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25 Sep 2021 · 1 min read

*महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है 【गीत】*

महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है 【गीत】
■■■■■■■■■■■■■■■■
महाराज श्री अग्रसेन को, सौ-सौ बार प्रणाम है
(1)
एक राष्ट्र जन एक भाव के, अद्भुत आप प्रणेता
जन-जन के हृदयों पर शासन करते वीर विजेता
प्रजा – जनों में सीख आपने समता की फैलाई
बँटी अठारह गोत्रों में यह शक्ति एक कहलाई
एक सूत्र में बँधा हुआ, अग्रोहा दैवी – धाम है
महाराज श्री अग्रसेन को सौ – सौ बार प्रणाम है
(2)
यज्ञों में पशुओं की बलि को अस्वीकार किया था
करुणा दया अहिंसा का जग को संदेश दिया था
कहा आपने सब जीवों को सदा आत्मवत मानो
कभी न हिंसा करो ईश को सब में जाग्रत जानो
शाकाहार आपका ही, जग को प्रदत्त आयाम है
महाराज श्री अग्रसेन को सौ – सौ बार प्रणाम है

(3)
एक ईंट का एक रुपै का अनुपम चलन चलाया
अग्रोहा में रहा न कोई निर्धन नहीं पराया
सब में प्रीति परस्पर बसती बंधुभाव गहराता
बन जाता धनवान सहज ही जो गरीब हो जाता
समतावादी राज्य इसलिए, अग्रोहा परिणाम है
महाराज श्री अग्रसेन को सौ सौ बार प्रणाम है
“””””””””'”””””””””””””'””'””””””””‘
रचयिता : रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा रामपुर (उत्तर प्रदेश )
मोबाइल 99976 15451

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