Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Jul 2017 · 2 min read

मैं और मेरी परछाई

????
मैं कमरे में बैठी कर रही थी अकेलेपन से लड़ाई।
सोच रही थी क्या यही है इस जीवन की सच्चाई।

सब छोड़ जाते हैं सिर्फ़ साथ रह जाती है तन्हाई।
झूठी दूनिया, झूठे रिश्ते-नाते सब करते बेवफाई।

आज साथ सिर्फ अकेलापन, मैं और मेरी तन्हाई।
तभी कानों में मेरी एक हल्की – सी आवाज आई।

मुझे कैसे भूल गई तू,मैं तेरा मन तेरी ही हूँ परछाई।
मैं तेरे जिस्म में,तेरे वजूद में सदा ही रही हूँ समाई।

तू मन की बात कहे ना कहे मुझे सब देती है सुनाई।
चेहरे की हँसी, दर्द व दुख सब देता है मुझे दिखाई।

तेरे संग-संग चलूँ तेरे रंग में ही रंगूँ मैं हूँ तेरी परछाई।
देख धुधला-सा एक साया मैं डरी थोड़ी-सी घबराई।

तभी हाथ पकड़ वो मुझे थोड़ी रोशनी के करीब लाई।
मुझ से निकलकर साफ सामने खड़ी थी मेरी परछाई।

जाने क्यों मैं फिर कुछ हल्की -सी मन्द-मन्द मुस्कुराई।
मेरे अन्दर ना जाने कितने ही शरारती हरकतें समाई।

मैं दोनों हाथों को उठा उँगलियों को हवा में हिलाई।
मेरे साथ-साथ मेरी नकल कर रही थी मेरी परछाई।

कभी आँचल, कभी जुल्फें, कभी हाथों को लहराई।
कभी दायाँ कभी बायाँ मैंने दोनों पैरों को थिरकाई।

मेरे संग-संग नाच रही थी आज मेरी ही परछाई।
और अब मुझ से बहुत दूर हो गई थी मेरी तन्हाई।

मेरे दिल को ना जाने कितनी करतबें याद आई।
तरह-तरह जानवर, कई चिड़िया भी मैने बनाई।

कभी मछली, कभी नदी, कभी सागर की गहराई।
मेरे साथ खेल रही थी साथी बनकर मेरी परछाई।

जिन्दगी में जैसे फिर से मस्ती और आनंद आई।
मैं भूल गई फिर से सारे गम, दुनिया की रुसवाई।

जुबां मौन थी पर सन्नाटे ने जमकर शोर मचाई।
कानों मेरे बजने लगी थी मीठी-मीठी सी शहनाई।

थक गई मैं नाचते-खेलते, पर थकी नहीं परछाई।
अाँखों में नींद आने लगी, मुँह से निकली जम्हाई।

इतना थक चूकी थी मैं कि नींद बहुत गहरी आई।
बत्ती बुझाना भूली मैं तो संग में लेटी थी परछाई।

बहुत – बहुत शुक्रिया तुम्हें दूँ ओ मेरे परछाई।
सबसे दूर हूँ मगर आज तूने मेरी साथ निभाई।

मुस्कुराते हुए मुझसे सिर्फ इतना बोली मेरी परछाई।
परछाई से खेलना तुमसा यहाँ सबको कहाँ है आई।
????—लक्ष्मी सिंह ?☺

Language: Hindi
2 Likes · 3922 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from लक्ष्मी सिंह
View all
You may also like:
बारिश
बारिश
विजय कुमार अग्रवाल
ग़ज़ल
ग़ज़ल
Mahendra Narayan
रिश्ता
रिश्ता
Santosh Shrivastava
न चाहिए
न चाहिए
Divya Mishra
2656.*पूर्णिका*
2656.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
संघर्ष वह हाथ का गुलाम है
प्रेमदास वसु सुरेखा
इश्क़
इश्क़
लक्ष्मी सिंह
हकीकत उनमें नहीं कुछ
हकीकत उनमें नहीं कुछ
gurudeenverma198
"ये कलम"
Dr. Kishan tandon kranti
सावन भादो
सावन भादो
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
दुनिया की कोई दौलत
दुनिया की कोई दौलत
Dr fauzia Naseem shad
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
डॉ अरुण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
क्या हुआ जो तूफ़ानों ने कश्ती को तोड़ा है
Anil Mishra Prahari
कहाॅं तुम पौन हो।
कहाॅं तुम पौन हो।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
It is not necessary to be beautiful for beauty,
It is not necessary to be beautiful for beauty,
Sakshi Tripathi
सुप्रभात..
सुप्रभात..
आर.एस. 'प्रीतम'
దీపావళి కాంతులు..
దీపావళి కాంతులు..
डॉ गुंडाल विजय कुमार 'विजय'
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
रास्ता दुर्गम राह कंटीली, कहीं शुष्क, कहीं गीली गीली
सुरेश कुमार चतुर्वेदी
सितारे  आजकल  हमारे
सितारे आजकल हमारे
shabina. Naaz
गजल सगीर
गजल सगीर
डॉ सगीर अहमद सिद्दीकी Dr SAGHEER AHMAD
बेटी को मत मारो 🙏
बेटी को मत मारो 🙏
Samar babu
अतीत - “टाइम मशीन
अतीत - “टाइम मशीन"
Atul "Krishn"
गौरवपूर्ण पापबोध
गौरवपूर्ण पापबोध
नील पदम् Deepak Kumar Srivastava (दीपक )(Neel Padam)
मासूमियत की हत्या से आहत
मासूमियत की हत्या से आहत
Sanjay ' शून्य'
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
बड़े महंगे महगे किरदार है मेरे जिन्दगी में l
Ranjeet kumar patre
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
*भारतमाता-भक्त तुम, मोदी तुम्हें प्रणाम (कुंडलिया)*
Ravi Prakash
"साजन लगा ना गुलाल"
लक्ष्मीकान्त शर्मा 'रुद्र'
"न टूटो न रुठो"
Yogendra Chaturwedi
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
"बचपने में जानता था
*Author प्रणय प्रभात*
Loading...