से दरवाज़े खटखटाया न कर नींद ही नही है ज़नाब आंखों में अब यूं और सताया न कर भूपेंद्र रावत 6।04।2020 Hindi · कविता 2 2 225 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read जिस क्षण तुम मेरे आने की राह देख रहे थे जिस क्षण तुम मेरे आने की राह देख रहे थे मैं तुम्हारे ख्वाबों में दस्तक दे चुकी थी बात इतनी सी थी की तुम उस रात सो ही कहां पाए... Hindi · कविता 2 469 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read मैं तेरी बातों को कैसे झुठला सकता हूँ मैं तेरी बातों को कैसे झुठला सकता हूँ तुझे सोच कर मैं वक़्त अपना गुज़ार सकता हूँ बात जन्मों जन्मांतर की है, तू सोच कर तो देख इन बन्दिशों में,मैं... Hindi · मुक्तक 3 472 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read मैं लिखता हूँ जो कुछ भी मैं लिखता हूँ जो कुछ भी कभी पढ़ कर भी देखो तुम मेरे लिखे हर्फ़ों में बस तुम्हें अपनी सूरत नज़र आएगी सोचता हूँ तुम्हें जब भी खुद ब खुद... Hindi · कविता 2 238 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read पूछा जाएगा हर एक से पूछा जाएगा हर एक से जो लड़ रहे थे लड़ाई इंसानो बचाने की वो ही आज इतने बेबस क्यों है ? पूछा जाएगा उनसे क्या कर रहे थे वो, तैयारी... Hindi · कविता 2 326 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में समाज की समुन्द्र रूपी अनन्त गहराई में भूल गया है,स्वयं को इंसान फंस चुका है धर्म-जात रूपी जाल में थोपना चाहता है,स्वयं के ऊपर धर्म रूपी ठप्पा उसी धर्म रूपी... Hindi · कविता 2 201 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु युद्ध का परिणाम सदैव होता है, हार या जीत परन्तु निष्कर्ष सदैव होता है, रक्त से लतपत मानवीय संवेदानाओ की आहुति चारों तरफ सिर्फ लाशों का बाज़ार जिसके खरीदार वो... Hindi · कविता 2 285 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ मैं अपने ख्वाबों को तोड़ कर उसका घर बनाता हूँ वो रूठ जाती है उसे अक्सर मनाता हूँ नींद उड़ाने वाले चंद सपने अक्सर सपने ही रह जाते है वादा... Hindi · कविता 2 287 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर आप लड़े हो आज तक हिन्दू मुसलमान बोल कर इंसानों को जातियों में तोल कर मज़हब की दुकान खोल कर इंसानियत को टटोलकर प्यार का मोल कर आप लड़े हो... Hindi · कविता 3 2 385 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read अपनी नींद ज़ाया न कर अपनी नींद ज़ाया न कर मोहब्बत है तो बता दे खुद को तड़पाया न कर इज़हार ए इश्क़ थोड़ा मुश्किल है ऐसे इश्क़ को भुलाया न कर ग़नीमत है इश्क़... Hindi · कविता 2 408 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी आपने ही पाठ पढ़ाया सबसे पहले इंसान आया इंसानो ने मज़हब बनाया हिन्दू,मुस्लिम,सिख,ईसाई, बौद्ध,पारसी, जैन सबको मज़हबी गमछा पहनाया। मज़हब की इस दौड़ में गुम हो गया है,आदमी मज़हबी पोशाक... Hindi · कविता 2 180 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 1 min read जीवन का संघर्ष उम्मीद मत हारो आसमा के घनघोर काले बादल छट जाएंगे। फिर सूरज की नई मध्यम किरणों के साथ नए दिन की शुरुआत होगी। आशा की नई किरण एक नया उत्साह,हर्षोउल्लास... Hindi · कविता 2 469 Share Bhupendra Rawat 9 Apr 2020 · 2 min read विकास एक प्राकृतिक विद्रोह लेख.........विकास एक प्राकृतिक विद्रोह.... अपने भविष्य के विषय में विचार कीजिये,चिंतन कीजिये,मनन कीजिये ओर सोचिये कल तक जिस विकास की बातें समस्त विश्व ढोल नगाड़ों के साथ कर रहा था।... Hindi · लेख 2 356 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ख़ामोश रह कर अक्सर गुनगुनाता हूँ ग़म हो फिर भी मुस्कुराता हूँ ज़ालिम है दुनिया इंसानी वेश में सर्प विचरण करते है विष को उनके अमृत समझ निगल जाता हूँ... Hindi · कविता 3 318 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read मैं भी तन्हा हूँ मैं भी तन्हा हूँ मगर कोरे कागज़ की तन्हाई दूर करता हूँ। अपने दर्द को कोरे कागज़ में बयां करता हूँ रुक जाती है धड़कने मेरी जब भी जवां शब्दों... Hindi · कविता 3 232 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read जीवित रहना भी समान है मृत होने के जीवित रहना भी समान है मृत होने के जब आपकी इच्छाएं,भावनाएं शरीर के किसी कोने में दब कर रह जाती है तब आप बन जाते हो वो पाषाण जो बयाँ... Hindi · कविता 3 247 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे इश्क़ में हर जंग क़बूल है मुझे जहाँ की हर शर्त मंज़ूर है मुझे मैंने हर वक़्त बस तुझे ही सोचा है ख्यालों में भी हर वक़्त मंज़ूर है मुझे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 1 198 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ कहाँ लिखी जाती है पाक मोहब्बत की दास्ताँ जिसके अनगिनत किस्से आज भी अधूरे है राधा कृष्ण,लैला मंझनू की अमर है दास्ताँ किस्से जिनके जहां की जबाँ में आज भी... Hindi · कविता 1 219 Share Bhupendra Rawat 24 Mar 2020 · 1 min read शीर्षक----कोरोना का प्रहार देशव्यापी बन चुके कोरोना संकट जैसी बीमारी ने समस्त विश्व के समक्ष स्वयं को घर मे कैद करने के अतिरिक्त हिफाज़त रखने के सिवा कोई और विकल्प नहीं छोड़ा है... Hindi · लेख 1 260 Share Bhupendra Rawat 29 Feb 2020 · 1 min read अब कोई मज़हब दिखाई नही देता अब कोई मज़हब दिखाई नही देता ऐसा कोई मरहम दिखाई नही देता तरसती रही ज़िंदा लाश सड़क किनारे इंसा को इंसा का दर्द दिखाई नही देता लड़ रहे थे लोग... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 390 Share Bhupendra Rawat 29 Feb 2020 · 1 min read वो इंसान मुझे हिंदुस्तान का ग़द्दार दिखाई देता है मुझे तो बस अपना हिंदुस्तान दिखाई देता है चन्द लोगों का बिकता ईमान दिखाई देता है कुछ सत्ताधीशों की क्या कहूँ जो चन्द टुकड़ों में बिक जाते है वो इंसान... Hindi · मुक्तक 4 223 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान बनाने के लिए शुक्रिया दिल्ली को राख बनाने के लिए एक अज़ाब बनाने के लिए उजड़ गयी दिल्ली शुक्रिया उन सबका धुंए में उड़ाने के लिए नही बचा शायद कोई इंसा शुक्रिया हैवान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 315 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read लहराते बागों में श्मशान दिखाई देता है इंसानो की बस्ती में शैतान दिखाई देता है लहराते बागों में श्मशान दिखाई देता है इंसानों ने लूट ली बस्ती इंसानों की जा-बा-जा बिखरा समान दिखाई देता है दैर-ओ-हरम में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 228 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read सत्ताधीश जब मौन धारण कर लेते है सत्ताधीश जब मौन धारण कर लेते है फ्री की राजनीति में गुंडे जीता देते है कुर्सी के स्वार्थ में इंसानो को मरवा देते है फिर घड़ियाली आँसू का मटका भर... Hindi · मुक्तक 1 193 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read अब मुझे कोई इंसान नज़र नही आता अब मुझे कोई इंसान नज़र नही आता पत्थरों की सिवा कोई भगवान नज़र नही आता जलती रही दिल्ली दिन के उजयारे में सुलगते राख के सिवा कुछ और नज़र नही... Hindi · मुक्तक 1 178 Share Bhupendra Rawat 28 Feb 2020 · 1 min read कल आप कोसोगे खुद को उन मरे हुए चेहरों में हो सकता है कोई अपना या तुम्हारा क्या तब भी अपने अंदर उस आग को लिए बैठे रह सकते हो तब क्या करोगे जब पता... Hindi · लेख 2 201 Share Previous Page 3 Next