Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
12 May 2024 · 1 min read

है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।

है गरीबी खुद ही धोखा और गरीब भी, बदल सके तो वह शहर जाता है।
वह बिंदास बेखबर जाता है,
जब इंसान अपने घर जाता है।।
“संजय”

1 Like · 24 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
बदली बारिश बुंद से
बदली बारिश बुंद से
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
तन्हाई को तोड़ कर,
तन्हाई को तोड़ कर,
sushil sarna
कारगिल युद्ध फतह दिवस
कारगिल युद्ध फतह दिवस
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
" अकेलापन की तड़प"
Pushpraj Anant
!! दो अश्क़ !!
!! दो अश्क़ !!
Chunnu Lal Gupta
बहना तू सबला बन 🙏🙏
बहना तू सबला बन 🙏🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
इधर उधर की हांकना छोड़िए।
ओनिका सेतिया 'अनु '
क्षितिज
क्षितिज
Dr. Kishan tandon kranti
आईना ही बता पाए
आईना ही बता पाए
goutam shaw
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
उन्होंने कहा बात न किया कीजिए मुझसे
विकास शुक्ल
करगिल विजय दिवस
करगिल विजय दिवस
Neeraj Agarwal
मेरा बचपन
मेरा बचपन
सोलंकी प्रशांत (An Explorer Of Life)
अरमान गिर पड़े थे राहों में
अरमान गिर पड़े थे राहों में
सिद्धार्थ गोरखपुरी
लोग जाने किधर गये
लोग जाने किधर गये
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
*श्रमिक मजदूर*
*श्रमिक मजदूर*
Shashi kala vyas
मात्र एक पल
मात्र एक पल
Ajay Mishra
2402.पूर्णिका
2402.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
ख़यालों में रहते हैं जो साथ मेरे - संदीप ठाकुर
Sandeep Thakur
निर्मल निर्मला
निर्मल निर्मला
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
हुए अजनबी हैं अपने ,अपने ही शहर में।
कुंवर तुफान सिंह निकुम्भ
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
खुद के व्यक्तिगत अस्तित्व को आर्थिक सामाजिक तौर पर मजबूत बना
पूर्वार्थ
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
हम भी खामोश होकर तेरा सब्र आजमाएंगे
Keshav kishor Kumar
कभी सुलगता है, कभी उलझता  है
कभी सुलगता है, कभी उलझता है
Anil Mishra Prahari
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
न ठंड ठिठुरन, खेत न झबरा,
Sanjay ' शून्य'
उसका चेहरा उदास था
उसका चेहरा उदास था
Surinder blackpen
ख़ामोशी
ख़ामोशी
कवि अनिल कुमार पँचोली
■सामयिक दोहा■
■सामयिक दोहा■
*Author प्रणय प्रभात*
इश्क बेहिसाब कीजिए
इश्क बेहिसाब कीजिए
साहित्य गौरव
हल
हल
विनोद वर्मा ‘दुर्गेश’
*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है  【गीत】*
*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है 【गीत】*
Ravi Prakash
Loading...