काश असल पहचान सबको अपनी मालूम होती,
नींद का चुरा लेना बड़ा क़ातिल जुर्म है
*प्रश्नोत्तर अज्ञानी की कलम*
बाल कविता: 2 चूहे मोटे मोटे (2 का पहाड़ा, शिक्षण गतिविधि)
हा मैं हारता नहीं, तो जीतता भी नहीं,
वक्त क्या बिगड़ा तो लोग बुराई में जा लगे।
*अज्ञानी की कलम*
जूनियर झनक कैलाश अज्ञानी झाँसी
हम हमारे हिस्से का कम लेकर आए
चाहे किसी के साथ रहे तू , फिर भी मेरी याद आयेगी
मुझे सहारा नहीं तुम्हारा साथी बनना है,
मोहब्बत से जिए जाना ज़रूरी है ज़माने में
बरसातें सबसे बुरीं (कुंडलिया )
सबका वह शिकार है, सब उसके ही शिकार हैं…
नकारात्मक लोगो से हमेशा दूर रहना चाहिए