प्रतीक सिंह बापना Language: Hindi 43 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid प्रतीक सिंह बापना 2 Dec 2017 · 1 min read एक कविता एक कविता थी मेरे अंदर मर सी गयी जल्द ही मैं शब्दों की धूल हटाते उन्हें खुद से अलग कर गया तस्वीरों से शब्दों को जोड़कर कविता तेरी लिख रहा... Hindi · कविता 1 588 Share प्रतीक सिंह बापना 27 Nov 2017 · 1 min read मैं घर हूँ मैं हूँ वो बस स्टॉप जिसे बारिश के बाद तुम छोड़ जाते हो मैं हूँ वो समंदर का किनारा जिसे सूरज ढलने के बाद तुम छोड़ जाते हो मैं हूँ... Hindi · कविता 237 Share प्रतीक सिंह बापना 26 Nov 2017 · 1 min read काला आसमान क्या हो जब आसमान अपने रंगों से हो ख़फ़ा अपने लाल नीले रंगों को काली सफ़ेद स्याही में भिगो देगा सब कुछ काला और धूसर क्या तब भी तुम उसकी... Hindi · कविता 2 596 Share प्रतीक सिंह बापना 13 Nov 2017 · 1 min read आज से दस साल बाद आज से कुछ दस साल बाद हम कुछ अलग से होंगे अलग ही लोगों जैसे मैं शायद रोज़ फ़ोन नहीं करूंगा ना तुम्हारी ड्रेस के रंगों पे गौर करूँगा हमारी... Hindi · कविता 1 402 Share प्रतीक सिंह बापना 24 Sep 2017 · 1 min read शायद शायद किसी दिन मैं उस भीड़ भरे कमरे के उस पर देख पाऊंगा वो जानी पहचानी सी आंखें और बस फिर दिल नहीं धड़केगा और ना ही तब किसी चमत्कार... Hindi · कविता 295 Share प्रतीक सिंह बापना 19 Aug 2017 · 1 min read अब तेरी क़ब्र पर रखे फूल मुरझाने लगे थे अब और मेरे आंसू भी तो सूखने लगे थे अब तेरा ग़म ही तो अब मुझमे बाकी था कहीं जो सिसकियों को... Hindi · कविता 1 314 Share प्रतीक सिंह बापना 19 Aug 2017 · 1 min read बन्द दरवाजों के पीछे मैं दरवाज़े खुल्ले रखता हूँ कि लोग घर में मेरे आ सके हवा को अपनी खुशबू से हंसी से घर रोशन कर सके मेरे संग तराने गुनगुनाएं सब मेरे साज़... Hindi · कविता 312 Share प्रतीक सिंह बापना 20 Jul 2017 · 1 min read हम = तुम हम अल्लाह तुम राम हम गीता तुम क़ुरान हम मस्ज़िद तुम मंदिर हम काशी तुम मदीना हम जले तुम बुझे तुम जले हम बुझे हम बढ़े तुम घटे तुम बढ़े... Hindi · कविता 572 Share प्रतीक सिंह बापना 7 Jul 2017 · 1 min read सब कुछ तेरा सितारों का टिमटिमाना चांद का यूँ मुस्कुराना इंद्रधनुष का सतरंगी झूला और दोपहर तक सोते जाना ना कहीं जंग की खबरें रंगों से भरी कुछ तस्वीरें सुबह की चाय के... Hindi · कविता 1 1 342 Share प्रतीक सिंह बापना 2 Jul 2017 · 1 min read मैं हूँ सारे इंतज़ार की जड़ मैं हूँ हर ज़रूरत की तलब मैं हूँ गुज़रते हुए लम्हे की एक सोच दिल मे जो घर कर जाए, मैं हूँ दो साँसों के बीच... Hindi · कविता 371 Share प्रतीक सिंह बापना 27 Jun 2017 · 1 min read मैं और तुम हम कुछ बिना सोचे समझे से हैं तय किये बिना ही मिले से हैं मैं और तुम दो कंधों से हैं रोते हुए एक दूसरे को चुप कराने के लिए... Hindi · कविता 567 Share प्रतीक सिंह बापना 7 Jun 2017 · 1 min read खोये हैं हम कैसी ये बात है कि खोये हैं दोनों ही हम तुम मेरे लफ़्ज़ों में और मैं तुम्हारी आँखों में वो दिन याद करते हैं दोनों ही हम जब वक़्त नापा... Hindi · कविता 428 Share प्रतीक सिंह बापना 4 Jun 2017 · 1 min read हमसफ़र एक ख़्वाब ही था तुम्हें पाना जीवन में था हमेशा से ये डर जो तुम्हें ना पाया मैंने मुश्किल हो जाएगी जीवन डगर आज तुमको जो पाया है मन में... Hindi · कविता 306 Share प्रतीक सिंह बापना 28 May 2017 · 1 min read बारिश की तरह मेरे दिल ने तुझे हमेशा देखा है बारिश की तरह नाचने को मजबूर करती है तेरी मौजूदगी आँसू भी दे जाती है जिस तरह लंबी गर्मियों के बाद सुकून लाती... Hindi · कविता 273 Share प्रतीक सिंह बापना 22 May 2017 · 1 min read तुम तुम्हारे सुबह के मैसेज की उम्मीद में अब आंख नहीं खुलती मेरी ना ही मोमबत्तियों और गुलाब से सजी टेबल होती है रात के खाने की अब करवट नहीं बदलता... Hindi · कविता 358 Share प्रतीक सिंह बापना 22 May 2017 · 1 min read आज मैंने जो तुझे मुझे जोड़ता था वो बंधन तोड़ दिया आज मैंने मैं तेरी मंज़िल था ही नहीं कभी ये बात मान ली आज मैंने तुझसे दूर जाने से पहले तेरे... Hindi · कविता 258 Share प्रतीक सिंह बापना 19 Mar 2017 · 1 min read कितना खूबसूरत जहाँ है मैं हरे बाग देखता हूँ, लाल गुलाब भी खिलते हुए उन्हें तेरे और मेरे लिए मैं सोचता हूँ कितना खूबसूरत जहाँ है मैं नीला आसमान देखता हूँ, सफ़ेद बादल भी... Hindi · कविता 457 Share प्रतीक सिंह बापना 10 Mar 2017 · 1 min read यही तो मैं चाहता हूँ नयी उम्मीद का उजाला ना शांत हो वो ज्वाला प्यार के कुछ शब्द निश्चय एक सुदृढ़ एक उजली सी मुस्कान एक ख़्वाबों की डगर सर्दियों की सर्द रातों में प्यारा... Hindi · कविता 271 Share प्रतीक सिंह बापना 10 Mar 2017 · 1 min read साथी जीवन के सफ़र में उतार चढ़ाव तो हैं न चाहते हुए भी कदम वहां बढ़ जाते हैं जहाँ कोई अपने भावों से मन मोह लेता है धीरे धीरे मन में... Hindi · कविता 458 Share प्रतीक सिंह बापना 10 Mar 2017 · 1 min read ख़्वाबों में ख़्वाब मेरी पलकों को चूमते हुए तेरे होठों ने अलविदा कह मुझसे मैंने इज़हार तो करना चाहा पर सच कह ना पाया तुझसे कि मेरे दिन तेरे बिन ज्यों ख़्वाब हो... Hindi · कविता 228 Share प्रतीक सिंह बापना 10 Mar 2017 · 1 min read मैं तुम्हारा नहीं मैं तुम्हारा नहीं, ना ही तुम में खोया चाहते हुए भी मैं तुम्हारा नहीं दुपहरी में जलते दिए की तरह समंदर में बर्फ के एक टुकड़े की तरह खो सा... Hindi · कविता 201 Share प्रतीक सिंह बापना 27 Feb 2017 · 1 min read समंदर के उस पार कुछ अजीब अनजान सा है ये समंदर कुछ पंछी कही दूर, कुछ खोये हुए से मैं याद नहीं करता, ना ही उन्हें सोचता उन्हें याद करना भी तो अजीब है... Hindi · कविता 335 Share प्रतीक सिंह बापना 27 Feb 2017 · 1 min read आवारा बादल तन्हा भटकता आवारा बादल सा मैं वादियों-पहाड़ों के ऊपर से गुजरता हुआ देखता हूँ लोगों के एक झुण्ड को फूलों के उस बगीचे में, झील किनारे पेड़ों के पास नाचते... Hindi · कविता 665 Share प्रतीक सिंह बापना 28 Jan 2017 · 1 min read मैं उड़ता रहूँगा, उठता रहूँगा इतिहास के पन्नों में लिख दो या अपने झूठे सच्चे शब्दों से मेरे चेहरे पर कीचड़ मल दो मैं उड़ता रहूँगा, उठता रहूँगा उस धूल, उस धुंए की तरह क्यों... Hindi · कविता 253 Share प्रतीक सिंह बापना 22 Jan 2017 · 1 min read तुझे शायद पता ही नहीं तुझे शायद पता ही नहीं किस तरह जीता हूँ तुझे मैं सुबह शाम दिन रात हर पल तेरी यादों के साये में रहता हूँ मैं आँखें बंद करता हूँ तो... Hindi · कविता 285 Share प्रतीक सिंह बापना 29 Dec 2016 · 1 min read काश मैं उसे फिर देख पाऊँ कक्षा की खिड़की से बाहर मैंने आज उसे खड़े देखा कुछ परेशान सा चेहरा था वो कुछ अनजान सा कुछ खोजता हुआ, उधेड़बुन में लगा वो चेहरा जो सारे ग़म... Hindi · कविता 338 Share प्रतीक सिंह बापना 2 Dec 2016 · 1 min read जीवन बेहतर है जीवन से निराश एक शाम मैं नदी किनारे बैठा सोचने की कोशिश नाकाम मैं नदी मैं कूद पड़ा मैं छटपटाया, मैं चिल्लाया एक बार, दो बार उपर को आया जो... Hindi · कविता 334 Share प्रतीक सिंह बापना 30 Nov 2016 · 1 min read बोझ वो जिन्हें तुम जानते हो वो जिनसे तुम मिलते हो वो भी अपने साथ ढोये हुए हैं बोझ वो अपने साथ खींचते हुए जहाँ से लड़ते हुए जहाँ से इसके... Hindi · कविता 1 856 Share प्रतीक सिंह बापना 3 Oct 2016 · 1 min read मेरे देश का किसान गर्मियों की ढलती शाम को उसके बदन पर जमी मिट्टी कपड़ो से कुछ साफ़ हुई सी दिखती है हाथ उसके भूरे काले जैसे की पेड़ के तने से लटकी हुई... Hindi · कविता 510 Share प्रतीक सिंह बापना 18 Sep 2016 · 1 min read आज फ़िर तेरी याद ने आज फ़िर तेरी याद ने वो खोया हुआ पल लौटा दिया आज फ़िर तेरी याद ने वो उलझा हुआ कल सुलझा दिया याद है वो लम्हा मुझे जब तुझसे पहली... Hindi · कविता 449 Share प्रतीक सिंह बापना 18 Sep 2016 · 1 min read तुझे शायद पता ही नहीं तुझे शायद पता ही नहीं किस तरह जीता हूँ तुझे मैं सुबह शाम दिन रात हर पल तेरी यादों के साये में रहता हूँ मैं आँखें बंद करता हूँ तो... Hindi · कविता 349 Share प्रतीक सिंह बापना 11 Sep 2016 · 1 min read बेबस यादें कभी खुशनुमा, कभी दुखभरी भावनाएं हर तरह की बढ़ती उम्र के साथ बातें बदलती हुई कुछ खुशनुमा पल याद आये कभी और कुछ यादें आँखें नम करती हुई अपनी किस्मत... Hindi · कविता 390 Share प्रतीक सिंह बापना 5 Sep 2016 · 1 min read प्यार काफ़ी है मानता हूँ कि इस संसार में कई खामियां हैं पर प्यार काफी है सब दूर करने के लिये इन शाखों में कोई लफ्ज़ नहीं हैं और जो हैं तो सिर्फ़... Hindi · कविता 335 Share प्रतीक सिंह बापना 31 Aug 2016 · 1 min read मैं तुम्हें फिर मिलूंगा मैं तुम्हें फिर मिलूंगा, कहाँ, कैसे, कुछ पता नहीं शायद तुम्हारे ख्यालों का एक कतरा बनकर या तुम्हारी किताबों के पन्नों पे उतर कर मैं तुम्हें तकता रहूँगा शायद सूरज... Hindi · कविता 3 556 Share प्रतीक सिंह बापना 13 Jul 2016 · 1 min read ठीक है... ठीक है अगर आज तुम बहुत थक गए हो, इतना की कुछ भी ना कर सको. ठीक है अगर आज तुम सारे काम से, लोगों से दूर जाना चाहते हो.... Hindi · लेख 6 752 Share प्रतीक सिंह बापना 26 Jun 2016 · 1 min read मैं और मेरे चार यार मैं और मेरे चार यार कुछ किस्से मस्ती भरे कुछ नोक झोक, कुछ तकरार कुछ गीत पुराने बजते थे कुछ सपने सुहाने सजते थे शाम सुबह कब होती थी ये... Hindi · कविता 456 Share प्रतीक सिंह बापना 1 Jun 2016 · 1 min read दृढ़ निश्चय ऐ मन तू जिसे खोजता है वो तेरे भीतर ही तो कही छुपा है वो जिसे तू मन से चाहता है तुझ में ही तो रचा बसा है आवाज़ जो... Hindi · कविता 2k Share प्रतीक सिंह बापना 29 May 2016 · 1 min read जाने कैसे जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी कागज़ की कश्तियों से खेलते हुए कब दो वक़्त की रोटियाँ जुटाने में लग गयी जाने कैसे ये ज़िन्दगी बदल गयी वो बरसात के... Hindi · कविता 520 Share प्रतीक सिंह बापना 24 May 2016 · 1 min read नयी सुबह नयी भोर समंदर के किनारे पर बैठे हुए निराश सूरज को डूबते हुए देखकर सोचता हूँ ज़िंदगी भी क्या रंग लाती है सरसों सा पीला कभी, चटख लाल फिर और अंधेरी काली... Hindi · कविता 1 1 995 Share प्रतीक सिंह बापना 22 May 2016 · 1 min read मेरी कहानियाँ कुछ यूँ ही मेरी कहानियाँ कुछ यूँ ही बहती निशानियाँ शब्दों में खुशियाँ भी हैं इनमे तो तोड़ा ग़म भी है आती है हँसी कुछ चेहरो पर इनसे इनसे कुछ आँखें नाम भी... Hindi · कविता 496 Share प्रतीक सिंह बापना 19 May 2016 · 1 min read ज़िन्दगी दीवारों के पीछे से बंद दरवाज़ों के बीच हल्की सी जगह से झांकती ज़िंदगी मुझसे पूछती है आज क्यों हूँ मैं बंद यहाँ इस अँधेरे कमरे में क्यों खुद को... Hindi · कविता 1 590 Share प्रतीक सिंह बापना 17 May 2016 · 1 min read अनकही बातें कहने को यूँ दिल में थीं होंठों पर ठहरी हुईं कुछ अनकही बातें लफ़्ज़ों में पिरोई हुई कागज़ पर उतरी नहीं हुईं दफ़न सीने में कही कुछ अनकही बातें ख्वाबों... Hindi · कविता 1 790 Share प्रतीक सिंह बापना 16 May 2016 · 1 min read तू, मैं और तनहाईयाँ… ये रात का नशा धुआँ धुआँ आशना इश्क़ फैला सब जगह डूबें हैं इसमें सभी तू, मैं और तनहाईयाँ… और कोई नहीं यहाँ ये अकेला कारवाँ घुम है मंज़िल का... Hindi · कविता 3 688 Share