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19 Aug 2017 · 1 min read

बन्द दरवाजों के पीछे

मैं दरवाज़े खुल्ले रखता हूँ
कि लोग घर में मेरे आ सके
हवा को अपनी खुशबू से
हंसी से घर रोशन कर सके

मेरे संग तराने गुनगुनाएं सब
मेरे साज़ से ताल मिलाएं सब

पर जब सर्द हवाएं चलती है
और घर मे ठंडक बढ़ती है
कुछ जल्दी और कुछ देर से
सब अपने घरों को चले जाते हैं

अब बर्फ़ के गिरते रेशों को
और चाय की गर्म एक प्याली को
मैं थाम के अपने हाथों में
मैं हंसता हूँ, खुश होता हूँ

–प्रतीक

Language: Hindi
263 Views
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