Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
5 Oct 2018 · 2 min read

साजिशें

हरामखोरो को आज़ादी है, काम करने वाले पाबंद रहें,
जिसको चाहें जो करें , खाएं-पीएं आनंद रहें।
साँपों को आज़ादी है, मौका है माहौल है फुफकारने का,
उनके सर में ज़हर भी है, और आदत भी है डसने की।
काम ना करने को आज़ादी है, आज़ादी से करें,
भोले- भाले को भड़काने का, साजिश रचने का यही तो मौका है।
पानी में आज़ादी है घड़ियालों को,
जितना मर्जी करे शिकार मछलियों को।
इंसां ने भी शोख़ी सीखी वहशत के इन रंगों से,
भेडियो, साँपों, और घड़ियालों से।
इंसान भी कुछ भेड़िये हैं, बाकी भेड़ों की आबादी है,
भेड़ें सब पाबंद हैं लेकिन भेड़ियों को आज़ादी है।
भेडियो के आगे भेड़ें क्‍या हैं, इक मनभाता शिकार है,
बाकी सारी दुनिया प्रजा, शेर अकेला राजा है।
भेड़ें दांत पिजाएँ मुस्कुराए हित अपने साध रहे हैं वर्षो से भेड़ो को यह तालीम मिली है, भेड़िये ताक़त वाले हैं।
मास भी खाएं, खाल भी नोचें, हरदम लागू जानों के,
भेड़ें काटें दौरे-ग़ुलामी बल पर गल्‍लाबानों के।
भेडि़यों से गोया क़ायम अमन है इस आबादी का,
भेड़ो का यूनियन बना भेड़िया, बन नेता लूट मचाया,यूनियन में सबका हिस्सा का घोटाले और ऐश किया भीड़ बने भेड़ें डर से हरदम चुप रहा। नाम न लें सम्मान का।
भेड़ो के अलावा साँप भी हैं, नीच भी, ज़हरीले भी
साँप तो बनना संभव ना है गैरत से मजबूर हैं हम,
सांपो का इलाज भी जानते है। पर अभी चुप है हम।
गिलहरियां भी हैं, चिड़ियाँ भी हैं, इस गुटबाजी के खेल में,
वो समझ ना पा रही है कैसे बचें इन सांपो के फैलाये जालों से
जिसने किया मदद हमेशा उसके खिलाफ ही खड़े है जोरो से।

आज यह किसका मुंह है आए, मुँह सरमायादारों के,
इनके मुंह में दांत नहीं, फल हैं ख़ूनी तलवारों के।
खा जाने का कौन सा गुर है जो इन सबको याद नहीं,
जब तक कोई कार्रवाई नही , इन सब को चैन नही।
धूर्त भेड़िया जो बना भेड़ो का नेता अक्ल पर जितना चाहे नाज़ करे,
बेशर्मी में जमीं में धंस जाए या चीख चिल्लाहट करे।
उसकी धूर्तई की बातें, सारी षड्यंत्र और साजिशें हैं,
भेड़ो की यूनियन की किये घोटालो से बच निकलने की घातें हैं।
जब तक इन धूर्त भेडियो और सांपो का षड्यंत्र यूनियन पर ग़ालिब है,
पहले मुझसे बात करे, जो सम्मान का तालिब है।

पर्दे में लिख रहा पर्दे में ही लिखने दो
मत उकसाओ खुल कर लिखने को
ढेरो जंग लड़ा है जीवन भर एक जंग और सही,
भीड़ के बल भले जीत जाओ, पर हमें हार स्वीकार नहीं।

Language: Hindi
1 Like · 422 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
मैं महकती यादों का गुलदस्ता रखता हूँ
VINOD CHAUHAN
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
जन्नत का हरेक रास्ता, तेरा ही पता है
Dr. Rashmi Jha
ऋतुराज (घनाक्षरी )
ऋतुराज (घनाक्षरी )
डॉक्टर रागिनी
■ आज का मुक्तक
■ आज का मुक्तक
*Author प्रणय प्रभात*
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
हिन्दी दोहा बिषय- कलश
राजीव नामदेव 'राना लिधौरी'
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
ढल गया सूरज बिना प्रस्तावना।
Pt. Brajesh Kumar Nayak
मुस्कुराहटे जैसे छीन सी गई है
मुस्कुराहटे जैसे छीन सी गई है
Harminder Kaur
"प्रीत की डोर”
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
2280.पूर्णिका
2280.पूर्णिका
Dr.Khedu Bharti
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
महोब्बत के नशे मे उन्हें हमने खुदा कह डाला
शेखर सिंह
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम ,   रहेंगे जुदा ना ,ना  बिछुड़ेंगे
दिल को लगाया है ,तुझसे सनम , रहेंगे जुदा ना ,ना बिछुड़ेंगे
DrLakshman Jha Parimal
रिश्तों में वक्त
रिश्तों में वक्त
पूर्वार्थ
पुष्प की व्यथा
पुष्प की व्यथा
Shyam Sundar Subramanian
एक फूल
एक फूल
Anil "Aadarsh"
आया जो नूर हुस्न पे
आया जो नूर हुस्न पे
हिमांशु Kulshrestha
योग करते जाओ
योग करते जाओ
Sandeep Pande
ग़ज़ल
ग़ज़ल
प्रीतम श्रावस्तवी
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
जब किसी व्यक्ति और महिला के अंदर वासना का भूकम्प आता है तो उ
Rj Anand Prajapati
जानता हूं
जानता हूं
Er. Sanjay Shrivastava
हिन्दी के हित
हिन्दी के हित
surenderpal vaidya
जाति-धर्म में सब बटे,
जाति-धर्म में सब बटे,
महावीर उत्तरांचली • Mahavir Uttranchali
💐प्रेम कौतुक-525💐
💐प्रेम कौतुक-525💐
शिवाभिषेक: 'आनन्द'(अभिषेक पाराशर)
है जरूरी हो रहे
है जरूरी हो रहे
Dr. Rajendra Singh 'Rahi'
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
घाव मरहम से छिपाए जाते है,
Vindhya Prakash Mishra
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
उसको भी प्यार की ज़रूरत है
Aadarsh Dubey
"बेहतर"
Dr. Kishan tandon kranti
व्हाट्सएप युग का प्रेम
व्हाट्सएप युग का प्रेम
Shaily
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
जब अथक प्रयास करने के बाद आप अपनी खराब आदतों पर विजय प्राप्त
Paras Nath Jha
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
*दो दिन फूल खिला डाली पर, मुस्काकर मुरझाया (गीत)*
Ravi Prakash
तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
तुमसे मिलना इतना खुशनुमा सा था
Kumar lalit
Loading...