Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
29 Jun 2019 · 1 min read

श्रृंगार के दोहे

(1)
रूपसि तेरे रूप से , दर्पण भी शर्माए ।
किरणों के आवेग से, कहीं चटक न जाए ??
(2)
सुंदर का श्रृंगार जब , सुंदरता से होय ।
हर कोई तब दृश्य के , आगे – पीछे होय ।।
(3)
लट उलझी सुलझाई तो, मन में उठती हूक ।
सुखद मिलन संयोग में , हो न जाए चूक ।।
(4)
गुलदश्ता शर्मा गया, किया सखिन श्रृंगार ।
मन में अपने सोचता , होता यदि मैं हार ।।
(5)
सखियाँ भी श्रृंगार में , मग्न हुईं यूँ आज ।
जैसे तीनों लोक का, मिला है इनको राज ।।

—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।

Language: Hindi
6 Likes · 4 Comments · 1700 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
*शहर की जिंदगी*
*शहर की जिंदगी*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
तर्जनी आक्षेेप कर रही विभा पर
Suryakant Dwivedi
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
मौसम कैसा आ गया, चहुँ दिश छाई धूल ।
Arvind trivedi
पहले कविता जीती है
पहले कविता जीती है
Niki pushkar
खुल जाये यदि भेद तो,
खुल जाये यदि भेद तो,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
*
*"माँ महागौरी"*
Shashi kala vyas
देश-विक्रेता
देश-विक्रेता
Shekhar Chandra Mitra
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Harish Chandra Pande
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
मन को आनंदित करे,
मन को आनंदित करे,
Rashmi Sanjay
2802. *पूर्णिका*
2802. *पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
हम नही रोते परिस्थिति का रोना
Vishnu Prasad 'panchotiya'
सब कुछ मिट गया
सब कुछ मिट गया
Madhuyanka Raj
नारी तू नारायणी
नारी तू नारायणी
Dr.Pratibha Prakash
पितर पाख
पितर पाख
Mukesh Kumar Sonkar
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
बोलना , सुनना और समझना । इन तीनों के प्रभाव से व्यक्तित्व मे
Raju Gajbhiye
उसे मलाल न हो
उसे मलाल न हो
Dr fauzia Naseem shad
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर  में  व्यापार में ।
आपाधापी व्यस्त बहुत हैं दफ़्तर में व्यापार में ।
सत्येन्द्र पटेल ‘प्रखर’
भरमाभुत
भरमाभुत
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
सफलता का मार्ग
सफलता का मार्ग
Praveen Sain
■ आज का विचार...
■ आज का विचार...
*Author प्रणय प्रभात*
ग़ज़ल
ग़ज़ल
ईश्वर दयाल गोस्वामी
प्यार जिंदगी का
प्यार जिंदगी का
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
उनको देखा तो हुआ,
उनको देखा तो हुआ,
sushil sarna
मेरी कलम से…
मेरी कलम से…
Anand Kumar
एकाकीपन
एकाकीपन
Shyam Sundar Subramanian
संवेदना की आस
संवेदना की आस
Ritu Asooja
केहरि बनकर दहाड़ें
केहरि बनकर दहाड़ें
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
मातृभाषा
मातृभाषा
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
खुशियों को समेटता इंसान
खुशियों को समेटता इंसान
Harminder Kaur
Loading...