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3 Oct 2022 · 1 min read

कितनी बार

कितनी बार मरोगे रावण
कितनी बार मरोगे तुम
कष्ट तुम्हारे देख देख कर
दुःख होता है
यह जग तुमको खोता है,दिल रोता है।
तुम पुतलों में जीवंत हो रहे
पुतलों के पर्याय बन रहे
जब कोई पुतला चौराहों पर जलता है
दिल रोता है
बच्चे रावण-रावण करते हैं
जग सोता है
तुम लोगों के दिल रखते हो
मन में सबके विष रखते हो
खुद में सबके तीर चुभाकर
‘रावण’को’रावण’रखते हो।
पर कितनी बार मरोगे रावण
कितनी बार मरोगे तुम?
—अनिल कुमार मिश्र,प्रकाशित

Language: Hindi
129 Views
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