जो पकड़े वह उर बने, गहन सहजता हर्ष|/ निज को जानो, तब मिले, प्रीति ह्रदय का सिंधु|
संस्कृति प्रेमाकाश सह, दिव्य ज्ञान-उत्कर्ष| जो पकड़े, वह उर बने, गहन सहजता-हर्ष|| मत भटको, निर्मल बनो, पकड़ चेतना -बिंदु| निज को जानो, तब मिले, प्रीति-हृदय का सिंधु|| बृजेश कुमार नायक...
Hindi · दोहा