Deepesh Dwivedi 101 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Deepesh Dwivedi 26 May 2024 · 1 min read सिला खुशी की चाह में गम को गले लगाते रहे कोई दुश्मन ना रहा दोस्त यूं बनाते रहे अजब सिला ‘चिराग’ सादगी का हमको मिला वफा निभाते रहे हम, वो आजमाते... Poetry Writing Challenge-3 1 56 Share Deepesh Dwivedi 26 May 2024 · 1 min read प्रसव जब सतरंगी सपना कोई अक्सर मन को छल जाता है जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है जब दर्द पराया अपना बंद अंतर्मन को मथ देता है... Poetry Writing Challenge-3 1 76 Share Deepesh Dwivedi 26 May 2024 · 1 min read अपना लिया बांसुरी बजे उठी तुमने क्या गा दिया मानो अमृत घटाओं ने बरसा दिया गुनगुनाते अधर मुस्कुराते नयन मन की वीणा को सहसा ही सरसा दिया जब उठाए नयन झांकियां सज... Poetry Writing Challenge-3 1 56 Share Deepesh Dwivedi 26 May 2024 · 1 min read तुम्हारा हो मै जर्जर नौका का नाविक और तुम ही मेरा किनारा हो वह कौन अभागा होगा जो सचमुच न हुआ तुम्हारा हो कृशकाय हुआ है तन तो क्या काया तो नश्वर... Poetry Writing Challenge-3 1 54 Share Deepesh Dwivedi 26 May 2024 · 1 min read सहगामिनी तुम यदि जीवन मे न मिलते अश्रु दृगों से कभी न ढलते हाँ तुमने मुस्कान मुझे दी लेकिन रोना भी सिखलाया मैं तो कभी न हुआ किसी का सबका होना... Poetry Writing Challenge-3 76 Share Deepesh Dwivedi 22 May 2024 · 1 min read नवजीवन जब चाह नहीं थी जीने की तब तुमने अमृत पिला दिया मर चुकी थी हर इच्छा मेरी सब आशाएं हत्प्राण हुई अंतर की उमंगे शून्य हुई तन की ऊर्जा मृतप्राण... Poetry Writing Challenge-3 47 Share Deepesh Dwivedi 22 May 2024 · 1 min read गजल चाँद फ़िर बढ़ते-बढ़ते घट गया है सफ़र भी मुख्त्सर था कट गया है दरोदीवार क्यों सूने हैं दिल के कोई साया यहाँ से हट गया है जिसे छोड़ आए थे... Poetry Writing Challenge-3 40 Share Deepesh Dwivedi 22 May 2024 · 1 min read मुक्ति मन भटकता किस तरह समझाऊँ मैं? माँ!तुम्हारे द्वार कैसे आऊँ मैं? भक्ति है न ज्ञान है न साधना फिर भी करना चाहता आराधना मन को यह संसार चाहे बाँधना बंधनों... Poetry Writing Challenge-3 57 Share Deepesh Dwivedi 22 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं कदमबोसी करते नज़र आते थे जो वो लगता है अब आसमां हो... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Deepesh Dwivedi 21 May 2024 · 1 min read आकाश पढ़ा करते हैं बीती घटनाओं का इतिहास पढ़ा करते हैं आजकल रोज़ हम आकाश पढ़ा करते हैं ज़िंदगी दर्द है या दर्द का परिणाम है ये व्यक्ति है आत्मा या देह का ही... Poetry Writing Challenge-3 89 Share Deepesh Dwivedi 21 May 2024 · 1 min read ग़ज़ल मस्जिद से मयकशों को जो निकाल रहे हैं महफ़िल में वो ख़ुद ही शराब ढाल रहे हैं मुंसिफ़ का ओहदा भी वही चाहने लगे जो ज़ुर्म की ज़िंदा यहाँ मिसाल... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Deepesh Dwivedi 15 May 2024 · 1 min read वंदे मातरम बलिदानों का दुर्लभ अवसर कहीं न जाए बीत पहन बसंती चोला कवि अब गाओ क्रांति के गीत वंदे मातरम, बोलो, वंदे मातरम केसर की घाटी अपनी,पावन हिमशिखर हमारा स्वर्ण-रजत हिम... Poetry Writing Challenge-3 69 Share Deepesh Dwivedi 4 May 2024 · 1 min read चलाचली यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले कैसे मानूँ घनघोर तिमिर... Poetry Writing Challenge-3 35 Share Deepesh Dwivedi 4 May 2024 · 1 min read रण गमन माथे पर तिलक लगा दे मां ला मीठा दही खिला दे मां मेरी फिर आज परीक्षा है तू हंस कर मुझे विदा दे मां वैरी ने धावा बोला है फिर... Poetry Writing Challenge-3 71 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read मतवाला प्यास ना मेरी बुझेगी इससे दूर हटा लो अपना प्याला खुशियों का मधु तुम्हें मुबारक हम तो पीते दर्द की हाला इस दुनिया में नहीं दोस्तों मिलता सबको हंसने का... Poetry Writing Challenge-3 57 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read फिर न आए तुम सुमन उपवन में खिले जब मुस्कुराए तुम बांसुरी सी बज उठी जब गुनगुनाए तुम हाथ में कंगन सुनहले कान में कुंडल रुपहले रूप में इस पहले-पहले मन को भाए तुम... Poetry Writing Challenge-3 60 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read चांदनी के लिए चांदनी के लिए हम चले तो मगर हर कदम पर अमावस के साए मिले फूल खिलते रहे पांत झरते रहे जिंदगानी के दिन यूं गुजरते रहे उम्र चुकने लगी सांस... Poetry Writing Challenge-3 48 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read पिला दिया जब चाह नहीं थी जीने की तब तुमने अमृत पिला दिया मर चुकी थी हर इच्छा मेरी सब आशाएं हत्प्राण हुई अंतर की उमंगे शून्य हुई तन की ऊर्जा मृतप्राण... Poetry Writing Challenge-3 61 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read विसर्जन हमारे नेह के वे पल विसर्जित कर दिए हमने मिलन के वे सुनहरे क्षण तिरोहित कर दिए हमने कभी आहवान करते थे तुम्हारा आगमन तो हो क्षणभर सही तेरा वह... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Deepesh Dwivedi 3 May 2024 · 1 min read गुनगुनाने लगे चांदनी रात में चुप खड़े थे शजर उनके साए में हम गीत गाने लगे रात मुस्काई और चांद हंसने लगा और सितारे भी सब गुनगुनाने लगे दोनों के हाथ, दिल... Poetry Writing Challenge-3 37 Share Deepesh Dwivedi 2 May 2024 · 1 min read नयन नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई जीवन में राम आए तो आराम हो गया स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति... Poetry Writing Challenge-3 1 36 Share Deepesh Dwivedi 2 May 2024 · 1 min read अपना कानपुर कानपुर कानपुर अपना प्यारा शहर मन में गंगा की उमंग तन में यमुना की लहर कानपुर -कानपुर अपना प्यारा शहर सृष्टि से पूर्व ब्रह्मा की तपस्थली देवयानी -ययाति की प्रेमस्थली... Poetry Writing Challenge-3 1 48 Share Deepesh Dwivedi 2 May 2024 · 1 min read कही अनकही वे शब्द जो मैंने कहे नहीं, वे गीत जो तुमने सुने नहीं तुम मन अधरों से छू देना सारे मुखरित हो जाएंगे कल को यह देह रही न रही पर... Poetry Writing Challenge-3 1 61 Share Deepesh Dwivedi 2 May 2024 · 1 min read माने न माने हम अब तो हो गए तेरे रे तू माने या ना माने तुझसे मिलने को तरसे रे तू माने या ना माने नैनो से नैना मिल गए थे दोनों के... Poetry Writing Challenge-3 1 40 Share Deepesh Dwivedi 2 May 2024 · 1 min read बदनाम इस कदर हमको न चाहो हम बहुत बदनाम है कोई भी हम जैसा न हो हम बहुत बदनाम हैं मद भरे नयनों से प्रणय के निमंत्रण आ रहे हैं थरथराते... Poetry Writing Challenge-3 · गीत 1 59 Share Deepesh Dwivedi 26 Apr 2024 · 1 min read विस्मरण जब चाह नहीं थी जीने की तब तुमने अमृत पिला दिया मर चुकी थी हर इच्छा मेरी सब आशाएं हत्प्राण हुई अंतर की उमंगे शून्य हुई तन की ऊर्जा मृतप्राण... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 57 Share Deepesh Dwivedi 26 Apr 2024 · 1 min read विरक्ति हमारे नेह के वे पल विसर्जित कर दिए हमने मिलन के वे सुनहरे क्षण तिरोहित कर दिए हमने कभी आहवान करते थे तुम्हारा आगमन तो हो क्षणभर सही तेरा वह... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 47 Share Deepesh Dwivedi 24 Apr 2024 · 1 min read कही-अनकही वे शब्द जो मैंने कहे नहीं, वे गीत जो तुमने सुने नहीं तुम मन अधरों से छू देना सारे मुखरित हो जाएंगे कल को यह देह रही न रही पर... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · गीत 2 1 54 Share Deepesh Dwivedi 22 Apr 2024 · 1 min read बदनाम इस कदर हमको न चाहो हम बहुत बदनाम है कोई भी हम जैसा न हो हम बहुत बदनाम हैं मद भरे नयनों से प्रणय के निमंत्रण आ रहे हैं थरथराते... "संवेदना" – काव्य प्रतियोगिता · कविता 1 59 Share Deepesh Dwivedi 19 Mar 2024 · 1 min read ग़ज़ल 1 मस्जिद से मयकशों को जो निकाल रहे हैं महफ़िल में वो ख़ुद ही शराब ढाल रहे हैं मुंसिफ़ का ओहदा भी वही चाहने लगे जो ज़ुर्म की ज़िंदा यहाँ मिसाल... "सत्य की खोज" – काव्य प्रतियोगिता 2 63 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read प्रसव जब सतरंगी सपना कोई अक्सर मन को छल जाता है जब शहनाई के मधुर स्वरों में कोई मुझे बुलाता है जब दर्द पराया अपना बंद अंतर्मन को मथ देता है... Poetry Writing Challenge-2 70 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read मुक्ति कैसे पाऊं मैं मन भटकता किस तरह समझाऊँ मैं? माँ!तुम्हारे द्वार कैसे आऊँ मैं? भक्ति है न ज्ञान है न साधना फिर भी करना चाहता आराधना मन को यह संसार चाहे बाँधना बंधनों... Poetry Writing Challenge-2 53 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read फितरत तुमको ही देखते रहना आदत यह हमारी थी हमें अनदेखा कर देना शरारत यह तुम्हारी थी तुम्हारे सामने झुकना इबादत यह हमारी थी खेल उल्फत को समझना फितरत यह तुम्हारी... Poetry Writing Challenge-2 58 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read आकाश पढ़ा करते हैं बीती घटनाओं का इतिहास पढ़ा करते हैं आजकल रोज़ हम आकाश पढ़ा करते हैं ज़िंदगी दर्द है या दर्द का परिणाम है ये व्यक्ति है आत्मा या देह का ही... Poetry Writing Challenge-2 1 55 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल 3 चाँद फ़िर बढ़ते-बढ़ते घट गया है सफ़र भी मुख्त्सर था कट गया है दरोदीवार क्यों सूने हैं दिल के कोई साया यहाँ से हट गया है जिसे छोड़ आए थे... Poetry Writing Challenge-2 53 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल 2 मस्जिद से मयकशों को जो निकाल रहे हैं महफ़िल में वो ख़ुद ही शराब ढाल रहे हैं मुंसिफ़ का ओहदा भी वही चाहने लगे जो ज़ुर्म की ज़िंदा यहाँ मिसाल... Poetry Writing Challenge-2 125 Share Deepesh Dwivedi 21 Feb 2024 · 1 min read ग़ज़ल 1 वो कहते हैं हम तो ख़ुदा हो गए हैं ख़ुदा जाने वो क्या से क्या हो गए हैं कदमबोसी करते नज़र आते थे जो वो लगता है अब आसमां हो... Poetry Writing Challenge-2 114 Share Deepesh Dwivedi 20 Feb 2024 · 1 min read तुम्हारा मै जर्जर नौका का नाविक और तुम ही मेरा किनारा हो वह कौन अभागा होगा जो सचमुच न हुआ तुम्हारा हो कृशकाय हुआ है तन तो क्या काया तो नश्वर... Poetry Writing Challenge-2 1 79 Share Deepesh Dwivedi 20 Feb 2024 · 1 min read चिर मिलन बांसुरी बजे उठी तुमने क्या गा दिया मानो अमृत घटाओं ने बरसा दिया गुनगुनाते अधर मुस्कुराते नयन मन की वीणा को सहसा ही सरसा दिया जब उठाए नयन झांकियां सज... Poetry Writing Challenge-2 1 103 Share Deepesh Dwivedi 20 Feb 2024 · 1 min read नवजीवन जब चाह नहीं थी जीने की तब तुमने अमृत पिला दिया मर चुकी थी हर इच्छा मेरी सब आशाएं हत्प्राण हुई अंतर की उमंगे शून्य हुई तन की ऊर्जा मृतप्राण... Poetry Writing Challenge-2 66 Share Deepesh Dwivedi 20 Feb 2024 · 1 min read सहधर्मिणी तुम यदि जीवन मे न मिलते अश्रु दृगों से कभी न ढलते हाँ तुमने मुस्कान मुझे दी लेकिन रोना भी सिखलाया मैं तो कभी न हुआ किसी का सबका होना... Poetry Writing Challenge-2 1 66 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read कही अनकही वे शब्द जो मैंने कहे नहीं, वे गीत जो तुमने सुने नहीं तुम मन अधरों से छू देना सारे मुखरित हो जाएंगे कल को यह देह रही न रही पर... Poetry Writing Challenge-2 71 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read प्रथम संतति पुत्री तुमने गोद में आकर मुझको कितना बड़ा बनाया पहले तो मैं साधारण था तुमने ही तो पिता बनाया सारी खुशियां भर दी तुमने आखिर मेरी झोली में लेकिन मैं... Poetry Writing Challenge-2 100 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read अपना कानपुर कानपुर कानपुर अपना प्यारा शहर मन में गंगा की उमंग तन में यमुना की लहर कानपुर -कानपुर अपना प्यारा शहर सृष्टि से पूर्व ब्रह्मा की तपस्थली देवयानी -ययाति की प्रेमस्थली... Poetry Writing Challenge-2 80 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read बिटिया बड़ी हो गई दिव्या की वर्षगांठ पिता के उद्गार छुटकी कितनी बड़ी हो गई अपने पैरों खड़ी हो गई । बेटी भी है बेटा भी है मां की परम सहेली है जब तब... Poetry Writing Challenge-2 70 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read वंदे मातरम बलिदानों का दुर्लभ अवसर कहीं न जाए बीत पहन बसंती चोला कवि अब गाओ क्रांति के गीत वंदे मातरम, बोलो, वंदे मातरम केसर की घाटी अपनी,पावन हिमशिखर हमारा स्वर्ण-रजत हिम... Poetry Writing Challenge-2 78 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read समय यह भी व्यतीत हो जाएंगे ज्यों वे स्वर्णिम क्षण बीत गए सतचिन्मय दिव्य अनुदान मिले अमृतमय सब वरदान मिले परिपूरित शुभ आशीषों से ज्योतिर्मय निशा-विहान मिले कैसे मानूँ घनघोर तिमिर... Poetry Writing Challenge-2 89 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read अन्वेषा वर्षगांठ अन्वेषा की अन्वी तुम आई जीवन मे तो मेरा शैशव लौट आया तेरी मीठी किलकारी से मेरा बचपन जागने लगा जो चलने को लाचार था तन वह द्रुत गति... Poetry Writing Challenge-2 52 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read सैनिक का प्रयाण माथे पर तिलक लगा दे मां ला मीठा दही खिला दे मां मेरी फिर आज परीक्षा है तू हंस कर मुझे विदा दे मां वैरी ने धावा बोला है फिर... Poetry Writing Challenge-2 65 Share Deepesh Dwivedi 19 Feb 2024 · 1 min read वार्ता नयनो से वार्ता की नई रीति हो गई अंतर में सूक्ष्म भावों की अनुभूति हो गई जीवन में राम आए तो आराम हो गया स्नेह जब उदित हुआ तो प्रीति... Poetry Writing Challenge-2 47 Share Page 1 Next