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एक कविता
प्रतीक सिंह बापना
मैं घर हूँ
प्रतीक सिंह बापना
काला आसमान
प्रतीक सिंह बापना
आज से दस साल बाद
प्रतीक सिंह बापना
शायद
प्रतीक सिंह बापना
अब
प्रतीक सिंह बापना
बन्द दरवाजों के पीछे
प्रतीक सिंह बापना
हम = तुम
प्रतीक सिंह बापना
सब कुछ तेरा
प्रतीक सिंह बापना
मैं हूँ
प्रतीक सिंह बापना
मैं और तुम
प्रतीक सिंह बापना
खोये हैं हम
प्रतीक सिंह बापना
हमसफ़र
प्रतीक सिंह बापना
बारिश की तरह
प्रतीक सिंह बापना
तुम
प्रतीक सिंह बापना
आज मैंने
प्रतीक सिंह बापना
कितना खूबसूरत जहाँ है
प्रतीक सिंह बापना
यही तो मैं चाहता हूँ
प्रतीक सिंह बापना
साथी
प्रतीक सिंह बापना
ख़्वाबों में ख़्वाब
प्रतीक सिंह बापना
मैं तुम्हारा नहीं
प्रतीक सिंह बापना
समंदर के उस पार
प्रतीक सिंह बापना
आवारा बादल
प्रतीक सिंह बापना
मैं उड़ता रहूँगा, उठता रहूँगा
प्रतीक सिंह बापना
तुझे शायद पता ही नहीं
प्रतीक सिंह बापना
काश मैं उसे फिर देख पाऊँ
प्रतीक सिंह बापना
जीवन बेहतर है
प्रतीक सिंह बापना
बोझ
प्रतीक सिंह बापना
मेरे देश का किसान
प्रतीक सिंह बापना
आज फ़िर तेरी याद ने
प्रतीक सिंह बापना
तुझे शायद पता ही नहीं
प्रतीक सिंह बापना
बेबस यादें
प्रतीक सिंह बापना
प्यार काफ़ी है
प्रतीक सिंह बापना
मैं तुम्हें फिर मिलूंगा
प्रतीक सिंह बापना
ठीक है...
प्रतीक सिंह बापना
मैं और मेरे चार यार
प्रतीक सिंह बापना
दृढ़ निश्चय
प्रतीक सिंह बापना
जाने कैसे
प्रतीक सिंह बापना
नयी सुबह नयी भोर
प्रतीक सिंह बापना
मेरी कहानियाँ कुछ यूँ ही
प्रतीक सिंह बापना
ज़िन्दगी
प्रतीक सिंह बापना
अनकही बातें
प्रतीक सिंह बापना
तू, मैं और तनहाईयाँ…
प्रतीक सिंह बापना