suresh sangwan 230 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो फूँक से सूरज बुझाना छोड़ दो रेत की मुट्ठी बनाना छोड़ दो हो नहीं सकता जहाँ दिल से मिलना हाथ ऐसों से मिलाना छोड़ दो बाग़ में अपने रहो कोयल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 3 824 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read ज़िंदगी धुआँ -धुआँ शाम सी लगती है ज़िंदगी धुआँ -धुआँ शाम सी लगती है हर बात खास मुझे आम सी लगती है तन्हाइयों के घर मुझे छोड़ गया वो रोशनी भी अब गुमनाम सी लगती है बहका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 648 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये खुशियों के अब जाने कहाँ घराने हो गये इस दिल को मुस्कुराए हाय ज़माने हो गये नज़र रह गई तकती मौसम-ए-बरसात को बादलों के जाने अब कहाँ ठिकाने हो गये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 645 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बशर कैसे बचे बचा तो खुदा भी नहीं बशर कैसे बचे बचा तो खुदा भी नहीं ज़िंदगी कुछ इश्क़ के सिवा भी नहीं दिल-ए-बीमार का हाल यही होना था कोई दुआ भी नहीं कुछ दवा भी नहीं फक़त... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 635 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read झुकती हैं पलकें कभी उठ- उठ देखती हैं झुकती हैं पलकें कभी उठ- उठ देखती हैं हसरतें उन्हीं गलियों में चल चल देखती हैं इरादा ही है कोई ना हौसला इसमें ठोकरों से क्या गुबार उड़ -उड़ देखती... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 562 Share suresh sangwan 12 Dec 2016 · 1 min read छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने छलका दिये आंसू देखा जब सूखा हमने गुलशन इसी तरहा बाख़ूबी सींचा हमने रंग-ए-वफ़ा घुलता गया हवाओं में हाये पाया दर्द में मोहब्बत को मिटता हमने तू देख बाती नयनों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 628 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read कुछ रोज़ का बहकना है और दवा क्या है कुछ रोज़ का बहकना है और दवा क्या है बीमार- ए- इश्क़ बता तेरा मशवरा क्या है ग़लत बयानियाँ तिरी कहानी ख़त्म कर गईं हम जान ही न पाए तेरा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 535 Share suresh sangwan 10 Dec 2016 · 1 min read हर शय में ढलने की आदत डाल रखी है हर शय में ढलने की आदत डाल रखी है आज तलक याद तेरी संभाल रखी है कोई रंग भरो इसमें चुपचाप न बैठो तस्वीर-ए-उल्फ़त कब से बे-हाल रखी है मिलकर... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 8 560 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read क़ाम कुछ कर न कर बस काम की फ़िकर कर क़ाम कुछ कर न कर बस काम की फ़िकर कर हर किसी के रू-ब-रू फ़िकर का ज़िकर कर ना- समझ हैं जो समझ बैठे आसां है मंज़िल तो मिलेगी मुश्किलों... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 522 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ना इत्तेफ़ाक़ कोई ना कोई क़हर चाहिये ना इत्तेफ़ाक़ कोई ना कोई क़हर चाहिये नींद टूटे वो रु-ब-रु हों ऐसी सहर चाहिये कायनात को समझ पाउँ गीतांजली पढ़ के इक बार टेगौर का वो मुझको शहर चाहिये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 577 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read बादशाह की मात को इक्के निकल आते हैं बादशाह की मात को इक्के निकल आते हैं पक्के वादे भी जब कच्चे निकल आते हैं ये क़िताब-ए-ज़िंदगी और रिश्तों के धागे धागे टूट जाएँ तो पन्ने निकल आते हैं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 462 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read शाम ढली हम घर चले.... शाम ढली हम घर चले दिन भर मस्ती कर चले रातें लाई घर हमें सुबह हुई के फिर चले इक दूजे के साथ में छोड़ अपना डर चले नंगे पाँव... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 502 Share suresh sangwan 8 Dec 2016 · 1 min read कहानी लंबी है पर छोटा सा किरदार मैं भी रखती हूँ.. कहानी लंबी है पर छोटा सा किरदार मैं भी रखती हूँ ज़माने के साथ चल सकूँ इतनी रफ़्तार मैं भी रखती हूँ नारी हूँ मैं अपनी कहूँ ना कहूँ कोई... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 576 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो.................... इक बार मुझे भर के नज़र देख लेने दो अपनी मोहब्बत का असर देख लेने दो हर तस्वीर में मेरी तेरे ही रंग हों उन तस्वीरों को जी भर देख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 463 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है मन के मैल से उल्फ़त का जंतर टूट जाता है साहिल टूट जाये तो समंदर टूट जाता है बिखर गया तिनका तिनका आँधी के आने से गर चट्टान टकराए तो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 494 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने बग़ैर बरसे ही घटाओं को खोते हुए पाया हमने ख़ेल तमाशा ही उल्फ़त में होते हुए पाया हमने उड़ती खबरें जलती तस्वीरें अख़बारी तहरीरें हरेक शख़्स को कहीं न कहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 522 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं बिके न सच और झूठ की दुकान बहुत हैं वो इसलिए की दिल छोटा अरमान बहुत हैं घर बसाना है मुश्किल ए दौर-ए-तरक्की रहने को तो दुनियाँ में मकान बहुत... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 498 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read जहाँ इतने हैं ए दिल वहाँ एक फसाना और सही जहाँ इतने हैं ए दिल वहाँ एक फसाना और सही जीने का तेरे वादे पे एक बहाना और सही और है पानी ए दिल समंदर में आँखों के अभी आँख... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 8 473 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे.............. बुझे हुए हैं दीए तमाम मुनव्वर कर दे हसरतों को मोहब्बत का समंदर कर दे रंग-ओ-खुश्बू को मेरा हमसफ़र कर दे ज़िंदगी को अपनी याद से मो अतर कर दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 487 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read तुम साथ हो तो मेरा खुदा हो खुदाई हो तुम साथ हो तो मेरा खुदा हो खुदाई हो जीने का सामां हो दिल हो दिलरुबाई हो ये क्या कि तुम इल्ज़ाम दिए जाते हो अच्छा है सज़ा दे दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 503 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read बात- बात पर आँखें न भिगाया करो.................. बात- बात पर आँखें न भिगाया करो जैसे चलता है काम चलाया करो हमसे ना पूछो तुम हाल-ए-दिल अगर हाल -चाल अपने मगर सुनाया करो फक़त फ़तह का शौक़ निभाने... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 443 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये इतराती बलखाती अदाओं के रुख़ मोड़े गये ले जा के तूर पर सर हवाओं के फोड़े गये आने लगे थे ख़्वाब कुछ हाये दिल से उठकर मानिंद गीले कपड़े के... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 475 Share suresh sangwan 8 Dec 2016 · 1 min read मात-पिता और गुरु का मान हमेशा रखना.. मात-पिता और गुरु का मान हमेशा रखना बेटा अच्छे - बुरे का ज्ञान हमेशा रखना नरेन सुभाष टेगौर कलाम रमन के जैसे बस अपने हिन्दुस्तां की शान हमेशा रखना दुश्मन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 477 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बैठकर साहिल पे लहर का उठना देखेंगे बैठकर साहिल पे लहर का उठना देखेंगे जल उठी शमां अब परवाने का मिटना देखेंगे खोकर खुद को ए नादां तू किसको ढूँढने चला लोग शहर-शहर गली -गली तेरा लुटना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 468 Share suresh sangwan 14 Dec 2016 · 1 min read जब तलक ज़िंदगी है फूल की महकता है जब तलक ज़िंदगी है फूल की महकता है जलता जितना है सोना आग में संवरता है --सुरेश सांगवान 'सरू' Hindi · शेर 2 1 447 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read दुनियां तेरी भीड़ में शामिल मैं भी हूँ........................... दुनियां तेरी भीड़ में शामिल मैं भी हूँ तेरी तरहा दर्दो को हासिल मैं भी हूँ इक अपना ख्याल रखा होता तो काफ़ी था क्यूँ लगता था किसी का साहिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 2 454 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read ज़बरन ही हामी भराई गई थी ज़बरन ही हामी भराई गई थी शादी के मंडप बिठाई गई थी अजीब सी हालत थी दिल की मगर मुस्का कर फोटो खिचाई गई थी ज़बान- ओ -आँखे रखी बंद... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 446 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा अपना ही शहर आज मुझे बेगाना क्यूँ लगा मेरी ग़रीबी की हक़ीक़त अफ़साना क्यूँ लगा प्यार सदा से था इसमें दिल ही ऐसा पाया है वो जो मेरा दिलबर था... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 449 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read रुकती साँसों को ठहरने ना दिया अब तक रुकती साँसों को ठहरने ना दिया अब तक क्यूँ मैने खुद को मरने ना दिया अब तक टूटे हैं तो क्या मगर अभी भी दिल में है ख्वाबों को दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 442 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read देखा है सहरा और-- समंदरों को भी......................... देखा है सहरा और-- समंदरों को भी इन नज़रों ने देखा है --उन नज़रों को भी मोहब्बत करके ---देखो मंज़रों को भी नज़र अंदाज़ ना करना --मशवरों को भी धूप... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 418 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read दिल ये मेरी नज़र कर दे दिल ये मेरी नज़र कर दे मुझको मेरी ख़बर कर दे दीवाना तुझको सदा रखूं मुझमें ऐसा हुनर कर दे जब- जब याद तेरी आये गुलो-ख़ुश्बू सा असर कर दे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 424 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read यूँ ना समझें कि वो ही हमको भुला बैठे हैं यूँ ना समझें कि वो ही हमको भुला बैठे हैं तमाम चराग़-ए-हसरत हम भी बुझा बैठे हैं लब पे आ जाए जो ग़ज़ल बनकर वक़्ते-फुरसत यूँ समझो बात अपने दिल... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 452 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read सिवा तिरे मेरी दुनियाँ में कोई कमी नहीं है सिवा तिरे मेरी दुनियाँ में कोई कमी नहीं है जब उठा है कदम तो पाँव तले ज़मीं नहीं है यूँ मीठे गीत गाते हो ज्यों गाती है हयात कोई साज़-... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 425 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read जानेवाले को बुलाया भी जा सकता है जानेवाले को बुलाया भी जा सकता है रूठा है तो क्या मनाया भी जा सकता है जहाँ में कौन परबत है इंसान महफ़िल से उठ भी सकता है उठाया भी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 424 Share suresh sangwan 8 Dec 2016 · 1 min read चली रोशनी की बात हवाओं के साथ साथ.. सुनी हैं मैनें कहानियाँ ये जबां जबां से हां अच्छे हैं हम इससे उससे फलां फलां से था सीधा सा रास्ता अपना मंज़िल थी आसां और होके आए हैं रब... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 444 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read बज़म-ए-दुनियाँ से दूर कहीं ले चल बज़म-ए-दुनियाँ से दूर कहीं ले चल महकते गुल का सुरूर कहीं ले चल ख्वाहिश-ए-जन्नत है यार मुझे भी इस मोहब्बत का नूर कहीं ले चल धड़कन भी दिल में जाना... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 445 Share suresh sangwan 26 Nov 2016 · 1 min read जब वजह न बची कोई बुलाने की तुम्हें.............. जब वजह न बची कोई बुलाने की तुम्हें हर तरह से की कोशिश भुलाने की तुम्हें लौट कर ना आयेगा किसी तौर ए दिल वो क्या पड़ी है अब दीये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 435 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read प्यास का मतलब ये पानी ही समझते हैं प्यास का मतलब ये पानी ही समझते हैं बात दुनियाँ वाले पुरानी ही समझते हैं रोज़ मरते हैं जीने की ख्वाहिश में लोग यहाँ मौत को भी ज़िंदगानी ही समझते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 429 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read दुनियाँ-ए- महफ़िल में हँसना हँसाना जान गये दुनियाँ-ए- महफ़िल में हँसना हँसाना जान गये हम अपने दर्द छिपाकर मुस्कुराना जान गये तमन्ना थी चाँद तारों में हो अपना भी हिस्सा जहाँ-ए-हकिक़त में मुफ़लिस का ख़ज़ाना जान गये... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share suresh sangwan 5 Dec 2016 · 1 min read इक महकते गुल ने गुलाब भेजा है... इक महकते गुल ने गुलाब भेजा है एक दो नहीं पूरा सैलाब भेजा है हर शख़्स बस उसकी मिसाल देता है क्या खूब रब ने देकर शबाब भेजा है इस... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 415 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो ज़ुल्फ़ो के पेच-ओ-ख़म में गिरफ़्तार रहने दो तीर- ए- नज़र ही काफ़ी है तलवार रहने दो ठोक़रों ने सिखा दी दुनियाँदारी अच्छी हाय सच अधूरे छापें हैं अख़बार रहने दो... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 393 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read वतन के बच्चे किधर जा रहे बताओ तो सही वतन के बच्चे किधर जा रहे बताओ तो सही मां-बाप को कोई रास्ता दिखलाओ तो सही क़िताबों की दुनियां ने छीन लिया इनसे बचपन ज़मीन-ए-हक़ीकत से आशना कराओ तो सही... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 541 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read मोहब्बत की तुमसे रवानी चली है मोहब्बत की तुमसे रवानी चली है अब जाके मिरि जिंदगानी चली है मसला हमसफ़र का हो या मंज़िल का बात वही फिर से पुरानी चली है लाई कहाँ से हौसले... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 387 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे या खुदा कुछ भी मेरी क़िस्मत का कर दे रस्ता मोहब्बत से मिरे घर का कर दे मुझे खिड़की से बुलाए है चाँद रात को दिन कोई मुक़म्मल मुलाकात का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 395 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी नहीं उम्र भर तबियत कुछ देर बहल जाएगी तमन्ना -ए-दिल है जहाँ फिर मचल जाएगी वो परबत ज़रूर है पर पत्थर का नहीं दिखेगी आँच ज़रा और बर्फ़ पिघल जाएगी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 411 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही अय हमसुखन वफ़ा का तक़ाज़ा है अब यही मैं छोड़ दूं तेरा शहर जो तू कहे गली क्यूंकर यकीन आये मुहब्बत का हमनशीं कोई खिला ना फूल ना दिल की... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 374 Share suresh sangwan 11 Dec 2016 · 1 min read तमाम जिस्म की नज़र बना के देखिये हुज़ूर तमाम जिस्म की नज़र बना के देखिये हुज़ूर दुनियाँ-ए-नज़र सि नज़र बचा के देखिये हुज़ूर क्या इम्तिहान-ए-ज़ब्त अगर वो सामने नहीं रु-ब-रू दिल पर क़ाबू रख के देखिये हुज़ूर नुक्ताचीन्... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 396 Share suresh sangwan 28 Nov 2016 · 1 min read पास आने नहीं देते पास आने नहीं देते मुस्कुराने नहीं देते बोझ ज़िम्मेदारियों के सर उठाने नहीं देते ख्वाब नींद का मुझे दर खटखटाने नहीं देते कह चले अपनी मुझे तो कुछ सुनाने नहीं... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 402 Share suresh sangwan 29 Nov 2016 · 1 min read क्या कहूँ किसी एक को दिल ये ज़रा-ज़रा सबने तोड़ा क्या कहूँ किसी एक को दिल ये ज़रा-ज़रा सबने तोड़ा कुछ थे मेरे अपने और ज़रा- ज़रा रब ने तोड़ा देखा है जब भी ग़ौर से इनसां को मैने किसी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 1 385 Share suresh sangwan 8 Dec 2016 · 1 min read अपने हिस्से की चाहिये अब जिंदगी मुझे.. अपने हिस्से की चाहिये अब जिंदगी मुझे दिखाती है सच साफ़ इल्म की रोशनी मुझे तन्हाई में पाती है तो चली आती है चाहती है कब से जाने ये शायरी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 448 Share Page 1 Next