Sahityapedia
Sign in
Home
Your Posts
QuoteWriter
Account
19 Feb 2024 · 1 min read

ग़ज़ल सगीर

बे वजह बे सवाल रहता हूं।
सोच कर बे खयाल रहता हूं।

अपनी शर्तों पर जी रहा हूं मैं।
इसलिए बेमिसाल रहता हूं।

मैं मोहब्बत का एक परिंदा हूं।
इश्क में डाल डाल रहता हूं।

बहुत खामोशियां मिजाजी है।
चुप रहूं तो धमाल रहता हूं।

अब किसी से गिला न शिकवा है।
भूल कर हर मलाल रहता हूं।

साथ रखता हूं मैं “सगीर” दुआ।
हर घड़ी मैं निहाल रहता हूं।

Loading...