Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Apr 2020 · 1 min read

अफवाहें भी ख़बर बन जाती है

अफवाहें भी ख़बर बन जाती है
ज़िन्दगी जीने का सबक बन जाती है
सच अक्सर छुप जाता है,अखबारों में
झूठ,फ़रेब बिकता है सरेआम बाज़ारो में

चारों और झूठ की मंडी सज़ती है
अंधी कानून व्यवस्था चोरो की बस्ती है
बस्ती में बैठे कानून के रखवाले है
चंद टुकड़ों में जो बिकने वाले है

वहशी,गुंडे सारे सत्ता लोभी हो जाते है
स्वार्थ के ख़ातिर संविधान को भूल जाते है
संविधान इनके हाथों की कठपुतली बन जाता है
लाचार जनता का दुःख कौन समझ पाता है

जनता बेचारी भूखी मर जाती है
दाने दाने के लिए तरसती नज़र आती है
अनाज़ रोपा जाता था कल तक जिस मिट्टी में
हाड़ मांस के पुतले आज मिल जाते है उस मिट्टी में

भूपेंद्र रावत
18।04।2020

Language: Hindi
3 Likes · 6 Comments · 247 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
सुख के क्षणों में हम दिल खोलकर हँस लेते हैं, लोगों से जी भरक
ruby kumari
मकर संक्रांति
मकर संक्रांति
Suryakant Dwivedi
हिन्दी दिवस
हिन्दी दिवस
Neeraj Agarwal
ऋतु शरद
ऋतु शरद
Sandeep Pande
*अज्ञानी की कलम*
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
जो मुस्किल में छोड़ जाए वो यार कैसा
Kumar lalit
कर्णधार
कर्णधार
Shyam Sundar Subramanian
किताब का दर्द
किताब का दर्द
Dr. Man Mohan Krishna
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
चिड़िया!
चिड़िया!
सेजल गोस्वामी
बलिदान
बलिदान
लक्ष्मी सिंह
" चलन "
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
जीवन है
जीवन है
Dr fauzia Naseem shad
जय श्री राम
जय श्री राम
Er.Navaneet R Shandily
सिलसिले
सिलसिले
Dr. Kishan tandon kranti
नेह निमंत्रण नयनन से, लगी मिलन की आस
नेह निमंत्रण नयनन से, लगी मिलन की आस
पंकज पाण्डेय सावर्ण्य
उधार वो किसी का रखते नहीं,
उधार वो किसी का रखते नहीं,
Vishal babu (vishu)
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
इस बुझी हुई राख में तमाम राज बाकी है
कवि दीपक बवेजा
So, blessed by you , mom
So, blessed by you , mom
Rajan Sharma
💐प्रेम कौतुक-381💐
💐प्रेम कौतुक-381💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
*दिन-दूनी निशि चौगुनी, रिश्वत भरी बयार* *(कुंडलिया)*
Ravi Prakash
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
अक़ीदत से भरे इबादत के 30 दिनों के बाद मिले मसर्रत भरे मुक़द्द
*Author प्रणय प्रभात*
वर्षों जहां में रहकर
वर्षों जहां में रहकर
पूर्वार्थ
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
इन चरागों का कोई मक़सद भी है
Shweta Soni
कर रहे हैं वंदना
कर रहे हैं वंदना
surenderpal vaidya
3096.*पूर्णिका*
3096.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
रक्षा बंधन
रक्षा बंधन
विजय कुमार अग्रवाल
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
अन्त हुआ सब आ गए, झूठे जग के मीत ।
sushil sarna
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
मेंरे प्रभु राम आये हैं, मेंरे श्री राम आये हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
वो तो शहर से आए थे
वो तो शहर से आए थे
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
Loading...