जगदीश शर्मा सहज 155 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 3 Next जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read लघुकथा-नल की टोंटी सुरेखा- " रवि, मैंने कितनी बार कहा है कि नल की टोंटी में पानी कम आता है जिससे किचिन के काम में ज्यादा समय लगता है,सारी टोंटियां बदलवा लो, तेज... Hindi · लघु कथा 2 1 433 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read नाक में दम आंदोलन अनशन करो , कर दो चक्काजाम। अब तो हिंदुस्तान में, प्रतिदिन का यह काम।। प्रतिदिन का यह काम, नाक में दम कर दी है। सुलगा सकल समाज, आग अंदर... Hindi · कुण्डलिया 1 297 Share जगदीश शर्मा सहज 5 Oct 2021 · 1 min read मुक्तक छंद - स्रग्विणी (मापनीयुक्त वर्णिक - 12 वर्ण) मापनी - गालगा गालगा गालगा गालगा. ध्रुव शब्द - ' चाहिए ' क्रोध के वेग को रोकना चाहिए। प्रेम को सृष्टि में... Hindi · मुक्तक 1 194 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Oct 2021 · 1 min read गीत: जीवन_मृत्यु न जाने किस डगर पर जन्म लेकर फिर विचरना है। प्रकृति ने हाथ से रचकर हमें भू-लोक में भेजा। करोड़ों रश्मियों से सूर्य के आलोक में भेजा।। न जाने किस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 275 Share जगदीश शर्मा सहज 3 Oct 2021 · 1 min read गजल- हमें भूल जाओ छुपाकर युँ चेहरा नज़र न मिलाओ। बुरा है ये मौसम हमें भूल जाओ।। अभी तो शहर आग से जल रहा है। अभी आतिशी यूँ सितम न ढहाओ।। कि हम-तुम सभी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 264 Share जगदीश शर्मा सहज 3 Oct 2021 · 1 min read होंठ खामोश हैं हर जगह मौत का कहर क्यूँ है जिंदगी खौफ में बसर क्यूँ है होंठ खामोश हैं बदन टूटा ग़म से इंसान तर-ब-तर क्यूँ है ख़ुशनसीं शाम अब हुई बोझल चाँद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 257 Share जगदीश शर्मा सहज 2 Oct 2021 · 1 min read प्रेम बिना सब सून अनमने बे-मेल रिश्ते, जिंदगी भर तक सतायें। दो दिलों में टीस देकर, रातदिन सीना जलाएँ।। यदि विचारों का समन्वय,आपसी में ही नहीं हैं। तो कभी बेजान रिश्ते, भूलकर भी ना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 197 Share जगदीश शर्मा सहज 1 Oct 2021 · 1 min read रचें मधुभाव भरे हम छंद आधार छंद - मोतियदाम(मापनीयुक्त वर्णिक छंद) मापनी- लगाल लगाल लगाल लगाल।(12 वर्ण) ध्रुव शब्द- "भाव" ------------------------------------------------- रचें मधुभाव भरे हम छंद। सुवासित ज्यों महके गुलकंद।। रचें बहु सुंदर-सुंदर गीत। तपाकर... Hindi · गीत 1 255 Share जगदीश शर्मा सहज 1 Oct 2021 · 1 min read आत्मा न जाने कौन से ब्रह्मांड में हम लोग जाते हैं। न जाने कौन से परिवार मे जाकर समाते हैं।। किसी भी योनि में जन्में, अमर है आत्म सत्ता तो। तभी... Hindi · मुक्तक 3 6 259 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read कौवे का ग्रास श्राद्ध के दिन दादी को छत पर ग्रास रखते देख नन्हीं आख्या ने उत्सुकता से पूछा- "दादी कौआ को खाना क्यों खिलाते हैं ?" दादी मंद-मंद मुस्काती हुई कहने लगी-... Hindi · लघु कथा 1 338 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read नया दौर हम सभी रफ्तार से चलने लगे हैं। शीघ्रता से दिन सभी ढलने लगे हैं।। कर रहे हैं बात अपनी ऊँगलियों से। पास के सम्बंध अब खलने लगे हैं।।(१) भावनाओं के... Hindi · मुक्तक 2 6 268 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read पेटू रिश्वत खा-खा कर हुए, "पेटू" पोपटलाल। सरकारी ससुराल में , खींच रहे हैं माल ।। खींच रहे हैं माल, प्रशासन की इनको सह। जनता को दुत्कार, हमेशा भटकाते यह ।।... Hindi · कुण्डलिया 1 2 381 Share जगदीश शर्मा सहज 30 Sep 2021 · 1 min read निगाहें न फेरो *गीत आधार छंद शैल (मापनी युक्त वर्णिक) वर्णिक मापनी- लगागा लगागा लगागा लगाल निगाहें न फेरो करो खूब प्यार । न मानो कभी प्रेम में जीतहार।। लिए सात फेरे सजी... Hindi · गीत 1 223 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Sep 2021 · 1 min read "भारत बंद" करीब अठारह महिने बाद आज फिर से खुशी के स्कूल खुल रहे हैं वह सारे घर में चहल-कदमी करती हुई फुदक रही है। कोरोना काल में वह कक्षा एक से... Hindi · लघु कथा 472 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Sep 2021 · 1 min read सागर से टकराता कौन आधार छन्द- वीर/आल्ह (मापनीमुक्त मात्रिक) विधान- 31 मात्रा, 16-15 पर, अंत गाल। समान्त- आता, पदान्त- कौन। जीवन नश्वर, मृत्यु अटल है, सच्चा अर्थ सिखाता कौन। सागर में जब लहरें उठतीं,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 4 232 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Sep 2021 · 1 min read "जन-जन के मोदी" समयोचित निर्णय लेने की, अद्भुद क्षमता है मोदी में। भारत माता के चरणों में, सच्ची श्रद्धा है मोदी में ।। समता, सेवा, श्रमसाधकता जिसके बल पर गर्वित भारत। आशा, आकांक्षा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 331 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Mar 2021 · 1 min read कविता हृदय से फूटती कविता हृदय से फूटती मानस पटल पर कौंधती जब भावना का ज्वार हो लिपि का वृहद भंडार हो लय, ताल स्वर को बाँधकर सरिता सदृश ये कूदती कुछ और कवि... Hindi · गीत 1 300 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Mar 2021 · 1 min read लाड़ली भोली चिरैया लाड़ली भोली चिरैया शहर के भीतर न आना शहर में झाड़ी नहीं है बैठने को घास का तिनका नहीं है नोंचने को है कहाँ सुखसार छैया हर्ष का बीता जमाना... Hindi · गीत 2 411 Share जगदीश शर्मा सहज 17 Mar 2021 · 1 min read साथी से मिलने का मौसम सूखा पतझर नीचे बिखरा, नूतन कोपल उग आई है। झूमी हर डाली मतवाली, सुरभित हरियाली छाई है।। शाखाओं ने शृङ्गार किया , पहना हो जैसे हार नया । बलखाती अलबेली... Hindi · कविता 1 4 361 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Mar 2021 · 1 min read पुरुष फौलाद से निर्मित पुरुष,तू हौसला खोना नहीं। इंसानियत को रौंदकर,अपकर्म को ढोना नहीं।। तुझमें दया, ममता नहीं, निष्ठुर महासागर सदा । तू दर्द के तूफान से विचलित कभी होना नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 297 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Mar 2021 · 1 min read अश्रु तुम पानी नहीं हो आँसुओं!तुम आत्मबल खोना नहीं। जीर्ण होकर व्यर्थ में रोना नहीं।। आँसुओं, तुम तो सदा निष्पाप हो। वेदना का गूँजता आलाप हो।। तुम कमलदल का सरोवर शांत सा। दैन्य दुख में... Hindi · गीत 1 1 215 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Mar 2021 · 1 min read त्रासदी जनसंख्या और बेरोजगारी ले डूबेगी यदि नहीं रुकी तो भीषण त्रासदी फूटेगी। बेतहाशा बढ़ते वाहनों का शोर जीते जी कहीं रुला न दे, धू - धू जलता वायुमंडल वायु में... Hindi · कविता 1 1 420 Share जगदीश शर्मा सहज 20 Feb 2021 · 1 min read 'प्रिये, तुम प्रण निभाना' ढले जब शाम की लाली, उजाला चंद्रमा का हो। नुपुर झंकार करके तुम, सदन मेरे चली आना ।। मदन बनकर करूँ विचरण, तुम्हारे रूप यौवन में । फिरे ज्यों मृग... Hindi · गीत 1 373 Share जगदीश शर्मा सहज 17 Feb 2021 · 1 min read जय माँ शारदे शुभदा, अनुकोष हृदय भर दे । स्वर, अक्षर का, मति का वर दे ।। नव गीत, नया विश्वास जगे, उत्साह जगे, अभिलाष जगे। अणिमा, लघिमा, अभिधा बरसे, नव हर्ष, नया... Hindi · गीत 1 1 497 Share जगदीश शर्मा सहज 10 Feb 2021 · 1 min read 'संगमरमर के जैसी तराशी हो तुम' "ग़ज़ल" तेरा आँचल बदन से जो लहरा गया इन अदाओं से बादल भी बदरा गया. आग दरिया में जैसे लगी हो मगर मैं जमीं पर किनारों से टकरा गया. संगमरमर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 12 290 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Feb 2021 · 1 min read कुछ हाइकू वसंतागमन के पूर्व १. नई कोपलें निपूते ठूँठ पर रोजाना फलें २. झूमा आँगन मौसम सुहावना हरा बिछौना ३. नूतन वर्ष ऋतुराज वसंत सर्दी का अंत ४. माघ महिना वसंत आगमन शुक्ल पंचमी... Hindi · हाइकु 3 3 230 Share जगदीश शर्मा सहज 9 Feb 2021 · 1 min read चॉकलेट डे इज़हारे मोहब्बत में लेट हो गए , वो चाय की केतली हम प्लेट हो गए। घर-गृहस्थी की गाड़ी में ऐसे उलझे, हम बबलगम वो चॉकलेट हो गए।। जगदीश शर्मा सहज Hindi · मुक्तक 2 3 261 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Feb 2021 · 1 min read 'मधुवन जैसा तेरा यौवन' सुनकर कंगन नूपुर की धुन, मदहोश न अब मैं हो जाऊँ। तुम गीतों की आशा मेरी, जीवन की अभिलाषा मेरी। तुम खिलती धूप सुबह की हो, मैं प्रियदर्शन मैं खो... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 5 36 447 Share जगदीश शर्मा सहज 4 Feb 2021 · 1 min read किस बात की नाराज़गी अपनी ज़मीं अपना वतन अपनी कसक ईमान की । किस बात की इतनी क़वायद, गर्मजोशी शान की ।। किस बात की तल्ख़ी बढ़ी किस बात की घबराहटें। किस बात की... Hindi · मुक्तक 2 3 420 Share जगदीश शर्मा सहज 3 Feb 2021 · 1 min read "सुबह की धूप आशा है" विधान :- विजात छंदाधारित गीत मात्राभार :- १२२२ १२२२ सुबह की धूप आशा है। विवशता ही निराशा है।। सुखों की आश जीवन में। न होती काश जीवन में।। न होती... Hindi · गीत 2 4 242 Share जगदीश शर्मा सहज 31 Jan 2021 · 1 min read "अपना वतन" आसमानी रंग भर के, ग़म-खुशी के गीत गाता लाड़ला अपना वतन । पावनी धरती वतन की, दूर तक जिसकी महक। एक भारत का तराना, गूँजता है दूर तक। हूक देते... Hindi · गीत 2 4 498 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read चूहे जी बाल्य कविता ( चूहे जी ? ) नटखट प्यारे चूहे जी, लाड़ हमारे चूहे जी। बिल्ली से डरकर रहते, राजदुलारे चूहे जी ।। दिल से जिनको थाम रखा, ध्यान सबेरे... Hindi · कविता · बाल कविता 300 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read "रेल" छुक-छुक करती चलती रेल। सिग्नल देख निकलती रेल । नानी के घर हमें उतार, फिर रफ़्तार पकड़ती रेल । छुट्टी के दिन रहते चार, नाना नानी करते प्यार । रोज... Hindi · कविता · बाल कविता 210 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read "चंदा मामा" मेरे प्यारे चंदा मामा- सँग-सँग मेरे चलते जाना । उजियारा मुझको दिखलाना, पैदल पथ पर जब भी जाऊॅं छुपकर मेरे पीछे आना। तारों से बातें करवाना, नभ की सारी सैर... Hindi · कविता · बाल कविता 398 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read "दशहरा" धूम मची थी आज सुबह से,भुवन पटाखे लाया था। आज दशहरे का अवसर था, चंदा खूब उगाया था ।। माही आरू और अमन ने, मिलजुलकर यह ठाना था। पुतला दहन... Hindi · कविता · बाल कविता 255 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read "चिड़ियाघर" चैत का महिना उमस से रोज तपता दिन, ग्रीष्म के अवकाश में तुम ज़ू कभी जाओ। शेर, हाथी, तेंदुआ, चीतल, चिकारा मृग, अश्व, सॉंभ्ार,रीछ को तुम पास में पाओ ।... Hindi · कविता · बाल कविता 394 Share जगदीश शर्मा सहज 29 Jan 2021 · 1 min read "मिठ्ठूराजा" छत पर आया मिट्ठू राजा। मन को भाया मिट्ठू राजा ।। रंगत से वह हट्टा-कट्टा । उसके कंठ मढ़ा था पट्टा ।। कुछ दिन से रूखा-रूखा था। शायद वह सच... Hindi · कविता · बाल कविता 207 Share जगदीश शर्मा सहज 27 Jan 2021 · 1 min read "लाल किला" जो किला गणतंत्र का प्रतिवर्ष ही साक्षी हुआ। क्रांतिकारी राष्ट्रभक्तों ने विनत होकर छुआ ।। जिस किले ने राष्ट्रभक्ति का सबब पैदा किया। आज कुछ उद्दंडियों खूब शर्मिंदा किया।। किंतु... Hindi · कविता 3 4 400 Share जगदीश शर्मा सहज 27 Jan 2021 · 1 min read गणतंत्र दिवस आज दिवस गणतंत्र का, प्यारा भारत-पर्व । अपने हिन्दोस्तान पर, हम सबको है गर्व ।। हम सबको है गर्व, सदा इसकी धरती पर। भारत की पहचान, विश्व में सबसे ऊपर... Hindi · कुण्डलिया 1 2 361 Share जगदीश शर्मा सहज 23 Jan 2021 · 1 min read जय वीर सुभाष गर्म अंगारा लहू फ़ौलाद सा था तन तुम्हारा ! कर रहा है आज सारा राष्ट्र अभिनंदन तुम्हारा !! हे महा-रणधीर सैनिक राष्ट्र का सम्मान हो तुम ! याद में बांकी... Hindi · कविता 1 2 211 Share जगदीश शर्मा सहज 23 Jan 2021 · 1 min read 'तुम महकता कमल' तुम महकता कमल खूबसूरत हसीं | तुम किसी की ग़ज़ल खूबसूरत हसीं || क्युँ मैं चाहूँ तुम्हें दिल- ज़िगर से मेरे | तुम किसी का महल खूबसूरत हसीं || क्या... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 208 Share जगदीश शर्मा सहज 22 Jan 2021 · 1 min read "क्रंदन" नाश करता नशा धूम्र का कण यहाँ, मौत बन डस रहा जहर भीषण यहाँ ! चिकित्सक ले रहा सँभलकर धन यहाँ, किन्तु वह कर रहा जान रक्षण यहाँ ! वायु... Hindi · कविता 2 232 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Jan 2021 · 1 min read बेशर्म रात गुलों का बिछोना बड़ा नर्म है। अलावों भरी ये हवा गर्म है ।। तुम्हारे लवों की हँसी से लगा। मुलाकात की रात बेशर्म है।। -जगदीश शर्मा Hindi · मुक्तक 3 416 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Jan 2021 · 1 min read भिखारन कड़ाके की सर्दी में खुले आसमान के तले बैठी एक भिखारन। ओढ़कर कम्बल,रजाई दान में मिले कपड़े ईंटों का चूल्हा प्लास्टिक की एक बोतल बस यही था उसका धन। सुबह-सुबह... Hindi · कविता 1 4 219 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Jan 2021 · 1 min read 'प्रेम' मानव जीवन नीरस होता , प्रेमसुधारस पास न होता । नीड़ज भी उन्मुक्त न होता, भोजन भी रसयुक्त न होता। प्रेम बिना यह सृष्टि न होती, और कहीं उल्लास न... Hindi · गीत 3 4 287 Share जगदीश शर्मा सहज 21 Jan 2021 · 1 min read शीतल हवा बर्फ़ की सफेद ओस, ओढ़कर हवा चली। आग के जले अलाव, धुंध के उठे गुबार ।। शांत सुंदरी सुबह, विभावरी विलासिनी। बाग में वसन्त सम,फूल की खिली बहार।। इंदु सा... Hindi · घनाक्षरी 1 6 378 Share जगदीश शर्मा सहज 20 Jan 2021 · 1 min read ब्रज की चाह जय प्रेममयी वृषभानुलली। निधिवृन्द बसी मृदु कुंजकली।। मन-मंदिर से मधुभाव भरूँ । चरणों में अर्पित पुष्प करूँ ।। मनमोहन से अब प्रीत लगी। प्रभुदर्शन की अभिलाष जगी।। ब्रज की धरती... Hindi · कविता 1 4 217 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Jan 2021 · 1 min read 'कामचोर मट्टू' चौराहे पर बैठा हुआ घर-परिवार से बेफिक्र मैले-कुचैले कपड़े पहने हुए, बीड़ी के कस लगाता हुआ कामचोर एवं हँसोड़ा, बातों का धुनी कुपढ़, मट्टू । फुर्सत का पहाड़ नशे का... Hindi · कविता 1 2 309 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Jan 2021 · 2 min read "दिल के बंधन" प्रस्तुत गीत के चार महत्वपूर्ण पड़ाव हैं, जिन्हें गीत के माध्यम से चार बन्धों में चरणबद्ध करने का प्रयास किया है। 1-प्रथम चरण में नायिका के घर पर शादी की... Hindi · गीत 375 Share जगदीश शर्मा सहज 19 Jan 2021 · 1 min read भोर की लाली विधा- गीतिका 2122 2122 2122 212 भोर की सुषमा जगी है व्योम में कलरव हुआ | नभ हुआ रक्तिम दिवाकर ने धरातल को छुआ || तटतड़ागों में नवोदक कमलदल अब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 283 Share Previous Page 3 Next