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6 Feb 2022 · 1 min read

देखा करीब से

******* देखा करीब से *********
****************************

देखा है मौत को हमने करीब से,
जिंदा हैं मौज में खुद के नसीब से।

अब तक सोते रहे अल्हा रहम करम,
शिद्दत से है बना रिश्ता हबीब से।

जीते – मरते रहे हम बात – बात पर,
खोया है यार प्यारा बदनसीब से।

कोई हमको हरा सकता कभी नहीं,
हारे हैं हम सदा दिलबर रक़ीब से।

मनसीरत देखता रहता राह आपकी,
आई आवाज कोई तो नकीब से।
****************************
सुखविंदर सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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