ईश्वर दयाल गोस्वामी 245 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Aug 2017 · 2 min read ज्ञान का भ्रम जो अज्ञानी व्यक्ति है वह ज्ञानवान व्यक्ति का शत्रु नहीं हो सकता बल्कि जो ज्ञान होने का दिखावा करता है कि मै ज्ञानी हूँ उसका यह भ्रम ही उसके ज्ञान... Hindi · लेख 6 7 8k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 31 Jan 2017 · 1 min read अपने बेटे के लिए ( समकालीन कविता ) बेटे ! मेरी रफ़्तार के लिए तब्दील होते थे दुनियाँ की तमाम रफ़्तारों में मेरे पिता । कई बार सुख का तमाम आनंद महसूस करने के बाबजूद दुख के महासमुद्र... Hindi · कविता 4 4 3k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Dec 2016 · 1 min read जंगली और पालतू कुत्ते की मित्रता (व्यंग्य- कविता) जंगल से इक आया कुत्ता । बूटी मुँह में दाबे कुत्ता । उसे देखकर भौंका कुत्ता । जंगल के फिर उस कुत्ते को, इस कुत्ते ने मित्र बनाया । मालिक... Hindi · कविता 4 8 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 19 Nov 2016 · 1 min read अपेक्षायें भाईयों-बहिनों को चाहिए, भाई ज़िम्म़ेवार। माता-पिता को पुत्र पूरा। समाज को इंसान जो जिए दूसरों के लिए । देश को चाहिए सच्चा देशभक्त । मित्रों को चाहिए मित्रता अनपेक्षित सहयोग... Hindi · कविता 2 10 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Dec 2016 · 1 min read अपनी बिटिया के लिए । चौपाई आधारित गीतिका । 16,16 मात्राओं की यति पर चार चरण। अतिप्रिय मेरी चपल बालिका । अंक-गणित की अंक-तालिका। उचित रसायन यह जीवन का , यही भौतिकी मनोभाविता । हिन्दी... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 12 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 25 Dec 2016 · 1 min read नोट-बंदी हर तरह से हर गति अब आज मंदी हो गई । जब से मेरे देश में ये , नोट-बंदी हो गई । मिट्टी के भाव से बिकता है किसानों का... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 5 12 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 21 Nov 2016 · 1 min read समझौता लड़की, बीड़ी की टोकरी लिए जाती है, कारख़ाने रोज़-ब-रोज़ । ठेकेदार घूरता है उसे श्वान की तरह, ताकता है, उसकी देहयष्टि । जैसे कि- लड़की बीड़ी है, या बीड़ी ही... Hindi · कविता 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 17 Mar 2017 · 1 min read फाग गीत आओ मिलकर गाएं फाग । छेड़ें समरसता का राग । । हुए बहुत दिन लड़ते-लड़ते , बात-बात पर खूब झगड़ते । लेकिन बात बनी न अब तक, फिर क्यों ?... Hindi · गीत 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Nov 2016 · 1 min read कभी-कभी कभी-कभी ढोना पड़ती है पृथ्वी अपने ही कंधों पर । अपने लिए नहीं, समाज की रक्षा के लिए । कभी-कभी बाँधना पड़ता है आकाश को भी सीमाओं में । क्षितिज... Hindi · कविता 4 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 17 Nov 2016 · 1 min read सरस्वती वंदना वीणावादिनी तू जन-मन में देशभक्ति भर दे । दुर्बल आत्मनिर्भर हो जाएँ ऐंसी शक्ति भर दे। नई-नई कोमल कलियों को खिलने का पूरा अवसर हो । राष्ट्र बने मजबूत विश्व... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 10 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 31 Dec 2016 · 1 min read आदमी (नवगीत) नवगीत श्याम-पट पर अक्षरों-सा नहीं चमकता आदमी । अक्षरों पर श्याम-पट-सा काला दिखता । ज़हर ज़माने का काग़ज पर है यह लिखता । अंधकार में जुगनू जैसा नहीं दमकता आदमी... Hindi · गीत 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Jan 2017 · 1 min read बेटियाँ दो नदियों का मेल कराती हैं बेटियाँ । प्यार की धारा ही बहाती हैं बेटियाँ । संजीदगी से करती हैं कठनाईयों को पार सहयोग का दस्तूर चलाती हैं बेटियाँ ।... "बेटियाँ" - काव्य प्रतियोगिता · ग़ज़ल/गीतिका · बेटियाँ- प्रतियोगिता 2017 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 6 Nov 2016 · 1 min read आँसू दृगों से छलकता नीर ही परिचय नहीं है,तुम्हारा । त्रासदी के क्षणों में निकले जल-बिंदु भी नहीं बता सकते, तुम्हारा रूप व सौंदर्य । प्रसन्नता की स्वर-लहरी में तुम निकलते... Hindi · कविता 2 7 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 10 Nov 2016 · 1 min read प्रधानमंत्री या सेवक मेरे नहीं है कोईआगे। मेरे नहीं है कोईपीछे। भारतमाता की रक्षा में, इसीलिए हूँ आगे-आगे । पीछे केवल प्यार आपका, जो मुझको संबल देता है, यही भरोसा , यही प्यार... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 26 Jun 2017 · 2 min read आव बैठ ले मजले कक्का (बुंदेली कविता) आव बैठ ले मजले कक्का हते कहाँ तुम ? तुमसें मिलें जमानों हो गव । ऊँसई सूके कुआ बाबरी , ऊँसई नदिया नारे । बिखरे हैं रसगुल्ला जलेबी, डरे करैया... Hindi · कविता 6 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 29 Jun 2019 · 1 min read श्रृंगार के दोहे (1) रूपसि तेरे रूप से , दर्पण भी शर्माए । किरणों के आवेग से, कहीं चटक न जाए ?? (2) सुंदर का श्रृंगार जब , सुंदरता से होय । हर... Hindi · दोहा 6 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 11 Dec 2016 · 1 min read आज दुनियाँ बन गई बाजार है. (गीतिका) गीतिका छंद-आनंद-वर्धक, मापनी- २१२२,२१२२,२१२ । (गालगागा,गालगागा,गालगा) सीमान्त- आर, पदान्त- है । गीतिका आज दुनियाँ बन गई बाजार है । आदमी को लाभ की द़रक़ार है । भाड़ में जाए धरम,... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 8 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 1 Jan 2017 · 1 min read ग़ुजरा साल पुराना नई-नई सौगातें देकर, ग़ुजरा साल पुराना । नोटों को भी बंद करा कर , बाजारों को मंद करा कर । नयी व्यवस्था की कोशिश में, तुगलकी फ़रमान दिला कर ।... Hindi · गीत 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (1) बात कविता की हो, या जीवन के किसी भी पहलू की । हर क्षण की शुऱुआत से पहले ज़िक्र तुम्हारा होता है। तुम्हें पाये बिना या तुम्हें खोजे बिना ,... Hindi · कविता 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 15 Nov 2016 · 1 min read किवाड़ या भय ये केवल किवाड़ नहीं हैं । ये जब बोलते हैं , तो सहम जाती है माँ । ये जब हिलते हैं तो ठिठक-से जाते हैं पिता । इनका बंद रहना... Hindi · कविता 5 18 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 25 Nov 2016 · 1 min read मेरा हर्ष मनाया जाए (शाश्वत-गीत) जिस दिन मैं दुनियाँ से जाऊँ, मेरा हर्ष मनाया जाए। हुए बहुत दिन जिंदा रहते, अब तो मरना ही होगा । साँसों के आने-जाने को, अब तो थमना ही होगा।... Hindi · गीत 3 14 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Nov 2016 · 1 min read मुक्तक कहना मेरा मानो , तो कोई बात बने । कुछ करने की ठानो, तो कोई बात बने। यूँ तो पहचानते हैं,लोग यहाँ लोगों को , पर तुम खुद को जानो,तो... Hindi · मुक्तक 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 16 Nov 2016 · 1 min read तुम और पक्षी तुम्हें अच्छी नहीं लगती, पक्षियों की स्वच्छंद उड़ान, क्योंकि-तुम उड़ ही नहीं सकते। तुम्हें भाता नहीं है, पक्षियों का निडर होकर चहकना । क्योंकि-तुम जहाँ गंभीर हो, वहाँ महज़ दिखावा... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी से हटकर यदि हम , कुछ पाना चाहते हैं तो वह यह कि- हम पाना नहीं चाहते अपने ही भीतर खोया हुआ आदमी. । यदि हम कुछ करना चाहते हैं, तो यह... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 16 Dec 2016 · 1 min read ज़िंदग़ी सिगरेट का धुआँ (नवगीत) ज़िंदग़ी सिगरेट का धुआँ । कहीं खाई, कहीं कुआँ । ज़रदे जैसी यह ज़हरीली , लाल - हरी और नीली-पीली । बढ़ती देख सदा जलती है , जैसे जले रुआँ... Hindi · गीत 4 11 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 19 Nov 2016 · 1 min read ग़ज़ल ख़ूब़सूरत ग़ुनाह हो जाए। दिल ये उन पै तब़ाह हो जाए। फ़लसफ़े छोड़ दो अरे वाइज़, द़ीद की जो पनाह़ हो जाए । मेरा तेरे सिवा नहीं कोई , इसका... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 16 Apr 2022 · 1 min read पिता मेरे / :: पिता मेरे :: ---------------- क्या सही है ? क्या गलत है ? जानते थे पिता मेरे । दे रही थी एक पैनी दृष्टि हम पर रोज पहरा । मुस्कुराहट... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · गीत 36 74 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read खाँसी खाँसी वास्तव में खाँसी नहीं है, प्रतीपगमन है भावनाओं का । यानि - सिर्फ़ आगे बढ़ना , या सिर्फ़ पीछे मुड़ना । खाँसी,खाँसी नहीं प्रकार है , जैसे- मेरी खाँसी... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Dec 2016 · 1 min read यश के पाँवों में छाले हैं जो भी घर के रखवाले है, उनके होंठों पर ताले हैं । धूल सभ्यता की आँखों में, यश के पाँवों में छाले हैं । कल तक हम जिन पर थे... Hindi · गीत 4 14 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 14 Dec 2016 · 1 min read कचरे का ढेर कमाया , ठीक कमाया और बहुत कमाया ; नाम भी , धन भी । अपनी कला से किया लोगों का मनोरंजन भी । नगर-नगर गलियों-गलियो में खूब मचाई धूम ।... Hindi · कविता 3 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 17 Apr 2017 · 1 min read उठ मेरी बेटी बकरियाँ मिनमिनाती हुई जाने लगीं ज़ंगल की ओर ; रोज़ की तरह समझाती हुईं समय की पाबंदी का अर्थ । बजने लगे पहट से लौटती भैंसों के गले के घंटे... Hindi · कविता 6 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 18 Nov 2016 · 1 min read रचा नहीं कोई गीत नया हुए बहुत दिन सुनो दोस्तो, रचा नहीं कोई गीत नया । किसी साँप की तरह रेंगता, ग़ुजर रहा है , दिन मेरा । विच्छू जैसा डंक उठाये , अस्थिर है... Hindi · गीत 2 11 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 20 Dec 2016 · 1 min read नवगीत शिशिर अब, रोमांस नहीं , गुनगुनाती धूप में । आँख की गहराई में आँसुओं का जलधि है । ज्वार- जैसा उछल जाना सदा इसकी. नियति है । वर्जना की काई... Hindi · गीत 3 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 14 Nov 2016 · 1 min read जीने का ढंग जब कभी भी देखता हूँ , इस फैले आकाश में करते हुए स्वच्छंद विचरण पक्षियों के झुण्ड को । तो,मन कुछ चाहता है,सीखना , मसलन एकता , या केवल एकता... Hindi · कविता 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (3) कितना ज़रूरी है, किसी कली को पनपने के लिए, किसी और कली का फूल बनना , फिर मुरझाना और फिर डाली से विलग होकर भूमि पर गिर, नष्ट कर देना... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (3) राशन ख़रीदने किसी कठारख़ाने की दूकान पर, जो लगी हो लम्बी-सी कतार । किस चीज की है वह कतार , यह कुछ-कुछ समझ में आने बाली बात है । प्रमाणपत्र... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read प्रेम (2) तुम्हें पाना ही सब नहीं है । जीवन सार्थक भी नहीं होता मात्र तुम्हें पाने भर से । बल्कि-बहुत कुछ त्यागना ,सहना और खोना पड़ता है, तुम्हें पाने के बाद... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 16 May 2017 · 1 min read फिर से बचपन आ जाता गीत जाने क्यों लगता है मुझको ? फिर से बचपन आ जाता । खोई हुई ख़ुशी जीवन की और प्यार मैं पा जाता । रोज़ बनाना नये घरौंदे और मिटाना... Hindi · गीत 6 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 30 Nov 2016 · 1 min read ग़ज़ल द्वेष-भाव के काफ़िले हैं । मज़बूरी में प्राण हिले हैं । अकिंचन की वेदना में , आशाओं के ग़ुल खिले हैं। धैर्य मानव में नहीं अब , त्याग के ढहते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 4 14 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 28 Dec 2016 · 1 min read हवा बह रही अंदर हवा है । चल रही बाहर हवा है । वक्त के द्वारा जो चलतीं, आँधियों का डर हवा है । एक हवा से दूसरी तक, दिख रहा... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 3 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 21 Feb 2017 · 1 min read वसंत का स्पर्श वसंत का स्पर्श अब आनंद नहीं है आदमी की आँखों में । 'जले पर छिड़का गया नमक है ।' कोई आशा बाकी नहीं है आदमी के भीतर सोये आदमी के... Hindi · कविता 3 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (1) श्याम-पट पर अक्षरों की तरह चमकदार नहीं है आदमी । आदमी अब अक्षरों पर श्याम-पट की तरह काला और उपयोग के बाद दीवाल पर किसी कील के सहारे टाँगे गए... Hindi · कविता 2 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 9 Nov 2016 · 1 min read कुण्डलिया (समसामयिक) मोदी के फ़रमान पर ,बंद हुए जो नोट । यू.पी.मेें फीके पड़े , अग्र चुनावी वोट । अग्र चुनावी वोट, शिकस्त़ जो हमने खाई । तिल-तिल सड़ने लगी,हमारी काली सभी... Hindi · कुण्डलिया 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Nov 2016 · 1 min read लापरवाह माली बेशक ! जिस तरह खिलना चाहिए उस तरह अब नहीं, खिल रही हैं कलियाँ । फूलों की मधुर गंध से वंचित हैं, आज गलियाँ। इसलिए-नहीं कि-बाग में कोई माली नहीं... Hindi · कविता 2 4 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 7 Nov 2016 · 1 min read क्षणिकाएँ (1) मानव-जीवन , ज्यों-सरिता है। आँसू त्यों- पूरी कविता है। (2) मानव-जीवन सागर है । भरी ज्ञान की गागर है। गोता लेते गोता-खोर । बाकी चोरी करते चोर । (3)... Hindi · कविता 1 8 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 22 Apr 2017 · 5 min read रानगिर की हवा में शामिल हैं दक्षकन्या की स्मृतियाँ दिव्य-कन्या बन गई पाषाण-प्रतिमा- तीन रूपों में होते हैं हरसिद्धि के दर्शन रानगिर की फ़िज़ा में घुली हुई हैं दक्षकन्या सती की स्मृतियाँ ्् द्वारा-ईश्वर दयाल गोस्वामी । मध्यप्रदेश के... Hindi · लेख 6 2 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 6 Nov 2016 · 1 min read कवि और पाठक अन्वय,अर्थ है आपका , लिखना अपना काम । श्रवणभक्ति-फल आपका, अपने केवल राम । विश्लेषण है,आपका, अपनी केवल बात । दिन पूरा है,आपका, अपनी केवल रात । दुनियाँ सारी आपकी,... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 8 Nov 2016 · 1 min read संघर्ष जब , गहरी ख़मोशी में तब्द़ील होती है, बच्चों की किलकारी । जब , गिरने लगता है स्वेद, माँ के शांत माथे से । जब , गीला करती हैं धरा... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 12 Nov 2016 · 1 min read हरे रामा , हरे कृष्णा उम्र ज्यों-ज्यों बढ़ रही है। वुद्धि-सी कुछ आ रही है। यूँ लगे जैसे कि- मुरली , कान में कुछ गा रही है । कर्म-पथ की राह कान्हा , मन को... Hindi · कविता 2 6 1k Share ईश्वर दयाल गोस्वामी 13 Nov 2016 · 1 min read आदमी (2) भूगोल पर धुआँ फूँकता ले जाना चाहता है विज्ञान को , एक सख्स़़ आकाश तक। जिसे हम आदमी के नाम से जानते हैं । और वह आदमी बेख़बर है पूरी... Hindi · कविता 2 4 1k Share Page 1 Next