Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
16 May 2017 · 1 min read

फिर से बचपन आ जाता

गीत
जाने क्यों लगता है मुझको ?
फिर से बचपन आ जाता ।
खोई हुई ख़ुशी जीवन की
और प्यार मैं पा जाता ।

रोज़ बनाना नये घरौंदे
और मिटाना फिर उनको ।
बचपन की वह भोली सूरत,
अच्छी लगती थी सबको ।
उसे याद कर अब भी मेरा,
मन गुलाब-सा खिल जाता ।

किलकिल काँटे रोज़ खेलना
और अज़ब-सा कुछ गाना ।
रामायण की चौपाई- सा ,
सबके दिल पर छा जाना ।
बचपन वह निर्दोष रंग था ,
जो सबमें घुल-मिल जाता।

उठकर गिरना, गिरकर उठना,
हँसते-हँसते रो लेना ।
अम्मा की प्यारी गोदी में ,
मनभर के फिर सो लेना ।
दूध-मलाई-सा सुंदर वह ,
क्षण, सबका दिल बहलाता ।

आँखों में भोली चंचलता ,
मुँह में था बेवाकीपन ।
पैर दौड़ते रहते लेकिन ,
थकता नहीं कभी था तन ।
सब झंझट से मुक्त, मधुर
वह बचपन ख़ुशियाँ झलकाता ।

लँगड़ी, खो-खो ख़ूब खेलना,
फिर मित्रों से लड़ लेना ।
अगले दिन फिर उसे भूलकर,
पुनः दोस्ती कर लेना ।
वह पवित्रता, वह भोलापन,
काश ! मुझे फिर मिल जाता।

बेटे की हरक़तें देखकर,
बचपन बहुत याद आता है ।
उसकी नटखट लीलाओं में ,
मन मेरा खोता जाता है ।
इसीलिये उसके संग मैं भी,
छोटा बच्चा बन जाता ।

जाने क्यों ? लगता है मुझको,
फिर से बचपन आ जाता ।
खोई हुई ख़ुशी जीवन की
और प्यार मैं पा जाता ।
….रचनाकार —
ईश्वर दयाल गोस्वामी ।
ग्राम- छिरारी (रहली)
जि.- सागर (म.प्र.)

Language: Hindi
Tag: गीत
6 Likes · 2 Comments · 1338 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
अहमियत हमसे
अहमियत हमसे
Dr fauzia Naseem shad
आंगन को तरसता एक घर ....
आंगन को तरसता एक घर ....
ओनिका सेतिया 'अनु '
तिरी खुबसुरती को करने बयां
तिरी खुबसुरती को करने बयां
Sonu sugandh
मैं तो महज चुनौती हूँ
मैं तो महज चुनौती हूँ
VINOD CHAUHAN
पिता और पुत्र
पिता और पुत्र
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)
देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की
देश की आज़ादी के लिए अंग्रेजों से लड़ते हुए अपने प्राणों की
Shubham Pandey (S P)
इंसान बनने के लिए
इंसान बनने के लिए
Mamta Singh Devaa
सुबह-सुबह की बात है
सुबह-सुबह की बात है
Neeraj Agarwal
#लघुकथा
#लघुकथा
*Author प्रणय प्रभात*
विश्व हुआ है  राममय,  गूँज  सुनो  चहुँ ओर
विश्व हुआ है राममय, गूँज सुनो चहुँ ओर
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
कुण्डल / उड़ियाना छंद
कुण्डल / उड़ियाना छंद
Subhash Singhai
ससुराल का परिचय
ससुराल का परिचय
Seema gupta,Alwar
2728.*पूर्णिका*
2728.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*भगवान के नाम पर*
*भगवान के नाम पर*
Dushyant Kumar
पश्चाताप
पश्चाताप
DR ARUN KUMAR SHASTRI
National Energy Conservation Day
National Energy Conservation Day
Tushar Jagawat
"जुदा"
Dr. Kishan tandon kranti
* राह चुनने का समय *
* राह चुनने का समय *
surenderpal vaidya
जीवन दिव्य बन जाता
जीवन दिव्य बन जाता
निरंजन कुमार तिलक 'अंकुर'
वक्त कि ये चाल अजब है,
वक्त कि ये चाल अजब है,
SPK Sachin Lodhi
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
किस जरूरत को दबाऊ किस को पूरा कर लू
शेखर सिंह
Ajj bade din bad apse bat hui
Ajj bade din bad apse bat hui
Sakshi Tripathi
सदैव खुश रहने की आदत
सदैव खुश रहने की आदत
Paras Nath Jha
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
कुछ लोग किरदार ऐसा लाजवाब रखते हैं।
Surinder blackpen
Apne yeh toh suna hi hoga ki hame bado ki respect karni chah
Apne yeh toh suna hi hoga ki hame bado ki respect karni chah
Divija Hitkari
मैं
मैं "आदित्य" सुबह की धूप लेकर चल रहा हूं।
Dr. ADITYA BHARTI
*डायरी के कुछ प्रष्ठ (कहानी)*
*डायरी के कुछ प्रष्ठ (कहानी)*
Ravi Prakash
आदि ब्रह्म है राम
आदि ब्रह्म है राम
डॉ विजय कुमार कन्नौजे
हम कितने चैतन्य
हम कितने चैतन्य
Umesh उमेश शुक्ल Shukla
आँखों से भी मतांतर का एहसास होता है , पास रहकर भी विभेदों का
आँखों से भी मतांतर का एहसास होता है , पास रहकर भी विभेदों का
DrLakshman Jha Parimal
Loading...