Tag: ग़ज़ल/गीतिका
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जिन्दगी ख़ास है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
फूलों सी प्यारी हो मुस्कान सदा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
असर बुरा है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हर शख्स चोर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पागलपन में खो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मुस्किल में संसार
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सूखी डाली पतझड़ से पूछती
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अल्फ़ाज़ अखर गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पतझड़ में पत्ते झड़ते रहे
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अपना कौन है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
सूखी शाखाएँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
हक हम पर जताया कर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
विकास का झाड़ू
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग़ज़ल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गोली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
गोली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
काम कब आया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चारपाई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
लता अब न पैदा होगी धरा पर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
देखा करीब से
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पल दो पल ही पास तो बैठो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
करवटें बदल बदल
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
इस कदर छा गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्या से क्या हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शर्म हया खो गई
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मैं समझा नहीं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
क्या दौर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मस्तियाँ
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अजनबी रात भर
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मकर-संक्रांति
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बहुत बुरा हाल घर का
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
शहर का पानी नमकीन है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
भीड़ में अकेला
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पहले वाली शाम नहीं
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ज़मीर सो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रीत निराली है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
रुका रुका सा छोर है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दिल को रुला गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
चले आओ अभी सांस बाकी है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
पास शमशान है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खड़ा नजर आया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
कैसी हवा चली
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
जिगर में बसा लो
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौत के मुँह में जाते बच गए
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
अंदाज बदला है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
बदनाम हो गया
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
दिल की बताते हो नही
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मौसम बदला बदला सा
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
ग्रन्थों का सार है गीता
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खास वजह नही है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत