अनिल मिश्र 105 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next अनिल मिश्र 15 Jul 2021 · 1 min read अभिलाषा बीच सड़क पर खड़ा आदमी भकुआया सा दौड़ रही है गाड़ी देखो इधर-उधर से उधर-इधर से उधर-उधर से इधर-इधर से पार करूँ या रुक जाऊँ या फिर वापस मुड़ जाऊँ... Hindi · कविता 2 309 Share अनिल मिश्र 28 Aug 2021 · 1 min read रोटियाँ बेचैन कर जाता है कभी कभी रोटियों का गोल होना सदियों से रोटियां गोल हैं कोई नहीं उठाता आवाज़ रोटियाँ गोल ही क्यों हैं रोटियों का आकार भ्रमित कर जाता... Hindi · कविता 1 1 326 Share अनिल मिश्र 31 Dec 2021 · 1 min read बदल रहा फिर से एक वर्ष बदल रहा फिर से एक वर्ष ********************* बदल रहा फिर से एक वर्ष। तूफानों से जूझ जूझ कर अंधियारों से लड़ते भिड़ते बड़े-बड़े बगुले भी रोते देख-देख चूजे का हर्ष।... Hindi · कविता 359 Share अनिल मिश्र 8 Apr 2017 · 1 min read बाजार महानगर के व्यस्त,बेचैन,छटपटाते बाजार में ज़िंदगी अपनापन ढूँढ़ते-ढूँढ़ते प्रतिपल बिकती रहती है कृत्रिमता की गहरी खाई हमें निगलती जाती है। प्रतिक्षण रंग-बिरंगे अंतहीन आकर्षण आतंरिक व्यवधानों के बाद भी पल-पल... Hindi · कविता 309 Share अनिल मिश्र 24 Apr 2022 · 2 min read पिता पिता **** एक पिता कितना दृढ़ लगता है जीवन के हर चुभने वाले मोड़ों पर भी हँसते, मुस्कुराते बच्चों के चेहरे में जीवन की सारी खुशी और आनंद ढूंढते हुए... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 5 320 Share अनिल मिश्र 26 Mar 2017 · 1 min read गीत मत ह्रदय से गीत गाओ आज तुम रहने भी दो मौन मन की बात मत दिल में जगाओ रहने भी दो उषा का साथ भी पल भर निशा के साथ... Hindi · कविता 291 Share अनिल मिश्र 30 Jun 2020 · 1 min read ऐ बाबू बताना ऐ बाबू बताना *********** ना बरगद है कोई ना पीपल कहीं पर ये कैसा शहर है ऐ बाबू बताना। ना अमवा की डाली ना छोटे टिकोरे ना जामुन कहीं पर... Hindi · गीत 2 2 296 Share अनिल मिश्र 21 Dec 2020 · 1 min read क्या बोलूँ मैं तुम ही बोलो ना क्या बोलूँ मैं दिल के भाव सभी चोटिल हैं रक्तिम सब उद्गार कैसा कृत्रिम प्यार तुम्हारा रिश्तों का व्यापार सब नकली उपहार कहो ना क्या बोलूँ... Hindi · कविता 1 2 283 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2017 · 1 min read प्रेम रेत सी बंज़र ज़मीं पर,प्रेम का पौधा कहो कैसे लगाऊँ ढूँढूँ कहाँ मैं उर्वरा,जो नेह को भाये सदा। संबंध के झन-झन झिंगोले ने मस्तिष्क में तूफ़ान सा पैदा किया है।... Hindi · कविता 283 Share अनिल मिश्र 14 Jun 2021 · 3 min read बच्चों में नकल की प्रवृत्ति रोकनी होगी बच्चों में नकल करने की प्रवृत्ति रोकनी होगी *********************************** किसी भी राष्ट्र के बच्चे,नौनिहाल,किशोर और युवा वर्ग उस राष्ट्र के भविष्य हैं इसमें कोई संशय नहीं।प्रत्येक विकसित और विकासशील राष्ट्र... Hindi · लेख 2 2 291 Share अनिल मिश्र 10 Oct 2021 · 1 min read सड़कें नगरों की तड़पती छटपटाती, बेचैन सड़कें क्या-क्या नहीं देखतीं देखती हैं अत्याचार,अनाचार रात के घुप अंधेरों में और हाँ दिन में भी लुटते लोग, लूटते लोग दोनों ही इसकी क्रोधित... Hindi · कविता 1 2 273 Share अनिल मिश्र 29 May 2021 · 1 min read किसान किसान ***** सुबह-शाम,दिन-रात परिश्रम के पर्याय हैं वीर किसान कर्म-साधना के साधक हैं ये अपने भारत की शान। घनघोर हो बारिश,सर्दी,ठिठुरन जेठ की तपती दुपहरिया बढ़ें फसल खेतों में निशि... Hindi · कविता 292 Share अनिल मिश्र 12 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी जब कभी यह ज़िन्दगी बेचैन सी होने लगे करुण रस में हास्य रस का बीज यह बोने लगे कल्पना के जगत् में भी बात सच कहने लगे मधुशाला में भी... Hindi · कविता 296 Share अनिल मिश्र 16 Jun 2021 · 1 min read श्वांस श्वांस ना रुक जाए,यूँ भयभीत हूँ ज़िंदगी!तुम गद्य हो,मैं गीत हूँ। इस जगत् में हम सदा संघर्ष ही करते रहे हैं जीवन-अनल से,रोग से तो हम सदा लड़ते रहे हैं... Hindi · कविता 279 Share अनिल मिश्र 5 Jan 2021 · 1 min read फिर एक नया वर्ष आया है शीर्षक-फिर एक नया वर्ष आया है कितने ही संकल्प बचे हैं कई कसम पूरे करने हैं राह बड़ी अनजानी लगती लगता है सब माया है फिर एक नया वर्ष आया... Hindi · कविता 2 9 260 Share अनिल मिश्र 28 Jan 2017 · 1 min read दीप मुझको बना दो ना मुझको दीपक बना दो ना मैं तेरे अँधेरे कमरे में यूँ ही जलता रहूँ कुछ ना दिखे पर ताप से अपनें यूँ ही तपता रहूँ ज़िन्दगी के साँस को खोता... Hindi · कविता 250 Share अनिल मिश्र 2 Dec 2020 · 1 min read दोहे कोरोना है द्वार पर,दस्तक देता रोज संभल संभल घर मे रहें,बनकर राजा भोज। घर से बाहर निकलें नहीं,कोरोना को तड़पाएँ दास बनाकर कोरोना को,बर्त्तन हम धुलवाएँ। पियें चाय चालीस कप,अदरख... Hindi · कविता 247 Share अनिल मिश्र 10 Apr 2017 · 1 min read आवाज़ इन साँसों की छटपट बेचैनी को जगत् में कौन समझा है,बताओ ह्रदय की आवाज़ सुनने पास आओ। राह दिल की सत्य से होकर गुज़रती है भावनाएँ बीच में झटका भी... Hindi · कविता 241 Share अनिल मिश्र 5 Dec 2020 · 1 min read गीत मैं खुद के साथ हूँ फिर भी अकेला गीत गाता हूँ नयन में आँसुओं की धार लेकर गुनगुनाता हूँ। समर बेचैन तो करता हृदय में हूक भी उठती ये रिश्ते... Hindi · कविता 1 2 245 Share अनिल मिश्र 11 Jun 2021 · 1 min read रिश्ते अपने ही कंधों पर अपनी लाश लिए मैं चलता हूँ रिश्ते सारे मिथ्या हैं,मृत हैं,नित जलता हूँ,चलता हूँ। अग्नि कौन देगा यह चिंता,हे राम तुम्हारे कंधे पर जपकर प्रतिपल नाम... Hindi · कविता 1 2 258 Share अनिल मिश्र 2 Sep 2018 · 1 min read श्रृंगार मत निकालो मीन तुम और मत निकालो मेख ज़िंदगी कविता रही है क्यों लिखूँ मैं लेख भावना प्रतिपल जली है प्रेम को भी बाँटकर नेह में लिपटी हुई बत्ती जली... Hindi · कविता 231 Share अनिल मिश्र 6 Jan 2021 · 1 min read महल अट्टालिकाएँ यूं पडी रह जाएँगी खंभे उसमे सब गड़े रह जाएँगे बेईमानी हर पल तुझे तड़पाएगी ना चैन आएगा तुम्हें ना नींद आएगी। तेरे महल के पाषाण भी शिक्षक बने... Hindi · कविता 1 3 248 Share अनिल मिश्र 17 Jan 2021 · 1 min read रिश्ते जीवनदान भी देकर कोई स्नेह-सुधा ना पाता है यह धरणी है कलियुग की रिश्तों का भ्रम छल जाता है। इसमें नही विशेष है कुछ भी चिंतन और मनन को आज... Hindi · कविता 1 230 Share अनिल मिश्र 6 Jul 2021 · 1 min read कैसे होगी भोर कैसे होगी भोर *********** रात बड़ी अंधेरी दिखती किरण नहीं किसी ओर बताओ होगी कैसे भोर अजब सा दिल मे है यह शोर छटपट छटपट लगता जीवन चले साँस बड़ी... Hindi · गीत 235 Share अनिल मिश्र 24 Jul 2020 · 1 min read श्रमिक पसीने से लथपथ एक श्रमिक का टूटता शरीर तलवे से आधा लटका मांस का लोथड़ा तपती सड़क पर हज़ारों किलोमीटर से गांव में बसे भारत की खोज में जब पल-पल... Hindi · कविता 4 6 215 Share अनिल मिश्र 2 Apr 2017 · 1 min read ज़िंदगी ज़िंदगी!तुम कब तक रहोगी बनकर पहेली इस ह्रदय में बोल भी दो बेचैन होती स्वांस में तुम प्रेम का रस घोल भी दो। आज उर के बंधनों नें झंकृत किया... Hindi · कविता 208 Share अनिल मिश्र 29 Dec 2021 · 1 min read आओ मित्र आओ मित्र हम भी इत्र की दुनिया मे चलें छिड़केंगे कुछ खुद पर कुछ दूसरों पर अलग अलग किस्म के इत्र मेरे मित्र क्या करोगे पढ़ाकर बच्चे पढ़ गये तो... Hindi · कविता 223 Share अनिल मिश्र 5 Jul 2021 · 1 min read लम्हें लम्हे चंद ही थे पर लम्हे तो थे वो भी तो चंद-चंद मिलकर ही बने थे 'वो'तो बहुत सारे हैं चंद नहीं हैं पर लम्हे भी तो नहीं हैं लम्हें... Hindi · कविता 218 Share अनिल मिश्र 15 Aug 2022 · 1 min read No one knows No one knows.... ***************** With blooded eyes And the cruel hands Red Devil entered Into the life of many, Children,men and women lives and lives were taken away bodies and... English 255 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read जय-जय भारत! जय-जय भारत! ************ हिंद ही अपना वतन है हिंद अपनी शान है हिंद ही सर्वत्र विजयी हिंद ही अभिमान है। झूमता अपना तिरंगा देश का हर जन तिरंगा तन तिरंगा,मन... Hindi 1 258 Share अनिल मिश्र 20 Dec 2021 · 1 min read हे पाँख पक्षी ने अपने कमजोर होते टूटते पंख से कहा- क्या सच मे चले जाओगे मुझे छोड़कर तुम्हारे ही बल पर विश्वास कर मैंने उड़ने की कोशिश की फिर उड़ना भी... Hindi · कविता 212 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read Junction Under a big banyan tree In the Nature’s lap Just by the side of the village lake, My imagination was growing young going to the world of those days, diving... English 201 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2022 · 1 min read संयोग संयोग ***** जड़ का जहरीला हो जाना महज एक संयोग नहीं है आवृत्ति है नफरतों को उसमें ठूंसे जाने की तब तक जब तक जड़ की एक-एक नसें छोटी से... Hindi · कविता 174 Share अनिल मिश्र 28 Aug 2022 · 1 min read मुरी मुरी **** सफर में एक सहयात्री ने निद्रा से जागकर अचानक पूछा- 'मुरी पहुँच गयी क्या?' तात्पर्य स्पष्ट था भारतीय रेल पहुँच गयी क्या मैंने सहज शब्दों में उत्तर दे... Hindi 159 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read O Great Soul! Leaving all of us Alone in this mortal world Wailing after you, for your love & care O great soul ! You departed for heavenly abode. Tears are still rolling... English 162 Share अनिल मिश्र 24 Oct 2022 · 1 min read राम प्रतीक्षा तुम्हारी जगत कर रहा है नज़र द्वार पर है दिल बेचैन काफी बरसों सुबह बीते बीती हैं शाम क्या सचमुच तुम घर को लौटोगे राम? मंथरा रो रही है,कैकेयी... Hindi 168 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read Walking Alone Walking alone In the darkness Pleases everyone it is not so easy to walk long at that time slot as one has to leave the false self, the ego, One... English 192 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read Life Life is a lemon, sometimes valuable& precious. It is cut,squeezed, used with salt otherwise pickled in the scorching sun. Circumstances also squeeze time and again and get the same quantity... English 163 Share अनिल मिश्र 18 Dec 2022 · 1 min read बदल रहा फिर से एक वर्ष बदल रहा फिर से एक वर्ष। तूफानों से जूझ-जूझ कर अंधियारों से लड़ते-भिड़ते बड़े-बड़े बगुले भी रोते देख-देख चूजे का हर्ष। बदल रहा फिर से एक वर्ष। मजदूरों की रोटी... Hindi 163 Share अनिल मिश्र 5 Dec 2022 · 1 min read आईना आईना ****** आईने में खुद को देखा खुद से खुद ही जा मिला बारीकियां अपनी नज़र आईं मुझे प्रेम की गगरी छलकती ही रही। आँखों से किसी के प्रेम ने... Hindi 191 Share अनिल मिश्र 18 Jun 2023 · 2 min read हे पिता हे पिता! ****** हे पिता! तुम्हारे लिए आज जो दिवस बने हैं मैं ठुकराता हूँ प्रतिपल ऐसे दिवसों को। जीवन के क्षण क्षण में जो दुख आते थे तुम उनको... Hindi 1 217 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read Destiny Destiny ******** Cries a man when his agony wails within his thought's domain crossing the boundary of pain and suffering as a result of his friends' betrayal seeks sympathy from... English 118 Share अनिल मिश्र 24 Feb 2023 · 1 min read नारीवाद नारीवाद पर नित नये उठते प्रश्न झकझोरते हैं आत्मा को पूछते हैं कई सारे प्रश्न समय सभी को एक नये साँचे में ढाल देता है पुरुष और स्त्री दोनों का... Hindi 1 134 Share अनिल मिश्र 3 Oct 2022 · 1 min read कितनी बार कितनी बार मरोगे रावण कितनी बार मरोगे तुम कष्ट तुम्हारे देख देख कर दुःख होता है यह जग तुमको खोता है,दिल रोता है। तुम पुतलों में जीवंत हो रहे पुतलों... Hindi 133 Share अनिल मिश्र 16 Dec 2022 · 1 min read वक़्त बेवक्त वक़्त-बेवक्त ********* अपने मन की एक छोटी सी कोठरी में मैंने रखा था एक पिटारा यादों का खोलता था उसे वक़्त-बेवक्त मरोड़ता था खुद को, निचोड़ता था अपनी आत्मा को... Hindi 129 Share अनिल मिश्र 9 Sep 2022 · 1 min read हिंदी खूब बोलिए आंग्ल सभी,हिंदी छोड़िए आप हिंदी,हिंदी दिवस को,आज लगेगा पाप | हिंदी दिवस आने को है,है अंग्रेजी बेचैन सालों भर मैं साथ हूँ,काजल बचे ना नैन | सौरी,थैंक यू... Hindi 99 Share अनिल मिश्र 28 Jul 2023 · 1 min read रिश्ते ये जो रिश्ते हैं ना ये झट से नहीं टूट जाते इनके टूटने की भी एक सतत प्रक्रिया होती है पहले दीवारों पर जैसे दरारों की अनुभूति होती है ना... Hindi 1 1 122 Share अनिल मिश्र 29 Jul 2023 · 1 min read शब्द क्यों खामोश हैं तुम्हारे शब्द कोई आवाज़ नहीं आ रही एक लंबे अंतराल से क्यों घुंट रहे हैं तुम्हारे शब्द बाहर आने की प्रत्याशा में मुखरित हो जाने की आशा... Hindi 1 121 Share अनिल मिश्र 23 Nov 2023 · 1 min read सृजन सृजन हो,निशा हो निशा हो,सृजन हो सृजन ही निशा हो निशा ही सृजन हो उषा पथ-सृजन को निहारे,बिलोके मैं कैसे निशा को मिटाऊँ ये सोचे सृजन पथ ये मेरा हुआ... Hindi 156 Share अनिल मिश्र 14 Dec 2023 · 1 min read भूमिका जीवन रूपी पुस्तक की भूमिका बदल जाती है तब जब आगे के अध्याय में चरित्र स्वतः लेखक के विचार से काफी दूर होकर परिवर्तित होने लगते हैं। **अनिल मिश्र,प्रकाशित Hindi 1 1 110 Share Previous Page 2 Next