Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
23 Sep 2023 · 1 min read

** गर्मी है पुरजोर **

मुक्तक-१
~~
खूब पसीना पड़ रहा, गर्मी है पुरजोर।
पोंछ पोंछ कर थक गये, अपना तन हर ओर।
शीतलता की चाह में, व्याकुल मन है खूब।
लेकिन अब राहत भरा, बचा न कोई छोर।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मुक्तक-२
~~
ग्रीष्म ऋतु का देखिए, अपना है नव राग।
भोर समय में शीघ्र ही, सभी गये हैं जाग।
पक्षी कलरव कर रहे, उड़ते नभ की ओर।
फूलों की सुन्दर छटा, महक उठे हैं बाग।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मुक्तक- ३
~~
मेघ श्यामल बहुत ही गरजता रहा।
खूब पानी गगन से बरसता रहा।
हो गये तृप्त सब छोर अब देखिए।
बस करो वक्त कर जोड़ कहता रहा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~
मुक्तक- ४
~~
छा रही देखिए खूब काली घटा।
खूबसूरत नहीं प्रकृति की छटा।
कर रहे शोर देखो सघन मेघ जब।
क्या कहें अब समय किस तरह है कटा।
~~~~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य

Language: Hindi
1 Like · 1 Comment · 73 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from surenderpal vaidya
View all
You may also like:
तुम हो तो मैं हूँ,
तुम हो तो मैं हूँ,
लक्ष्मी सिंह
2611.पूर्णिका
2611.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
थूंक पॉलिस
थूंक पॉलिस
Dr. Pradeep Kumar Sharma
*ढूंढ लूँगा सखी*
*ढूंढ लूँगा सखी*
DR ARUN KUMAR SHASTRI
💐प्रेम कौतुक-372💐
💐प्रेम कौतुक-372💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
रिश्तों की रिक्तता
रिश्तों की रिक्तता
पूर्वार्थ
"गेंम-वर्ल्ड"
*Author प्रणय प्रभात*
बेशर्मी के कहकहे,
बेशर्मी के कहकहे,
sushil sarna
आसमाँ के परिंदे
आसमाँ के परिंदे
VINOD CHAUHAN
आखिरी उम्मीद
आखिरी उम्मीद
Surya Barman
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
रक्षा के पावन बंधन का, अमर प्रेम त्यौहार
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
कविता
कविता
Rambali Mishra
मिलन
मिलन
Bodhisatva kastooriya
बेवफाई की फितरत..
बेवफाई की फितरत..
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
आज बहुत दिनों के बाद आपके साथ
आज बहुत दिनों के बाद आपके साथ
डा गजैसिह कर्दम
"मन भी तो पंछी ठहरा"
Dr. Kishan tandon kranti
!!! नानी जी !!!
!!! नानी जी !!!
जगदीश लववंशी
करगिल के वीर
करगिल के वीर
Shaily
फुटपाथों पर लोग रहेंगे
फुटपाथों पर लोग रहेंगे
Chunnu Lal Gupta
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
थोड़ा दिन और रुका जाता.......
Keshav kishor Kumar
जब अपने सामने आते हैं तो
जब अपने सामने आते हैं तो
Harminder Kaur
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
🙏🙏श्री गणेश वंदना🙏🙏
umesh mehra
चंचल मन***चंचल मन***
चंचल मन***चंचल मन***
Dinesh Kumar Gangwar
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
वो काजल से धार लगाती है अपने नैनों की कटारों को ,,
Vishal babu (vishu)
*हे अष्टभुजधारी तुम्हें, मॉं बार-बार प्रणाम है (मुक्तक)*
*हे अष्टभुजधारी तुम्हें, मॉं बार-बार प्रणाम है (मुक्तक)*
Ravi Prakash
Jindagi ka kya bharosa,
Jindagi ka kya bharosa,
Sakshi Tripathi
अभी गनीमत है
अभी गनीमत है
शेखर सिंह
शबे- फित्ना
शबे- फित्ना
मनोज कुमार
हिंदी पखवाडा
हिंदी पखवाडा
Shashi Dhar Kumar
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
होलिडे-होली डे / MUSAFIR BAITHA
Dr MusafiR BaithA
Loading...