Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2021 · 3 min read

मां का दिल।

एक पुराना किस्सा है बचपन में किसी सस्ती सी पत्रिका में पढ़ा था। वही वाली पत्रिका जो दस दस पैसे में बस स्टेशनों पर मिला करती थी।

किस्सा यूँ था कि एक युवक को एक युवती से प्यार हो जाता है। बेपनाह प्यार हो जाता है। युवती भी युवक से खूब प्यार करती है। दोनों एक दूसरे से अक्सर मिलते और अपने भावी जीवन के हसीन चित्र बनाया करते। युवक के परिवार में सिर्फ उसकी मां और वह दो सदस्य ही रहते हैं। युवक को अपनी मां के पश्चात उस युवती से ही प्यार और स्नेह मिलता है। युवक दिनरात मुहब्बत के नशे में चूर रहता है। एक दिन बात ही बात में युवती उससे पूछती है।
युवती : तुम मुझसे कितना प्यार करते हो ?
युवक: तुम अंदाज़ा नहीं लगा सकती इतना , इस दुनियां में , धरती पर , आसमान में कहीं कुछ ऐसा नहीं कि तुम जिससे मेरे प्यार की तुलना कर सको।
युवती : इतना ज्यादा ! यकीन नहीं होता।
युवक: तुम बताओ मैं ऐसा कौन सा काम करूँ जो तुम्हे मेरी बात पर यकीन आ जाये।
युवती कुछ देर तक सोच में पड़ जाती है , फिर उसके चेहरे पर असमंजस के भाव आते हैं , कुछ देर तक वह दुविधा में रहती है।सम्भवतः जो उसे कहना है उसकी हिम्मत नहीं जुटा पा रही होती है।
युवक अधीर होकर : इतना क्या सोच रही हो , तुम सिर्फ कह कर देखो ।
युवती : रहने दो। मुझे यकीन है।
युवक: नहीं , जरूर कुछ तुम्हारे दिल में है , तुम मुझे बता नहीं रही। तुम्हे लगता है मैं नहीं कर पाऊंगा।
युवती : इतना ज़िद कर रहे हो तो सुनो , क्या तुम मेरे लिए अपनी मां का दिल निकाल कर ला सकते हो।
लड़के के मुंह से एक चीत्कार निकल पड़ती है : यह कैसी मांग है !
यह भी भला कोई बेटा कर सकता है।
युवती : तुमने ज़िद की तो मैने बताया है। अब दिल लेकर आना तब मुलाकात होगी।
युवक उसे रोकने और समझाने का प्रयास करता है पर युवती उसकी एक नहीं सुनती और चली जाती है।
युवक घर लौट आता है। उदास रहने लगता है। उसकी माँ बार बार लगातार उससे उसकी उदासी का कारण जानने का प्रयत्न करती है पर वह युवक माँ को कुछ नहीं बताता। पर युवती से न मिल पाने के कारण उसकी बेचैनी दिन ब दिन बढ़ती जाती है। वह बुरी तरह परेशान हो जता है। उसकी हालत पागलों जैसी होने लगती है।
एक रात जब उसकी मां गहरी नींद में सोई रहती है तब युवक का अपने ऊपर से नियंत्रण खो जाता है। वह समझ जाता है कि बिना उस युवती के वह जी नहीं सकता। वह एक छूरे से मां पर आक्रमण करता है और मां का दिल निकाल कर युवती के घर की तरफ चल पड़ता है। रात का समय होने के कारण रास्ते ठीक से दिखाई नहीं पड़ते। पर युवक अपने पागलपन में चलता ही जाता है कि अचानक उसका पांव एक पत्थर से टकराता है। दिल उसके हाथ से गिरते गिरते बचता है। उसके पांव में गहरी चोट लगती है , कई उंगलियों के नाखून ठोकर लगने के कारण उखड़ जाते हैं। वह थोड़ी देर के लिए रुक जाता है।
तभी एक चमत्कार होता है।
उसके मां के दिल से आवाज़ आती है: बेटा इतनी जल्दी क्या है , आराम से चल , देख तुझे कितनी जोर से चोट लग गयी है। मेरे दिल को बहुत पीड़ा हो रही है।
युवक मां के दिल को विस्फारित नेत्रों से देखता रह जाता है । उसे समझ आता है की प्यार के पागलपन में उसने कैसा घृणित काम कर दिया है। उसका मन ग्लानि से भर उठता है और वह अपनी मां के दिल को अपनी छाती में जोर से भीचकर चीत्कार करते हुए वहीं गिर पड़ता है।

Language: Hindi
14 Likes · 1 Comment · 763 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
उसके किरदार की खुशबू की महक ज्यादा है
कवि दीपक बवेजा
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
बेटियां!दोपहर की झपकी सी
Manu Vashistha
नर्क स्वर्ग
नर्क स्वर्ग
Bodhisatva kastooriya
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
🌹जिन्दगी के पहलू 🌹
Dr Shweta sood
!! यह तो सर गद्दारी है !!
!! यह तो सर गद्दारी है !!
Chunnu Lal Gupta
*नज़ाकत या उल्फत*
*नज़ाकत या उल्फत*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
जिससे मिलने के बाद
जिससे मिलने के बाद
शेखर सिंह
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
कौन करता है आजकल जज्बाती इश्क,
डी. के. निवातिया
2578.पूर्णिका
2578.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
मंज़िल को पाने के लिए साथ
मंज़िल को पाने के लिए साथ
DrLakshman Jha Parimal
बदले नहीं है आज भी लड़के
बदले नहीं है आज भी लड़के
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तबकी  बात  और है,
तबकी बात और है,
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
बड़ी मुश्किल है
बड़ी मुश्किल है
Basant Bhagawan Roy
💐प्रेम कौतुक-250💐
💐प्रेम कौतुक-250💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
मेरी नन्ही परी।
मेरी नन्ही परी।
लक्ष्मी सिंह
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
अगहन कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली एकादशी को उत्पन्ना एकादशी के
Shashi kala vyas
होली कान्हा संग
होली कान्हा संग
Kanchan Khanna
*ठेला (बाल कविता)*
*ठेला (बाल कविता)*
Ravi Prakash
"आँखें"
Dr. Kishan tandon kranti
वासना और करुणा
वासना और करुणा
मनोज कर्ण
मुझे याद आता है मेरा गांव
मुझे याद आता है मेरा गांव
Adarsh Awasthi
** गर्मी है पुरजोर **
** गर्मी है पुरजोर **
surenderpal vaidya
अपनापन
अपनापन
Dr. Pradeep Kumar Sharma
हो सके तो मुझे भूल जाओ
हो सके तो मुझे भूल जाओ
Shekhar Chandra Mitra
पुश्तैनी दौलत
पुश्तैनी दौलत
Satish Srijan
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
आगे पीछे का नहीं अगल बगल का
Paras Nath Jha
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
कबूतर इस जमाने में कहां अब पाले जाते हैं
अरशद रसूल बदायूंनी
हो रहा अवध में इंतजार हे रघुनंदन कब आओगे।
हो रहा अवध में इंतजार हे रघुनंदन कब आओगे।
Prabhu Nath Chaturvedi "कश्यप"
वक्त तुम्हारा साथ न दे तो पीछे कदम हटाना ना
वक्त तुम्हारा साथ न दे तो पीछे कदम हटाना ना
VINOD CHAUHAN
किसी ने सही ही कहा है कि आप जितनी आगे वाले कि इज्ज़त करोंगे व
किसी ने सही ही कहा है कि आप जितनी आगे वाले कि इज्ज़त करोंगे व
Shankar N aanjna
Loading...