रीतेश माधव 60 posts Sort by: Latest Likes Views List Grid रीतेश माधव 30 Sep 2023 · 1 min read अंतर्द्वंद्व सत्य और असत्य से अनभिज्ञ मनोमस्तिक, अंतर्मन का वाद विवाद प्रतिवाद के, कशमकश का चलता एक कारवां, सतत् अंतर्द्वंद्व। और असमंजस में उलझता ये मन, किसे सत्य मानें, किसे असत्य... 1 164 Share रीतेश माधव 30 Jan 2022 · 1 min read मैं तो लिखूंगा मैं तो लिखूंगा तू अपना अभिमान दिखा मैं अपना स्वाभिमान लिखूंगा तू कोशिश करेगा हराने का मैं विजय का शिखर लिखूंगा मैं तो लिखूंगा तुम झूठ बोलना मैं सच्चाई लिखूंगा... Hindi · कविता 5 2 1k Share रीतेश माधव 12 Apr 2019 · 1 min read असमंजस की घड़ी जलते कोयले पर जमी राख की परत को मिलती रही है तुम्हारे स्पर्श से हवा अब इस सुलगी आग का क्या करूँ मैं? छोड़ दूँ गर इसे अपने नतीजे पे... Hindi · कविता 1 497 Share रीतेश माधव 11 Apr 2019 · 6 min read "विश्वास" "विश्वास" . . . ट्रेन तेज रफ्तार से गुजर रही थी। गझण्डी टीसन के सिग्नल पर ट्रेन धीमी हुई तो खिड़की से बाहर झांक कर देखा उसने... सबकुछ बदल गया!... Hindi · लघु कथा 1 537 Share रीतेश माधव 7 Apr 2019 · 1 min read बनते बिगड़ते राजनीति उन पर क्या विश्वास करें जिन्हें है अपने पर विश्वास नहीं वे क्या दिशा दिखाएँगे दिखता जिनको आकाश नहीं जिले की राजनीति में बहुत बड़ी शतरंज बिछी धब्बोंवाली चादर थी... Hindi · कविता 1 306 Share रीतेश माधव 2 Apr 2019 · 1 min read स्वीकार है: जीवन की ललकार रणक्षेत्र सजी हुई है सेनायें सुसज्जित खड़ी है तैयार जीत हो या हो भले ही हार, है स्वीकार जीवन की मुझे ललकार। जल रहा प्रत्येक क्षण हृदय द्वेष और विरोध... Hindi · कविता 1 794 Share रीतेश माधव 24 Mar 2019 · 1 min read राजनीति:- बदलती निष्ठा बदलती विचारधारा पार्टी बदले, बदले नेता क्षण में बदल जाये विचारधारा ढंग न बदला राजनीति का तो फिर क्या बदला ? चुनाव का शोर कार्यकर्ता-समर्थक ढोते विचारधारा नेता झट पार्टी बदले, बदले... Hindi · कविता 1 461 Share रीतेश माधव 10 Mar 2019 · 2 min read खतरे से खाली नही आज एक मित्र से मुलाकात हुई दुनिया जहान की बात हुई फिर, कहा उसने.... पहले कलम तुम्हारी उगलती आग थी, जहाँ अक्षर बनते चिंगारी थे जहाँ लेखनी में हरदम जलते... Hindi · कविता 2 2 492 Share रीतेश माधव 29 Jan 2019 · 2 min read मैं विद्रोही तेवर का मैं विद्रोही तेवर का- विद्रोह लिखता हूँ गढ़ता हूँ असत्य को सत्य की कसौटी से इतर मानता हूँ भर मन में विषाद, प्रेम ना लिख पाता हूँ प्रेम कविता लिखूं... Hindi · कविता 538 Share रीतेश माधव 24 Jan 2019 · 1 min read बदलते दृश्य सम्मान-प्रतिष्ठा के प्रभावी दृश्य सुंदर इतिहास के तुंग स्वर्ण-कलश सब आदर्श आदर्श पथप्रदर्शक ज्ञानवान शिक्षक विज्ञान, साहित्य,भाषा और गणित के धुरंधर सभी वे याद आते हैं प्रतापी सूर्य सा प्रखर... Hindi · कविता 421 Share रीतेश माधव 22 Jan 2019 · 2 min read मै साक्षात माधव हूँ। एक तरफ अक्षौहिणी सेना यादवों की दूसरी तरफ मंद मंद मुस्कुराता माधव है। अगणित तलवार अक्षौहिणी सेना की निहत्था खड़ा माधव, अकेला ही भारी है मत भूलो, सामने खड़ा भाषा... Hindi · कविता 305 Share रीतेश माधव 20 Jan 2019 · 1 min read काले बादल मंडरा रहे काले बादल दे रहे अशुभ आहट सुना भी है देखा भी है काले बादलों की काली करतूते द्वेष, साजिश और कलह से होते परिपूर्ण काले बादल जाति द्वेष... Hindi · कविता 305 Share रीतेश माधव 6 Jan 2019 · 1 min read क्रूर होंगे। हर किसी मे भरा उत्तेजना का भाव आक्रोश प्रदर्शित करते मनोभाव बदलते सोच, बनते बिगड़ते भाव देख सुन लगता है मानो जल्द ही, होंगे क्रूर सभी, क्रूरता छा जाएगी हनक... Hindi · कविता 278 Share रीतेश माधव 6 Jan 2019 · 1 min read मृग-तृष्णा कभी थिर सी कभी अधीर सी कभी बैचेन सी कभी निश्चिन्त सी मन दौड़ता रहा है पाने की इच्छा स्वर्ण-मृग की तोड़ता है मर्यादा की वर्जनाएं लांघता है संस्कार की... Hindi · कविता 1 491 Share रीतेश माधव 4 Jan 2019 · 1 min read जीवन : एक रंगमंच एक मंच उठते पर्दे धीमा प्रकाश मधुर आवाज परछाईयां आकृतियां दिखते कलाकार बोलती आंखे हवा में लहराते हाथ रुदन का शोर हंसने की आहट एक मधुर लोकगीत थिरकते कदम नगारे... Hindi · कविता 560 Share रीतेश माधव 4 Jan 2019 · 1 min read मैं लिखता क्यों हूँ कहते पूछते और बरसते, सहकर्मी, हितैषी, मित्र और संगी, तुझे ही पड़ी है तू ही सही , तू लिखता क्यो है?? सवाल कर देते विचलित मुझे, अविचलित हृदय को ना... Hindi · कविता 1 258 Share रीतेश माधव 3 Jan 2019 · 1 min read काश हम लोहार होते काश हम लुहार होते दे पैनापन कलम को तलवार बनाते कर पैना विचारों को भट्टी की ज्वाला में कलम से भाव जगाते दिल के संग दिमागों में आग लगाते करते... Hindi · कविता 2 384 Share रीतेश माधव 2 Jan 2019 · 1 min read कॉलेज है!! कॉलेज है कर्मी है शिक्षक है है छात्र छात्रा शिक्षा फरार है कॉलेज है काउंटर है स्टाफ है ठंड है धूप सेंक रहे है बारह हजार छात्र है छात्रा है... Hindi · कविता 3 539 Share रीतेश माधव 31 Dec 2018 · 1 min read नयापन क्या है नव वर्ष के जश्न मनाते लोग हर तरफ हंगामा शोर क्यो मचा रखा है मुझे ये तो बता, इसमें नयापन क्या है लोग वही होंगे सोच वही रहेंगे प्रवृति निम्न... Hindi · कविता 2 455 Share रीतेश माधव 29 Dec 2018 · 1 min read बुनते स्वप्न्न स्वप्न जो बुने हमने वो कांच के थे टूट कर ध्वस्त हो गए वो स्वप्न्न जिसे तपाया कम आंच पे थे स्वप्न्न जो बुने हमने वो मिट्टी के थे टूट... Hindi · कविता 2 267 Share रीतेश माधव 29 Dec 2018 · 1 min read जवाब बनें समाधान बनें आएगा फिर एक नया साल फिर उठेंगे ढेरों सवाल प्रश्न ढेरो, सब के जेहन में है पर जवाब का अकाल है समस्याएं उठाना कर्तव्य बना समाधान किसी के पास नही... Hindi · कविता 2 257 Share रीतेश माधव 28 Dec 2018 · 1 min read सबकुछ बदल गया है!! कंहा खो गयें वो जीवन के पल वो जीवन की रंगीनियां देखते निहारते तितलियां मिलते मुस्कुराते दिन कट जाते थे अब दिलोदिमाग में… कोई नहीं रहता !! मानो सब कुछ... Hindi · कविता 2 278 Share रीतेश माधव 27 Dec 2018 · 1 min read रक्तबीज पढा है कथा कहानियों में सुना है माँ काली ने रक्तबीज का संहार किया था गिर रक्त धरा पे ना प्रकट हो पुनः रक्तबीज काली ने रक्त की बूंद बूंद... Hindi · कविता 2 356 Share रीतेश माधव 27 Dec 2018 · 1 min read भारत मे डर लगता है.... जो चला रहे थे गोलियां कर रहे थे धमाका पकड़े जा रहें मारे जा रहें तो बरप रहा हंगामा खतरे में है भारत तो सब अच्छा लगता है मारे जाएं... Hindi · कविता 3 1 280 Share रीतेश माधव 26 Dec 2018 · 1 min read वाद- प्रतिवाद मार्ग जो करें भीड़ तय चलना उसपे ग़वारा नहीं खुद की सोच और विचारधारा इतनी अशक्त और कमजोर नहीं सोचता हूँ कभी कभी वाद प्रतिवाद से क्या फ़ायदा वो जो... Hindi · कविता 2 570 Share रीतेश माधव 24 Dec 2018 · 1 min read अजब है। जनता अजब है नेता गजब हैं जो शरीफ है चुप है जो बदमाश है उन्हें माइक देते है तरह-तरह के हंगामे है शोर है सरगर्मी है यहाँ शोक ही उत्सव... Hindi · कविता 2 326 Share रीतेश माधव 23 Dec 2018 · 1 min read संवेदनाएं पड़ी मृत है!! क्यो ढोते रहें ये संवेदनाएं होती है ये लाश की बोझ सी भारी किसी के परेशानी किसी के दुख को कंहा कोई कम कर पाया खेलते खेलते संवेदनाओं से संवेदनाएं... Hindi · कविता 4 406 Share रीतेश माधव 23 Dec 2018 · 1 min read "शमशान" एक हकीकत "शमशान" एक हकीकत जब एक लाश ले कंधे पे पहुंचे जब शमशान में देखा, दूजी अधजली है तीसरी की राख ठंडी पड़ चुकी है जाते ही लग गयें तैयारियों में... Hindi · कविता 2 384 Share रीतेश माधव 20 Dec 2018 · 1 min read पुजारी, शैतान और लाल कुत्ता एक है मंदिर ढेरों पुजारी उसमें हर किस्म के छोटे-बड़े नए-पुराने उस बीच एक धूर्त शैतान वेश पुजारी का कर धारण कर मांस मदिरा का भक्षण मंदिर के सम्मान का... Hindi · कविता 3 437 Share रीतेश माधव 18 Dec 2018 · 1 min read संवेदनाएं लिखता हूँ। राजनैतिक सोच नहीं अपनी संवेदनाएं लिखता हूँ। मेरी संवेदनाएं आपसे भिन्न है शायद भावनाएं और परिस्थितियां विभिन्न है। या तो आप सही हो या हम या हम दोनों सही हों।... Hindi · कविता 4 2 470 Share रीतेश माधव 17 Dec 2018 · 1 min read गुट और गुटबाजी क्या दिन थे वो याद आते है सब मे भाईचारा सब साथ थे। जहां मर्जी, गप्पे हांकने बैठ गए। कंही हंसी-मजाक कंही ठहाके लगा आए। बने जब से गुट, सब... Hindi · कविता 3 2 1k Share रीतेश माधव 15 Dec 2018 · 1 min read खेल शतरंज का ढेरो खेल खेलें बचपन मे गिल्ली डंडा, फुटबॉल और क्रिकेट लूडो कैरम और शतरंज भी हर खेल से होते मनोरंजन और स्वास्थ्य लाभ पर शतरंज जो कराए दिमागी कसरते उसका... Hindi · कविता 2 370 Share रीतेश माधव 14 Dec 2018 · 2 min read इंकलाब जिंदाबाद ! जिंदाबाद इंकलाब !! क्षण-क्षण, क़दम-क़दम बुनते रचते साजिशों का जाल घिरे हैं ईमानदार सवाल से, और बेईमान को जवाब भी चाहिए जवाब-दर-सवाल है के इन्क़लाब चाहिए इन्क़लाब ज़िन्दाबाद, ज़िन्दाबाद इन्क़लाब जहाँ ईमानदार के... Hindi · कविता 2 1k Share रीतेश माधव 8 Dec 2018 · 1 min read मेरे साथ मेरा स्वाभिमान सुना है कि अब तुम पत्रकार भी हो गए हो ना समझ था पहले अब बदतमीज भी हो गए हो। बहुत गुस्सा था तुम्हे शोषण और व्यवस्था के खिलाफ अब... Hindi · कविता 2 559 Share रीतेश माधव 11 Nov 2018 · 1 min read डूबते भरोसे अवसरवादी मतलबी समाज मे सहज भरोसे के पुल भरोसेमंद नहीं होते , इसीलिये ये आकस्मिक निर्माण विश्वासघात की बाढ़ में बह ही जाते हैं बहुत बार साथ ही डूब जाता... Hindi · कविता 3 2 469 Share रीतेश माधव 10 Nov 2018 · 1 min read मेरी कलम रुक पड़ी कलम आज लिखते-लिखते कई बार आखिर क्यों सोचता रहा ! शायद ! न सुहाता हो कलम को मेरा लिखना जैसे ढेरों को पसंद नहीं। कर भी क्या पाया... Hindi · कविता 3 2 404 Share रीतेश माधव 31 Oct 2018 · 2 min read साथ कौन है? मैं ढेरों लोगों को जानता हूं उनमें से कुछ से है मित्रता कुछ से आत्मीय संबंध कुछ के प्रति दिल मे है सम्मान कुछ जबरदस्ती पाते सम्मान कुछ को शिष्टाचारवश... Hindi · कविता 2 302 Share रीतेश माधव 22 Oct 2018 · 1 min read लड़ाई जारी है। लड़ाई जारी है। साढ़े दस बजे जाना है ना कार्य करना है ना पढ़ाना है करके मीटिंग बाकियो को भड़काना है आज हड़ताल है कालेज में जाम है सड़क हो... Hindi · कविता 3 551 Share रीतेश माधव 15 Oct 2018 · 2 min read रणभूमि का सारथी रणभूमि में आपके साथ हैं। रणभूमि में लक्ष्यों का संधान करते हुए आपने पूछा था एक दिन कि, शस्त्रों को छोड़ कर क्यों चुन लेते हो चुप्पी, अंजुरी में पुष्प... Hindi · कविता 1 725 Share रीतेश माधव 7 Oct 2018 · 1 min read संघर्ष....विभीषण और जयचंद का एक अजीब सा वातावरण चारों तरफ पल रहा है। कोई खुद को राम और किसी को रावण कह रहा है। गुट बने है कुछ विभीषण कुछ जयचंद तो कुछ तटस्थ... Hindi · कविता 2 2k Share रीतेश माधव 5 Oct 2018 · 2 min read साजिशें हरामखोरो को आज़ादी है, काम करने वाले पाबंद रहें, जिसको चाहें जो करें , खाएं-पीएं आनंद रहें। साँपों को आज़ादी है, मौका है माहौल है फुफकारने का, उनके सर में... Hindi · कविता 1 440 Share रीतेश माधव 8 Jun 2018 · 2 min read भड़ास हवा का रुख कैसा है, हम समझते हैं हम उसे पीठ क्यों दे देते हैं, हम समझते हैं हम समझते हैं खून का मतलब पैसे की कीमत हम समझते हैं... Hindi · कविता 2 334 Share रीतेश माधव 6 May 2018 · 1 min read ठगा सा.... वो अर्थ हीन है , ऐश्वर्य से परे सा । अर्थ हीन होकर भी , अर्थ से भरा सा । रुकता नही जो कभी, वो ज़ीवन से भरा सा ।... Hindi · कविता 2 580 Share रीतेश माधव 22 Apr 2018 · 1 min read जिंदगी जिन्दगी मेरी डरी हुई है सहमी हुई है एक डर है जो पल - पल मन को कंपा देता है ना जाने कहीं जो राख उड़ जाये चिंगारी भभक उठेगी... Hindi · कविता 2 372 Share रीतेश माधव 18 Jan 2018 · 1 min read हम ना मानेंगे!! धूर्त और बेईमान सजे-धजे हैं तो क्या हम मान लें कि धूर्तता और बेईमानी भी एक सजावट है? अवसरवादी और चमचे मज़े में हैं तो क्या हम मान लें कि... Hindi · कविता 2 262 Share रीतेश माधव 15 Nov 2017 · 1 min read हाँ, मैं विद्रोही हूँ!! हाँ,माना मेरी कुछ आदत ख़राब है!! कोई झूठ, मुझसे सही नहीं जाती मुँह देखे की मुझसे कही नहीं जाती । मैं उनसे कैसे मधुर संबंध रखूँ जिनके मुँह में मिठास,... Hindi · कविता 2 536 Share रीतेश माधव 5 Oct 2017 · 1 min read परछाइयां झूठी परछाइयाँ.... तुम देखते हो जो छोटा आदमी.... वो छोटा नहीं है.. तुम देखते हो जो, बड़ा आदमी... वो भी बड़ा नहीं है... ये सिर्फ़ परछाइयाँ हैं। परछाइयाँ दिखती बहुत... Hindi · कविता 2 440 Share रीतेश माधव 23 Sep 2017 · 1 min read जीना सीख लिया है। बे-रंग नहीं रहेगी अब ज़िंदगी... मैंने रंग बदलना सीख लिया है कंटीले रास्तों पर चलते-चलते गिरकर संभलना सीख लिया है धूर्तो से भरी परिवेश में हमने भी थोड़ी बहुत धूर्तता... Hindi · कविता 2 485 Share रीतेश माधव 14 Sep 2017 · 1 min read जीवन का सार है हिंदी.... जीवन का सार है हिंदी हिंदुस्तानियों का अभिमान है हिंदी... भारत भूमि देवी सामान तो देवी का श्रृंगार है हिंदी.. जय हिंद की भाषा है हिंदी भारत की शान है... Hindi · कविता 2 601 Share रीतेश माधव 16 Aug 2017 · 1 min read चापलूसी...."एक कला" चापलूसी ! माना एक बला है किन्तु गज़ब की कला है जो – हर किसी को आती नहीं और कइयों की जाती नहीं | ना योग्यता ना डिग्री ना पूंजी... Hindi · कविता 2 2k Share Page 1 Next