सिद्धार्थ गोरखपुरी Tag: मुक्तक 110 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Aug 2021 · 1 min read दाल के तड़का आईं - गाईं करत रहलें बस ,बात होत रहे बड़का -बड़का। एक बार नहीं कई बार पुछाईल, एके बात के हड़का- हड़का। समय से अगर तड़का मिली जइतें लास्ट बार... Bhojpuri · मुक्तक 524 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Aug 2021 · 1 min read दलपिऊआ बाड़ा से दाल गायब हो गईल ,घबरात रहे जजमान के जिऊआ। खोजे में परेशान हो गइले ,की दाल गईल की गईल बा घिऊआ। दाल के गाथा जब शुक्ला जी सुनलें... Bhojpuri · मुक्तक 1 285 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Aug 2021 · 1 min read सुनने को तरसे दिल तुझे सुनने को तरसे । तुझे सुने हुए कितने अरसे। दीदार भी मुश्किल से होता, अब तो निकल आ घर से। दिल तुझे सुनने को तरसे। तेरे लफ्जों का... Hindi · मुक्तक 1 173 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Aug 2021 · 1 min read जाति-पाति में मत उलझो जाति-पाति में मत उलझो ,रहना है हमें हर ठाँव बराबर। सिर के ऊपर सूरज तपता ,तो पाँव के नीचे छाँव बराबर। चमड़े का है रंग अलग पर लहू एक जैसा... Hindi · मुक्तक 5 5 469 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Jul 2021 · 1 min read लिखते हो टेढ़ा मेढ़ा लिखते हो ,न कुछ भी सीधे लिखते हो। कुछ हाथों पे लिखते हो ,तो कुछ माथे पे लिखते हो। ज्योतिष भी बहुत ही कम बता पाता है लिक्खे... Hindi · मुक्तक 247 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 24 Jul 2021 · 1 min read विजया के शादी केहू त पिटवा द गाँव भर मुनादी। विजया बेचारा बलभर दुआ दी। कवनो अगुआ कुछ कऽ नाही पवलें एहू साल भएल न विजया के शादी। -सिद्धार्थ Bhojpuri · मुक्तक 1 300 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jul 2021 · 1 min read गोसाईं जी के मुसवा याद बा भैया? जब आइल रहे मुँह -नोचवा। बोरा में लइकन के उठा ले जा धकरकोसवा। बाद में पता चलल कि ई सब अफवाह हे, असली में खइले पिसान गोसाईं... Bhojpuri · मुक्तक 2 2 527 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 22 Jul 2021 · 1 min read अदब साथ रहे जिंदगी की हर एक दहलीज पर रब साथ रहे। हर एक अपने के लिए तुम्हारे दिल मे जज्बात रहे। बड़ा बनने के बाद भीे ये इल्म होना जरूरी है कि,... Hindi · मुक्तक 365 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jul 2021 · 1 min read जब पनिया के हम वाटर कहब एक चौथाईया के क्वाटर कहब। टोमैटो के हम त टमाटर कहब। हक्का बक्का हो जइबा ये मोरे भईया, जब पनिया के हम वाटर कहब। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Bhojpuri · मुक्तक 2 485 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Jul 2021 · 1 min read पियाज रोटी खाइब नानी घरे जाइब त हम न लजाइब। उनके हाल जानके आपन जनाइब। मन में बा हमरे कि कहि देइ नानी से, ये नानी हम त पियाज रोटी खाइब। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Bhojpuri · मुक्तक 1 401 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 18 Jul 2021 · 1 min read मन न हुआ उसकी यादों ने एक रोज मुझको छुआ। कोई कर देता गर मेरे हक में दुआ। यादें आती हैं जब बस रुला जातीं हैं, दूर तन है हुआ पर दूर मन... Hindi · मुक्तक 1 373 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 17 Jul 2021 · 1 min read तनि खैनी ही खिया के जियावल करा नेता बन गईला त नाम उजियावल करा। समस्या जनता के थोड़े हटावल करा। वैसे से सब खाये से कब्बो पेट भरी न तोहार, तनि खैनी ही खिया के जियावल करा।... Bhojpuri · मुक्तक 333 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jul 2021 · 1 min read परोरा -परोरी परोरा महंगा होई गईल बा ,परोरी के भी दाम बढ़ा द। परोरा परोरी के हीत नात में ,आलू पियाज के नाम चढ़ा द। तबतक बंडा कूद पड़ल कहले हमहू त... Bhojpuri · मुक्तक 287 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jul 2021 · 1 min read हियरा उदास हो जाला क़भी कभार मनवा के ,ई एहसास हो जाला। केहू दूर हो जाला ,केहू दिल के पास हो जाला। केहू से दूर भईले के एहसास दिल से कबहुँ न जाला, पता... Bhojpuri · मुक्तक 353 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 14 Jul 2021 · 1 min read क्यों साज रहे तुम कल रहे हम आज रहे। फिर दोनों जने नाराज रहे। खुद को रोक लिए हो मुझको भी मालूम है ये, मेरे पास आ जाने पर यादों को फिर क्यों... Hindi · मुक्तक 258 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read मतलब बड़ा समझा बात लफ्जो में छोटी थी पर उसका मतलब बड़ा समझा। वो आदमी जीने और मरने की गफलत में है क्यों उलझा। नरम रुख कर गया तो बच जाएगा भारी मुसीबत... Hindi · मुक्तक 1 2 379 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read वाकया होता बात ब्रांडेड कमीज की थी ,नहीं तो खून से लथपत को उठा लेते गाँव के लोग ये सोच रखते ,तो फिर क्या होता। अगर मानवता रग - रग में समायी... Hindi · मुक्तक 2 2 316 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read भूख ने भूख से कहा भूख ने भूख से कहा है कि कम आओ। गरीबों के पेट पर थोड़ा तो रहम खाओ। कहा भूख ने जब भूखे की हालत देखी न गयी , पेट भरा... Hindi · मुक्तक 376 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read माहिर होंगी अनपढ़ आँखे मेरे दुःखी काव्य को ,पढ़ने में क्या माहिर होंगी। जब भी पड़ेगा ध्यान काव्य पर ,निश्चित ही फिर काफ़िर होंगी। तन की निग़ाहों का काफिराना ,अक्सर दिख जाता... Hindi · मुक्तक 1 475 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 12 Jul 2021 · 1 min read ले डूबेगा सच कहें तो जरूर ले डूबेगा। तुम्हे तुम्हारा ग़ुरूर ले डूबेगा। इंतेहा वक्त लेता है ये तुम्हे इल्म रहे, तुम्हे तुम्हारा ही कसूर ले डूबेगा। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 544 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jul 2021 · 1 min read बेल होइ जे जेल होइ त न बेल होइ। दुइ चार बिगहा सेल होइ। कोर्ट में चक्कर में चप्पल घिस जाई, जमानत में ठेलमठेल होइ। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Bhojpuri · मुक्तक 433 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 11 Jul 2021 · 1 min read धरे रह गए क़िस्मत के जब आसरे रह गए। ख़्वाब सारे धरे के धरे रह गए। सोचने में ही बीती जिंदगानी मगर, किस्से फिर सोच से परे रह गए। -सिद्धार्थ गोरखपुरी Hindi · मुक्तक 1 321 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jul 2021 · 1 min read ट्वीटरिया जातें हैं हम लोग गुस्साते हैं तो तुरन्ते गरिया देते हैं। साहब लोग गुस्सा होते हैं तो ट्वीटरिया देते हैं। ये टवीटर टवीटर का गेम समझ से परे हैं यारों, करा के... Hindi · मुक्तक 250 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jul 2021 · 1 min read मंगरुआ के बोखार हो गईल हीट हो गईल बा माथा ,मंगरुआ के बोखार हो गईल। माई ओकर गरियावत बा ,ई त अब बेकार हो गईल। डॉक्टर अइलें सुई लगवले तब्बो न आराम भईल, गाँव मे... Bhojpuri · मुक्तक 467 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jul 2021 · 1 min read फेसबुकिया बुखार फेसबुकिया बुखार जेहके चढ़ जाता, दुइ बजे तक नेट चलावत बा। व्हाट्सएप और मैसेंजर पर ,बारी-बारी मेसैज देख के आवत बा। अच्छे - अच्छे कुरूप लइकन के भाव बढ़ा दिहले... Bhojpuri · मुक्तक 2 371 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 4 Jul 2021 · 1 min read पैसा और रिश्ता मेरा रूप ,रंग ,लिबाज़ देखकर तुम गंवार कहते हो। अरे तुम तो केवल पैसे को ,परवर दिगार कहते हो। चंद पैसों के खातिर तुमने गँवा दिए हैं कितने रिश्ते, फिर... Hindi · मुक्तक 252 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 Jun 2021 · 1 min read याद हो तन्हाइयों की क्यों कम मियाद हो। जब मासूक का नम्बर पूरा याद हो। -सिद्धार्थ Hindi · मुक्तक 206 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 27 Jun 2021 · 1 min read दिलजलों के लिए शिगूफ़ा मिल गया है लोगों को ,सियासी अटकलों के लिए। कुछ गाइडलाइन कोरोना में हो, घर मे क़ैद मनचलों के लिए। ऐ सरकार तुझसे दरख्वास्त है कि जाने आने में... Hindi · मुक्तक 1 287 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Jun 2021 · 1 min read तारीख पे तारीख अगर महाभारत का केस कोर्ट में होता - तारीख पे तारीख का पुराना, सिलसिला चलता रहता। वकीलों की बहस में ,शिकवा -गिला चलता रहता। कृष्ण मौन होकर देखते वकील और... Hindi · मुक्तक 1 267 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 26 Jun 2021 · 1 min read एहसास बन के देख जिंदगी को जिंदादिली से जी ,और बॉस बन के देख। दरिया दौड़ता आएगा तेरे पास ,तूँ प्यास बन के देख। लोग तुझे ताउम्र चाहेंगे बड़ी शिद्दत के साथ, किसी के... Hindi · मुक्तक 1 1 282 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 20 Jun 2021 · 1 min read होश फ़रेब और फ़रेबी से जब वास्ता होता है। न बचा आगे पीछे कोई रास्ता होता है। फ़रेब करना था तो दुश्मन बन जाते, अब तो दोस्त से भी होश फ़ाख्ता... Hindi · मुक्तक 1 262 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 Jun 2021 · 1 min read मर जा आसमान से गिर और खजूर पर अटक कर मर जा। अपनी सारी पनौतियों को, दूर झटक कर मर जा। तूने सँवारा है अपने आप को क्रीम ,पाउडर, सेंट से, लड़की... Hindi · मुक्तक 1 3 299 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 13 Jun 2021 · 1 min read बारी अब दुख हरती के हैं डगमग पाँव में घाव लिए ,वो परम् वक्ता इस धरती के हैं। देह का हाल बेहाल हुआ है ,लगते लक्षण कुछ भरती के हैं। मदमस्त निगाहें ,बोली विदेशी और मुंडी... Hindi · मुक्तक 3 275 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Jun 2021 · 1 min read सावन दिखा दिया उलझन में था दिमाग ,की अपना नहीं है कौन, ठोकर लगा के उसने ,अपनापन दिखा दिया। आंखों में जम गयी थी ,गलतफहमीयों की धूल, सब साफ हो गया ,जब उसने... Hindi · मुक्तक 3 436 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 10 Jun 2021 · 1 min read फ़ितरतों से बाज आ ऐ मेरे अजीबोगरीब दोस्त अपनी हरक़तों से बाज आ। मुझे गिराने की अपनी नापाक हसरतों से बाज आ। माना के तेरी जिद है मुझे बरबाद करने की, तनिक आराम कर... Hindi · मुक्तक 2 284 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 7 Jun 2021 · 1 min read पप्पू पास हो गया परीक्षा होने की खबर से ,पप्पू हतास हो गया। पप्पू पास नहीं होगा ,ये उसे एहसास हो गया। पास हो पाने की तनिक उम्मीद भी न थी पप्पू को, कोरोना... Hindi · मुक्तक 2 2 810 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 6 Jun 2021 · 1 min read स्टेटस के चक्कर में स्टेटस के चक्कर में ,बहुत कुछ हुआ है यार। स्टेटस लगाने से हो गयी है ,वैक्सीन असरदार। 84 दिन कैसे कटेंगे अगले स्टेटस के लिए, कैसे करेगा बउआ ,अगले डोज... Hindi · मुक्तक 2 629 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 5 Jun 2021 · 1 min read ढिल्ल वो जनाब थोड़े ढिल्ल लगते हैं ,अर्द्ध पागल बस शौकिया हैं क्या। कोसने की परम्परा के जनक हैं,उन्हें आदमी-ए-फोबिया है क्या। दिमाग की नसें उनकी करती हैं अठखेलियाँ हरदम, उन्हें... Hindi · मुक्तक 285 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2021 · 1 min read इंसानियत इंसान इंसानियत से अब रूबरू हो जाये । ये सिलसिला भी काश के शुरू हो जाये। हँसने हंसाने का दौर फिर हर आँगन में हो, थकन को ओढ़कर चादर में... Hindi · मुक्तक 1 494 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 3 Jun 2021 · 1 min read दौर हम पास आने में हिचक जाते थे ,तुम उस ठौर में थे। तुम तन्हाइयों की काफिर सी ,निगाह -ए- गौर में थे। हमने तुम्हारी बदनसीबी को ताक पर रखना मुनासिब... Hindi · मुक्तक 2 334 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jun 2021 · 1 min read क़िस्मत अपनी स्वप्न उजले से हैं पर स्याह सी किस्मत अपनी। जिंदगी करती है परेशानियों से खिदमत अपनी। बड़ी मुद्दतों से परेशान हूँ अनजान हूँ मुसीबतों से, काश के ऊपर वाला बरसा... Hindi · मुक्तक 636 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 1 Jun 2021 · 1 min read कोई भूख से मर कर मशहूर न हुआ कोई भूख से मर कर मशहूर न हुआ, कोई आंख मार के मशहूर हो गया। इस खबर से बेख़बर सरकार रह गयी, उस गरीब से न जाने ,क्या कसूर हो... Hindi · मुक्तक 1 401 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 May 2021 · 1 min read आइनों का शहर नजदीकियां दिल मे हो और अच्छे मायनों का शहर हो। मिलें दिल्लगी से हम और अच्छे से गुजर- बसर हो। गलतियां सबकी खुद ही दिखाई देने लगे, काश के इस... Hindi · मुक्तक 1 311 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 May 2021 · 1 min read गले मिले ख़्वाब बस ख़्वाब ही रह गया, ये कैसे सिलसिले मिले। जब भी मिले तो लोगों के दरम्यान , फ़ासले मिले। बरसो की तमन्ना है कि जब भी वो मिले, बड़े... Hindi · मुक्तक 1 297 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 May 2021 · 1 min read पोलादन हुआ है जबसे मेघ का धरा पर अभिवादन हुआ है। तब धरती पर हरियाली का सिंचादन हुआ है। कुछ करने को जो कहोगे वो मेल्ह जाएगा, बड़ी मेहनत से वो सख़्श पोलादन... Hindi · मुक्तक 274 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 29 May 2021 · 1 min read विश्वास अपनी भावनाओं का मैं ,अक्सर उपहास किया करता था। शोर - गुल से दूर कही मन मेरा ,प्रवास किया करता था। वो लोग भी क्या लोग रहे जो निशिदिन कटुता... Hindi · मुक्तक 3 2 335 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 May 2021 · 1 min read मुबारक अपना बनकर डंसने वालों ,तुम्हे समयचक्र की बीन मुबारक। तुमको तुम्हारी चुगली मुबारक ,मुझको मेरी तौहीन मुबारक। मुझे गिराने के चक्कर मे क्या इतना गिरना जरूरी था, मैं खुश रहने... Hindi · मुक्तक 2 225 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 19 May 2021 · 1 min read एहसास हुआ करता है जब बरसात भिगोती तन को ,मन में उल्लास हुआ करता है। शबनमी हो जाता है तन मन ,जब भी वो पास हुआ करता है। बरसात की बूंदे ,मौसम मध्धम और... “बरसात” – काव्य प्रतियोगिता · मुक्तक 2 6 698 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 30 Apr 2021 · 1 min read ढूंढ के पढ़ोगे तुम जो कर देते हो इग्नोर मेरे लिखे जज्बात को। कुछ समझा करो और पढा करो मेरे लिखे बात को। अभी तो आगे बढ़ जाते हो देखकर मेरे पोस्ट को,... Hindi · मुक्तक 1 2 267 Share सिद्धार्थ गोरखपुरी 28 Apr 2021 · 1 min read मृत्यु के ब्याल प्राणवायु और सूक्ष्म जीव के ,परिणय का घनघोर असर है। पीड़ित मानव के परलोक गमन का ,देखो तो हरओर खबर है। हाल बेहाल हुआ जाता है हर दिन हर क्षण... Hindi · मुक्तक 470 Share Previous Page 2 Next