सुखविंद्र सिंह मनसीरत Tag: ग़ज़ल/गीतिका 422 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Apr 2022 · 1 min read जिन्दगी ख़ास है *जिन्दगी ख़ास है* ************** अगर वो पास है, जिन्दगी खास है। अभी शुरुआत है, बुझी ना प्यास है। नज़र से दूर क्यों, जिन्दा हम लाश हैं। पके फल लाल है,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 118 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Apr 2022 · 1 min read फूलों सी प्यारी हो मुस्कान सदा फूलों सी प्यारी हो मुस्कान सदा, ************************** फूलों सी प्यारी हो मुस्कान सदा, सब से ही न्यारी हो मुस्कान सदा। पावों में चुभ ना पाए शूल कभी, प्रफुल्लित क्यारी हो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 116 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 31 Mar 2022 · 1 min read असर बुरा है ***असर बुरा है *** **************** प्यार का हसर बुरा है, यार पर असर बुरा है। राह सेज शूल दायक, चाल में कसर बुरा है। ठीक तो नहीं ठिकाना, रंक का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 109 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Mar 2022 · 1 min read हर शख्स चोर है हर शख्स चोर है ************** यह कैसा शोर है, चारों ही और है। संभल जाओ जरा, हर शख्स चोर है। पग से पग है खफ़ा, बदली सी तौर है। वक्त... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 93 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Mar 2022 · 1 min read पागलपन में खो गया **पागलपन में खो गया** ******************** जो होना था वो हो गया, भाग्य तो लगता सो गया। जो जाला ग़म का था बना, बन आँसू आँखें धो गया। भावों से दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 220 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Mar 2022 · 1 min read मुस्किल में संसार **** मुश्किल में संसार **** *********************** औंधे मुँह गिरती सरकार है, आदत जब होती बदकार है। पैनी धारें दिखती ही नहीं, बिन कार्य की अब तलवार है। रौनक फ़ीकी फ़ीकी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 120 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 20 Mar 2022 · 1 min read सूखी डाली पतझड़ से पूछती **सूखी डाली पतझड़ से पूछती** *************************** सूखी हुई डाली पतझड़ से पूछती, पत्ते न झड़ते तो वो भी नहीं सूखती। पथिकों को देती शीतल घनी छाँव, रहती हरी भरी हरियाली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 300 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Mar 2022 · 1 min read अल्फ़ाज़ अखर गए ********* अल्फ़ाज़ बिखर गए ********* ********************************** तुझे देखते ही जुबां से अल्फाज़ बिखर गए, इरादे किए जो नेक वो जज्बात लचर गए। न सोचा कभी जो मिले तो इजहार करें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 147 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Mar 2022 · 1 min read पतझड़ में पत्ते झड़ते रहे **पतझड़ में पत्ते झड़ते रहे** *********************** पतझड़ में पत्ते झड़ते रहे, हर दिन हर पल मरते रहे। कोशिश की जो थी व्यर्थ हुई, अपनों से ही हम हरते रहे। हालातों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 303 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Mar 2022 · 1 min read अपना कौन है ****** अपना कौन है ****** ************************ बुरी घड़ियों में अपना कौन है, पड़ी आफ़त में अपना कौन है। खड़ा अपनों में फिर भी मौन हूँ, भरी महफ़िल में अपना कौन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 127 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Mar 2022 · 1 min read सूखी शाखाएँ ***** सूखी - शाखाएँ ****** ************************ कोई सौदा लाभदायक नहीं, जीवन भी जीने के लायक नहीं। शायद मन की ना समझ सी रही, कोई इतना भी नालायक नहीं। जब भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 283 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Mar 2022 · 1 min read हक हम पर जताया कर *** हक हम पर जताया कर **** *************************** कोई बात हो तो बताया कर, दिल के जज़्बात यूं ना छुपाया कर। मुश्किल से तनिक नींद आती है, चुपके से हमें... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 153 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Mar 2022 · 1 min read विकास का झाड़ू ****** विकास का झाड़ू ***** ************************* जनता ने छोड़ दी गहरी छाप, आपने आप को अपनाया आप। पाँच दरियाओं की भू पंजाब, धूल गए पार्टियों के सब पाप। ढह गए... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 314 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Mar 2022 · 1 min read ग़ज़ल ******** माँ ******** ******************* किस मिट्टी की बनाई माँ, हर मर्ज़ की दवाई माँ। सीने है जिन्हे लगाती वो, करते बेटे पराई माँ। आँचल माँ का निराला है, सारी खुशियाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 389 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Feb 2022 · 1 min read गोली ******* गोली ******** ******************** नभ-थल में चल रही गोली, कानों में गूंजती गोली। बातें जब ना समझ आती, तब बोली बोलती गोली। खूनी जब खेलते होली, पिचकारी ठोकती गोली। फांसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 144 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Feb 2022 · 1 min read गोली ******* गोली ******** ******************** नभ-थल में चल रही गोली, कानों में गूंजती गोली। बातें जब ना समझ आती, तब बोली बोलती गोली। खूनी जब खेलते होली, पिचकारी ठोकती गोली। फांसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 153 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Feb 2022 · 1 min read काम कब आया *कोई कभी काम कब आया* ************************ कोई कभी काम कब आया, जोगी जहाँ जान जब आया। तन - मन तमाशा बना जग में, वो बन मदारी न तब आया। फंसा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 338 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 12 Feb 2022 · 1 min read चारपाई ****** चारपाई ******* ******************** चार पावों की चारपाई है, रोग की होती वो दवाई है। जो कभी सोते बेड अंग्रेजी, लाख बीमारी खूब पाई है। बाण से बनता ये बिछौना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 446 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 8 Feb 2022 · 1 min read लता अब न पैदा होगी धरा पर लता अब न पैदा होगी धरा पर ************************ लता थी लता सी फैली धरा पर, सदा मजलिसें महकाई धरा पर। ग़ज़ल-गीत-नग़मे गाये बहुत से, सुरों की बिखेरी शैली धरा पर।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 207 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 6 Feb 2022 · 1 min read देखा करीब से ******* देखा करीब से ********* **************************** देखा है मौत को हमने करीब से, जिंदा हैं मौज में खुद के नसीब से। अब तक सोते रहे अल्हा रहम करम, शिद्दत से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 183 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Feb 2022 · 1 min read पल दो पल ही पास तो बैठो पल दो पल ही पास तो बैठो ********************** पल दो पल ही पास तो बैठो, मत करियो उपहास तो बैठो। तीनों से खेली नहीं जाती, खेलोगे गर ताश तो बैठो।... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 142 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Feb 2022 · 1 min read करवटें बदल बदल ******* करवटें बदल-बदल******** ****************************** करवटें बदल-बदल, बीताई काली रात, नींद न अखियों में सोये नहीं सारी रात। तकिये भीगे हुए जो थे बाहों के पास, आँसू बहते रहे आँखों से... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 160 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 30 Jan 2022 · 1 min read इस कदर छा गए ***इस कदर छा गए*** ******************* वो इस कदर हैं छा गए, तन-मन भवन में भा गए। जो तुम मिले साजन हमें, आँसू ख़ुशी के आ गए। जीवन हुआ रंगीन सा,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 152 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Jan 2022 · 1 min read क्या से क्या हो गया *क्या से क्या हो गया* ***************** क्या से क्या है हो गया, पल में रास्ता खो गया। जागे हम कब नींद से, भाग्य बेफिक्र सो गया। गहरे घावों से भरी,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 161 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 29 Jan 2022 · 1 min read शर्म हया खो गई *** शर्म हया खो गई **** ********************* शर्म हया कहीं पर खो गई, कर्म दया जमीं पर सो गई। नित्य रहें सदा सब देखते, धर्म-वहम रहम को धो गई। खरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 265 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Jan 2022 · 1 min read मैं समझा नहीं ******* मैं समझा नहीं ********* **************************** उसने किया इशारा मैं समझा नहीं, हमसे किया किनारा मैं समझा नही। कुछ भी नहीं बताया सब कैसे सहा, जीना नहीं गवारा मैं समझा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 208 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Jan 2022 · 1 min read क्या दौर है ***** क्या दौर है ***** ******************* भला ये भी क्या दौर है, किसी पर भी ना जोर है। पता था बाहर कौन है, सुना पायल का शोर है। नज़र आया... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 292 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 23 Jan 2022 · 1 min read मस्तियाँ ******* मस्तियाँ ******* ********************** याद आती हैं वो मस्तियाँ, खूब बस्ती थी वो बस्तियाँ। प्यार का सागर बहता था, प्रेम की बहती थी किश्तियाँ। देखते ही हमको झट वो, जानकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 151 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 22 Jan 2022 · 1 min read अजनबी रात भर **अजनबी रात भर याद आता रहा** ***************************** अजनबी रात भर याद आता रहा, बात बातों में कुछ बात कहता रहा। बीत गई हर शाम सुनी सी तुम बिन, ख्वाब में... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 164 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Jan 2022 · 1 min read मकर-संक्रांति **** मकर-संक्रांति***** ******************** मकर-संक्रांति पर अरदास, गुड़-चीनी जैसी हो मिठास। कभी न कोई आए तूफान, पतंग जैसी हो ऊँची उड़ान। तिल लडडू मिलकर खाएं, पुलकित हर्षित पर्व मनाएं। फूलों सी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 269 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 10 Jan 2022 · 1 min read बहुत बुरा हाल घर का **बहुत बुरा हाल घर का** ********************* बहुत बुरा हाल है घर का, खाली पड़ा हाल है घर का। हैं तोड़ते नींव आलय की, नहीं बचा माल है घर का। क्यों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 295 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Jan 2022 · 1 min read शहर का पानी नमकीन है शहर का पानी नमकीन है ******************** शहर का पानी नमकीन है, नगर का वासी गमगीन है। बगल में हैं गोले दागते, मगर जीने का शौकीन है। न सोचो समझो कर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 230 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 7 Jan 2022 · 1 min read भीड़ में अकेला **** भीड़ में अकेला **** ********************* जीवन अब मंहगा सफर है, बाकी कोई नहीं कसर हैं। कोई राजी न देख कर मन, रग में दिखता भरा जहर है। वास्ता दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 152 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 5 Jan 2022 · 1 min read पहले वाली शाम नहीं *पहले वाली शाम नहीं* ******************* पहले वाली शाम नहीं, मिलते उत्तम दाम नहीं। पनपे मन में पाप सदा, मंदिर में अब राम नहीं। अनदेखा सा देख करें, बे मतलब है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 236 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 4 Jan 2022 · 1 min read ज़मीर सो गया *** जमीर सो गया *** ****************** जमीर तो है सो गया, नसीब भी है खो गया। जमीन तल से जा रही, दिलेर पल में वो गया। नसीम जब चलने लगी,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 198 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 2 Jan 2022 · 1 min read रीत निराली है **** रीत निराली है **** ******************** जगत की रीत निराली है, जनक की प्रीत निराली है। कमर को तोड़ती सदा हारें, मिले वो जीत निराली है। अशांति खोखला करे मन,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 178 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 1 Jan 2022 · 1 min read रुका रुका सा छोर है *रुका-रुका सा छोर है* ****************** निलय-निलय में चोर है, गली - गली में शोर है। समय कभी रुकता नहीं, रुका - रुका सा छोर है। छिपा हुआ मानव कहाँ, नज़र... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 392 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 28 Dec 2021 · 1 min read दिल को रुला गए **दिल को रुला गए** ****************** प्यारे तुम कहाँ गए, दिल को भी रुला गए। कुछ भी तो बचा नहीं, अस्मत तक लुटा गए। हमने ढूंढ लिया जहां, ना जाने जहाँ... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 291 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 27 Dec 2021 · 1 min read चले आओ अभी सांस बाकी है *चले आओ अभी सांस बाकी है* ************************** चले आओ अभी सांस बाकी है, करो कोशिश ज़रा आस बाकी है। गई है फुट किस्मत जहां में अब, बचा केवल तनिक नाश... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 1 214 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 26 Dec 2021 · 1 min read पास शमशान है *** पास शमशान है **** ******************** आज मन बहुत परेशान है, पास दिख रहा शमशान है। त्रासदी निकट हर मोड़ पर, रोज हो रहा नुकसान है। दाग लग रहे ईमान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 444 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 25 Dec 2021 · 1 min read खड़ा नजर आया **** खड़ा नजर आया **** ********************** खड़ा आगे वो नजर आया, घना अंधेरा पसर आया। गर्द मन की छंटती कब है, बदन मैला था निखर आया। कहा उसने तो भले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 152 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 24 Dec 2021 · 1 min read कैसी हवा चली **** कैसी हवा चली **** ********************* ये कैसी हवा चली है, दिल की खिल गई कली है। ऑंखों में भरी मयकशी है, महबूबा बहुत मनचली है। घिरते ही रहे सब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 174 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2021 · 1 min read जिगर में बसा लो ******** जिगर में बस लो ******** ****************************** मुझे आप जैसा बना लो न बालम, मुझे दिल जिगर में बसा लो न बालम। मिरे नाम के साथ तुम नाम अपना, हथेली... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 178 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 19 Dec 2021 · 1 min read मौत के मुँह में जाते बच गए *मौत के मुँह में जाते बच गए* ************************ मौत के मुँह में जाते बच गए, ख्वाब जो जीने के थे मच गए। खूब अपनों ने की मन की सदा, जो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 373 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 18 Dec 2021 · 1 min read अंदाज बदला है **** अंदाज बदला है ***** *********************** रत्नों में पुखराज बदला है, मानव का काज बदला है। कल तक था लाज़िमी सारा, जीवन में आज बदला है। बदली है गीत की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 377 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 17 Dec 2021 · 1 min read बदनाम हो गया ********* बदनाम हो गया ******* ***************************** मैं आदमी था खास पर आम हो गया, यूं इश्क में पड़ नाम बदनाम हो गया। कैसे कहूं मैं आपसे क्या मुझे मिला, ये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 262 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 16 Dec 2021 · 1 min read दिल की बताते हो नही ****** दिल की बताते हो नहीं (ग़ज़ल) ****** ** 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 2 2 1 2 ** ************************************* क्या बात है... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 148 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 15 Dec 2021 · 1 min read मौसम बदला बदला सा * मौसम बदला-बदला सा * ********************** मौसम है बदला - बदला सा, बादल भी पगला-पगला सा। सीधे मुँह बातें कब होती, साजन है झगड़ा-झगड़ा सा। लगती प्यारी आभा तेरी, मुखड़ा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 299 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 14 Dec 2021 · 1 min read ग्रन्थों का सार है गीता ***ग्रंथों का सार है गीता*** *********************** जीवन का आधार है गीता, पावन जल की धार है गीता। फल की नाहक छोड़ता चिंता, बद ख्याली संहार है गीता। स्वयं का संज्ञान... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 336 Share सुखविंद्र सिंह मनसीरत 13 Dec 2021 · 1 min read खास वजह नही है *** खास वजह नहीं है *** ********************* कोई खास वजह नहीं है, शायद ठीक जगह नहीं है। होता शोर नहीं कभी घर, अब ओर कलह नहीं है। सीना चीर मिले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 344 Share Previous Page 2 Next