ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं,
ये शिकवे भी तो, मुक़द्दर वाले हीं कर पाते हैं, बेचैनियों को शब्द, कहाँ अब भाते हैं। ये कोरे अश्क जो, मन को हल्का कर जाते हैं, पलकें पलों में,...
Hindi · Manisha Manjari · Manisha Manjari Hindi Poem · कविता · मनीषा मंजरी