Jitendra Anand Tag: कविता 66 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid Jitendra Anand 29 Apr 2017 · 1 min read कविता : हुआ अपेक्षित है आवश्यक हुआ अपेक्षित है आवश्यक,सद् मारग पर तुमको चलना। परहितार्थ जीवन यापन हो,सद् आचरण बनाये रखना ।।३!! सुस्थिरप्रग तुम्हें रहना है,घबराहट तुमसे घबराये विजय तुम्हारी होगी निश्चित ,चक्रव्यूह तुमसे चकराये ।।४!!... Hindi · कविता 509 Share Jitendra Anand 6 Dec 2016 · 1 min read मंजरी को चाहता हूँ ( गीत ) पोस्ट -२३जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६५) माधुरी को चाहता हूँ ( गीत ) तुम हिरन सम मरुथलों में दौडना चाहूँ करूँ क्या ननिजह्लदय ,गोविंद की मैं माधुरी क चाहता हू रंग विरंगी लट्टुओं की जगमगाती वह... Hindi · कविता 273 Share Jitendra Anand 2 Dec 2016 · 1 min read घनाक्षरी:: मेरे लिए कुछ भी न दूर और : जितेंद्र आनंद( पो १६३) मेरे लिए कुछ भी न दूर और समीप ही, मेरा प्रतिबिम्ब ही तो होता अवलोकित है । दृष्टि में न भेद|वाह्य, आंतरिक जगत् में, सर्वत्र ही समदर्शी मेरी स्थिति शोभित... Hindi · कविता 392 Share Jitendra Anand 2 Dec 2016 · 1 min read मुक्तक: हर सुबह एक नई प्यास: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१६२) हर सुबह एक नई आस लिए होती है । हर दोपहर अमिट प्यास लिए होती है । डूब जाता हूँ याद की तन्हाईयों में -- चॉदनी रात जब मधुहास लिए... Hindi · कविता 246 Share Jitendra Anand 11 Nov 2016 · 1 min read यह ब्रह्मही है आत्मा ,आत्माही है: जितेन्द्र कमल आनंद ( पो १४२) घनाक्षरी ----------- यह ब्रह्म ही है आक्मा, आत्मा ही ब्रह्म अत: ब्रह्माण्डीय चकुर्दिक विस्तार आत्मा का है । यह आत्मा सम्पूर्ण और आत्मा ही सत्य , वत्स सुखकर अलौकिक संसार... Hindi · कविता 212 Share Jitendra Anand 11 Nov 2016 · 1 min read सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं:: जितेंद्रकमल आनंद ( पोस्ट१४०) घनाक्षरी:-- ---------- सत्यके सुदर्शन जिसे होते हैं अलौकिक , आत्मपद पर वही होता है सुशोभित । निरावृत दृष्टि और पाकर वह सद्ज्ञान, खिल कर कमल - सा होता है सुवासित... Hindi · कविता 1 308 Share Jitendra Anand 9 Nov 2016 · 1 min read स्वप्नवत् हो भ्रांतियॉ जिसके :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१३९) स्वप्नवत हो भ्रांतियॉ , जिसके बोधोदय से, उस सुखरूपी शॉत, तेजस्वी को नमन हैं । वासनाओं में जो नहीं होता है संलिप्त कभी , उस महामना योगी, यशस्वी को नमन... Hindi · कविता 202 Share Jitendra Anand 5 Nov 2016 · 1 min read ओंकार, अघनाशक,परम आनंद हैं जो: जितेंद्र कमल आनंद ( १३१) ओंकार, अघनाशक ,परम आनंद हैं जो , क्यों न करें भक्त यशगान आठों याम ही । देख- देख प्रभु प्रेममूर्ति की सौंदर्य राशि , करते मधुप रसपान| अविराम ही ।... Hindi · कविता 2 313 Share Jitendra Anand 2 Nov 2016 · 1 min read काव्य से अमृत झरे,वेदका वह सार दें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पो १३०) सरस्वती -- वंदना ----------------------- काव्यसे अमृत झरे, वेद का वह सार दें! मॉ मेरी वरदायिनी साधकों को प्यार दें । ऑधियों से लड़ सके , भोर तक जो जल सके,... Hindi · कविता 1 365 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read यज्ञ के लिए भी पंच गव्य जो प्रदान करें:- जितेंद्र कमल आनंद ( पोस्ट१२४) घनाक्षरी ::: गौ माता ----------------------- यज्ञ के लिए भी पंच गव्य जो प्रदान करें , उन दुग्ध,-- दायिनी की शुचि दुग्ध धार हैं ! मन की भी बात गाय जानती... Hindi · कविता 1 243 Share Jitendra Anand 29 Oct 2016 · 1 min read सुरभि,सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला :: जितेंद्रकमलआनंद (१२३) घनाक्षरी :: गौ माता ----------------------- सुरभि, सुभद्रा,नन्दा,बहुला,सुशीला गायें-- क्षीर- सिंधु-- मंथन से लिए| अवतार| है । जो हैं चन्द्र, रवि और इन्द्र की भी इष्ट शक्ति, करते उन्हें भी हम... Hindi · कविता 615 Share Jitendra Anand 28 Oct 2016 · 1 min read परहितार्थ हम जैसा करते सत्य उसी को:-- जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१२२) कविता ----------+ परहितार्थ हम जैसा करते , सत्य उसी को कहा है जाता । धर्म| बहॉ पर| नहीं ,जहॉ पर| -- सत्य| नहीं होता उद् गाता ।।१ ।। परम| पुरुष... Hindi · कविता 2 296 Share Jitendra Anand 26 Oct 2016 · 1 min read जगतमें हो कोई न उदास :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११६) श्रंगार छंद ------------++ जगत् में हो कोई न उदास । सरस हो हास और परिहास । सभीके जीवन कमल सुवास निरन्तर प्रतिपल हो मधुमास ।।१ ।। कृष्ण की छवि है... Hindi · कविता 213 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read अनेक एक हो जाते हैं( शेष भाग) जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट११५) तब आवश्यकता नहीं रहती मूर्ति अर्चना की / प्रस्तर - वंदना की व्यर्थ कर्मकाण्ड की अथवा आडम्बर की, नीराजना की आराधना की क्योंकि-- उसकी चेतना हममें पद्मवत खिल चुकी है... Hindi · कविता 192 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read अनेक एक हो जाते हैं ! -----जितेन्द्र कमलआनंद ( ११३) प्रिय आय्मन ! जब स्वयं का चोला ही रंग जाता है उसके रंग में , तब -- अनिवार्यता नहीं रहती गैरिक वस्त्रों की अथवा बाघम्बर की / माला जाप के... Hindi · कविता 1 377 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read कवि रामकिशोर वर्मा जी! कवि रामकिशोर वर्मा जी! सप्रेम नमस्कार । क्या आप साहित्य पीडिया से जुड़े हैं। यदिनहीं तो उससे जुड़े । इस से अधिकतर अच्छे साहित्यकार जुड़े हुए हैं । हमारी रचनाएँ... Hindi · कविता 348 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read याद रखो ! शक्ति का जहॉ होता है दुरुपयोग: जितेंद्र कमल आनंद ( ११२) याद रखो ( मुक्त छमद कविता ) ----------- प्रिय आत्मन ! याद रखो ! शक्ति का होता है जहॉ दुरुपयोग उसे धर्मका समर्थन न मिलकर मिलती है वहॉ पराजय निश्चित... Hindi · कविता 223 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read रस लीजिए आध्यात्मिक साहित्यिक : जितेन्द्रकमल आनंद (१११) राजयोगमहागीता::: अध्याय२१का घनाक्षरी २० ******************** रस लीजिए आध्यात्मिक और साहित्यिक भी, सेवा कर सामाजिक बन विस्तार कीजिए । असमाजिक तत्वों की कीजिए अवहेलना । मिल कर सुखद यह संसार कीजिए... Hindi · कविता 224 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read बीज बोये आपनेजो महराजयोगके :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट११०) राजयोगमहागीता:: घनाक्षरी क्रमॉक२१/३६,पृष्ठ -------------++++-++++----+++++----- बीज बोये आपने जो महाराजयोग के ये , मर्म इनका जान चुका और संतुष्ट हुआ । यों स्वयं को सृष्टा - दृष्टा ,नियंता भी जानकर ,... Hindi · कविता 182 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read जीवितरहने की स्पृहा ही तेरा है बंधन:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०९) राजयोगमहागीता:: घनाक्षरी *******************" जीवित रहने की स्पृहा ही तेरा है बंधन , मुक्त होना बंधनों से सबको अपेक्षित । कामी, क्रोधी , क्रूर होते अहंकारी मानव जो , ये ही... Hindi · कविता 193 Share Jitendra Anand 25 Oct 2016 · 1 min read स्वयंकोविश्वरूप संशयमुक्तजानकर:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट१०८) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी ------------------------ स्वयंको विश्वरूप संशय मुक्त जान कर , आत्मरूप का स्वयं मान करना चाहिए । देह से असंग मैं यह देह मेरी है नहीं , देह का मोह... Hindi · कविता 189 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read शांत और मुक्त भी मैं ,निर्भय हूँ निराश्रय:: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट१०३) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी : अधंयाय२ छंद १८ -------------------------- शांत और मुक्त भी मै , निर्भय हूँ निराश्रय , न ही मोक्षाकांक्षी हूँ , न ही हूँ मैं बंधन में । मैं... Hindi · कविता 339 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read ज्ञान,ज्ञेय,ज्ञाता की नहीं कोई वास्तविकता: जितेंद्रकमलआनंद(पोस्ट ९८/ १०२) घनाक्षरी ----------- ज्ञान, ज्ञेय, ज्ञाता की कोई डासंतविकता, परस्वर असम्बंध ,कियोंकि मैं निरंजन । ज्ञान ,ज्ञेय,ज्ञाता तो अज्ञानियों को भासते हैं । सोचमें विविधता , है बंधन ही बंधन ।... Hindi · कविता 1 271 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आऩंद - अणु से मिलनातुर :: जितेंद्रकमल आनंद( पोस्ट१०१) आनंद ,-- अणु से मिलनातुर ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------- सखे ! जिस प्रकार -- बादल अपनापन बूँदों को बूँदें अपनापन नदियों को नदियाँ अपनापन सिंधु को और --... Hindi · कविता 196 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read सृष्टा की यह सृष्टि याकि विश्व की : जितेंद्रकमलआनंद ( १००) घऩाक्षरी :: ------------- सृष्टा की यह सृष्टि याकि विश्व की सृष्टि, वत्स ! झुक जाओ अपने ही चरणॉं में मिट| जाओ| । मेरा दृष्टा , तेरा दृष्टा अलग,-- थलग नहीं... Hindi · कविता 1 239 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आत्मा से विश्व है, यह विश्व भी मैं :: जितेंद्रकमलआनंद ( पोसंट९९) घनाक्षरी -------------- आत्मा से विश्व है , यह विश्व भी मैं ही हूँ और -- विश्व निराकार यदि मैं भी निराकार हूँ । विश्व यदि निरंतर तो मैं भी तो... Hindi · कविता 292 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आनंद- पथ पर ,प्रकाश की ओर:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट९६) आनंद - पथ पर ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------+----------------- प्रिय आत्मन् ,,! अनगिनत अब बढ़ चले हैं पॉव आनमद - पथ पर/ प्रकाश की ओर कर रही है अनुभव... Hindi · कविता 248 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read वह स्वयं में व्याप्त है ::: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट९५) वह स्वयं में व्याप्त है ( मुक्त छंद कविता ) -------------------------------------- प्रिय आत्मन ! घड़ा तो एक दिन फूटना ही है जल का पूरक , कुम्भक , रेचक, सभी पीछे... Hindi · कविता 320 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read आनंद प्रवाह : यदि तुम अपनी चेतना :: जितेन्द्र कमल आनंद ( ९४) आनंद -- प्रवाह ( छंद मुक्त ) ---------------------------- प्रिय आत्मन ! यदि तुम अपनी समस्त चेतना को कर सकते हो जागृत , एकत्रित , संचित और दे सकते हो तुम... Hindi · कविता 1 251 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read परमब्रह्म सबको चाहता भरपूर हैैैै :: जितेन्द्रकमल आनंद ( ९३) घनाक्षरी छंद ------------------- परमब्रह्म सबको चाहता भरपूर है , उनकी कृपा से होता भक्त सिंधु -- पार है । खोल दो बस खिडकियॉ अपने मकान की , उनका तो खुला... Hindi · कविता 1 370 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read यहॉ - वहॉ , जहॉ- तहॉ सब ही जगह वह: जितेनà¥à¤¦à¥à¤° कमल आनंद ( पोसà¥à¤Ÿà¥¯à¥¨) घनाकà¥à¤·à¤°à¥€ ( पोसà¥à¤Ÿ ९२) ------------------------ यहॉ वहॉ , जहॉ तहॉ , सब ही जगह वह , अनà¥à¤¤à¤°à¥à¤¯à¤¾à¤®à¥€ अंतस में वह विदà¥à¤¯à¤®à¤¾à¤¨ है । कà¤à¥€ टूटने न पाये विशà¥à¤µà¤¾à¤¸ उसके पà¥à¤°à¤¤à¤¿... Hindi · कविता 406 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read शाश्वत सुमूल्यों का ग्रहण ::: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट९०) घनाक्षरी छंद -------------( पोस्ट ९०) शाश्वत सुमूल्यों का ग्रहण सत्प्रवृत्तियों का , मनन भी जीवन में आप नित्य कीजिए । छोड़ना दुराग्रह को , त्याग कुप्रवृत्तियों का , भजन भी... Hindi · कविता 189 Share Jitendra Anand 24 Oct 2016 · 1 min read अध्यात्म के बिना ज्ञान ::: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट८९) घनाक्षरी छंद -------------अध्यात्म के बिना ज्ञान , विज्ञान बिना ज्ञान के, दोनों ही अधूरे हैं, घातक सृष्टिके लिए| । ये आधुनिक विज्ञान और ज्ञान राजयोग , परस्पर विरोधी नहीं ,... Hindi · कविता 170 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read भोगमें होगा अहम् तो भोग मिल जायेगा:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट७४) सारात्सार:: छंद घनाक्षरी क्रम ८/२१ राजयोगमहागीता ------------------------ भोग में होगा अहम् तो भोग मिल जायेगा ,मोक्ष में होगा अहम् तो मोक्ष मिल जायेगा । आपको सानंद यह जीवन जीने के... Hindi · कविता 210 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read चाहते न थोपना पर, हम ज्ञान :: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७३) राजयोगमहागीता: घनाक्षरी छंद क्रमॉक७/२१!!सारात्सार-- **********चाहते न थोपना पर, हम ज्ञान इसका, वेद अतिरिक्त भी है, और उसको कहा , होकर समदर्शी जो आत्म- अनुभूति हुई , उसको ही मैं यह... Hindi · कविता 551 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read जीवन व्यक्त हुआ,परमब्ह्म से :: जितेन्द्रकमल आनंद ( पोस्ट७२) राजयोगमहागीता:: सारात्सार :: घनाक्षरी छंद ६/२१ ****************************** जीवन व्यक्त हुआ परमब्रह्मसे यह , इसको सद्विप्ररूप सार्थक बनाना है । मोक्ष के आकांक्षी ने लक्ष्य परम मोक्ष लिया । संचर- प्रति... Hindi · कविता 228 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read जीवन से जन्म हुआ,जीवन ही तो लक्ष्य है:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट७१) राजयोगमहागीता:: सारात्सार::: घनाक्षरी ५/२१ --------------, जीवनसे जन्म हुआ,जीवनही तो लक्ष्य है जीवनको सत्य शिव सुंदर बनाना है । होकर निर्द्वंद्ध और होकर विदेही - सम राजयोग से ही मन --... Hindi · कविता 1 367 Share Jitendra Anand 21 Oct 2016 · 1 min read अद्वैत है एकात्म,सभी चराचर मात्र ही:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट७०) राजयोगमहागीता: सारात्सार : ब घनाक्षरी ४/२१ ----------------------- अद्वैत है एकात्म, सभी चराचर मात्र ही , परस्पर बद्ध , साक्ष्य स्वरूप साकार हैं । होना चाहिए मुमुक्षु और ज्ञान आग्रही भी,... Hindi · कविता 188 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: निरंजन निर्पेक्ष हैनिस्पृह स्वयं सिद्ध:: जितेन्द्र कमलआनंद( पो ६९) सारात्सार : घनाक्षरी: ३/२१ ------------------------------- निरंजन निर्पेक्ष है , निस्पृह स्वयं सिद्ध , जान जाता जन्म जात ज्ञान का भण्डार है । वो आत्मविश्वस्त और आत्मकेंद्रित होकर,़ सदा वर्तमान स्वयं... Hindi · कविता 169 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: आत्मज्ञानपरमसत्य: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट६८) सारात्सार::: घनाक्षरी-२/ २१ ---------------------------- आत्मज्ञान परमसत्य , ग्रंथों में ज्ञान नहीं , अंतर्मन- समाहित ज्ञान उपहार है । उसको या स्वयं को ही पाइए सर्वत्र व्याप्त, निराकार एक वह ही... Hindi · कविता 183 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: सारात्सार: जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६७) सारात्सार:: घनाक्षरी क्रमांक १ -----------+-+----------------------- एक ही परमेश्वर है, दूसरा नहीं कहो ! करो ज्ञानयोग को सहज या राजयोग । द्वैत की न भावना रखकर अद्वैत भाव , प्रेम निराकार... Hindi · कविता 213 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोग महागीता:: गुरु ही हैं धर्म,निष्ठा तप, परमार्थ वह:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट६६) गुरु प्रणाम:::: ( घनाक्षरी ७) -------------------------------------- गुरुही हैं धर्म, निष्ठा, तप, परमार्थ वह -- षट् ऐश्वर्य युक्त गुरु मेर् भगवान हैं । गुरुकी कृपा से अधिक और कुछ भी नहीं... Hindi · कविता 230 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: गुरुप्रणाम:: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट६५) गुरुप्रणाम::: ( घनाक्षरी छंद ६) -------------------------------------- सुख दुख शीत, उष्णादि द्वन्दों से रहित जो-- व्योम के समान , सूक्ष्म , नित्य अविराम हैं । निर्मल अचल और हैं ध्यान गुरु... Hindi · कविता 381 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहगीता: गुरुप्रणाम! जितेंद्रकमलआनंद( पोस्ट६४) गुरुप्रणाम :: घनाक्षरी ::६ ----------------------------- आध्यात्मिक साहित्यिक याज्ञिक और सात्विक कर सकूँ योगदान , ज्ञान हमको दीजिए । होता रहूँ अग्रसर पथ पर निरन्तर , हो कोई समस्या तो निदान... Hindi · कविता 184 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राज योग महागीता: गुरुप्रणाम: ज्ञानकी जो मूर्ति हैं:: जितेन्द्र कमल आनंद: (पोस्ट६३( गुरु प्रणाम ::: घनाक्षरी ------------------------ ज्ञानकी जो मूर्ति हैं , श्री श्री आनंद के जो धाम हैं , हैं करते अपना नहीं कभी भी सुप्रचार जो । चाहता अहेतुकी ही... Hindi · कविता 204 Share Jitendra Anand 20 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: गुरुप्रणाम:: मेरेतो परमात्मा : जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट६२) गुरु प्रणाम:: घनाक्षरी --------------------------- मेरे तो परमात्मा ही सद्गुरु परब्रह्म जिससे होना है मुझे सागर के पार है । ' एकमेवपरब्रह्म' कहकर गुरुवर , कराते हैं विदित उसे जो सारात्सार... Hindi · कविता 291 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम:: जितेन्द्र कमल आनंद ( पोस्ट ६१) गुरु प्रणाम :: ( घनाक्षरी ) --------------------- नित्य ही आनंदके जो दाता ज्ञानके परम विश्व से विराट विभु व्यापक समान हैं । नित्य ही विमल और अचलउज्ज्वल शुभ्र , जो... Hindi · कविता 1 250 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read गुरु प्रणाम ::: जितेन्द्र कमल आनंद ::घनाक्षरी ( पोस्ट६०) ऊँ सद्गुरु परमात्मने नमः अखण्ड मण्डल में जो व्याप्त हैं साकार हुए प्रेम की जोमूर्ति हैं , दिव्य जिनके नाम हैं । अज्ञान के तिमिरांध में हैं ज्ञान की श्लाका... Hindi · कविता 260 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता:: ध्यान निराकार से तो सुगम साकारकर: जितेन्द्र कमलआनंद( पोस्ट५९) प्रभु प्रणाम ------------- ध्यान निराकार से तो सुगम साकार कर , ह्रदय में सुभावना मोक्ष की जगाइए । देवकी के वत्स , मॉ यशोदा के दुलारे रहे, कृष्णकी सद्भावना ,... Hindi · कविता 202 Share Jitendra Anand 19 Oct 2016 · 1 min read राजयोगमहागीता: गोकुलका धामप्यारा, नारायण- सतनाम: जितेंद्रकमलआनंद ( पोस्ट५८) घनाक्षरी::: ----------गोकुल का धाम प्यारा , नारायण सतनाम जिनका सच्चिदानंद घन नाम प्यारा है । चिन्मय कमल कर्णिका में जो निवास करें , परम पुरुष उन्हें वेदों ने उच्चारा है... Hindi · कविता 348 Share Page 1 Next