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जहां इंसान मौसम की तरह न रंग बदलते हों।
Kumar Kalhans
चप्पल बुआ।
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पानी की तरह बनना सीखो।
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खान साहब।
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खोटा भाई और उनकी फाइल।
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नाक।
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मां और पिता के आंसू।
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संग मेला कोई नहीं लाया।
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चाइना का टिकाऊ माल।
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खो गया हूँ मैं ख्यालों के जहां में।
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पिता।
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एक ही पल होता है टूटने का।
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आत्महंता।
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सब ऋतुओं की रानी हो तुम , बरखा अमर जवानी हो तुम।
Kumar Kalhans
बरस रही हो बरखा रानी पर अंदाज़ अलग है।
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आओ इश्को करम की बात करें, आओ तेरे सनम की बात करें।
Kumar Kalhans
आप हर जगह हों सरकार जरूरी तो नहीं।
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विश्वासों ने पार उतारा।
Kumar Kalhans
भू से मिलकर नवजीवन की गाथाएं रचती हैं।
Kumar Kalhans
सूरज रोज नहीं आएगा।
Kumar Kalhans
कितने ग़मगीन हैं जमाने में।
Kumar Kalhans
इक दूजे की बोटी हम नुचवाते हैं।
Kumar Kalhans
मैं जब भी चाहूं मैं आज़ाद हो जाऊंगा ये सच है।
Kumar Kalhans
दर्द को आंसूं बना कर देख लो।
Kumar Kalhans
प्यार का स्वभाव।
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मृत्यु के साये में राह जीवन चले।
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रेलगाड़ी रेलगाड़ी
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सीधी सादी राह न चलते खुद को हम उलझाते हैं।
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ऐसे बरसो तरस गए नयनो से पानी बरसे।
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देखो बरखा की रुत आयी।
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टेम्पल रन।
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देखो बरखा की रुत आयी।
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सूरज अंकल जलते जलते देखो इक दिन जल मत जाना।
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कटी हुई नाक।
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जीजा जी ।
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दीपक।
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नेह के बादल कहते जाओ अब कब फिर से आना होगा।
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एक सफर ऐसा भी।
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कुबूल है। कुबूल है। कुबूल है।
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गाज़ियाबाद कै बियाह।
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जेएनयू धिक्कार तुम्हे है जेएनयू धिक्कार।
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हरा पत्ता।
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साहेब की अंतर्दृष्टि।
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पीड़ा कैसे समाप्त होती है।
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खुशी तो आयी टुकड़े टुकडे , गम पर हरपल पास रहा।
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जिंदा लाश।
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एक चेहरे से कई चेहरे बनाने का हुनर।
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हाँ मैं दोमुंहा हूं।
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मां का दिल।
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मुक्तक।
Kumar Kalhans