अनिल मिश्र Language: Hindi 98 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid अनिल मिश्र 16 Apr 2024 · 1 min read माँ माँ तुम स्त्री मत बनना हमेशा दूर रहना आधुनिक स्त्रीत्व से ताकि तुम्हारे अंदर मातृत्त्व हमेशा जीवित रहे हमेशा अपनी अलग पहचान रखना उस स्त्रीत्व से हाँ, वही स्त्रीत्व जो... Hindi 60 Share अनिल मिश्र 14 Apr 2024 · 1 min read प्यारे मन प्यारे मन ******* क्यों भटकते हो मन क्यों बेचैन हो जाते हो किसे खोजते हो किसे ढूँढते हो.. कौन था तेरा जो खो गया यह संसार एक ऐसी दुनिया है... Hindi 1 61 Share अनिल मिश्र 20 Mar 2024 · 1 min read पिटूनिया बालकनी में पिटूनिया के खिलते फूल घर की आंतरिक ऊर्जा से मुस्कुराते हैं खिलखिलाते हैं हृदय से उदास भी होते हैं रोते भी हैं दुःख से सूखने लगते हैं जब... Hindi 1 45 Share अनिल मिश्र 20 Mar 2024 · 1 min read गौरैया आ खिड़की पर बैठ भी जा छोटी प्यारी गौरैया झूम झूम आंगन में नाचो मेरी प्यारी गौरैया। तेरी चूं-चूं तेरी चीं-चीं मन को प्रतिपल हर्षाती है तेरा सच्चा प्यार अनोखा... Hindi 1 35 Share अनिल मिश्र 14 Dec 2023 · 1 min read भूमिका जीवन रूपी पुस्तक की भूमिका बदल जाती है तब जब आगे के अध्याय में चरित्र स्वतः लेखक के विचार से काफी दूर होकर परिवर्तित होने लगते हैं। **अनिल मिश्र,प्रकाशित Hindi 1 1 111 Share अनिल मिश्र 23 Nov 2023 · 1 min read सृजन सृजन हो,निशा हो निशा हो,सृजन हो सृजन ही निशा हो निशा ही सृजन हो उषा पथ-सृजन को निहारे,बिलोके मैं कैसे निशा को मिटाऊँ ये सोचे सृजन पथ ये मेरा हुआ... Hindi 158 Share अनिल मिश्र 29 Jul 2023 · 1 min read शब्द क्यों खामोश हैं तुम्हारे शब्द कोई आवाज़ नहीं आ रही एक लंबे अंतराल से क्यों घुंट रहे हैं तुम्हारे शब्द बाहर आने की प्रत्याशा में मुखरित हो जाने की आशा... Hindi 1 134 Share अनिल मिश्र 28 Jul 2023 · 1 min read रिश्ते ये जो रिश्ते हैं ना ये झट से नहीं टूट जाते इनके टूटने की भी एक सतत प्रक्रिया होती है पहले दीवारों पर जैसे दरारों की अनुभूति होती है ना... Hindi 1 1 129 Share अनिल मिश्र 18 Jun 2023 · 2 min read हे पिता हे पिता! ****** हे पिता! तुम्हारे लिए आज जो दिवस बने हैं मैं ठुकराता हूँ प्रतिपल ऐसे दिवसों को। जीवन के क्षण क्षण में जो दुख आते थे तुम उनको... Hindi 1 220 Share अनिल मिश्र 24 Feb 2023 · 1 min read नारीवाद नारीवाद पर नित नये उठते प्रश्न झकझोरते हैं आत्मा को पूछते हैं कई सारे प्रश्न समय सभी को एक नये साँचे में ढाल देता है पुरुष और स्त्री दोनों का... Hindi 1 134 Share अनिल मिश्र 18 Dec 2022 · 1 min read बदल रहा फिर से एक वर्ष बदल रहा फिर से एक वर्ष। तूफानों से जूझ-जूझ कर अंधियारों से लड़ते-भिड़ते बड़े-बड़े बगुले भी रोते देख-देख चूजे का हर्ष। बदल रहा फिर से एक वर्ष। मजदूरों की रोटी... Hindi 164 Share अनिल मिश्र 16 Dec 2022 · 1 min read वक़्त बेवक्त वक़्त-बेवक्त ********* अपने मन की एक छोटी सी कोठरी में मैंने रखा था एक पिटारा यादों का खोलता था उसे वक़्त-बेवक्त मरोड़ता था खुद को, निचोड़ता था अपनी आत्मा को... Hindi 131 Share अनिल मिश्र 5 Dec 2022 · 1 min read आईना आईना ****** आईने में खुद को देखा खुद से खुद ही जा मिला बारीकियां अपनी नज़र आईं मुझे प्रेम की गगरी छलकती ही रही। आँखों से किसी के प्रेम ने... Hindi 198 Share अनिल मिश्र 24 Oct 2022 · 1 min read राम प्रतीक्षा तुम्हारी जगत कर रहा है नज़र द्वार पर है दिल बेचैन काफी बरसों सुबह बीते बीती हैं शाम क्या सचमुच तुम घर को लौटोगे राम? मंथरा रो रही है,कैकेयी... Hindi 169 Share अनिल मिश्र 3 Oct 2022 · 1 min read कितनी बार कितनी बार मरोगे रावण कितनी बार मरोगे तुम कष्ट तुम्हारे देख देख कर दुःख होता है यह जग तुमको खोता है,दिल रोता है। तुम पुतलों में जीवंत हो रहे पुतलों... Hindi 135 Share अनिल मिश्र 9 Sep 2022 · 1 min read हिंदी खूब बोलिए आंग्ल सभी,हिंदी छोड़िए आप हिंदी,हिंदी दिवस को,आज लगेगा पाप | हिंदी दिवस आने को है,है अंग्रेजी बेचैन सालों भर मैं साथ हूँ,काजल बचे ना नैन | सौरी,थैंक यू... Hindi 101 Share अनिल मिश्र 28 Aug 2022 · 1 min read मुरी मुरी **** सफर में एक सहयात्री ने निद्रा से जागकर अचानक पूछा- 'मुरी पहुँच गयी क्या?' तात्पर्य स्पष्ट था भारतीय रेल पहुँच गयी क्या मैंने सहज शब्दों में उत्तर दे... Hindi 161 Share अनिल मिश्र 14 Aug 2022 · 1 min read जय-जय भारत! जय-जय भारत! ************ हिंद ही अपना वतन है हिंद अपनी शान है हिंद ही सर्वत्र विजयी हिंद ही अभिमान है। झूमता अपना तिरंगा देश का हर जन तिरंगा तन तिरंगा,मन... Hindi 1 261 Share अनिल मिश्र 24 Apr 2022 · 2 min read पिता पिता **** एक पिता कितना दृढ़ लगता है जीवन के हर चुभने वाले मोड़ों पर भी हँसते, मुस्कुराते बच्चों के चेहरे में जीवन की सारी खुशी और आनंद ढूंढते हुए... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 5 5 322 Share अनिल मिश्र 4 Apr 2022 · 1 min read संयोग संयोग ***** जड़ का जहरीला हो जाना महज एक संयोग नहीं है आवृत्ति है नफरतों को उसमें ठूंसे जाने की तब तक जब तक जड़ की एक-एक नसें छोटी से... Hindi · कविता 176 Share अनिल मिश्र 31 Dec 2021 · 1 min read बदल रहा फिर से एक वर्ष बदल रहा फिर से एक वर्ष ********************* बदल रहा फिर से एक वर्ष। तूफानों से जूझ जूझ कर अंधियारों से लड़ते भिड़ते बड़े-बड़े बगुले भी रोते देख-देख चूजे का हर्ष।... Hindi · कविता 366 Share अनिल मिश्र 29 Dec 2021 · 1 min read आओ मित्र आओ मित्र हम भी इत्र की दुनिया मे चलें छिड़केंगे कुछ खुद पर कुछ दूसरों पर अलग अलग किस्म के इत्र मेरे मित्र क्या करोगे पढ़ाकर बच्चे पढ़ गये तो... Hindi · कविता 227 Share अनिल मिश्र 22 Dec 2021 · 1 min read चिड़िया रानी चिड़िया रानी *********** चिड़िया रानी आओ ना ची ची ची ची गाओ ना दूध भात छज्जे पर रखा थोड़ा भोग लगाओ ना। जब तुम खिड़की पर आती हो हँसती हो... Hindi · कविता · बाल कविता 516 Share अनिल मिश्र 20 Dec 2021 · 1 min read हे पाँख पक्षी ने अपने कमजोर होते टूटते पंख से कहा- क्या सच मे चले जाओगे मुझे छोड़कर तुम्हारे ही बल पर विश्वास कर मैंने उड़ने की कोशिश की फिर उड़ना भी... Hindi · कविता 214 Share अनिल मिश्र 17 Dec 2021 · 1 min read रिश्ते आओ ना हम कोशिश करें समझने की रिश्तों की दुनिया को खून के रिश्तों को हाँ उन रिश्तों को जिन्हें हमने नहीं बनाया बनाया है विधाता ने गर समझ जाओ... Hindi · कविता 349 Share अनिल मिश्र 8 Dec 2021 · 1 min read कविताएँ जब-जब दिल को ठेस लगी हँसा जगत,रोयी कविताएँ करुणा के झरने बरसाकर मुस्काकर रोयी कविताएँ। तब हँसा जगत,दिल घबराया जब प्यार लुटाकर रोयी आँखें दिल का जकड़न,भीगी आँखें देख-देख बिलखी... Hindi · कविता 1 485 Share अनिल मिश्र 27 Nov 2021 · 3 min read बच्चों में नकल करने की प्रवृत्ति रोकनी होगी किसी भी राष्ट्र के बच्चे,नौनिहाल,किशोर और युवा वर्ग उस राष्ट्र के भविष्य हैं इसमें कोई संशय नहीं।प्रत्येक विकसित और विकासशील राष्ट्र शिक्षा के क्षेत्र में अपने आपको अग्रणी देखना चाहता... Hindi · लेख 497 Share अनिल मिश्र 27 Nov 2021 · 1 min read संबंध संबंध ***** अस्थियां रोती रही,अपना नहीं आया कोई राख के इस रूप में मुझको न पहचाना कोई। मुझसे जन्मे कई रिश्ते प्रेम के और प्यार के पुत्रियाँ कुछ पुत्र भी... Hindi · कविता 1 372 Share अनिल मिश्र 24 Nov 2021 · 1 min read वर्षगाँठ काल के बेपरवाह प्रवाह में बीतते जाते हैं'साल' और हाँ'वर्ष' भी धीमे-धीमे चुभते या आनंदित करते बीत ही जाते हैं बहती हैं धाराएँ प्रेम की कहीं कहीं कहीं नफ़रत रुकने... Hindi · कविता 481 Share अनिल मिश्र 13 Nov 2021 · 1 min read दुआएँ तुम्हारी बददुआओं नें इतनी दुआएँ दे दीं हैं मुझे कि आज हँसता भी हूँ तो आँसू बह निकलते हैं क्या कहूँ ये अपनों का प्यार ही तो है जो आँसू... Hindi · कविता 469 Share अनिल मिश्र 10 Nov 2021 · 1 min read चितचोर सहमी सहमी सी किरण चहुँ ओर है भोर ठंड,सभी बिस्तर पड़े पलकों में चितचोर। पलकों में चितचोर कहीं वह भाग ना जाए बिस्तर पर ही रहूँ पड़ा जब तक चाय... Hindi · कविता 558 Share अनिल मिश्र 9 Nov 2021 · 1 min read शब्द शब्द की गहराई अथाह होती है समा जाती हैं सारी चीजें इन शब्दों में। हर्ष,विषाद ईर्ष्या, भावनाएँ मधुरता,संवेदना और सब कुछ। फिर भी लाचार हो जाते हैं शब्द कभी-कभी जब... Hindi · कविता 1 431 Share अनिल मिश्र 9 Nov 2021 · 1 min read आँसू जिनके जिम्मे आँखों में आँसू नहीं आने देना था उनलोगों ने ही नहर खोद दी आँखों मे आँसुओं की और हाँ जिनकी आँखों में आँसू की एक बूंद भी नहीं... Hindi · कविता 411 Share अनिल मिश्र 28 Oct 2021 · 1 min read लोग और रिश्ते कुछ 'लोग' हैं कुछ 'रिश्ते' हैं मैंने दोनों को अलग-अलग ढूँढा सभी रिश्तों में 'लोग' मिले और 'लोगों' में मिले कुछ नायाब रिश्ते मिलते ही रहे अनवरत लोगों में रिश्ते... Hindi · कविता 2 1 356 Share अनिल मिश्र 10 Oct 2021 · 1 min read सड़कें नगरों की तड़पती छटपटाती, बेचैन सड़कें क्या-क्या नहीं देखतीं देखती हैं अत्याचार,अनाचार रात के घुप अंधेरों में और हाँ दिन में भी लुटते लोग, लूटते लोग दोनों ही इसकी क्रोधित... Hindi · कविता 1 2 277 Share अनिल मिश्र 16 Sep 2021 · 1 min read उठो विक्रम राजा विक्रम! क्या बेताल आज भी तुम्हारे कंधे से भाग जाता है तुम उसे कंधे पर ले पाते हो ना या वह कंधे पर भी नहीं आता इतने वर्षों में... Hindi · कविता 1 1 318 Share अनिल मिश्र 11 Sep 2021 · 1 min read हिंदी दिवस फिर आया हिंदी दिवस रोता-गाता मित्र हम बसते निज देश में धरकर चित्र,विचित्र सालों भर अंग्रेज़ी भजें, गीता भी आंग्ल में गाएँ जब आए हिंदी दिवस, मिलकर मोद मनाएँ। काहे... Hindi · कविता 1 346 Share अनिल मिश्र 28 Aug 2021 · 1 min read रोटियाँ बेचैन कर जाता है कभी कभी रोटियों का गोल होना सदियों से रोटियां गोल हैं कोई नहीं उठाता आवाज़ रोटियाँ गोल ही क्यों हैं रोटियों का आकार भ्रमित कर जाता... Hindi · कविता 1 1 328 Share अनिल मिश्र 19 Aug 2021 · 1 min read लेखनी लेखनी जाने क्यूँ काफी दिनों से चुप सी है बात कुछ तो है लेखनी खामोश तो होती नही आदत सी है उसकी बस बोलने की कोई सुने,ना सुने कोई फर्क... Hindi · कविता 527 Share अनिल मिश्र 10 Aug 2021 · 1 min read रिश्ता मैं कौन हूँ मुझसे मेरा रिश्ता है क्या यह तुम बताओ तुम कौन हो तुझसे तेरा रिश्ता है क्या मैं यह बताऊँ। किश्त में रिश्ते निभाना शायद जटिल है एकमुश्त... Hindi · कविता 1 426 Share अनिल मिश्र 31 Jul 2021 · 1 min read बारिश बारिश ***** मेरे घर के बाहर बारिश तेरे घर के बाहर बारिश सबके घर के बाहर बारिश आओ धूम मचाएँ हम। तुम भी झूमो,हम भी झूमे बारिश की बूंदों को... Hindi · कविता 383 Share अनिल मिश्र 30 Jul 2021 · 1 min read कविताएँ कविताएँ थक सी गई हैं अब बहुत बोलीं,बोलती रहीं रहस्यों के पट खोलती रहीं पर थक गयी हैं कविताएँ अब प्रेम को व्यक्त किया बयां किया नफरतों के पीछे का... Hindi · कविता 2 2 456 Share अनिल मिश्र 15 Jul 2021 · 1 min read अभिलाषा बीच सड़क पर खड़ा आदमी भकुआया सा दौड़ रही है गाड़ी देखो इधर-उधर से उधर-इधर से उधर-उधर से इधर-इधर से पार करूँ या रुक जाऊँ या फिर वापस मुड़ जाऊँ... Hindi · कविता 2 313 Share अनिल मिश्र 9 Jul 2021 · 1 min read बेटे का प्यार इस दिल के मृदु वाद्य तरंगों को किसने हर्षाया है मेरे बेटे का प्यार लिपटकर बंद लिफाफे में आया है जीवन के तूफानों से जब टूट चुका था अंतर्मन उस... Hindi · कविता 2 442 Share अनिल मिश्र 6 Jul 2021 · 1 min read कैसे होगी भोर कैसे होगी भोर *********** रात बड़ी अंधेरी दिखती किरण नहीं किसी ओर बताओ होगी कैसे भोर अजब सा दिल मे है यह शोर छटपट छटपट लगता जीवन चले साँस बड़ी... Hindi · गीत 235 Share अनिल मिश्र 5 Jul 2021 · 1 min read लम्हें लम्हे चंद ही थे पर लम्हे तो थे वो भी तो चंद-चंद मिलकर ही बने थे 'वो'तो बहुत सारे हैं चंद नहीं हैं पर लम्हे भी तो नहीं हैं लम्हें... Hindi · कविता 218 Share अनिल मिश्र 24 Jun 2021 · 1 min read क्या मिलेगा पत्थरों पर सिर पटककर क्या मिलेगा बेसुध पड़े लोगों से तुमको क्या मिलेगा ज़िंदगी जीवित भी है या मर चुकी दूसरों को यह बताकर क्या मिलेगा? मिल गये दीवार तुमको... Hindi · कविता 355 Share अनिल मिश्र 24 Jun 2021 · 1 min read सुनो शकुनि शुभ संध्या मित्रों! सुनो शकुनि! स्वस्थ तो जरूर होगे कोरोना से बच भी गये होगे तुमने सब रिश्तों में तो आग लगा ही दी थी अब सब बीमारी भी आपस... Hindi · कविता 548 Share अनिल मिश्र 22 Jun 2021 · 1 min read नीति शुभ दुपहरी मित्रों! नहीं नेक है नीति किसी की है यह कौआ युद्ध नोच रहे हैं प्रतिपल सबको नहीं कोई है शुद्ध। कैसे काटें,कैसे नोचें कैसे मारें चोंच दर्द भी... Hindi · कविता 2 561 Share अनिल मिश्र 16 Jun 2021 · 1 min read श्वांस श्वांस ना रुक जाए,यूँ भयभीत हूँ ज़िंदगी!तुम गद्य हो,मैं गीत हूँ। इस जगत् में हम सदा संघर्ष ही करते रहे हैं जीवन-अनल से,रोग से तो हम सदा लड़ते रहे हैं... Hindi · कविता 279 Share Page 1 Next