सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2624 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Jan 2021 · 1 min read कोरोना का रोना *********कोरोना का रोना******* ***************************** कोरोना वायरस का खुमार तो देखिए गांव गांव शहर शहर असर तो देखिए हर कोई दिखता शहर में बीमार सा तनिक जनाब,कोरोना हश्र तो देखिए मच... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 6 9 484 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Aug 2019 · 1 min read ट्राँसफर ड्राइव ट्रांसफर रूपी दानव आया ड्राइव में होकर सवार दुखदायी और सुखदायी था जो भी थे इस पर सवार उम्र,युगल,बीमारी नतीजे के अंक भी अर्जित कर किए तैयारी कर वांछित प्रबली... Hindi · कविता 5 2 573 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Jul 2020 · 1 min read रा दी सियासत बदल के ******* रख दी सियासत बदल के ******** *********************************** सियासतदानों ने रख दी सियासत बदल के सच्ची राजनीतिक गाथा और रियासत बदल के जातिवाद और क्षेत्रवाद को हैं बढ़ावा मिल रहा... Hindi · कविता 5 2 190 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Aug 2020 · 1 min read तिरंगा मेरा अभिमान **तिरंगा मेरा अभिमान** ******************* तिरंगा मेरे देश की है शान वीर जवानों का है सम्मान खुशियों भरे होते हैं लम्हें लहराता झंडा खुले मैदान प्रफुल्लित होता है तन मन तीन... Hindi · कविता 5 1 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 May 2022 · 1 min read पिता जी का साया *** पिता जी का साया *** ********************* पिता जी की छत्रछाया है, कभी भी साथ न पराया हैं। लू गम की जरा न लग पाए, बरगद सी शीतल छाया है,... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 5 238 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read धारा 370 न्यारा था जो हिन्द से अब तक आज हमारा हो गया स्वर्ग से सुन्दर जान से प्यारा कश्मीर हमारा हो गया एक देश में एक ही कानून का फतवा जारी... Hindi · कविता 4 483 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 May 2020 · 1 min read यूँ ना तुम बुरा मानिए यूँ ना तुम बुरा मानिए ****************** यूँ ना तुम बुरा मानिए हमारी भी जरा सुनिए सुनो, कुछ जरा सुनाइए जरा सा भी न शर्माइए मुख है तमतमा सा रहा हमें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 346 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Jul 2020 · 1 min read ठंडी ठंडी हवा चले ठंडी ठंडी हवा चले *************** ठंडी ठंडी हवा चले जवां दिल रवाँ चले नभ में बादल छाये जियरा है घबराये काली घटा घनघोर नहीं किसी का जोर बारिश बूँदे है... Hindi · कविता 4 4 747 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Jul 2020 · 1 min read तुमसे मेरी बनी पहचान है **तुमसे मेरी बनी पहचान है** *********************** सुहाना मौसम बेईमान है छाया मन मे ये घमासान है गमों के बोझ से दिल है बोझिल चेहरों पर दिखती मुस्कान है आँखो में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 297 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Jul 2020 · 1 min read कैसे गाँए गीत मल्हार *** कैसे गाँए गीत मल्हार *** ************************* कोरोना वायरस की झेलें मार दुनिया भर में मच गया हाहाकार जन जन में हो रही चीख चित्कार भला हम कैसे गाँए गीत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 2 172 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Sep 2020 · 1 min read जीवन का आधार पिता जी ** जीवन का आधार पिताजी ** ************************** मेरे जीवन का आधार पिताजी सदा करता रहूँ मैं सत्कार पिताजी निज आमोद तज घरबार संभाले परिवार के हैं कर्णधार पिताजी सुबह से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 1 253 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 May 2021 · 1 min read नैन कटारी **नैन कटारी (गोपी छंद)* ******************** आगोश में झट से आओ। मन अन्दर समा तो जाओ।। बदन में प्रेम तपिश भारी। न चला तीर नैन कटारी।। हम यहाँ पर तड़प रहे... Hindi · कविता 4 2 477 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 May 2021 · 1 min read आम की टोकरी ****आम की टोकरी**** ***** बाल कविता ***** ******************** टोकरी में रख मीठे आम, गुड़िया बांटती है बिन दाम। रसदार बहुत मधु से मीठे, सुच्चे हैं ना बिल्कुल जूठे। चाचा ,... Hindi · कविता 4 435 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read पंजाबी लोक बोलियां 1.बदला विच चन्न चमके अज मेरे माही ओणा मेरा धक धक दिल धड़के 2.सड़कां ते धूड़ पई अज माही विछड़ गया मेरे दिल विच्च टीस पई 3.कोठे ते बनेरा ए... Hindi · कविता 3 421 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मित्रता के भाव मित्र दिवस अवसर पर प्रस्तुत हैं ये भाव जीवन में इनके आने पर होते पूरे सब चाव जब कभी तनाव में होता है कोई इन्सान मित्र राम बाण बन ओषधि... Hindi · कविता 3 576 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आज के रिश्ते आज के युग के रिश्तों के माइने कुछ इस कदर बदल गए हैं कि चोली दामन का साथ सा रिश्ते भी कुर्ते-पजामे से ढीले हो गए हैं जो कभी गत... Hindi · कविता 3 204 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read ठहराव गलत तो कभी नहीं था शायद पर गलत ठहराया जाता हूँ मैं हमेशा दुसरो को समझता रहा पर नासमझ ठहराया जाता हूँ मैं शिद्दत से की मोहब्बत महबूब से पर... Hindi · कविता 3 273 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read आँखें झील सी गहरी आखों में कोई राज छुपाए रहती हो राज के गहरे आँचल में कोई ख्वाब सजाए रहती हो ख्वाब के धुंधलेआइने में इक तस्वीर बसाए रहती हो वो... Hindi · कविता 3 366 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read मुसाफिर सुनो मुसाफिर सुनो मुसाफिर जाने वाले, बात जरा ये सुन जाना । घर में बैठीं आस लगाए, याद उसे भी कर लेना। 1.बिन माली के कोई पौधा, कैसे भला फल... Hindi · कविता 3 219 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read नववर्ष मुबारक दिल में बहार हो, ख़ुशी की फुहार हो, पूरी हर मुराद हो, जिन्दगी आबाद हो, जीने की उमंग हो, प्यार की तरंग हो, कोई भी नंग हो, न ही कोई... Hindi · कविता 3 263 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read विदाई आखों में आंसू संजोए हुऐ कर रहें हैं तुम्हे हम खुद से जुदा खुश रहो तुम सदा जहाँ भी रहो दे रहें है तुम्हे हम दिल से दुआ सुंदर बगिया... Hindi · कविता 3 531 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read दोहरी सोच दोहरी सोच एक मँच पर एक समाज सेविका महिला पश्चिम परिधान मे स्वयं को लपेटे हुए व आधुनिक विचारों से ओत प्रोत अपने संबोधन मे नीचे बैठी महिलाओं को भारतीय... Hindi · लघु कथा 3 421 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Aug 2019 · 1 min read अवशेष पलकों की छांव तले नेत्र ढूँढ रहे हैं अपने बहे हुए अश्कों के अवशेष जो कुछ दिन पहले महबूब की बेवफाई में बह गये थे - सुखविन्द्र सिंह मनसीरत Hindi · कविता 3 256 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Aug 2019 · 2 min read सुहागरात गृहस्थ जीवन की पावन शुरुआत थी बिछी हुई सुहागरात की सेज थी दो प्यासे अन्जान चेहरे आत्माओं का होना जो स्वर्णिम पवित्र मिलन था काली अर्द्ध सर्द रात का प्रथम... Hindi · कविता 3 1k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Sep 2019 · 1 min read समाज के ठेकेदार चूर चूर कर डाले रिश्ते समाज के ठेकेदारों ने खुद के दोष रहे छिपाए लगे औरों को उछलाने में भावहीन भयमुक्त हो गए लगे औरों को धमकाने में छोटों को... Hindi · कविता 3 2 3k Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Sep 2019 · 3 min read नवोदय और नवोदियन नवोदय विद्यालय है भारत की शान मेरा नवोदय विद्यालय है बहुत महान राजीव गांधी ने देखा था एक सपना हर वर्ग क्षेत्र स्तर का बच्चा है अपना सर्वांगीण विकास करना... Hindi · कविता 3 574 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Mar 2020 · 1 min read जिल्लत में रहना सीख लिया जिल्लत में रहना सीख लिया ---------------------------------- रोते -रोते. हँसना सीख लिया गमों में मुस्कराना सीख लिया हम मालिक थे अपनी मर्जी के तेरी रज़ा में रहना सीख लिया नभ में... Hindi · कविता 3 2 359 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Apr 2020 · 1 min read फूल सा चेहरा मुरझाया क्यों है फूल सा चेहरा मुरझाया क्यों है ************************* फूल सा चेहरा मुरझाया क्यों है वो यार दिलदार घबराया क्यों है चहुं ओर खुशियों के भरे मेले हैं भारी भीड़ में तू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 220 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Apr 2020 · 1 min read आँखों में रही नींद कहाँ आँखों में रही नींद कहाँ ******************* आँखों में रही नींद कहाँ पहले जैसे दिन रात कहाँ काटे से भी कटते नही क्यों नहीं ये दिन रात यहाँ आँखें भी पथराई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 236 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 May 2020 · 1 min read भेंट चढा बचपन *** खोता बचपन **** ****************** जीवन का स्वर्णिम काल होता प्यारा बाल्य काल बचपन की बातें निराली सूरत होती भोली भाली जो होती है मन में भात वहीं करते हैंं... Hindi · कविता 3 190 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 May 2020 · 1 min read कविता बहती सरिता * कविता बहती सरिता * ******************** मेरी कविता बहती सरिता भावों की बहती जल धारा मन अंदर में उठें हाव भाव विचार समेटती काव्यधारा भेजे में मचती उथल पुथल संवारती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 246 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 May 2020 · 1 min read प्रेम ज्वाला ****** प्रेम ज्वाला ****** ********************** जब से तुम से है प्रीत लगाई तब से दुनिया दिल से भूलाई तेरे ख्यालों में खोयें रहते मन को भाने लगी है तन्हाई जबसे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 473 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 May 2020 · 1 min read मंजिलें आसपास थी मंजिलें आसपास थी **************** मंजिलें आसपास थी सफर में अटके रहे महबूब तो पास था पर हम ढूँढते रहे कस्तूरी नाभि में थी मृग वन भटकते रहे ईश्वर मन अंदर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 327 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 May 2020 · 1 min read ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते **************************** ऑनलाइन जिंदगी ऑफलाइन रिश्ते जो अब संजीदगी से नहीं हैं निभते आधुनिकता की चकाचौंध मे गुम हैं औपचारिकताओं की भेंट चढ़े रिश्ते ऑनलाइन जिन्दगी में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 416 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 May 2020 · 1 min read शारदे माल वंदना ***** माँ शारदे वंदना ****** ************************ शारदे माँ मेरी ,तू है दयालु बड़ी कृपा दृष्टि तेरी टले विपदा बड़ी श्वेतवर्णी है तू, हैं वीणा वादिनी कष्टहरणी तू , है तू... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 271 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Jun 2020 · 1 min read प्रीत की तलाश है *** प्रीत की तलाश है *** ********************* दिल को प्रीत की तलाश है मन को मीत की तलाश है हसीं वादियां हैं दामन मधु संगीत की तलाश है पंछी कलरव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 1 445 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Jun 2020 · 1 min read तुम्हारी पनाहें ****** तुम्हारी पनाहें ****** ************************ तुम्हारी झुकी झुकी सी निगाहें तुम्हें बुलाती हैं मेरी बाहें मिले जब नैन , रहूँ मैं बैचेन ताकता रहता तुम्हारी राहें ईश्क बीमारी , छाए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 442 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Jun 2020 · 1 min read दिल रो पड़ा ******* दिल रो पड़ा ******* ************************ देख कर तेरा हाल दिल रो पड़ा है बिछाया ये जाल दिल रो पड़ा हौसले ना जाने कहाँ खो गए ना मिली कोई ढाल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 262 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Jun 2020 · 1 min read जब किसी को प्यार हो जाता है जब किसी को प्यार हो जाता है ************************* जब किसी को प्यार हो जाता है वह बिल्कुल बेकार हो जाता है सूझती न बात सिवाय मुलाकात जैसे सपना साकार हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 361 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 3 Jul 2020 · 1 min read ईर्ष्यालु हो गए ******* ईर्ष्यालु हो गए ******** *************************** खामख्वाह लोग क्यों ईर्ष्यालु हो गए प्रेम अभाव में क्यों झगड़ालु हो गए अच्छाई नजरअंदाज पल में करते शक करते रहें क्यों शंकालु हो... Hindi · कविता 3 294 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Jul 2020 · 1 min read दीवारों के भी कान होते हैं ******* दीवारों के कान होते हैं ********* ********************************** जुबां को रोकिए बोलने से नुकसान होते है संभल के बोलिए दीवारों के कान होते हैं कुछ भी कहने से पहले ज़रा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 6 326 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Jul 2020 · 1 min read झींक आने लगी ***** झींक आने लगी ***** *********************** पौह की ठंड में वो बुलाने लगी मुझे सर्दी लगी जान जाने लगी उस वाक्या हम जिक्र कैसे करें शुरू करते शर्म सी आने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 2 239 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Jul 2020 · 1 min read आम का पेड़ रे ********* आम का पेड़ रे ********** ******************************* घर आंगन द्वार बाहर लगा आम का पेड़ रे हरी भरी पार्क साथ सटा आम का पेड़ रे गुब्बारों से हैं दिखें पीले... Hindi · कविता 3 1 202 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Jul 2020 · 1 min read नारी फिर भी महान है नारी फिर भी महान है ***************** समाज पुरुष प्रधान है नारी फिर भी महान है अन्दर से सदैव सड़ती घुट घुट हैं रहती मरती बातें हैं दिल में रखती रहती... Hindi · कविता 3 1 155 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Aug 2020 · 1 min read बेशकीमती आँसू *****बेशकीमती आँसू****** ************************* निर्झर सी आँखों में से निकल कर पलकों से क्यों बरसते हैं आँसू गोरे गुलाबी रुखसार से होकर सुर्ख होठों पर गिरते हैं आँसू जिनके लिए मर... Hindi · कविता 3 1 504 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Aug 2020 · 1 min read काली जुल्फों के घने साये काली जुल्फों के घने साये ********************** काली जुल्फों के घने साये इश्क ए जाल में फंसाये गेसुओं की गहरी घनी छांव राहत का सांस था दिलाये झटकती भीगी भीगी लटें... Hindi · कविता 3 2 309 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Aug 2020 · 1 min read जय गणेश चतुर्थी ***** जय गणेश चतुर्थी ******* *************************** समृद्धि, सिद्धि, सौभाग्य गणेश देवा शिव पार्वती राज दुलारा गणेश देवा भाद्रपद माह में शुक्ल पक्ष क्षण पर धरती पर जन्मे थे प्रभु गणेश... Hindi · कविता 3 1 265 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Sep 2020 · 1 min read लब पर तेरा नाम है लब पर तेरा नाम है **************** यह बस मेरा काम है लब पर तेरा नाम है पल पल हर क्षण पर छाया तेरा नाम है सुबह,दोपहर से शाम दिन रात... Hindi · कविता 3 416 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 9 Sep 2020 · 1 min read खामोशी ********* खामोशी ******** ************************* जब दिल मे छा जाती है मदहोशी मुखड़े पर आ जाती है खामोशी शब्दों का छूट जाता है संग साथ जज्बात नजर आते बन खामोशी नशा... Hindi · कविता 3 1 258 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2020 · 1 min read धुंध सा होता प्यार धुंध सा होता ह प्यार ******************* शीत ऋतु की प्रथम धुंध, की भांति होता है प्यार, पता ही नहीं चलता ,कब, प्यार का यह घना कोहरा , दिलोदिमाग पर इस... Hindi · कविता 3 2 207 Share Page 1 Next