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17 Apr 2020 · 1 min read

न इश्क़ ख़ुदा है न मज़हब कोई

आज मालूम हुआ
इश्क़ क़ैद पंक्षी है,
उस पिंजरे का जो
सामाजिक कुरूतियों मान्यताओं की
मज़बूत सलाखों में टकरा कर
उसी पिंजरे में त्याग देता है,प्राण
और आखिर जीत होती है
समाजिक कुरूतियों,मनायताओ,मज़हब की

न इश्क़ ख़ुदा है
न मज़हब कोई
बन्धन से मुक्त
आसमाँ में उड़ता
परिंदा कोई ।

भूपेंद्र रावत
13।04।2020

Language: Hindi
2 Likes · 446 Views
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