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18 Dec 2021 · 1 min read

अंदाज बदला है

**** अंदाज बदला है *****
***********************

रत्नों में पुखराज बदला है,
मानव का काज बदला है।

कल तक था लाज़िमी सारा,
जीवन में आज बदला है।

बदली है गीत की भाषा,
गाने का साज बदला है।

बदला है जायका जन का,
जब से यह राज बदला है।

बदला है मयकशी नखरा,
पीने का अंदाज बदला है।

हुस्न ऐसा मिला जी भर,
गौरी का नाज़ बदला है।

मनसीरत देखता रहता,
जब सिर का ताज बदला है।
**********************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

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