के.आर.परमाल 'मयंक' 103 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Feb 2021 · 1 min read बिरह का पंछी!! तुम्हारे बिरह की श़मा में जल रहा हूँ, तुम्हारी यादों के संग-संग चल रहा हूँ ! ख़लने लगा हूँ अब दोस्तों को अपने, सोचते हैं वे कि मैं बेढंग चल... "कुछ खत मोहब्बत के" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 15 57 967 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Oct 2019 · 1 min read 'धरती पुत्र किसान' न धूप कभी विचलित करती, न छाँह कभी आलस भरती। संतोष सदा गहना जिसका, वह देशरत्न कोई और नहीं। वह धरती-पुत्र किसान है। चाहे अतुलित बरसातें हों, सूखे का प्रचण्ड... Hindi · कविता 2 910 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Jan 2021 · 1 min read *कोरोना गजब ढा गया तू* ओ कोरोना ओ कोरोना, गजब ढा गया तू, सोचा था न कभी किसी ने, जगत छा गया तू ! चला चाइना चाल चुलबुली, मची विश्व में अजब खलबली ! हर... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 7 22 759 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Oct 2019 · 1 min read *गुरु वेदना* *आज गुरु की गरिमा, तार-तार हो गई। * गुरु और शिष्य में तकरार हो गई। झूठ की सच पर इस तरह मार हो गई, *'गुरु कुम्हार शिष्य कुंंभ'* की युक्ति... Hindi · कविता 1 588 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Oct 2019 · 1 min read माटी के सपूत हे माटी के सपूत! तुम्हें शत-शत नमन, बंजर पड़ी धरा भी तुम बना देते चमन। बाजुओं में जमाने की ताक़त है तुम्हारे । तुम पर ही आश्रित हैं शहर-गांव हमारे... Hindi · कविता 3 595 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Apr 2021 · 1 min read दलदल बनी राजनीति राजनीति दल दल बनी, नेता भये त्रिशूल| पानी सूखा आँखों का, उड़ती बेशर्म धूल|| सत्ता की चाहत बढ़ी, विभक्त करें नाकूल| धर्म-जाति-वर्ग भेद में, प्रमत्तक्रम अनुकूल|| Hindi · कविता 2 522 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Dec 2019 · 1 min read *अर्द्धांगिनी* मेरे दिल की अंतरंग तरंग हो तुम, दूर रहकर भी मेरे संग-संग हो तुम। भूल जाता हूँ सारी दुनिया तुम्हें पाकर, मेरे जीवन का अभिन्न अंग हो तुम। नहीं कहते... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 532 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Mar 2021 · 1 min read 'सुन्दर वितान' भीमराव अम्बेडकर जी ने, सबसे सुन्दर विधान रचा है| जाति-पाँति मतभेद मिटाकर, समतामूलक वितान रचा है| दुर्दिन दूर करन की खातिर, पिछड़ों का अधिकार रचा है| नारी - दलित उद्धारन... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 552 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Mar 2021 · 1 min read एक शेर मेरे दूर जाने पर कभी अश्क न बहाना, बिन सोचे-समझे कहीं इश्क न लड़ाना। समन्दर से भी गहरी है मयंक मोहब्बत, थाह की चाहत में व्यर्थ वक्त न गँवाना। ✍के.आर.परमाल... Hindi · शेर 2 483 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Sep 2019 · 1 min read 'मानवता की ललकार' तुम मरे तो भारतभूमि ने सहर्ष तुम्हें स्वीकार किया । इहलोक से परमलोक तक मानवता का नाम दिया। हमें जिन्दा रहकर भी न जीने का अधिकार दिया ! जिन्दा लाश... Hindi · कविता 3 515 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 28 Mar 2021 · 1 min read 'अबकी फीकी होली' धरा, हवा व पेड़ बचेंगे, मानव ज्ञान कमाल से| पर्यावरण दुरुस्त रहेगा, धुआँ-धूल-धमाल से| अबकी बार रंग खेलने, ना निकलो तुम होली में| कोरोना की गहन मार है, बैठे रहो... Hindi · कविता 2 479 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 21 Mar 2021 · 1 min read ''काव्य प्रतियोगिता'' साहित्य दहलीज प्रपोज़ करने वाले, आज एक-दूजे को ओट कर रहे हैं| अपनी कलम से चोट करने वाले, अब एक-दूजे को वोट कर रहे हैं| सोने और लोहे में अंतर... Hindi · कविता 1 524 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Mar 2021 · 1 min read "कनकलता" मंद-मंद मुस्का रही प्रभात किरण की लाली, मूँछों पर दे ताव खड़ी कनकलता हरियाली| चमचम चमके स्वर्णिम गेहूँ हरे खेत की बाली, पीत अम्बरी ओढ़ चुनरिया चले पवन निराली| 'मयंक'... Hindi · कविता 2 1 531 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Mar 2021 · 1 min read *प्रार्थना-गीत* आप सभी गुणी जनों से निवेदन है कि आने वाली 14 अप्रेल को बाबा साहब की जयंती पर बच्चों के बीच ये *प्रार्थना-गीत* अवश्य गाएँ| जिससे वर्तमान एवं आने वाली... Hindi · गीत 1 477 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read *'जय गुरु देव* गुरु की दी हुई ज़िंदगी, सदा करुँ गुरु जी बंदगी। गुरु बिन बने न ज़िंदगी, गुरु नामे क्या शर्मिंदगी।। ग्यान ध्यान सम्मान गुरु से, गुरु जगत पहचान। मयंक गुरु गुण... Hindi · दोहा 1 474 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 7 Mar 2021 · 1 min read तिरस्कृत-वेदना जला रहे हैं बिना आग के, बीज भेद के उगा रहे हैं | ऊँच-नीच की परिपाटी में, ज़हर समाज में जगा रहे हैं| रुला-रुलाकर खून के आँसू , ढाते ज़ुल्म... Hindi · कविता 1 499 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 27 Oct 2019 · 1 min read "शुभ दीपावली" आओ सब मिल मनाएँ हम दीवाली, कोई घर न रहे अब खाली! आओ सब मिल दीप जलाएँ, खुशियों में सब घुल-मिल जाएँ! बैर-भाव सब भूल-भालकर, एक-दूजे के घर-घर जाकर! बाँटें... Hindi · कविता 1 453 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 26 Sep 2019 · 1 min read 'न काँटा-कील होती माँ' मेरे जीवन की धड़कन है, मेरी पलकों की फड़कन है। बरसते बादलों के बीच, बिजली सी कड़कन है। प्यारी माँ रूप सृष्टि का, दिया जीवन ये उपकारी कभी इन्दु सी... Hindi · कविता 1 474 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2020 · 1 min read अत्याचारी दौर निकल अकेली ना घर से बेटी, साया बाहर शैतानों का। जहाँ फूल झड़ते बातों में डेरा वहीं हैवानों का।। आज दरिंदे औरंगजेब से बदतर सोचें रखते हैं । अपनी हवस... Hindi · कविता 2 1 417 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 2 Oct 2019 · 1 min read *मैं ऐसा देश बनाऊँगा* "मैं ऐसा देश बनाऊँगा" जहाँ प्रेम रहे और समता हो, जहाँ हर मानव में ममता हो , बसती जन-जन मानवता हो। मैं ऐसा वतन बनाऊँगा । मैं ऐसा देश बनाऊँगा।... Hindi · कविता 1 449 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 11 Feb 2021 · 1 min read पुत्रियाँ पितृ अंतर्नोद हैं पुत्रियाँ, मातृ हरित गोद हैं पुत्रियाँ! आकाश से ऊँची, संसार से विशाल, समुद्र से भी गहरी हैं पुत्रियाँ! चाँद सी शीतल, चाँदनी सी उज्ज्वल सूरज सी तेज़,... Hindi · कविता 3 2 454 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Jan 2020 · 1 min read लोहड़ी,पोंगल (मकर-सक्रांति) उत्तरायण जब सूरज आये, ठंडी लहर थर-थर थर्राए! हर्षोल्लासमय पतंग उड़ाएँ, मकर-सक्रांति का पर्व मनाएँ! यह सुसंकेत नई फसल का है, सब समस्याओं के हल का है, आओ मिलके खुशियाँ... Hindi · कविता 4 450 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Apr 2021 · 1 min read *डॉ.भीमराव जी अम्बेडकर* भीमराव अम्बेडकर जी ने, सबसे सुन्दर विधान लिखा है| जाति-पाँति मतभेद मिटाकर, समतामूलक वितान लिखा है| दुर्दिन दूर करन की खातिर, पिछड़ों का अधिकार लिखा है| नारी – दलित उद्धारन... Hindi · कविता 1 1 421 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 13 Nov 2019 · 1 min read @'बाल दिवस'@ तुम्हीं चन्द्रमा,तुम्हीं हो सूरज तुम ही पवन सितारे हो । तुम्हीं समय, सुरक्षा प्यारे भाग्य विधाता हमारे हो । तुम्हीं देश और वेश तुम्हीं हो, तुम ही प्रान्त हमारे हो... Hindi · कविता 425 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 5 Dec 2019 · 1 min read 'नेता जी बचालो देश को' नेता जी बचालो देश को, अब घूमो ना परदेश को। अर्थव्यवस्था की डूबी लुटिया, लाचार हो रही घर की बिटिया। अनभिज्ञ नहीं तुम सच्चाई से, मान लो भीषण संदेश को।... Hindi · कविता 2 411 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Oct 2020 · 1 min read तस्दीक-ए-हिफ़ाज़त अरि दल भंजन कर सके, न कोई ऐसा वीर यहाँ। नारी के सम्मान की खातिर, आवाज बने शमशीर जहाँ। उठ चल स्वरक्षा कर बेटी , बचा शिवा सा वीर कहाँ।... Hindi · कविता 1 386 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 15 Mar 2021 · 1 min read महाविभूति बामुश्किल जन्मती हैं ऐसी महाविभूतियाँ, युगों-युगों पर्यन्त पूजी जाएँ जिनकी मूर्तियाँ| संत पेरियार, बाबा अम्बेडकर, संत रैदास, साहब कांशीराम शाह, फुले, बुद्ध-सी हस्तियाँ|| आज भी कुर्बानियों का दौर है मयंक,... Hindi · कविता 1 399 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 16 Mar 2021 · 1 min read *बदल रहा तसवीर अपनी* कलम की लकीर से लिख रहा तकदीर अपनी, कर्मों की शमशीर से बदल रहा तदवीर अपनी| मन का - मनका बिखर रहा अनवरत संसार में, 'मयंक' मोती पिरो-पिरो बदल रहा... Hindi · शेर 1 1 407 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 19 Oct 2019 · 1 min read @माँ! तुम नहीं हो@ दरिद्रता-दीन-दुर्दिन बीत गये सारे, पर माँ! तुम नहीं हो, मिलती भरपेट रोटियाँ साँझ-सकारे पर माँ! तुम नहीं हो! करते हैं प्यार अपार ये संसार वाले, पर माँ! तुम नहीं हो,... Hindi · कविता 1 423 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Dec 2019 · 1 min read *बेटी का संदेश* जब धरा न होगी दुनिया में, अंकुर कहाँ उग पाएगा! जब बेटी ही न होगी जग में, तो बेटा कहाँ से आएगा!! जब दिनकर ही न उग पाया, तो दिवस... Hindi · कविता 436 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 12 Nov 2019 · 1 min read *टूटे ख्वाबों की तसवीर* टूटे हुए ख्वाबों की तसवीर बनाई है मैंने, ग़मों में मुस्कराने की तासीर बनाई है मैंने। भरा है सैलाब इन बेजुबान आँखों में, जिसे छुपाने की तदवीर बनाई है मैंने... Hindi · कविता 1 420 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Feb 2021 · 1 min read विचरते भावों को फिर पंख देते हैं विचरते भावों को चलो आज फिर पंख देते हैं, गगन में उड़ते पंछी को चलो फिर संग देते हैं| चुरा लें लो गगन सारे, चाँदनी चाँद और तारे, बिखरते चाँद-तारों... Hindi · मुक्तक 2 1 366 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 4 Dec 2019 · 1 min read 'आडम्बर' रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का, मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है, और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते, काले-दिल-निस्तेज।।... Hindi · कविता 387 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 18 Mar 2021 · 1 min read गिन्नी रिश्ते हेतु सुहागा 1. कर सकूँ विचरण भावों के पंख दे दो, भर सकूँ रंग धनु सा गगन निरंक दे दो| कर डालूँ सराबोर रिक्त भावों से मन, "मयंक" विमल बुद्धि की सु-तरंग... Hindi · कविता 2 370 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2021 · 1 min read *प्रिये तुम्हारे बिना* सूना सूना लगा सारा जग तुम्हारे बिना, ज़हर-सा लगा हर पल तुम्हारे बिना| मछली जैसे है तड़पती पानी के बिना, आसमान अधूरा जैसे चाँद-तारे बिना| नदिया हो बेढब जैसे किनारे... Hindi · ग़ज़ल/गीतिका 421 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2020 · 1 min read दोगला पंथी रुक जाता हूँ चलते चलते, थम जाती हैं सांँसें। देख दोगला रूप जहां का,मुंद जाती हैं आँखें।। मखमल-सी कोमल वाणी है,और चमकता तेज। अंत: कुटिल कटारी रखते,काले-दिल-निस्तेज।। बहिर्मुखी उमंग लिए... Hindi · कविता 2 366 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 1 Mar 2021 · 1 min read *मुफ़लिसी का जादू* बोलता हूँ कुछ तो दुनिया मुखालिफ हो जाती है, मेरे लफ़्ज़ों का क्या इतना असर होता है !! चलो मुफ़लिसी ने दुनिया जानने का हुनर तो दिया, अपना पराया कौन... Hindi · कविता 1 1 370 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 14 Apr 2021 · 1 min read दुर्व्यसन जुआँ-सट्टा-दुर्व्यसन लक्षण, पैसा-प्रतिष्ठा-स्वजीवन भक्षण। ना इनसे हो परिवार रक्षण, 'मयंक' त्याग दुर्व्यसन तत्क्षण। पढ़-लिखकर बन साक्षर, त्याग कुलक्षण, ज्ञान प्राप्त कर | सुख-आनंदालय लहराकर, परिवार में सुध्यान व्याप्त कर |... Hindi · कविता 426 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 6 Dec 2020 · 1 min read ऐसा हो परिवार ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| निर्मल, निश्छल, निष्कपट, नि:स्वारथ हर इंसान हो|| ऐसा हो परिवार जहाँ पर आदर और सम्मान हो| हर्ष, उमंग, उत्साही धारा, निशदिन... Hindi · कविता 1 1 367 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 29 Sep 2019 · 1 min read 'मोड़ दो रुख' मोड़ दो रुख हवाओं का गर बाधा बन बहने लगें। फूँक दो मंत्र कानों में लबों पर शब्द बहने लगें। झुकें न वे जो झुकते हैं थकें न वे जो... Hindi · कविता 1 377 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 22 Mar 2021 · 1 min read बूँद की बलि देख दशा जल की मेरी जान जली, मिला न जल वहाँ मची खलबली| जल की हर बूँद देती अपनी बलि, बूँद ने कहा मैं छोड़ धरा चली||1|| सुन हरी धरा... Hindi · गीत 2 359 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 25 Mar 2021 · 1 min read कोरोना का पुनरागमन लो फिर आ गया कोरोना, स्कूलों की ताला बंदी, बच्चों की मानसिक वृद्धि पर, आज़ादी की ताला बंदी| प्रायवेट शिक्षकों पर फिर आई, बेबाक आर्थिक तंगी| इक तरफा है कहर... Hindi · कविता 2 1 350 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Feb 2021 · 1 min read 'निर्मल स्वच्छ अंतर्मन हो' स्वच्छ छवि मण्डित हो अद्भुत पावन गंगा-सा हर घर निर्मल हो! मंदिर-मस्जिद-गिरजाघर और गुरुद्वारा सा हर घट निर्मल हो! ऊँचे विचार दया और करुणा सहानुभूति हो हर जन-मन में! परोपकार... Hindi · कविता 1 6 358 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 30 Jan 2021 · 1 min read *खत-ए-मोहब्बत लिख रहा हूँ* महर हो नज़र सबकी मेरी कलम पर, खत-ए-मोहब्बत जहाँ लिख रहा हूँ| समकेतिक हैं रिश्ते अतुल्य छबि में, फ़रमान में बस 'माँ' लिख रहा हूँ|| प्रीत है क्या जिसने करके... Hindi · कविता 1 3 335 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 31 Jan 2021 · 1 min read ये है हिन्दुस्तान हमारा निर्जीवों में भरा उजाला, जीवों में अंधियारा| पत्थर मूरत लड्डू खावै, पंडा घर उजियारा || मूरख मिल सब मंगल गावैं, फूँकें शंख स्वान | ये है हिन्दुस्तान हमारा ये है... Hindi · कविता 333 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 24 Feb 2021 · 1 min read वृद्धावस्था चला निरंतर बहुत मगर, लड़खड़ा रहा हूँ अब, जरा ज़रा-सी याद में, मैं बड़बड़ा रहा हूँ अब| अब कोई अपना 'मयंक', थाम ले दामन मेरा, दन्तहीन नखशिर गल, मैं तड़फड़ा... Hindi · शेर 349 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Mar 2021 · 1 min read *श्रङ्गार* रुनक-झुनक पायलिया बाजे, नुपुर पैर इतराय| चमचम चमचम चमके बिंदया, मुखड़ा दमके जाय|| कांति स्वर्णिम फूलों से गाल पर, केश लता लहराय| अधर-लालिमा नाक-नथनिया, माँग सिन्दूर भराय|| कानन कुण्डल बालन... Hindi · कविता 1 331 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 3 Mar 2021 · 1 min read मेरी ज़िन्दगी जाया ना करो आते ही तुम्हारे बदल जाते ये नज़ारे, जाते भी तुम्हारे बदल जाते ये नज़ारे| आ-जाकर इस तरह वक़्त ज़ाया न करो, आकर मेरी ज़िन्दगी फिर जाया ना करो| आते हो... Hindi · गीत 4 323 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 9 Feb 2021 · 1 min read 'वर्षगाँठ-शुभकामना' खुशियाँ हज़ारों चेहरे, खिलाती रहें आपकी, युग-युग शुभ घड़ी, मुस्कुराती रहे आपकी! आशियाना जहां बने, गुलज़ार बने ज़िन्दगी, कदम जहाँ-जहाँ पड़ें, हस्ती खिले आपकी!! खिले गली आँगन हँसे, बिखरे सुगंध... Hindi · कविता 1 1 342 Share के.आर.परमाल 'मयंक' 20 Feb 2021 · 1 min read "कहो कहाँ क्या तुमने कमाया!" धन दौलत ज़ायदाद ज़मीन, जगत तुमने क्या खूब कमाया| महल अटारी सदन दुमंजिल, मज़बूरों को बस नाच नचाया| कहो कहाँ क्या तुमने कमाया! रोशन आसमां पहले तुम्हारा, पाई धरा सब... Hindi · कविता 3 2 324 Share Page 1 Next