Khajan Singh Nain 119 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Khajan Singh Nain 31 May 2024 · 2 min read "स्थानांतरण" :१: कैसी है क़ुदरत की नीति, एक समान है स्थिति। किसी के मरण की, तथा किसी के स्थानांतरण की। बिछुड़ने की स्थिति में हर आत्मा रोती है, मंच से औपचारिक... Poetry Writing Challenge-3 136 Share Khajan Singh Nain 31 May 2024 · 1 min read उदर-विकार मरीज का सरसरी तौर पर मुआयना करके डाक्टर ने कहा ...... शायद इसको उदर विकार है, इसी लिए हाहाकार है. साथ आये व्यक्ति से पूछा ...... क्या लंबे समय से... Poetry Writing Challenge-3 144 Share Khajan Singh Nain 30 May 2024 · 2 min read "संक्रमण काल" यह मिल कर आपदा को खत्म करने की लड़ाई है, मानव पर संकट बन कोरोना वायरस आई है । लेकिन सारी क्षमता तो इसी में खर्च कर दी, लड़ाई दुश्मन... Poetry Writing Challenge-3 134 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read विशेषज्ञ अधिकारी पड़ता है कितना भारी, होना बैंक में विशेषज्ञ अधिकारी। उस पर कार्य का भार देखिये, कार्यक्षेत्र का विस्तार देखिये। जनरल अधिकारी पर सिर्फ बैंकिंग के काम का भार, विशेषज्ञ अधिकारी... Poetry Writing Challenge-3 106 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read सिर की सफेदी अपने सफ़ेद बालों को काला क्यों नहीं करते, शरीर के रख रखाव का ध्यान क्यों नहीं रखते। कहा मान कर देखो व्यक्तित्व निखर जाएगा, अपने आप में गुलफ़ाम सा अहसास... Poetry Writing Challenge-3 190 Share Khajan Singh Nain 27 May 2024 · 1 min read दान और कोरोना काल विपदा की घड़ी है, देश पर आपदा आन पड़ी है। आर्थिक मंदी का दौर, कहीं ओर ना छोर। सरकार के संसाधन कम पड़ रहे, जन जन जी जान से लड़... Poetry Writing Challenge-3 150 Share Khajan Singh Nain 26 May 2024 · 1 min read स्वार्थ इंसान स्वार्थ में अंधा हो कर बेईमान हो गया है, आज की चकाचौंध में आदमी का ईमान खो गया है। स्वार्थ है तो फिर रिश्ते क्या होते हैं? रिश्तों का... Poetry Writing Challenge-3 175 Share Khajan Singh Nain 26 May 2024 · 1 min read मर्यादा जब सत्ता का संबल ओछे के साथ हो जाए तो इंसानियत जार जार रो देती है, और भाषा अपनी मर्यादा खो देती है। जब सत्ता का संबल ओछे के साथ... Poetry Writing Challenge-3 129 Share Khajan Singh Nain 25 May 2024 · 1 min read अहंकार जिसने भी अहंकार का स्वाद चखा है, अहंकार ने फिर उसे कहीं का नहीं रखा है। जब ज्ञान का अहंकार अंधा बनाता है, तो अहंकार का ज्ञान कहाँ रह पाता... Poetry Writing Challenge-3 1 188 Share Khajan Singh Nain 25 May 2024 · 1 min read नियोजित अभिवृद्धि मेरा किसी को टोक कर ये कहना, कि आबादी का इस तरह बढते रहना. सरासर हमारी अज्ञानता है, इसके क्या दुष्परिणाम हैं शायद तू नहीं जानता है ? क्योंकि शिक्षा... Poetry Writing Challenge-3 128 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read इंसान बनाम भगवान जब ‘ऊपरवाले’ ने एक समर्थ और सक्षम इंसान इस ग्रह पर दिया उतार, तो उस सक्षम इंसान ने अपनी सुविधानुसार कर लिए अनेकों ‘ऊपरवाले’ तैयार। उसने अपने ‘ऊपरवाले’ को अल्लाह,... Poetry Writing Challenge-3 123 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read एकलव्य एकलव्य की धनुर्विद्या देख गुरु द्रोण डर गए, और गुरु पद से नीचे उतर गए। अर्जुन को सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर स्थापित करने के लिए, मांग़ ली गुरुदक्षिणा बिना शिक्षा दिए। किस... Poetry Writing Challenge-3 109 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read ठेका प्रथा सरकारी काम में ठेका सफल प्रयोग है, सरकार की नज़रों में नया उद्योग़ है। ठेका प्रथा देश में व्यापक हो गई है, और तो और जानवरों में भी पनप रही... Poetry Writing Challenge-3 1 165 Share Khajan Singh Nain 24 May 2024 · 1 min read जय जवान जय किसान बलि हमारे ललों की, लम्बी सूची सवालों की। दुश्मन के नाम लगा दिया, भावनाओं को भड़का दिया। दुश्मन को सबक़ सिखाने को, सिने का साइज़ बताने को। दुश्मन पर स्ट्राइक... Poetry Writing Challenge-3 172 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read इंकलाब जिंदाबाद खुद के धमाके से अलग धमाके आख़िर उसे क्यों डराते हैं, अन्य विद्रोह, पर खुद वाला सुरक्षा के लिए ज़रूर बताते हैं। निज़ाम कितना अहंकार में डूबा है हैरत है,... Poetry Writing Challenge-3 110 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read रक्षा दल गौ रक्षा के नाम पर, कुछ तत्व लगे हैं काम पर। कैसे हैं ये गौ रक्षक, बने हुए जो नर भक्षक। हो गया व्यापक यह रोग है, शायद राजपक्ष का... Poetry Writing Challenge-3 154 Share Khajan Singh Nain 22 May 2024 · 1 min read संवेदना इंसान संवेदना को ईश्वर प्रदत गुण के रूप में पाता है, पर कहते हैं पत्थर हो जाओ तो जीना आसान हो जाता है। पत्थर हुए तो जाना कि वहाँ तो... Poetry Writing Challenge-3 108 Share Khajan Singh Nain 19 May 2024 · 1 min read मानक करनी हो व्याख्या जब गुणवत्ता की, तुलना किसी दूसरे से समानता की। कि फलां आदमी दूध का धुला है, निहायत ही ईमानदार और भला है। अपनी जुबान से जो अक्सर... Poetry Writing Challenge-3 1 130 Share Khajan Singh Nain 18 May 2024 · 1 min read रिमोट कंट्रोल भगवान ने जो बुद्धि रूपी नियामत दी है, मगर सोच तो इसके सही उपयोग की है। जिसमें सामर्थ्य सबको कंट्रोल की है, वो ही आज अन्य हाथों गिरवी पड़ी है।... Poetry Writing Challenge-3 1 110 Share Khajan Singh Nain 15 May 2024 · 1 min read रोना धोना झूठ पर खड़ा घरौंदा बिखर जाता है, वक्त आने पर मुखौटा उतर जाता है। उनकी अभिनय की कलई खुल गयी, जनता को पहले ही खबर मिल गयी। भावुकता में जो... Poetry Writing Challenge-3 105 Share Khajan Singh Nain 7 May 2024 · 1 min read सरोकार जंगल छोड़ जो समाज पनपा था उसे कहाँ पहुंचा दिया है, देखते ही देखते समाज को वापिस जंगल बना दिया है। राजनीति में आज नैतिक मूल्यों के माने ही खो... Poetry Writing Challenge-3 1 108 Share Khajan Singh Nain 6 May 2024 · 1 min read "मर्यादा" बाली सुग्रीव युद्ध मे मर्यादा का अलग अर्थ नज़र आया जब मारने को तीसरे इंसान ने छुप कर तीर चलाया ललकार के साथ वार करना युद्ध की मर्यादा है, छुप... Poetry Writing Challenge-3 118 Share Khajan Singh Nain 5 May 2024 · 1 min read "मतदाता" कुटिल चाल के वशीभूत वो भावों में बह जाता है। चोट गहरी कई बार वो इस कदर खा जाता है, भावों में बह कई बार जब भूल बड़ी हो जाती... Poetry Writing Challenge-3 103 Share Khajan Singh Nain 5 May 2024 · 1 min read "भेड़ चाल" कई बार पढ़े लिखे भी बिना सोचे ही किसी के पीछे लग जाते हैं, और ऐसा करने के लिए वैज्ञानिता के कुतर्क भी घड़ लाते हैं। आज पहचानना मुश्किल है... Poetry Writing Challenge-3 177 Share Khajan Singh Nain 3 May 2024 · 1 min read "भागते चोर की लंगोटी" ईमानदारी की ओढ़नी धीरे धीरे उतरने लगी है, चोरी की एक एक कर परतें उधड़ने लगी हैं। अब चोर को सवाल पूछने की हिमाकत अखरने लगी है, ईमानदारी के मुखौटे... Poetry Writing Challenge-3 1 213 Share Khajan Singh Nain 3 May 2024 · 1 min read विकास तकनीकी विकास हो रहा है नैतिकता की कीमत पर, दयाभाव उभरता है मानवता की किस्मत पर. मानवीय नैतिक मूल्य रसातल में जा रहे हैं, जो मशीन के लिए सही हैं... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 119 Share Khajan Singh Nain 2 May 2024 · 1 min read पागल के हाथ माचिस क्योंकि बंदर के हाथ में उस्तरा है, इसलिए देश का हाल आज बुरा है। क्या माचिस आज पागल के हाथ लगी है? क्योंकि आज देश में जगह-जगह आग लगी है।... Poetry Writing Challenge-3 1 240 Share Khajan Singh Nain 2 May 2024 · 1 min read "सच" खोज पूरी होना ही अंत है, सच की खोज तो अनंत है। जो शाश्वत है उसकी खोज कैसी? जो अंत है, अनंत है, फिर खोज कैसी? जो सनातन है, जवलंत... Poetry Writing Challenge-3 108 Share Khajan Singh Nain 1 May 2024 · 1 min read "डर बैलट पेपर का" मानव के लिए पृथ्वी परीक्षाओं की धरा है, क्योंकि मानव जीवन परीक्षाओं से भरा है। परीक्षा से पार पाने के जतन चलते रहते हैं, टिप्स देने वाले पग-पग पर मिलते... Poetry Writing Challenge-3 106 Share Khajan Singh Nain 1 May 2024 · 1 min read चरित्र क्या सफेदी अपने आप में दिखाई ना देने वाली चीज है ? या फिर लोग नहीं देखते इसकी मुझे खीझ है. या शायद मेरे ऐसा चिलाने में भी कोई भेद... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 106 Share Khajan Singh Nain 1 May 2024 · 1 min read मणिपुर की वेदना बेज़ार रो रहा है देश महसूस कर मणिपुर की वेदना, पर ‘उनको’ महसूस नहीं होता, खो चुके हैं संवेदना। बस्ती के साथ मानवता भी जल रही है, सत्ता की हवस... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 200 Share Khajan Singh Nain 25 Apr 2024 · 1 min read संवेदना इंसान संवेदना को ईश्वर प्रदत गुण के रूप में पाता है, पर कहते हैं पत्थर हो जाओ तो जीना आसान हो जाता है। पत्थर हुए तो जाना कि वहाँ तो... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 2 185 Share Khajan Singh Nain 25 Apr 2024 · 1 min read दीपावली की दीपमाला दिवाली पर्व है जीवन को रोशनी से जगमगाने का, पर्व, जीवन के अंधेरों को रोशनी से मिटाने का। दिवाली प्रतीक है जीवन में प्रकाश के रंग भरने का, जीवन में... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 112 Share Khajan Singh Nain 25 Apr 2024 · 1 min read अक्षम_सक्षम_कौन? कोरोना ने नए-नए सबक़ बहुत सिखाए हैं, लोगों को फ़ुरसत में समझ बखूबी आए हैं। वक्त के साथ मिले गहरे अनुभव हर रोज़ नए, कोरोना काल में सहज ही सहन... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 1 138 Share Khajan Singh Nain 25 Apr 2024 · 1 min read सवाल करना तो बनता है रिश्ते औपचारिक हो कर ऐसे ही धीरे-धीरे मरते हैं, आज हम संवेदनाएँ भी मैसेज से प्रकट करते हैं। सोशल मीडिया पर अजीब-अजीब चैलेंज आ रहे हैं, दंपत्ति की फ़ोटो डाल... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता 3 131 Share Khajan Singh Nain 20 Mar 2024 · 1 min read "सच" खोज पूरी होना ही अंत है, सच की खोज तो अनंत है। जो शाश्वत है उसकी खोज कैसी? जो अंत है, अनंत है, फिर खोज कैसी? जो सनातन है, जवलंत... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 3 1 173 Share Khajan Singh Nain 16 Feb 2024 · 3 min read बैंकर कोर्ट के आहते में काफी देर से खड़ा था, डिपोजिट में हिस्सा मिलेगा या नहीं, उधेड़बुन में पड़ा था. बहुमुखी सेवा के कारण बैंकर होना खल रहा था, अपने बैंकिंग... Poetry Writing Challenge-2 161 Share Khajan Singh Nain 11 Feb 2024 · 1 min read भारत रत्न सम्मान सौदेबाजी में मांगा नहीं कमाया जाता है, वक्त आने पर पूर्वजों सा दम दिखाया जाता है। सम्मान अब वोट पाने के लिए बांटे जाने लगे हैं, प्रलोभन के टुकड़ों... Poetry Writing Challenge-2 1 163 Share Khajan Singh Nain 6 Feb 2024 · 1 min read गिरावट नीचे गिरते देख हर बार आयाम आखरी लगता है, कीर्तिमान ऊंचाइयों का ही नहीं गिरने का भी हो सकता है। हर गिरावट पर कीर्तिमान पहले का बिखरता है, आयाम और... Poetry Writing Challenge-2 207 Share Khajan Singh Nain 4 Feb 2024 · 2 min read सेवानिवृत्ति घाट-घाट का पानी और देखी जगह-जगह की मिट्टी, अनुभवों और अहसासों की शृंखला, कुछ खट्टी कुछ मिठ्ठी | बैंकर होना लगा कभी जैसे हो प्रतिभा बहुमुखी, बड़े प्रोजेक्ट्स का लागू... Poetry Writing Challenge-2 172 Share Khajan Singh Nain 2 Feb 2024 · 2 min read तरक्की मेरे दफ्तर से घर आते ही श्रीमती जी ने कही, अजी सुनते हो, शर्मा जी की तो हो गई. तुम्हारी पता नहीं कब होगी तरक्की ? शायद मैं ही हूँ... Poetry Writing Challenge-2 198 Share Khajan Singh Nain 2 Feb 2024 · 1 min read परिवर्तन घोर संकट में भी पता नहीं कैसे अभी बाक़ी विश्वास है, शायद इसी लिए कहा गया है कि जब तक साँस तब तक आस है जो बार-बार आशा की किरण... Poetry Writing Challenge-2 246 Share Khajan Singh Nain 1 Feb 2024 · 1 min read विकल्प एक महाशय पान की दुकान पर आये, इससे पहले कि दुकानदार पूछ पाए. फटाफट पान लगाने की कही, जिसे देख कर पान वाले की ‘कितने पान लगाऊं’ पूछने की हिम्मत... Poetry Writing Challenge-2 309 Share Khajan Singh Nain 1 Feb 2024 · 1 min read आवाहन इससे पहले कि न्याय ईतिहास की चीज बन जाये, अनजाने गर्तों में दफ़न जाये. अन्याय इसकी जगह ले ले, शोषण और ज्यादती घर-घर खेले. थाम दो वक्त की धारा को,... Poetry Writing Challenge-2 157 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read अंतर ये हसरत भरी निगाहें निहार रही हैं ऊँचाइयों पर ठहरे ऐशो-आराम को, वहां पर पहुँचने और ठहरने के लिए सीढी बनाया है जिसने हमारे श्रम और काम को. क्या हमारी... Poetry Writing Challenge-2 1 222 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read लड़ाई छल और हल की मसला किसान समस्याओं के हल का है, और मुक़ाबला ‘हल’ और ‘छल’ का है। ‘छल’ की सीधी कोई चाल नहीं होती, ‘छल’ की उम्र लम्बी हरहाल नहीं होती। छलिया अपनी... Poetry Writing Challenge-2 152 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read हत्या, आत्महत्या, सियासत कहीं आत्महत्या भी रहती है सुर्ख़ियों में, और कहीं हत्या गुम हो जाती बेरुखियों में। सुविधा देखी जाती कि हत्या या आत्महत्या है, सियासत भी होती की आत्महत्या नहीं ये... Poetry Writing Challenge-2 165 Share Khajan Singh Nain 30 Jan 2024 · 1 min read सम्प्रेषण मैंने जब साहब की अमुक सफलता पर मिस्टर ‘च’ को बधाई दी, तो बात मेरे दोस्त के गले नहीं उतरी. बोले सफलता तो साहब ने हासिल की, और बधाई आप... Poetry Writing Challenge-2 165 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 1 min read बस बाकी रहगे यादयाँ में हुक्के पे कट्ठा भाईचारा दाल चाट ने चूल्हा हारा किसान ने पाणि का झारा बस बाक़ी रहगे यादयाँ में कोल्हू पे गुड़ और शक्कर दो झोटयाँ की खुली टक्कर हाल्ली... Poetry Writing Challenge-2 185 Share Khajan Singh Nain 29 Jan 2024 · 2 min read महामारी दुनिया जिससे सकते में, वो कोरोना नई बीमारी है, देखते देखते बन गई ये एक विश्वव्यापी महामारी है । सहायता और सहयोग का जज्बा बढ़ जाता ऐसे दौर में, हौसला,... Poetry Writing Challenge-2 127 Share Page 1 Next