Suryakant Dwivedi Tag: कविता 145 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं क्षणिकाएं इन आँसुओं को कौन समझाए अब ये टपकते नहीं सूखते हैं..... जब रोती भी हैं आंख रुमाल भीगता नहीं। 2 बहुत दिन से उनकी खैर खबर नहींं मिली अब... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 117 Share Suryakant Dwivedi 17 Feb 2024 · 1 min read दिन और रात-दो चरित्र चरित्र दिन और रात के चरित्र में कितना अंतर होता है.. दिन में दोस्त सभी रात में तन्हा होता है। उजली उजली बातें अपनी रहने दो कड़वी कड़वी बातें उनको... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 1 1 197 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read व्यंग्य क्षणिकाएं अनकही 1. बरसों से यह मकान खुला नहीं है चाट गई दीमक,कोई मिला नहीं है।। 2. संबंध कपूर है आरती तक जला फिर काफ़ूर है।। 3. बहुत दिनों से कोई... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 177 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2024 · 1 min read हां राम, समर शेष है आज भी वही सागर है वही जिद रास्ता नहीं दूंगा युगों से यही तो हो रहा है कोई किसी को रास्ता नहीं देता मार्ग, पथ, रास्ता सबकी अपनी गति है...... Poetry Writing Challenge-2 · कविता 210 Share Suryakant Dwivedi 16 Aug 2023 · 1 min read क्यों हवाओं को दोष देते हो क्यों.इन हवाओं को दोष देते हो... उदधि के सीने पर तो तुम ही तूफान लाये थे ज्वार भाटे के संग भी तुमको रोमांच भाये थे अब कहते हो हमसे तुम... Hindi · कविता 1 372 Share Suryakant Dwivedi 26 Jul 2023 · 1 min read युगांतर युगांतर ******* सदियों के आँगन में कुछ हमने भी रोपा होगा सूरज को क़ैद किया होगा या चंदा से बैर किया होगा। नीलांचल से जब बिजली कौंधी होगी बादल फ़टे... Hindi · कविता 202 Share Suryakant Dwivedi 14 Jul 2023 · 1 min read आने घर से हार गया जीता जग सारा मैंने अपने घर से हार गया रोकर एक पिता यूं बोला चंदा से सूरज हार गया।। शब्द, शब्द से शब्द बड़े शब्द, शांत नि:शब्द खड़े नेह-प्यार के... Hindi · कविता 1 180 Share Suryakant Dwivedi 16 Feb 2023 · 1 min read *धूप में रक्त मेरा* *धूप में रक्त मेरा* हर किरण के संग कदा यह रक्त भी तपा होगा बहा होगा पसीना फिर सूरज तब खिला होगा। जाने कितने पलों को मैंने,मिट्टी में गूँधा होगा... Hindi · कविता 270 Share Suryakant Dwivedi 9 Feb 2023 · 1 min read सच की पेशी झूठ के सामने आ गया सच झूठ ने अंगड़ाई ली सच की हँसाई हुई झूठ पर आवरण था सच का व्याकरण था झूठ ने साबित कर दिया सच झूठा है...... Hindi · कविता 257 Share Suryakant Dwivedi 7 Feb 2023 · 1 min read उधारी जीवन कुछ उधार था जीवन पर चुका दिया हमने भी क्या क्या बिता दिया।। सूरज, चाँद, सितारे ये रश्मि ये अँगारे सभी तो अपने थे पेट की भूख ने भी क्या-क्या... Hindi · कविता 103 Share Suryakant Dwivedi 7 Feb 2023 · 1 min read एक था वृक्ष सम्वेदना के पुष्पों की क्या है व्यथा सूखे वृक्ष पर सुनो कलरव की कथा।। नींव ने यह सोचकर दरख़्त महान किये चूमेंगे आकाश यह सपने जहान किये। आशाओं के बोझ... Hindi · कविता 195 Share Suryakant Dwivedi 5 Feb 2023 · 1 min read बेटों की बात बेटों की बातें ----------- चलो आज बेटों पर लिखते हैं उनके कमरे को देखते हैं..... सुना है..... आवारा है निखट्टू है पढ़ता नहीं बस, खेलता है हां, कभी कभी किताबों... Hindi · कविता 125 Share Suryakant Dwivedi 25 Jan 2023 · 1 min read वीर गाथा क्या सुनाएं उठती-गिरती लहरों पर आओ कोई गीत लिखें तुम अपनी व्यथा कहो हम अपनी कथा कहें.. क्या सुनाएं तुमको गाथा क्या बताएं अभिलाषा रिक्त-सिक्त वसंत खड़ा है कहें किससे... Hindi · कविता 1 221 Share Suryakant Dwivedi 23 Jan 2023 · 1 min read बताओ न बताओ न तुम उजले हम उजले कौन है काला, बताओ न तुम वाकिफ हम वाकिफ क्या है राज, बताओ न तुम सत्यनिष्ठ हम सत्यनिष्ठ कौन है झूठा, बताओ न तुम... Hindi · कविता 82 Share Suryakant Dwivedi 20 Jan 2023 · 1 min read मेरुदंड यह मेरुदंड है न! जिस पर हम खड़े हैं वह टूट गया है.. हमसे रूठ गया है शरीर का बोझ सहन नहीं होता अनवरत अघात अनवरत पक्षघात अनवरत पीड़ा, यह... Hindi · कविता 2 286 Share Suryakant Dwivedi 13 Jan 2023 · 1 min read सच सच बोलो दिल पर रखो हाथ और सच-सच बोलो किसने बहती नदी में यहां,कंकड़ नहीं फेंके।। भीड़, हिंसा, दमन, तंज मान, मर्यादा, लाज, शर्म आलोचनाओं का अमृत यहां किसने नहीं पीया? उठा-पटक... Hindi · कविता 1 333 Share Suryakant Dwivedi 11 Jan 2023 · 1 min read पिता की पराजय पिता की पराजय ************ आज आँखे चमकी गोद में था जो बेटा आज जवान हो गया कंधे तक आ गया अब और आगे निकल गया छोटा हुआ बाप मगर क़िरदार... Hindi · कविता 3 2 230 Share Suryakant Dwivedi 21 Dec 2022 · 1 min read क्या करूँगा उड़ कर क्या करूंगा उड़कर मुझे जमीं पर रहने दो उड़ते परिंदों को मैंने धरती पर उतरते देखा नीला था यह गगन पर दाने दाने भटकते देखा भूख प्यास सब है यहीं... Hindi · कविता 142 Share Suryakant Dwivedi 13 Dec 2022 · 1 min read मेरे भी अध्याय होंगे मेरे भी अध्याय होंगे जीवन के इस कथा शेष में मेरे भी अध्याय होंगे माना यह पूजा न होगी फिर भी कुछ उपाय तो होंगे। थोड़ा सा संघर्ष होगा थोड़ा... Hindi · कविता 183 Share Suryakant Dwivedi 11 Dec 2022 · 1 min read बंधन बंधन से बंधन के धागे बात बात पर रूठे टूटे बंधन है तो बस पालना सुन लोरी माँ, सो जाते।। ** बंधन से बंधन की बातें बंधन से अंतस की... Hindi · कविता 190 Share Suryakant Dwivedi 4 Dec 2022 · 1 min read नाम में क्या रखा है *नाम में क्या रक्खा है*! क्या जाता है नाम कुछ भी रख लो राम, कृष्ण, सीता, राधा मीरा, बुद्ध, कबीर, तुलसी नाम में क्या रक्खा है....? हां.....!!! नाम ही तो... Hindi · कविता 2 327 Share Suryakant Dwivedi 29 Nov 2022 · 1 min read यहाँ सब बहर में हैं यहां सब बहर में हैं मैं बे-बहर ही सही तोल तोल कर कब भला यह जीवन चला करता है टपके जब आंख से आँसू क्या कोई मापा करता है अपने... Hindi · कविता 2 1 176 Share Suryakant Dwivedi 26 Nov 2022 · 1 min read थकते नहीं हो क्या थकते नहीं हो क्या उतर आते हो रोज बिन बुलाए,छत पर... निहारता हूं तुम्हे जब लगती हो इक परी सी दुल्हन सी, ओढ़ चुनरी बिन बुलाए, रथ पर... सांझ भी... Hindi · कविता 1 200 Share Suryakant Dwivedi 23 Nov 2022 · 1 min read रथ रुक गया रथ स्वर्णिम रुक गया खींच ली किसने डोर आह! हस्ताक्षर भूला वो, थी अरुणिम भोर हुई मुद्दत, देखा नहीं मन का हमने क्षितिज यूँ लिखे गीत अनगिन भावना के कटु... Hindi · कविता 2 179 Share Suryakant Dwivedi 19 Nov 2022 · 1 min read शब्दों के अर्थ शब्द और अर्थ शब्द हैं अर्थ हैं व्यर्थ हैं एक समय शब्द होते थे अर्थ होते थे व्यर्थ कुछ नहीं आज हर शब्द के शब्द हैं हर शब्द के अर्थ... Hindi · कविता 3 246 Share Suryakant Dwivedi 18 Nov 2022 · 1 min read लैपटॉप सी ज़िंदगी उम्मीदों के लैपटॉप पर जब उंगलियां नाचती हैं सामने होती है तहरीर और आँखों में तस्वीर। कौन कहता है, हम नहीं नाचते छोटा सा शब्द हमको भी नचा देता है... Hindi · कविता 179 Share Suryakant Dwivedi 18 Nov 2022 · 1 min read उजालों के घर ऐसा क्यों होता है जब अपने रूठ जाते हैं आँखें रोती हैं और दिल टूट जाते हैं। इतराते हैं शूल यहाँ फूल टूट जाते हैं अपरिमित प्रेम के अग्र स्वार्थ... Hindi · कविता 2 283 Share Suryakant Dwivedi 16 Nov 2022 · 1 min read इतना मत चाहो इतना मत चाहो के प्यार जंजीर बन जाए इतना मत चाहो के प्यार लकीर बन जाए जंजीर बना प्यार तो जकड़ जायेगा लकीर बना प्यार तो अकड़ जायेगा दोनों ही... Hindi · कविता 389 Share Suryakant Dwivedi 16 Nov 2022 · 1 min read इतना मत लिखा करो इतना मत लिखा करो कि आसमान फट जाये.. माना शब्द ब्रह्मांड में रहते हैं मगर तुम्हें क्या..? तुम तो.. राजनीति में हो..! कौन सा तुम्हें तोलते हैं..? जितना स्पेस था... Hindi · कविता 1 276 Share Suryakant Dwivedi 22 Sep 2022 · 1 min read षडयंत्रों की कमी नहीं है मन का केवल भेद चाहिए षड्यंत्रों की कमी नहीं है चौसर पर हैं हम सब यारों शकुनि पासा फेंक रहा है कह द्रोपदी लाज की मारी कलियुग आंखें सेंक रहा... Hindi · कविता 190 Share Suryakant Dwivedi 16 Sep 2022 · 1 min read बुढापा उंगली पकड़कर चलना बुढ़ापे की लाठी है संस्कारों के हाथों में ही समय की बैसाखी है।। कोलाहल के कंठ में ऋचाएं संचित हैं यह यज्ञ की वेदियां मंडित-खंडित हैं।। अक्षय... Hindi · कविता 1 1 222 Share Suryakant Dwivedi 13 Sep 2022 · 1 min read एक घर था... एक घर था... एक घर था ईंट, मिट्टी गारे का मकान चूल्हा था, लकड़ी थी फूंकनी थी... मां फूंक मारकर लकड़ी जलाती आंसू टपकाती खांसी उठती...धौं धौं करती फिर जुट... Hindi · कविता 1 206 Share Suryakant Dwivedi 7 Sep 2022 · 1 min read पिता की दुनिया *पिता की दुनिया* नंगे सूखे पेड़ से हरियाली की बातें अच्छी नहीं लगतीं मुझे इस दौर की बातें अच्छी नहीं लगतीं। इस छोटी दुनिया में कई अपनी दुनिया हैं सोता... Hindi · कविता 126 Share Suryakant Dwivedi 25 Aug 2022 · 1 min read मैं बड़ा या..? मैं बड़ा या....? कितना बड़ा है, यह कथानक और यह जिंदगी, कितनी छोटी... अभी किरदार गढ़े कहां हैं अभी सरकार, सुने कहां हैं अभी तो तलाश अमृत की अभी करतार... Hindi · कविता 1 196 Share Suryakant Dwivedi 25 Aug 2022 · 1 min read श्याम घनाक्षरी-2 *श्याम घनाक्षरी* झूम झूम नाचे नाचे, मेघ सम बरखा सी काली-काली कजराली, अलकाएं बावरी राधा सी ठिठोली करे, हंसे मुस्कराए सम ग्राम-ग्राम नाचे फिरे, छेड़े तान बांसुरी धक-धक दिल करे,... Hindi · कविता 1 200 Share Suryakant Dwivedi 24 Aug 2022 · 1 min read श्याम घनाक्षरी *श्याम घनाक्षरी* झूम झूम नाचे नाचे, मेघ सम बरखा सी काली-काली कजराली, अलकाएं बावरी राधा सी ठिठोली करे, हंसे मुस्कराए सम ग्राम-ग्राम नाचे फिरे, छेड़े तान बांसुरी धक-धक दिल करे,... Hindi · कविता 2 174 Share Suryakant Dwivedi 23 Aug 2022 · 1 min read मैं बड़ा या..? मैं बड़ा या....? कितना बड़ा है, यह कथानक और यह जिंदगी, कितनी छोटी... अभी किरदार गढ़े कहां हैं अभी सरकार, सुने कहां हैं अभी तो तलाश अमृत की अभी करतार... Hindi · कविता 1 227 Share Suryakant Dwivedi 14 Jul 2022 · 1 min read अपने घर से हार गया जीता जग सारा मैंने अपने घर से हार गया रोकर एक पिता यूं बोला चंदा से सूरज हार गया।। शब्द, शब्द से शब्द बड़े शब्द, शांत नि:शब्द खड़े नेह-प्यार के... Hindi · कविता 2 2 261 Share Suryakant Dwivedi 9 Jul 2022 · 1 min read बदरी बदरी...! तुम वही तो हो जो कल भी आई थीं मिटा दिया था तुमने खुद को प्रेम में.. उफ़न पड़ी थीं नदियाँ बह गये थे टापू/ शहर एक कपास से... Hindi · कविता 2 198 Share Suryakant Dwivedi 8 Jul 2022 · 1 min read पंख कटे पांखी पंख कटे पांखी लेकर हमने स्वप्न सजाये हैं इस शून्य आकाश में हमने भी घर बनाये हैं।। पंछी होते तो उड़ लेते या कर लेते हम आखेट हर डाल पर... Hindi · कविता 2 206 Share Suryakant Dwivedi 7 Jul 2022 · 1 min read रवि और कवि रवि और कवि में एक समानता है दोनों जलते हैं सृजन के लिये।। असमानता भी है बस एक रवि लब्ध है लेकिन उसके पास शब्द नहीं कवि पर शब्द हैं... Hindi · कविता 276 Share Suryakant Dwivedi 28 Jun 2022 · 1 min read रिटायमेंट रिटायमेंट ******** मन रमता नहीं तन टिकता नहीं दूर है मंजिल जग मिलता नहीं सामने उस वृक्ष को देखो कल तक हरा भरा था तने मजबूत थे सबको छाया देता... Hindi · कविता 168 Share Suryakant Dwivedi 23 Jun 2022 · 1 min read मैं नहीं बदला अब न रूप रहा न रंग धन न दौलत रिश्ते न नाते प्यार न यार शोहरत न नाम कितना बदल गया हूँ न मैं... खूँटी पर टँगे कपड़े कब से... Hindi · कविता 2 135 Share Suryakant Dwivedi 21 Jun 2022 · 1 min read ओज के योग सर्व दर्शन- एक पिता, , योग रुक गया रथ थम गये अश्व रश्मियां लुप्त ओह! पालनहार ओह! पालनहार सूर्य और पिता में निहित अंतर देख लीजिये.. वो ग्रहण में घबराता... Hindi · कविता 156 Share Suryakant Dwivedi 16 Jun 2022 · 1 min read दीये की बाती ..दीये की बाती सूरज सा तपता है चंदा सा जगता है बच्चों की खातिर हर पल मरता है ।। मौन अभिव्यक्ति आंखें पढ़ लेती है फिसले जो रेत तो मुट्ठी... “पिता” - काव्य प्रतियोगिता एवं काव्य संग्रह · कविता 3 6 382 Share Suryakant Dwivedi 15 Jun 2022 · 1 min read शोहरत और बंदर शोहरत एक तमाशा है एक बंदर है जो दूल्हा बनकर नाचता है.. शीशे को देख इठलाता है.. मदारी डमरू बजाता है बच्चे पैसा फेंकते है.. तमाशा खत्म, खेल खत्म बंदर... Hindi · कविता 1 1 379 Share Suryakant Dwivedi 14 Jun 2022 · 1 min read नेता और मुहावरा नाच न जाने आँगन टेढा नेता जी ने इस मुहावरे को सिद्ध किया आँगन में नाच नाच कर अपना पेट फिट किया।। कोयले की खदान में गन्ना उगाया... सूती कपड़े... Hindi · कविता 622 Share Suryakant Dwivedi 9 Jun 2022 · 1 min read मेंढक और ऊँट दिन और रात में यही फर्क है मेंढक की सवारी है ऊँट की लाचारी है आप भी कहोगे क्या मज़ाक है...? कोई मेंढक की सवारी करता है क्या? फिर क्या... Hindi · कविता 1 1 535 Share Suryakant Dwivedi 6 Jun 2022 · 1 min read पर्यावरण पौधा रोपकर आये नेता जी ने पर्यावरण को यूं समझाया... जैसे धूप में तपकर पौधा मुरझाया। पानी और खाद देते रहो..तो यह सियासत की तरह खिलेगा वोट आपका राज हमारा... Hindi · कविता 2 3 319 Share Suryakant Dwivedi 21 May 2022 · 1 min read चमचागिरी आओ चमचागिरी करते है एक चम्मच तुम लगाओ फिर हम लगाते हैं धरती से आसमान में उठाते हैं चम्मच भी तो यही करती है नीचे से उठती और मुँह तक... Hindi · कविता 2 1 765 Share Previous Page 2 Next