Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
27 Jan 2022 · 1 min read

मैं समझा नहीं

******* मैं समझा नहीं *********
****************************

उसने किया इशारा मैं समझा नहीं,
हमसे किया किनारा मैं समझा नही।

कुछ भी नहीं बताया सब कैसे सहा,
जीना नहीं गवारा मैं समझा नहीं।

कैसे कहूँ किसी से दिल की आरजू,
मुश्किल बहुत गुजारा मैं समझा नहीं।

है बोलती रही आँखे उसकी सदा,
चाहे बनू सहारा मैं समझा नहीं।

जिसने मुझे दिया मनसीरत का पता,
दिल का बड़ा दुलारा मैं समझा नहीं।
****************************
सुखविन्द्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

184 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
कल तक जो थे हमारे, अब हो गए विचारे।
सत्य कुमार प्रेमी
सावन आया झूम के .....!!!
सावन आया झूम के .....!!!
Kanchan Khanna
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
हारे हुए परिंदे को अब सजर याद आता है
कवि दीपक बवेजा
कहानी
कहानी
कवि रमेशराज
पाती
पाती
डॉक्टर रागिनी
पहले कविता जीती है
पहले कविता जीती है
Niki pushkar
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
अगर आप अपनी आवश्यकताओं को सीमित कर देते हैं,तो आप सम्पन्न है
Paras Nath Jha
#ग़ज़ल-
#ग़ज़ल-
*प्रणय प्रभात*
यशस्वी भव
यशस्वी भव
मनोज कर्ण
*जमानत : आठ दोहे*
*जमानत : आठ दोहे*
Ravi Prakash
सूरज का टुकड़ा...
सूरज का टुकड़ा...
Santosh Soni
श्री गणेश वंदना:
श्री गणेश वंदना:
जगदीश शर्मा सहज
नज़र का फ्लू
नज़र का फ्लू
आकाश महेशपुरी
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
मौसम सुहाना बनाया था जिसने
VINOD CHAUHAN
सोचो
सोचो
Dinesh Kumar Gangwar
सबक
सबक
Dr. Pradeep Kumar Sharma
वह बचपन के दिन
वह बचपन के दिन
Yogi Yogendra Sharma : Motivational Speaker
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
शब्द भावों को सहेजें शारदे माँ ज्ञान दो।
Neelam Sharma
3285.*पूर्णिका*
3285.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
जिन्दगी
जिन्दगी
लक्ष्मी सिंह
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
20, 🌻बसन्त पंचमी🌻
20, 🌻बसन्त पंचमी🌻
Dr Shweta sood
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
खेल रहे अब लोग सब, सिर्फ स्वार्थ का खेल।
डॉ.सीमा अग्रवाल
"आरजू"
Dr. Kishan tandon kranti
शेर
शेर
Monika Verma
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
कर्म से विश्वाश जन्म लेता है,
Sanjay ' शून्य'
हर रात की
हर रात की "स्याही"  एक सराय है
Atul "Krishn"
जै जै अम्बे
जै जै अम्बे
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
जीवन है पीड़ा, क्यों द्रवित हो
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
रंजीत कुमार शुक्ल
रंजीत कुमार शुक्ल
Ranjeet kumar Shukla
Loading...