लक्ष्मी सिंह Tag: कविता 196 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Previous Page 2 Next लक्ष्मी सिंह 18 Jul 2017 · 2 min read मैं और मेरी परछाई ???? मैं कमरे में बैठी कर रही थी अकेलेपन से लड़ाई। सोच रही थी क्या यही है इस जीवन की सच्चाई। सब छोड़ जाते हैं सिर्फ़ साथ रह जाती है... Hindi · कविता 2 3k Share लक्ष्मी सिंह 15 Jul 2017 · 1 min read भक्ति रस ???? भक्ति रस से भरे हृदय में सदा ईश्वर रहें समाई। है कल्याण उसी का जिसने ये ज्योति जलाई। भक्ति रस से निकले वाणी कर्णप्रिय सुखदाई। भक्ति रस का प्याला... Hindi · कविता 3 1 1k Share लक्ष्मी सिंह 12 Jul 2017 · 1 min read आतंकवाद ????? आतंकवाद सभ्य समाज और मानवता के लिए कलंक, सम्पूर्ण मानव जाति के लिए बहुत बड़ा खतरा है आतंक। गोलियों, बंदूकों, बारूदों से नित सजते हैं यहाँ बाजार, विश्व भर... Hindi · कविता 338 Share लक्ष्मी सिंह 11 Jul 2017 · 1 min read दूरियाँ ???? समाज और परिवार में घट रही नजदीकियां, टूट रही है भरोसा व विश्वास की हर कड़ियाँ। रिश्तों में तनाव, मतभेद ला देती है दूरियां, विश्वास और भरोसे पर चलती... Hindi · कविता 2 618 Share लक्ष्मी सिंह 9 Jul 2017 · 1 min read रोटी, कपड़ा और मकान ???? आम आदमी के तीन अरमान मिले रोटी, कपड़ा और मकान। जग में तीनों चीजें बड़ी महान, जिनकी उंगली पर नाचे इन्सान। भूख गरीबी से होकर परेशान, देखो फाँसी पर... Hindi · कविता 1k Share लक्ष्मी सिंह 6 Jul 2017 · 1 min read बचपन और बारिश ???? आज सुबह से ही मौसम बड़ा है अच्छा, ढ़ूढ़े मेरा मन बावरा वो छोटा-सा बच्चा। वहीं सुहाने दिन, वो बचपन, वो बारिश, जवाँ हो रही थी हर तमन्ना हर... Hindi · कविता · बचपन · बरसात 1 1 864 Share लक्ष्मी सिंह 3 Jul 2017 · 1 min read सुन मन मेरे ???? सुन मन मेरे चल आज कुछ करें मन की मन में न रहे चल कुछ करे सुन्दर प्रकृति बड़े कितने रंग बिखेरे पड़े चल खुद में रंग भरे निखर-सँवर... Hindi · कविता 2 1 501 Share लक्ष्मी सिंह 29 Jun 2017 · 1 min read भाग्य जानने की उत्सुकता ???? भाग्य को जानने की आदिम उत्सुकता। देश की परम्परा कहो या आधुनिकता। जो कल था,वह आज भी है,कुछ ना बदला। वही लोग, वही पंडित और वही विचारधारा। आज भाग्य... Hindi · कविता 1 573 Share लक्ष्मी सिंह 25 Jun 2017 · 1 min read मेरा साया ???? खामोश एहसासों में एक धुंधला सा चेहरा उभरता है। तू जिन्दगी है मेरी, आके हाउले से मेरी कानों में कहता है। उसकी एक छुअन से, मेरा रोम-रोम सिहरता है।... Hindi · कविता 367 Share लक्ष्मी सिंह 21 Jun 2017 · 1 min read योग (योग दिवस पर) ????? नित्य उठ करे प्राणायाम व योग, शरीर रहेगा सदा स्वस्थ निरोग। ? योग प्रकृति से जुड़ी सुन्दर विद्या, बढ़ाता बौद्धिक,शारीरिक क्षमता। ? योग सर्वोच्च ब्रह्माण्डमय सिद्धांत, योग से होता... Hindi · कविता 546 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jun 2017 · 1 min read मेरे पापा ???? मैं आपका ही रंग रूप हूँ , मैं हूँ आपका आकार पापा। मेरा जीवन है, आप का ही आशीर्वाद पापा। मैं जो बच्चों को देती हूँ वो आपका ही... Hindi · कविता 1 542 Share लक्ष्मी सिंह 18 Jun 2017 · 1 min read पापा (पितृदिवस पर) ???? हे ईश्वर तेरा मैं ध्यान करूँ। मैं अपने पापा का गुणगान करूँ। इस पितृ दिवस के अवसर पर, मैं दोनों पिता को याद करूँ। एक जन्मदाता किया कन्यादान, एक... Hindi · कविता 469 Share लक्ष्मी सिंह 13 Jun 2017 · 1 min read तू दुर्गा , तू पार्वती है । तू दुर्गा ,तू ही पार्वती है। तू दुनिया की पराशक्ति है। हे देवी तू आद्य शक्ति है। प्रकृति में सहज प्राकृति शक्ति है। तू सारा ब्रम्हांड , तू पूरी सृष्टि... Hindi · कविता · नारी शक्ति 552 Share लक्ष्मी सिंह 7 Jun 2017 · 2 min read स्त्रित्व की रक्षा ???? कहते है की - पुत्र कुपुत्र हो सकता है , पर माता कुमाता नहीं होती। तो फिर वह स्त्री कौन है ? जो गर्भ में ही बेटी होने पर... Hindi · कविता · नारी शक्ति · माँ 1 1 420 Share लक्ष्मी सिंह 5 Jun 2017 · 1 min read चीख-चीख कह रही धरा ???? चीख-चीख कह रही धरा, मुझको रखो हरा - भरा। विनाश का बादल मंडरा रहा, वृक्ष लगाओ ज्यादा से ज्यादा। सारा वायुमंडल हो रहा है गर्म, अब तो मानव करो... Hindi · कविता 1 449 Share लक्ष्मी सिंह 5 Jun 2017 · 1 min read कितना सुंदर जमाना था ???? कितना सुंदर जमाना था, तब मौसम बड़ा सुहाना था। पेड़-पौधों से भरी धरा, साथ हरियाली का खजाना था। शुद्ध पानी, शुद्ध हवा, शुद्ध खाने का हर दाना था। वन-उपवन... Hindi · कविता 581 Share लक्ष्मी सिंह 4 Jun 2017 · 1 min read नारी पुरूष की शक्ति ????? नर व नारी एक-दूसरे का पूरक, नारी पुरूष की शक्ति का उर्वरक। नारी बिना पुरूष जीवन अपूर्ण, नारी ही पुरूषों को करती पूर्ण। नारी पुरूष शक्ति की जीवन सुधा... Hindi · कविता · नारी शक्ति 1 593 Share लक्ष्मी सिंह 3 Jun 2017 · 1 min read आईसक्रीम ???? तीखी धूप, चिलचिलाती गर्मी, आईसक्रीम देख मुँह में आये पानी। ? बूढ़े-बच्चे सभी आईसक्रीम के प्रेमी। चाहे हो स्टोबेरी या वेनिला चेरी। ? नई-नई किस्में मैंगो,पिस्ता अंजीर। गर्मी के... Hindi · कविता · बाल कविता 1 481 Share लक्ष्मी सिंह 1 Jun 2017 · 1 min read हमारे गांव की पनिहारन हमारे गांव की पनिहारन , नित गगरी में भरती सावन। ????? देश की संस्कृति झलकती , जब पनघट पर पानी खींचती। पेड़-पौधों को वो रोज सींचती, राही-बटोही की प्यास बुझती।... Hindi · कविता 535 Share लक्ष्मी सिंह 31 May 2017 · 1 min read माँ ????? माँ होती बेहद सामान्य महिला, जो बच्चों से नहीं करती गिला। माँ का दिल होता बहुत ही बड़ा, प्रेम,त्याग,वात्सल्य से पूर्ण भरा। आत्म शक्ति से भरी एक महिला, सिखाती... Hindi · कविता · माँ 677 Share लक्ष्मी सिंह 29 May 2017 · 1 min read माता-पिता ईश्वर के समान ???? वृद्धाआश्रम में छोड़ गया, ये कैसा संतान। माता-पिता की फिर भी, बसती है इन्हीं में जान। ? माता-पिता तो रूप हैं ईश्वर के समान। फिर भी मंदिर में ढूंढतें,... Hindi · कविता 663 Share लक्ष्मी सिंह 24 May 2017 · 1 min read पापा की बिटिया ???? गर्मी की छुट्टी ढेर सारी मस्ती। जिन्दगी फूलों सी खिल खिला उठी। नये-नये करतब, नये-नये कलाकारी। कभी खूब शरारतें, कभी खातिरदारी। कभी कांधे पे चढ़ती, कभी पीठ की सवारी।... Hindi · कविता · बाल कविता · बेटी/बेटियां 1 642 Share लक्ष्मी सिंह 23 May 2017 · 1 min read प्रातःकाल ???? प्रातःकालीन प्रथम सूर्य किरण, मंत्र मुग्ध बंधा मन का हिरण। अचेत सृष्टि थी गहनता के कारण, फैला प्रकाशपूँज किया तम हरण। रूप,रस,गंध व नवीनता का वरण, ईश्वरीय कलाकृति आलौकिक... Hindi · कविता 813 Share लक्ष्मी सिंह 18 May 2017 · 2 min read विक्लांगता नहीं कोई अभिशाप ???? विक्लांगता नहीं कोई अभिशाप। ना ही पूर्वजन्म का कोई पाप। ना ही ईश्वर का कोई श्राप, संसार का श्रेष्ठ प्राणी हैं आप। लोगों की अपनी मानसिकता बदलने की जरूरत,... Hindi · कविता 470 Share लक्ष्मी सिंह 14 May 2017 · 2 min read माँ (मदर्स डे पर) ???? आम आदमी या ईश्वर अवतार, माँ के दूध का सब कर्जदार। माँ के छाती से निकला दूध, जीवनदायिनी अमृत की बूँद। ? माँ जीवन की शुरुआत पहली, माँ ही... Hindi · कविता · माँ 832 Share लक्ष्मी सिंह 13 May 2017 · 1 min read माँ मेरी माँ ???? माँ मेरी माँ, मुझे छोड़ के मत जाओ कुछ दिन तो मेरे साथ बिताओ। माँ मैं तुम बिन अकेली हो जाती हूँ, जब तुम साथ होती है तो ,... Hindi · कविता · माँ 2 737 Share लक्ष्मी सिंह 12 May 2017 · 1 min read छोड़ के कंचन महल अटारी ???? छोड़ के कंचन महल अटारी, जोगन रूप सजाऊंगी...... वृन्दावन की कुन्ज गली में, अपनी कुटी बनाऊंगी..... ? लट चिपकाऊ,भस्म रमाऊं, लोकलाज बिसराऊंगी...... मन में तेरी मोहनी सुरत, ले करताल... Hindi · कविता 446 Share लक्ष्मी सिंह 11 May 2017 · 1 min read कुत्ते और बंदर की दोस्ती ???? अनोखी चीजें सदा ही चौकाती, कुछ चीजें तो अद्भुत हो जाती। देखो कुत्ते और बंदर की दोस्ती, है बड़ा अजूबा बड़ी अनोखी। कभी बंदर कुत्ते को चिढ़ाता, कभी प्यार... Hindi · कविता 705 Share लक्ष्मी सिंह 10 May 2017 · 1 min read महात्मा बुद्ध ????? बुद्ध ने सब दाव पर लगा दिये, कठोर तपस्या पूर्ण जीवन जीये। जिस दिन देखें कि मृत्यु है, जिस दिन देखें कि बुढापा है, जब देखें कि जीवन में... Hindi · कविता 807 Share लक्ष्मी सिंह 8 May 2017 · 1 min read माता-पिता ???? पाल-पोस कर बड़ा किया, जिसे अपना खून पिलाया। आज उसी औलाद ने, वृद्धाआश्रम पहुंचाया। ? पहली बार वो तब मरे जब बच्चों की तेज हुई आवाज। रही-सही भी खत्म... Hindi · कविता 576 Share लक्ष्मी सिंह 7 May 2017 · 1 min read जब बच्चे जवाब देते हैं ???? जब बच्चे जवाब देते हैं, जीवन के हर तार टूटते हैं। शब्दों के प्रहार से , तन पे कितने बाण चलते हैं। घायल मन ,मन के अंदर में, फिर... Hindi · कविता 1 1 449 Share लक्ष्मी सिंह 3 May 2017 · 1 min read सरहद के वीर शहीदों को मेरा शत-शत नमन ?????? सरहद के वीर शहीदों को,मेरा शत-शत नमन। खुद को मिटाकर जो,कर गये सुरक्षित वतन। ? खबरदार ऐ सरहद पार,कश्मीर है हमारा चमन। ललकार हमें मत ऐ कायर,अब नहीं होता... Hindi · कविता 920 Share लक्ष्मी सिंह 2 May 2017 · 1 min read तुम और मैं ???? तू शिव है, तेरी शक्ति हूँ मैं। तेरी जीवन की, हर एक भक्ति हूँ मैं। ? तेरे अंग में समायी, तेरी अर्धांगिनी हूँ मैं। तेरे संग-संग चलूँ, तेरी संगनी... Hindi · कविता · प्रेम 484 Share लक्ष्मी सिंह 1 May 2017 · 1 min read मेहनतकश मजदूर (मजदूर दिवस पर) ???? जुझारू,मेहनतकश एक शक्ति क्रांतिकारी। हर उद्योग में मजदूरों की अपरिहार्य भागीदारी। ? मजदूरों पर देश की समस्त आर्थिक उन्नति टिकी। मजदूर सभी प्रकार के क्रियाकलापों की है धूरी। ?... Hindi · कविता 538 Share लक्ष्मी सिंह 30 Apr 2017 · 1 min read कोई जन्म से कवि नहीं होता है ???? कोई जन्म से कवि नहीं होता है। हर व्यक्ति में कहीं एक कवि छिपा होता है। ? कोई घटना या दृश्य मन की भावनाओं को छू जाता है। वही... Hindi · कविता 1 384 Share लक्ष्मी सिंह 28 Apr 2017 · 1 min read खुशी ???? खुशी आत्मा की उपज है। सबको मिलती नहीं सहज है। ? कोई एक गुलाब से भी खुश हो जाता है। कोई मँहगा तोफा पाकर भी आँसू बहाता है। ?... Hindi · कविता 390 Share लक्ष्मी सिंह 26 Apr 2017 · 1 min read न्याय की देवी ???? बाँधआँखों पर काली पट्टी अंधी बनी न्याय की देवी। न्याय तराजू हाथ की मुट्ठी, सबूत तौलती सच्ची-झूठी। एक हाथ तलवार दोधारी, फिर भी बेबस बनी बेचारी। संविधान की ओट... Hindi · कविता 1k Share लक्ष्मी सिंह 23 Apr 2017 · 1 min read मैं पत्थर हूँ ???? मैं पत्थर हूँ, चुपचाप खड़ी रहती हूँ, ना चीखती हूँ, ना चिल्लाती हूँ। बस एक बूत सी बनी रहती हूँ। ना रोती हूँ, ना तड़पती हूँ। बस खड़ी मुस्कुराती... Hindi · कविता 524 Share लक्ष्मी सिंह 22 Apr 2017 · 1 min read धीरे-धीरे धरती बन रहा है आग का गोला ???विश्व पृथ्वी दिवस??? ??? धीरे-धीरे धरती बन रहा है आग का गोला। ये विश्व समुदाय के लिए बड़ा गम्भीर मुद्दा। ? वायुमंडल में बढ़ती कार्बनडाईआॅक्सािड की मात्रा। तरह-तरह के बीमारियों... Hindi · कविता 483 Share लक्ष्मी सिंह 22 Apr 2017 · 1 min read मैं मजदूर नौजवान ????? हिन्दू, सिख, ईसाई ना ही मुसलमान। मैं हूँ एक मेहनतकश मजदूर नौजवान। ? मेहनत मेरा धर्म है,मेहनत मेरी ईमान। नित कर्मयोगी,परिश्रमी है मेरी पहचान। ? मैं करता हूँ नित... Hindi · कविता 418 Share लक्ष्मी सिंह 21 Apr 2017 · 1 min read सुख की पहचान ???? काश सुख की होती पहचान। होता उसका भी एक दुकान। ? खुश होता फिर हर इन्सान। फिर ना होता कोई परेशान। ? काश होता सुख का कोई पेड़। तोड़... Hindi · कविता 384 Share लक्ष्मी सिंह 19 Apr 2017 · 1 min read कभी सावन कभी वसंत दोस्ती ????? कभी सावन,कभी वसंत दोस्ती। पतझड़ में भी रहे संग दोस्ती। सागर के संग तरंग दोस्ती। जीवन में भर दे उमंग दोस्ती। इन्द्रधनुष के सातों रंग दोस्ती। मन को महका... Hindi · कविता 758 Share लक्ष्मी सिंह 15 Apr 2017 · 1 min read दर्द की बात ना करो ????? दर्द की बात ना करो, हम तो दर्द में ही रहते हैं। हर रोज घुटते-मरते हैं, पर किसी से नहीं कहते हैं। वक्त ने जो भी किया सितम सब... Hindi · कविता 1 1 457 Share लक्ष्मी सिंह 13 Apr 2017 · 1 min read कुछ मन की कर जाऊँ ???? आज मैं कुछ मन की कर जाऊँ। बिना पंख गगन में उड़ जाऊँ। ? चाँद सितारे तोड़ के लाऊँ। अपने बगिया में मैं लगाऊँ। ? प्रकृति से मैं रंग... Hindi · कविता · बाल कविता 369 Share लक्ष्मी सिंह 12 Apr 2017 · 1 min read बचपन की हर बात निराली ????? बचपन तो बचपन है बचपन की हर बात निराली। गुड्डा गुड़िया,खेल खिलौने बस यादें रह जाती है सारी। कभी याद कर हम बीते दिनों की कहनी। कभी हम मुस्कुराते... Hindi · कविता · बचपन 614 Share लक्ष्मी सिंह 11 Apr 2017 · 1 min read इन्सान नहीं वह दरिंदा है ???? इन्सान नहीं वह दरिंदा है, धरती आकाश जिससे शर्मिन्दा है। मासुम को नोच कर खाता है, इन्सान के रूप में भेड़िया है। पति-पिता के सामने ही बेटी को, नोचकर... Hindi · कविता 358 Share लक्ष्मी सिंह 8 Apr 2017 · 1 min read कान्हा,कन्हा मैं करूँ ?????? कान्हा,कन्हा मैं करूँ, मेरा कान्हा है चितचोर। ? चैन चुराकर, नींद उड़ाकर, वो बैठा कित ओर। ? मैं बावली, हुई दीवानी, क्यों ना देखे मेरी ओर? ? इत उत... Hindi · कविता 315 Share लक्ष्मी सिंह 7 Apr 2017 · 1 min read मैं हूँ एक फूल सुर्ख गुलाब ?????? मैं हूँ एक फूल सुर्ख गुलाब। जिधर से भी मैं गुजरूँ, छोड़ जाऊँ खुश्बू बेहिसाब। ?? मेरा जीवन काँटों की चुभन, चेहरा खिला मुस्कुराता गुलाब। मेरे अंग-अंग में सुन्दरता,... Hindi · कविता 1 1 506 Share लक्ष्मी सिंह 5 Apr 2017 · 1 min read मैं लिखती हूँ ????? मैं क्या लिखती हूँ और क्यों लिखती हूँ स्वयं मैं नहीं जानती बस लिखती हूँ.. मैं लिखती हूँ.. ? अपनी प्रतिभा से यत्र-तत्र बिखरे सौन्दर्य को संकलित करके एक... Hindi · कविता 363 Share लक्ष्मी सिंह 4 Apr 2017 · 1 min read जिन्दगी को गुजार दो ???? जिंदगी को गुजार दो खिलखिलाते हँसते हँसते। न जाने किस वक्त,कब कहाँ, जिंदगी निकल जाए हाथ से फिसल के। बहुत नज़दीक से देखा है जिंदगी को तड़पते बिलखते। एक... Hindi · कविता 430 Share Previous Page 2 Next