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3 May 2024 · 1 min read

ग़ज़ल

सिर्फ़ उल्फ़त में सब नहीं आता ।
पहले आता था अब नहीं आता ।

यूँ तो गुस्सा मेरा तुम्हीं पर है,
तुम जो आते हो तब नहीं आता ।

कोई गलती ज़रूर की होगी,
वरना ग़म, बे-सबब नहीं आता ।

दर्द-ए-अहसास है तभी सच्चा,
अश्क़ आँखों में जब नहीं आता ।

आदमी, आदमी नहीं, शायद !
आदमी को अदब नहीं आता ।
०००
— ईश्वर दयाल गोस्वामी
सागर, मध्यप्रदेश

Language: Hindi
1 Like · 24 Views
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