Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
7 May 2024 · 1 min read

सरोकार

जंगल छोड़ जो समाज पनपा था उसे कहाँ पहुंचा दिया है,
देखते ही देखते समाज को वापिस जंगल बना दिया है।

राजनीति में आज नैतिक मूल्यों के माने ही खो गए हैं,
धर्मनिरपेक्ष के सामने खड़े शर्मनिपेक्ष हो गए हैं।

यह दौर अनैतिकता के ऐसे बीज बो गया है,
कि पतन अपनी सीमा छोड़ असीम हो गया है।

मानवता की गहराई खत्म हो गई आज इंसान में,
अंतर है ज्ञान के अहंकार और अहंकार के ज्ञान में।

ज्ञान का अहंकार तो इस कदर चढ़ गया है,
अहंकार का ज्ञान नहीं कि कितना बढ़ गया है।

आज भाईचारे में इस कदर जहर भर दिया है,
राजनीति में सामाजिक सरोकार ही खत्म कर दिया है।

1 Like · 80 Views
Books from Khajan Singh Nain
View all

You may also like these posts

मज़हब की आइसक्रीम
मज़हब की आइसक्रीम
singh kunwar sarvendra vikram
विचार
विचार
डॉ राजेंद्र सिंह स्वच्छंद
*श्रद्धेय रामप्रकाश जी की जीवनी मार्गदर्शन है (प्रसिद्ध कवि
*श्रद्धेय रामप्रकाश जी की जीवनी मार्गदर्शन है (प्रसिद्ध कवि
Ravi Prakash
उम्र नहीं बाधक होता।
उम्र नहीं बाधक होता।
manorath maharaj
सबका अपना दाना - पानी.....!!
सबका अपना दाना - पानी.....!!
पंकज परिंदा
देश का भविष्य
देश का भविष्य
Shweta Soni
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव
ओ अच्छा मुस्कराती है वो फिर से रोने के बाद /लवकुश यादव "अज़ल"
लवकुश यादव "अज़ल"
प्रेमानुभूति
प्रेमानुभूति
Akash Agam
ऋतु परिवर्तन
ऋतु परिवर्तन
ओमप्रकाश भारती *ओम्*
मिल जाएँगे कई सिकंदर कलंदर इस ज़माने में मगर,
मिल जाएँगे कई सिकंदर कलंदर इस ज़माने में मगर,
शेखर सिंह
LOST AND FOUND
LOST AND FOUND
Chitra Bisht
😊प्रभात-संदेश😊
😊प्रभात-संदेश😊
*प्रणय*
जुबां
जुबां
Sanjay ' शून्य'
घूंटती नारी काल पर भारी ?
घूंटती नारी काल पर भारी ?
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
जीवनसाथी  तुम ही  हो  मेरे, कोई  और -नहीं।
जीवनसाथी तुम ही हो मेरे, कोई और -नहीं।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
************* माँ तेरी है,माँ तेरी है *************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
मेरे दर्द को पढ़ने की
मेरे दर्द को पढ़ने की
हिमांशु Kulshrestha
"द्रोणाचार्य "
Dr. Kishan tandon kranti
कुल्लू -मनाली (कविता)
कुल्लू -मनाली (कविता)
Mangu singh
चांद को छुते हुए जीवन को छुएंगे।
चांद को छुते हुए जीवन को छुएंगे।
जय लगन कुमार हैप्पी
दारू के खतिरा भागेला
दारू के खतिरा भागेला
आकाश महेशपुरी
आधे अधूरे ख्वाब
आधे अधूरे ख्वाब
ललकार भारद्वाज
उजाले को वही कीमत करेगा
उजाले को वही कीमत करेगा
पूर्वार्थ
💤 ये दोहरा सा किरदार 💤
💤 ये दोहरा सा किरदार 💤
Dr Manju Saini
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
পছন্দের ঘাটশিলা স্টেশন
Arghyadeep Chakraborty
सोहर
सोहर
Indu Singh
वसंत पंचमी
वसंत पंचमी
Dr. Vaishali Verma
सारा खेल पहचान का है
सारा खेल पहचान का है
Sonam Puneet Dubey
बापूजी
बापूजी
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
श्रंगार
श्रंगार
Vipin Jain
Loading...