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10 Mar 2017 · 1 min read

ख़्वाबों में ख़्वाब

मेरी पलकों को चूमते हुए
तेरे होठों ने अलविदा कह मुझसे
मैंने इज़हार तो करना चाहा
पर सच कह ना पाया तुझसे

कि मेरे दिन तेरे बिन
ज्यों ख़्वाब हो रातों के बिन
क्या खो दिया मैंने तुझे खोकर
बस यूँ ही लगता है मुझे
ख़्वाबों में ख़्वाब देखता हूँ हर दिन

लहरों के शोर के बीच में मैं
सुनहरी रेत हाथों में थामता हूँ
बंद मुठ्ठी से बहती हुई समय की धार सी
कण कण बिखरत हुए देखता हूँ

क्यों ना थाम सकता हूँ मैं
वो पल जो तेरे साथ में बीते
रेत की तरह बिखर जाते हैं मेरे
ख़्वाबों में ख़्वाब हर दिन

–प्रतीक

Language: Hindi
195 Views
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