लक्ष्मी सिंह Tag: कविता 196 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid लक्ष्मी सिंह 25 Jul 2022 · 1 min read देखो-देखो आया सावन। देखो-देखो आया सावन। हरियाली की चादर ओढे़, कितना लगता है मनभावन। पात-पात सब निखर रहे हैं, पुष्प खिला है उपवन-उपवन। नव पल्लव, नव कोपल फूटें, हर्षित है धरती का कानन।... Hindi · कविता · चौपाई · सावन 2 1 288 Share लक्ष्मी सिंह 27 Feb 2022 · 1 min read मेरी प्यारी बूढ़ी नानी । मेरी प्यारी बूढ़ी नानी । नित्य सुनाती हमें कहानी।। बात बताती नई पुरानी। सुन होती सबको हैरानी।। चोर सिपाही राजा रानी। वीरों की गाथा बलिदानी।। रामायण गीता की वाणी। याद... Hindi · कविता · बाल कविता 1 1 885 Share लक्ष्मी सिंह 23 Feb 2021 · 1 min read प्रात काल की शुद्ध हवा प्रात काल की शुद्ध हवा ******************* प्रात काल की शुद्ध हवा है। सबसे अच्छी एक दवा है। बलवर्धक सबसे हितकारी। सेहतमंद सदा गुणकारी। साँस-उसाँसे होती ताजा। रग-रग में तब बजता... Hindi · कविता · बाल कविता · हवा 4 1 610 Share लक्ष्मी सिंह 17 Feb 2021 · 1 min read पालक . पालक होता है गुणकारी। सुपरफूड है शाकाहारी। हरे रंग का पत्तों वाले। जड़ होती है गुच्छो वाले। भरा हुआ पोषक तत्वों से। तन पोषित करता सत्वों से। प्रचुर आयरन... Hindi · कविता · बाल कविता 1 206 Share लक्ष्मी सिंह 15 Feb 2021 · 1 min read तितली तितली रानी तितली रानी, कौन देश से आई हो। रंग बिरंगे पंख सजीले, कहो कहाँ से लाई हो। सुबह सबेरे आ जाती हो, फूल-फूल पर मँडराती। मीठा-मीठा रस पीती हो,... Hindi · कविता · बाल कविता 1 1 215 Share लक्ष्मी सिंह 8 Feb 2021 · 1 min read गिलहरी बालकनी में दिखी गिलहरी, नजर हमारी उस पर ठहरी। नन्हीं छोटी-सी है प्यारी, जिसके तन पर गहरी धारी। रोयेंदार पूँछ झबरीली, काली पीली बड़ी फबीली। कंचे जैसे आँखें दिखते, दाँत... Hindi · कविता · बाल कविता 2 301 Share लक्ष्मी सिंह 27 Jan 2021 · 1 min read एक तिरंगा मुझको ला दो एक तिरंगा मुझको ला दो, मैं भी इसको फहराऊँगा नील गगन से ऊँचा जाकर, पूरे जग में लहराऊँगा देश हमारा सबसे प्यारा, इस दुनिया को बतलाऊँगा विश्व शांति का दूत... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 1 444 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jan 2021 · 1 min read मेथी मम्मी लाई मेथी ताजी, और बनाई उसकी भाजी । उसमें थोड़ा आलू डाला, और मिलाया गरम मसाला। स्वाद-गंध का रहा खजाना, बड़े चाव से इसको खाना। यह सब्जी है सेहत... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 339 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jan 2021 · 1 min read मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया । गीतिका-आधार छंद चौपाई मैं छोटी नन्हीं सी गुड़िया । सब कहते जादू की पुड़िया। तुतला कर करती हूँ बातें, हिन्दी लगती है तब उड़िया। छोटे-छोटे बाल घनेरे, छोटी-छोटी मेरी चुटिया।... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 2 514 Share लक्ष्मी सिंह 4 Jan 2021 · 1 min read सुन लो बच्चों चौपाई छंद सुन लो बच्चों ध्यान लगाकर, पीलो अमिय ज्ञान का गागर । जल्दी उठना जल्दी सोना , केवल सपनों में मत खोना। नित्य नियम से जीवन जीना, रसना आदर्शों... Hindi · कविता · चौपाई · बाल कविता 1 1 290 Share लक्ष्मी सिंह 20 Dec 2020 · 1 min read कोरोना विधा -मुक्तक एवं दोहा सर पर चढ़ कर नाच रहा है, चीन का जादू-टोना। पूरे जग में फैल रहा है,शुरू है रोना ढोना। कुछ सावधानियां अपनाना, धैर्य से नाता रखना-... "कोरोना" - काव्य प्रतियोगिता · कविता 45 74 1k Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read कविता गीतिका छंदाधारित गीत भावना के फूल खिलते,तब कहीं कविता बने। तूलिका से भाव बह कर, काव्य की सरिता बने। जब हृदय में ताप बढ़ती, दर्द की बौछार हो। दर्द जब... Hindi · कविता · गीत · गीतिका छंद 2 353 Share लक्ष्मी सिंह 14 Dec 2019 · 1 min read वीर बालिका नन्हीं-मुन्हीं वीर बालिका, भय नाशक अरु देश सेविका । शीश उठाकर सीना ताने। ये दीवाने हैं मस्ताने। खाकी वर्दी टोपी डाले। कांधे पर बंदूक सँभाले। श्रम बिन्दु का लगा के... Hindi · कविता · गीत · चौपाई · बाल कविता · बेटी/बेटियां 1 851 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read रुगी छंद छोटी रोटी थोड़ी मोटी लड्डू गोल मीठी बोल। खीरा छोड़ हीरा तोड़ माथे झोल पेटी खोल माया जाल बूरा हाल बैठा काल तोड़े डाल मीत नहीं रीत यही गीली मिट्टी... Hindi · कविता · रुगी छंद 1 240 Share लक्ष्मी सिंह 6 Dec 2019 · 1 min read मार-पीट से बच्चा मार-पीट से बच्चों का, कोमल मन होता तार-तार। मानसिक तौर पर कर देता है बच्चों को बीमार।। मारने वालों के प्रति पैदा होता है घृणा विकट। यह घृणा अलग- अलग... Hindi · कविता 3 162 Share लक्ष्मी सिंह 1 Dec 2019 · 1 min read क्रोध की ज्वाला क्रोध से क्रोध को लगी हवा। क्रोध की ज्वाला भभक उठा। क्रोध से क्रोध पर त्योरियाँ चढ़ी। उचित- अनुचित सब दूर खड़ी। यकायक तन झंकृत हुआ। समूचा बदन क्रोध से... Hindi · कविता 320 Share लक्ष्मी सिंह 24 Nov 2019 · 1 min read वीर साहसी बनो - रक्ता छंद रगण जगण+गुरु =(७वर्ण) वीर साहसी बनो। यूँ न आलसी बनो। सूर्य चंद्र -सा बनो। रत्न यत्न से चुनो। लक्ष्य साध के बढ़ो। धैर्य बाँध के बढ़ो। तुंग... Hindi · कविता · बाल कविता · रक्ता छंद 1 1 189 Share लक्ष्मी सिंह 21 Sep 2019 · 1 min read कर्म रक्ता छंद मापनी-2121212 कर्म देव द्वार है। एक दिव्य धार है तुष्टि-पुष्टि प्यार है। युक्ति-मुक्ति सार है। कर्म रत्न खान है। स्वेद रक्त दान है कर्म ही प्रधान है। सर्व... Hindi · कविता · बाल कविता · रक्ता छंद 2 151 Share लक्ष्मी सिंह 8 Aug 2019 · 1 min read बचपन याद है वो बचपन के दिन, किताब के पन्नों के बीच, हम मोर पंख पाला करते थे। उसमें रोज़-रोज़ चॉक झाड़ कर पन्नों के बीच में डाला करते थे। इसी... Hindi · कविता · बचपन 1 367 Share लक्ष्मी सिंह 1 May 2019 · 1 min read मेरे मन के अंधेरे कमरे में मेरे मन के अंधेरे कमरे में अनेक ही ख्वाब पलते हैं। कुछ अधुरे से, कुछ पूरे से, इन ख्वाबों के परिंदों को मैं उड़ाना चाहती हूँ। जिंदगी के शहद को... Hindi · कविता 1 194 Share लक्ष्मी सिंह 1 Apr 2019 · 1 min read अच्छा लगता है बारिश में भीगना, बूंदों को चूमना, गीले जुल्फों को झटकना, नैनों को मटकाना, कितना अच्छा लगता है। कोयल के संग कूकना, मोर के संग नाचना, सरसों के खेतों में दौड़ना,... Hindi · कविता 3 320 Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read मेरी तकदीर सब चले जाते हैं। मैं बंद कमरे में अकेली रह जाती हूँ। तन्हाईयों से लड़ती हूँ। उन्हीं से बातें करती हूँ। दरों-दिवार चिखती हैं, खड़ा-खड़ा मुझे घूरती हैं। छत भी... Hindi · कविता 4 2 511 Share लक्ष्मी सिंह 4 Sep 2018 · 1 min read झूठ बोलना पड़ा ? ? ? ? आज फिर मुझे झूठ बोलना पड़ा। अर्थात् सच्चाई की मार्ग को छोड़ना पड़ा। परआत्मा पर बोझ सा बन गया। क्यों? इतनी छोटी बात पर झूठ बोल... Hindi · कविता 3 3 647 Share लक्ष्मी सिंह 3 Aug 2018 · 1 min read मौन से बेहतर है शोर ? ? ? ? अपना कान ही नहीं, मन भी पक गया है, महानगर के शोर से। बोलते-बोलते खुद ही, चिखने लगे हैं जोर से। सड़कों पर हर किस्म के... Hindi · कविता 188 Share लक्ष्मी सिंह 21 May 2018 · 1 min read तन्हाईयों में... आज बस यूँ ही..... ? ? ? ? तन्हाईयों में... यादों की इन सूखी शाख पर ना जाने कितने ही अनगिनत कोपल निकल आये हैं। कुछ हरे से, कुछ पीले... Hindi · कविता 1 273 Share लक्ष्मी सिंह 15 Feb 2018 · 1 min read चाॅक्लेट (बाल कविता) ? ? ? ? रंग-बिरंगी रैपर में लिपटी, चाॅक्लेट भला किसे नहीं भाती। नाना - नानी, दादा-दादी, सबके मुँह में पानी लाती। चाॅक्लेट देखकर जी ना माने। खाते रहते कर-कर... Hindi · कविता · बाल कविता 346 Share लक्ष्मी सिंह 8 Jan 2018 · 1 min read बादल और स्त्री ???? कभी घिरते बादल और स्त्री को पढ़ा है। दोनों का चरित्र एक सा ही गढ़ा है। वे नारी सन्दर्भों की रागात्मकता है। नारी जीवन की जीवंतता है,सार्थकता है। वे... Hindi · कविता 1 505 Share लक्ष्मी सिंह 10 Nov 2017 · 1 min read भारतीय किसान ???? छू कर माटी सोना कर दे एक ऐसा इन्सान। भारत माँ की प्यारी संतान भारतीय किसान।। ? देश का पोषक, अन्नदाता तनधारी भगवान । त्याग - तपस्या का दूसरा... Hindi · कविता 480 Share लक्ष्मी सिंह 10 Nov 2017 · 2 min read सारस ??????? परिंदों का संसार बहुत ही सुंदर होता। हर परिंदा किसी ना किसी खूबी से जाना जाता।। सारस पक्षी का विशिष्ट संस्कृति महत्व से है नाता। प्रथम ग्रंथ रामायण का... Hindi · कविता 508 Share लक्ष्मी सिंह 9 Nov 2017 · 1 min read ??झूठ ?? ?????? सत्य की खोज करना तो है, ऋषि - मुनियों का काम। आम-आदमी झूठ ना बोले, तो जिन्दगी नाकाम। शपथ लेते समय, कितना झूठ बोलना पड़ता है। ये बात तो,... Hindi · कविता 217 Share लक्ष्मी सिंह 18 Sep 2017 · 1 min read वेद ?????? वेद सबसे प्राचीन ग्रंथ, इसमें धार्मिक पवित्र मंत्र। विश्व का प्राचीनतम् वाङ्मय, दैविक एवं अध्यात्मिक काव्यमय। वेद हिन्दुओं के आधारभूत, सनातन वर्णाश्रम धर्म के मूल। वेद ईश्वर की दिव्य... Hindi · कविता 1 353 Share लक्ष्मी सिंह 3 Sep 2017 · 1 min read आखिर तुम कब आओगे ????? मेरे नयन के चांद सितारे , इस घर-आँगन के उजियारे। बुढापे के एक मात्र सहारे , घर लौट के आजा, ओ मेरे प्यारे। कितने ही वर्ष बीत गये हैं,... Hindi · कविता 671 Share लक्ष्मी सिंह 1 Sep 2017 · 1 min read बाल अधिकार ???ललित छंद??? हम छोटे-छोटे बच्चे हैं, दे दो अधिकार सही। हमेशा बड़ों की मनमानी, हमको स्वीकार नहीं। खेलें - कूदे धूम मचाये, हम बच्चों का नारा। खुलकर बचपन को जीने... Hindi · कविता · बचपन · बाल कविता 2 1 2k Share लक्ष्मी सिंह 30 Aug 2017 · 1 min read रिश्ते ???? अब रिश्ते बस नाम के रह गये हैं, अब रिश्ते हाय-हेलो में सिमट गये हैं, ये नया जमाना है, अब तो लोग रिश्ते सिर्फ फोन पर निभाते। कौन टूट... Hindi · कविता 3 1 537 Share लक्ष्मी सिंह 24 Aug 2017 · 1 min read मेरी गुड़िया ????? आफत की पुड़िया, है मेरी गुड़िया, हरदम करती है शैतानी। बात किसी की कभी न सुनती, करती वही जो मन में ठानी। ????? भोली-भाली नादां है ये दुनिया से... Hindi · कविता · बाल कविता 2 2 812 Share लक्ष्मी सिंह 18 Aug 2017 · 1 min read दोहरी जिन्दगी ???? सच-झूठ का मुखौटा पहन खुद से अनजान। दोहरी जिन्दगी जीने लगा है आज का इन्सान।। युग नई, सोच नई,पुराने का हो रहा अवसान। अपनी ही बनाई जाल में खुद... Hindi · कविता 2 785 Share लक्ष्मी सिंह 16 Aug 2017 · 1 min read कृष्ण मुरारी ????? पाँव पायलिया अधर मुरलिया, छम-छम नाच रहे कृष्ण मुरारी। चाँद से मुख पे बड़ी-बड़ी अंखियां, काले-काले लट लटके घुंघरारी। मोर मुकुट, पीताम्बर अति सोहे, कान कुण्डल की छबि न्यारी।... Hindi · कविता 2 1 814 Share लक्ष्मी सिंह 15 Aug 2017 · 2 min read ??मेरे सपनों का भारत?? ?????????????? मेरे सपनों के भारत का विश्व में पहला स्थान हो । दुनिया में अपने देश का एक अलग पहचान हो ।?? राष्ट्रीयता एवं विश्व बन्धुत्व की भावना का निर्माण... Hindi · कविता 461 Share लक्ष्मी सिंह 14 Aug 2017 · 1 min read जन्माष्टमी आओ मनाये सब मिलकर पर्व जन्माष्टमी। गली – गली सज रहे हैं दही और हांड़ी। धूम मचाओ आओ'सब गोपाल और गोपी। नाचे – गाये करे धमाल और जमकर मस्ती। एक... Hindi · कविता 343 Share लक्ष्मी सिंह 13 Aug 2017 · 1 min read ओ कृष्णा ???? ओ कृष्णा! मौत की आखिरी क्षण तक तू मुझे थामें रख। मैं मिट जाना चाहती हूँ, तेरे मुहब्बत के नाम पर। ओ कृष्णा! तू मुझे बाँसुरी बना ले, अपने... Hindi · कविता 349 Share लक्ष्मी सिंह 12 Aug 2017 · 1 min read साड़ी ??????? पांच-छह मीटर का लम्बा वस्त्र है साड़ी, जिसे दिल से पहनाती हर भारतीय नारी। साड़ी तो एक भव्य परिधान है ऐसा, जो किसी भी महिला पर बेहद फबता। किसी... Hindi · कविता 1 1 4k Share लक्ष्मी सिंह 11 Aug 2017 · 1 min read सास बिना ससुराल ना होता ???? सास बिना ससुराल ना होता, सुना बंगला खंडहर सा होता। सास से समाज मे है मर्यादा, ये तो घूँघट है बहु के सर का। जो बहु की हर एक... Hindi · कविता 1k Share लक्ष्मी सिंह 10 Aug 2017 · 1 min read नारी जननी जन्मदायनी , नारी तू नारायणी। हर रूप पूजनीय , तेरा स्थान सर्वोपरी।। ????? मिली नहीं बराबरी , पुरुष प्रधान संस्कृति। उपेक्षित सदा रही , विडंबना ये सबसे बड़ी।। ?????... Hindi · कविता · नारी शक्ति 629 Share लक्ष्मी सिंह 10 Aug 2017 · 1 min read तू दुर्गा , तू पार्वती है तू दुर्गा, तू पार्वती है । तू दुनिया की पराशक्ति है। हे देवी तू आद्य शक्ति है। प्रकृति में सहज प्राकृति शक्ति है। तू सारा ब्रह्माण्ड, तू पूरी सृष्टि है... Hindi · कविता · नारी शक्ति 416 Share लक्ष्मी सिंह 4 Aug 2017 · 1 min read क्यों परदेशी होती है बिटिया ???? बाबुल के आँगन की चिड़िया, क्यों परदेशी होती है बिटिया। बाबुल आँगन फूल सी खिलती, महकाती फिर दूसरी बगिया। बाबुल आँगना से कोसों दूर, बसती उसकी असली दुनिया। बाबुल... Hindi · कविता · बेटी/बेटियां 730 Share लक्ष्मी सिंह 2 Aug 2017 · 1 min read स्त्री की शक्ति स्त्री के गर्भ से ही शुरू हो जाती है एक संघर्ष बेजुबानियाँ। ताउम्र सहती परंपरा,रीति-रिवाज के नाम कितनी ही रूढियाँ। अपने भीतर की आवाज को दबाकर ओढ लेती हैं चुप्पियाँ।... Hindi · कविता · नारी शक्ति 1 579 Share लक्ष्मी सिंह 24 Jul 2017 · 1 min read भोला भंडारी ???? वो भोला पी हाला मतवाला डमरू वाला हृदय विशाला जग का रखवाला पहने सर्प का माला तन बाधम्बर छाला पीये भंग का प्याला गल मुण्ड माला दीन दयाला तीखाभाला... Hindi · कविता · वंदना 1 2 759 Share लक्ष्मी सिंह 23 Jul 2017 · 1 min read बंद तालों में ???????? है लगा तालों में जंग अभी तराशना है मृत से रिश्ते को प्रेम व विश्वास से सहेज कर रखना इन्सानियत के पौधे तभी रिश्तों के बीच खत्म होगी दूरी... Hindi · कविता 553 Share लक्ष्मी सिंह 20 Jul 2017 · 1 min read बुढ़ापे में प्यार ???? कौन कहता है कि बुढ़ापा में प्यार नहीं होता है । सच तो ये है कि किसी को ऐतबार नहीं होता है। बुढ़ापे का प्यार बड़ा ही खतरनाक होता... Hindi · कविता 2 2 4k Share लक्ष्मी सिंह 19 Jul 2017 · 1 min read फिर से मैं छोटी-सी बच्ची बन जाती ???? काश एक जादू की छड़ी मिल जाती। फिर से मैं छोटी-सी बच्ची बन जाती।। गुड्डा-गुड़िया का फिर से ब्याह रचाती। फिर से झूठी-मूठी का बारात सजाती।। फिर से वही... Hindi · कविता · बाल कविता 552 Share Page 1 Next