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29 Mar 2022 · 1 min read

हर शख्स चोर है

हर शख्स चोर है
**************
यह कैसा शोर है,
चारों ही और है।

संभल जाओ जरा,
हर शख्स चोर है।

पग से पग है खफ़ा,
बदली सी तौर है।

वक्त रुकता नहीं,
चलता कब ज़ोर है।

मनसीरत मन भरा,
करता कब गौर है।
***************
सुखविंद्र सिंह. मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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